समाजशास्त्र तथा इतिहास में संबंध

समाजशास्त्र तथा इतिहास में संबंध – अतीत की घटनाओं का क्रमबद्ध अध्ययन ही इतिहास है। प्रसिद्ध विद्वान वुल्फ (Wolf) का विचार है कि इतिहास विशेष राष्ट्रों, संस्थाओं, खोजों और आविष्कारों से सम्बन्धित है इस विज्ञान में हम उन सभी घटनाओं का अध्ययन करते हैं जो अतीत के समाज की विशेषताओं को स्पष्ट करती हैं। समाजशास्त्र अतीत की घटनाओं के आधार पर समाज की वर्तमान घटनाओं का क्रमबद्ध अध्ययन करता है। इसी आधार पर हावर्ड का कथन है कि “इतिहास अतीत का समाजशास्त्र है, जबकि समाजशास्त्र वर्तमान समाज का इतिहास है।”

“वर्तमान युग में समाजशास्त्र तथा इतिहास निरन्तर एक-दूसरे के निकट सम्पर्क में आते जा रहे हैं। आज से कुछ ही समय पहले तक इतिहास को काल्पनिक घटनाओं का एक संकलन मात्र समझा जाता था । इसको ऐसा लेखा-जोखा माना गया था, जो कुछ विशेष तारीखों, सम्वतों, राजा-रानी और सेनापतियों के दुष्ट कार्यों से भरा हो।

लेकिन अब सभी व्यक्ति यह स्वीकार करते हैं कि इतिहास केवल इसी तथ्य को स्पष्ट नहीं करता कि ‘किसी घटना का रूप क्या था वरन् यह भी स्पष्ट करता है कि कोई विशेष घटना ‘क्यों’ और ‘कैसे’ घटित हुई है।” इस प्रकार विभिन्न घटनाओं को कार्य-कारण के सम्बन्ध से जोड़ने के कारण इतिहास की प्रकृति भी समाजशास्त्र के समान प्रतीत होती है। अमेरिका में तो अधिकांश समाजशास्त्रीय अध्ययन ऐतिहासिक पद्धति द्वारा ही किये गये हैं। इस प्रकार कुछ विद्वानों ने अमेरिकन समाजशास्त्र को ‘ऐतिहासिक समाजशास्त्र’ तक कह दिया है।

समाजशास्त्र तथा इतिहास में संबंध

इतिहास वर्तमान सामाजिक तथ्यों की प्रामाणिकता सिद्ध करने का सर्वप्रमुख आधार है। वर्तमान निष्कर्षों की तुलना अतीत के परिणामों से करने पर हम किसी स्थिति की वास्तविकता को सरलतापूर्वक समझ सकते हैं। इतिहास यह बताने में बहुत सहायक सिद्ध हुआ है कि अतीत में किस परिस्थिति के क्या परिणाम हुए अथवा किन्हीं विशेष परिस्थितियों ने समाज को किस प्रकार प्रभावित किया। समाजशास्त्र इन निष्कर्षों के आधार पर वर्तमान सामाजिक जीवन को स्पष्ट करने का प्रयत्न करता है। वास्तविकता तो यह है कि अतीत केवल अतीत ही नहीं है बल्कि वर्तमान को समझने की एक कुंजी भी है।

यही कारण है कि सामाजिक घटनाओं के अध्ययन में ऐतिहासिक पद्धति का महत्व निरन्तर बढ़ता जा रहा है। इतिहास विभिन्न मानव समूहों, सामाजिक परिवर्तनों तथा व्यक्ति की क्रियाओं में परिवर्तन लाने वाले विचारों का बहुत व्यवस्थित रूप से अध्ययन करता है। समाजशास्त्र में भी इन घटनाओं के अध्ययन का उतना ही महत्व है जितना कि इतिहास में समाजशास्त्र तथा इतिहास का घनिष्ठ सम्बन्ध इस बात से भी स्पष्ट हो जाता है कि आज इतिहास का अध्ययन भी समाजशास्त्रीय दृष्टिकोण से किया जाने लगा है। अब यहां तक कहा जाने लगा है कि ऐतिहासिक व्याख्या के सामाजिक महत्व को समझे बिना इतिहास का अध्ययन ही निरर्थक है। इस प्रकार दोनों विज्ञानों का सम्बन्ध अत्यधिक घनिष्ठ है।

समाजशास्त्र तथा इतिहास में अन्तर

समाजशास्त्रीय तथा ऐतिहासिक अध्ययन एक-दूसरे की सहायता से ही पूर्ण हो सकते हैं और इस प्रकार इन दोनों विज्ञानों को एक-दूसरे से पृथक् नहीं किया जा सकता। यह धारणा भ्रामक है। समाजशास्त्र तथा इतिहास में संबंध अनेक दृष्टिकोण से एक-दूसरे से अत्यधिक भिन्न हैं:

  1. समाजशास्त्र एक सामान्य विज्ञान (general science) है। इसमें हम सभी सामाजिक सम्बन्धों का अध्ययन करते हैं चाहे ये ऐतिहासिक हों, राजनीतिक अथवा सांस्कृतिक हो। दूसरी ओर, इतिहास एक ‘विशेष विज्ञान’ है जिसका सम्बन्ध केवल ऐतिहासिक घटनाओं के अध्ययन से ही है।
  2. इतिहास केवल अतीत की घटनाओं से सम्बन्धित है उसका वर्तमान से कोई सम्बन्ध नहीं। इसके विपरीत, समाजशास्त्र मुख्य रूप से समाज की वर्तमान दशाओं का ही अध्ययन करता है।
  3. इतिहास में अतीत की सभी घटनाओं का अध्ययन न होकर केवल कुछ प्रमुख घटनाओं का अध्ययन होता है, जबकि समाजशास्त्र मानव समाज की सभी आधारभूत प्रक्रियाओं और सामाजिक तथ्यों का अध्ययन करता है। इस प्रकार समाजशास्त्र का क्षेत्र इतिहास की अपेक्षा कहीं अधिक व्यापक है।
  4. ऐतिहासिक अध्ययन सदैव प्रामाणिक नहीं होते क्योंकि इनका परीक्षण और पुनर्परीक्षण करना सम्भव नहीं होता । समाजशास्त्रीय अध्ययन वर्तमान घटनाओं पर आधारित है, इसलिए किसी भी दूसरे स्थान पर इनके निष्कर्षों की परीक्षा और पुनर्परीक्षा की जा सकती है। इस प्रकार इतिहास की अपेक्षा समाजशास्त्र अधिक निश्चित और प्रामाणिक विज्ञान है।

निष्कर्ष सभी सामाजिक विज्ञान एक-दूसरे के पूरक हैं समाजशास्त्र तथा अन्य सामाजिक विज्ञानों को न तो एक-दूसरे पर निर्भर कहा जा सकता है और न ही एक-दूसरे से पूर्णतया पृथक्। सामाजिक जीवन के विभिन्न क्षेत्रों से सम्बद्ध होने के कारण सभी विज्ञान एक-दूसरे के पूरक हैं।

समाजशास्त्र और इतिहास में क्या समानताएं और अंतर हैं?

इतिहास एवं समाजशास्त्र दोनों में ही अतीतकालीन समाज का अध्ययन होता है इतिहास काल के सापेक्ष में गतिशील समाज का अध्ययन करता है एवं समाजशास्त्र काल से निरपेक्ष रहते हुए स्थिर अवस्था में समाज का अध्ययन करता है। इतिहास में ऐतिहासिक पद्धति को महत्व दिया जाता है और संभावित निष्कर्ष निकाले जाते हैं।

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