लागत अंकेक्षण अर्थ 5 उद्देश्य लाभ हानि

लागत अंकेक्षण एक प्रकार की जाँच है जो लागत के सम्बन्ध में की जाती है। यह केवल उन्हीं संस्थाओं में किया जाता है जिनमें लागत लेखे तैयार किए जाते हैं। इसके अन्तर्गत इस बात का अध्ययन किया जाता है कि जो लेखे किए गए हैं उनके व्यवहारों के नियम तथा निर्णय उचित तथा ठीक है, अर्थात् इसमें वस्तुओं की कुल एवं प्रति इकाई का पता लगाया जाता है तथा प्रति इकाई लागत की यथार्थता का पता लगाया जाता है। इसे निम्न प्रकार परिभाषित किया गया है-

लागत अंकेक्षण लागत लेखों के ठीक होने का सत्यापन एवं लागत लेखा योजना का अनुसरण लागत एवं कार्य लेखाकार संस्थान है।

लागत एवं कार्य लेखाकार संस्थान

लागत अंकेक्षण की विशेषताएं

इस अंकेक्षण की विशेषताएं निम्नलिखित हैं-

  1. लागत अंकेक्षण उन संस्थाओं में किया जाता है जिनमें लागत लेखे तैयार किए जाते हैं।
  2. इसके अन्तर्गत इस बात का अध्ययन किया जाता है कि किए गए लेखों के व्यवहारों के नियम तथा निर्णय उचित तथा ठीक है।
  3. इसमें वस्तुओं की कुल एवं प्रति इकाई को प्रमाणित किया जाता है।
  4. इसमें प्रति इकाई लागत की यथार्थता का पता लगाया जाता है।
  5. इसके अन्तर्गत कार्यकुशलता की जाँच की जाती है। लागत अंकेक्षक का कार्यक्षेत्र ‘कारखाना’ है।
  6. इसके अन्तर्गत अंकेक्षक अपनी रिपोर्ट कम्पनी लॉ बोर्ड एवं कम्पनी, दोनों को प्रस्तुत करता है।
  7. लागत अंकेक्षक यह मालूम करने का प्रयत्न करता है कि अन्तिम स्टॉक आवश्यकता से कम अथवा अधिक नहीं है।
  8. लागत अंकेक्षण बाहरी संस्थाओं द्वारा कराया जाता है।
  9. लागत अंकेक्षक का कार्य इस बात की सलाह देना है कि लागत कैसे कम की जाए तथा अधिकतम लाभ कमाया जाए।

लागत अंकेक्षण के उद्देश्य

लागत अंकेक्षण के प्रमुख उद्देश्य निम्नलिखित हैं-

  1. लागत लेखों की अशुद्धियों का पता लगाना।
  2. प्रबन्ध ने पूर्व-निर्धारित प्रक्रियाओं का पालन किस सीमा तक किया है, इस बात का पता लगाना ।
  3. प्रबन्ध को इन प्रक्रियाओं से किस सीमा तक निर्णय लेने में सहायता मिलती है. इस बात का पता लगाना।
  4. इन प्रक्रियाओं के लक्ष्य एवं पर्याप्तता का पता लगाना।
  5. जब प्रबन्ध किसी कार्य के लक्ष्य की खोजबीन में संलग्न हो तो इसके द्वारा सहायता प्रदान करना।

लागत अंकेक्षण की प्रविधियाँ

लागत अंकेक्षण की प्रविधियाँ अग्रवत हैं-

  1. प्रमाणन – संव्यवहार को सिद्ध करने हेतु समर्थन में दिये जाने वाले दस्तावेजों का निरीक्षण है।
  2. जाँच करना तथा चिन्हांकित करना – लाल पेन या पेन्सिल से गणना, खतौनी एवं योग को इंगित करने हेतु निशान लगाये जाते हैं।
  3. निदर्श जाँच – यदि आन्तरिक निरीक्षण प्रणाली ठीक हो तो ऐसा किया जा सकता है।
  4. अंकेक्षण टिप्पणियाँ लिखना – अंकेक्षण के दौरान पता लगे तथ्यों को साफ-साफ लिखना चाहिए ।
  5. कार्य संचालन सम्बन्धी कागजात – कार्यालय नियमावली की प्रति, लेख सूची आदि प्राप्त करनी चाहिए ।
  6. प्रश्नावलियाँ – प्रश्नावलियाँ तैयार करके इनका उत्तर प्रबन्धकों से प्राप्त करें।
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लागत अंकेक्षण का स्वरूप

लागत अंकेक्षण के स्वरूप निम्नलिखित हैं-

  1. लागत अंकेक्षण ग्राहकों की ओर से कराया जाता है। अंकेक्षक का कार्य यह होता है कि किसी वस्तु के मूल्य का भुगतान करने से पूर्व उसका यथार्थ मूल्य पता लगाएं। इस प्रकार ग्राहकों को उसकी क्रय की गई वस्तुओं का मूल्य पता लगाने में सहायता मिलती है।
  2. लागत अंकेक्षण सरकार की ओर से भी कराया जाता है, जो कि निम्नलिखित परिस्थितियों में सम्भव है –
    • जब कुछ उद्योगों को सार्वजनिक हित में संरक्षण देने की आवश्यकता हो।
    • जब अत्यधिक लाम कमाने हेतु वस्तुओं के उच्चतम मूल्य निर्धारित करवाने हो।
    • जब सरकारी विभाग लागत जोड़ ठेका पद्धति के अन्तर्गत आदेश दे रहे हो।
  3. लागत अंकेक्षण व्यापारिक संघों द्वारा भी कराया जाता है, जो कि निम्न उद्देश्यों की पूर्ति हेतु हो सकता है –
    • गलाकाट प्रतियोगिता से बचने के उद्देश्य से न्यूनतम मूल्य निर्धारित करना।
    • अपने सदस्यों की लाम कमाने की क्षमता ज्ञात करने के लिए
    • श्रमसंघों या श्रम न्यायालयों के व्यापारिक झगड़ों को निपटाने के लिए
    • इस बात का पता लगाने के लिए कि सदस्यों द्वारा नीति का पालन किया जा रहा है अथवा नहीं।

लागत अंकेक्षण के लाभ

लागत अंकेक्षण के प्रमुख लाभ निम्नलिखित हैं-

  1. लागत अंकेक्षण से लागत लेखों की अशुद्धियों तथा छल-कपट प्रकाश में आ जाते हैं।
  2. लागत अंकेक्षण से सामग्री एवं श्रम आदि के दुरुपयोग का पता लगाया जा सकता है तथा उसे रोका जा सकता है। इसके साथ ही साथ उत्पादन की विभिन्न इकाइयों पर नियन्त्रण रखा जा सकता है।
  3. लागत अंकेक्षण से आंकड़ों की शुद्धता का पता चलता है तथा लागत निर्धारण विश्वसनीय बन जाता है।
  4. लागत अंकेक्षण उत्पादन क्षमता एवं कुशलता में वृद्धि करता है।
  5. इसके द्वारा उत्पादन में अकुशलताओं को मापा जा सकता है।
  6. स्टॉक तथा चालू कार्य का उचित मूल्यांकन आसानी से हो जाता है।
  7. इससे विभिन्न उद्देश्यों के लिए सूचनाएं उपलब्ध हो जाती है तथा लेखे भी पूर्ण रहते हैं।
  8. लागत अंकेक्षण कर्मचारीयों की कार्य कुशलता को तुरंत प्रकट करता है तथा इसके द्वारा लागत एवं वित्तीय लेखो के परिणामों से मिलान की संभावना रहती है।

लागत अंकेक्षण के दोष

लागत अंकेक्षण के दोष अग्रवत हैं-

  1. प्रबन्धकीय कार्यों में बाधा आना।
  2. अनौचित्यपूर्ण माना जाना।
  3. समय व धन का अपव्यय मात्र।
  4. वित्तीय अंकेक्षण व वैधानिक अंकेक्षण होने के कारण लागत अंकेक्षण या दिखावा मात्र होना।
  5. विपणन व प्रशासन की कार्यक्षमता पर ध्यान न देना।
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