देव पूजा में फूलों का बहुत महत्त्व है। सभी फूलों का नाम गिनाना कठिन है। अतः जो फूल रंग, रूप तथा सुगंध से युक्त हों, उन सभी फूलों को भगवान् को चढ़ाना चाहिए। नकली या प्लास्टिक के फूल कभी भी भगवान् को नहीं चढ़ाना चाहिए। फूल सदैव भगवान् के चरणों में अर्पित करें।
भगवान के अनुसार पूजा में फूलों का महत्व
- गणेशजी– तुलसी को छोड़कर सभी फूल चढ़ाना चाहिए। तीन पत्ती की 21 दूर्वा गणेशजी को चढ़ाना चाहिए।
- देवी– लाल फूल, बेला, चमेली, श्वेत कमल, चंपा, कुंद, कनेर।
- शिवजी– आक के फूल, बेलपत्र, शमी के पत्ते, कच्चा दूध, धतूरा, सफेद फूल।
- विष्णुजी– तुलसी पत्र, लाल कनेर के फूल, कमल, चंपा, कुंद, पलाश के फूल, आक के फूल चढ़ाने से दस अशर्फियाँ चढ़ाने का फल प्राप्त होता है।


संसार में सुख-दुःख, हानि-लाभ, जीवन-मरण, दरिद्रता-संपन्नता आदि स्पष्ट रूप से दिखाई देते हैं। प्रत्येक मनुष्य के जीवन में कुछ क्षण ऐसे होते हैं, जब उसकी बुद्धि निर्मल और सात्त्विक रहती है तथा उन क्षणों में किए हुए कर्म शुभकामनाओं से समन्वित एवं पुण्यवर्धन करनेवाले होते हैं।
यदि हम अपना समय परोपकारी, शुभ कार्यों के निमित्त अर्पित करें तो इसका पुण्य हमें अवश्य प्राप्त होगा। व्यक्ति को श्रद्धा-भक्ति से जीवन- पर्यंत प्रतिदिन स्नान, ध्यान, व्रत, तप आदि नित्य कर्म नियमित रूप से करना चाहिए। इस तरह से अनगिनत व्रत हैं, जिन्हें अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए रखा जा सकता है।
पूजा में फूलों का महत्व
उनका एक यह प्रश्न भी था कि व्रत के समय देवता को उसकी प्रिय वस्तुओं का भोग लगाया जाता है और खुद भी उससे संबंधित वस्तुएँ खाई जाती हैं। बृहस्पति के व्रत में खुद पीले चावल, पीले फल क्यों खाए जाते हैं? इन सब बातों के पीछे एक आध्यात्मिक तथ्य छुपा है। जब हम भगवान् को प्रसन्न करना चाहते हैं तो हमें सफलता तभी मिलती है, जब हम तन और मन से उसकी भक्ति में रंग जाएँ, उसके ही हो जाएँ।
इसलिए जब व्रती व्रत रखता है तो वह अपने देवता को प्रसन्न करने के लिए उसका प्रिय भोजन उसे अर्पित करता है तथा उसके रंग में रंगने के लिए खुद भी उसका प्रिय भोजन ग्रहण करता है। इस तरह की आस्था, प्रेम, विश्वास ही व्रतों के फलों को सार्थक करते हैं। तो देरी किस बात की, व्रतों की तैयारी करें तथा अपने भगवान् को प्रसन्न करें।

पूजा में फूलों का महत्व धार्मिक और आध्यात्मिक संदर्भ में महत्वपूर्ण होता है। फूल पूजा के विभिन्न प्रकारों में उपयोग किए जाते हैं:
- पवित्रता की प्रतीक: फूल पवित्रता और शुद्धता का प्रतीक माने जाते हैं और भगवान की पूजा में उनकी उपस्थिति को सूचित करने में मदद करते हैं।
- सौन्दर्य और आनंद: फूल पूजा सत्र को सुंदर और प्रिय बनाते हैं और आदिवासी कुलों के लिए आनंददायक होते है।
- अरोग्य और सुख: कुछ फूल औषधियों के रूप में भी कार्य कर सकते हैं और रोगों से बचाव में मदद कर सकते हैं।
- पूजा में रंग: विभिन्न रंगीन फूल पूजा में रंग का महत्व बढ़ाते हैं और धार्मिक अथवा सांस्कृतिक महक में भाग लेते हैं।
इसलिए, फूलों का पूजा में अत्यधिक महत्व होता है और यह आध्यात्मिक अनुष्ठान का महत्वपूर्ण हिस्सा होता है।