लाल किला दिल्ली, भारत की राजधानी, में स्थित एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक स्मारक है। 19 भारतीय ऐतिहासिक स्थल में यह मकबरे का भव्यता और विशेष वास्तुकला के साथ एक आकर्षण है जिसने विश्वभर के पर्यटकों को आकर्षित किया है। लाल किला का निर्माण मुग़ल सम्राट शाहजहाँ ने 1638 से 1648 तक करवाया था और यह उनके समय की बल्बला में बनाया गया था।
लाल किला का इतिहास
लाल किला का नाम इसकी लाल रंगीन दीवारों से आता है, जो इसके परिक्रमा को एक बालू के लाल रंग से चिढ़ाते हैं। यह मुग़ल साम्राज्य के समय में दिल्ली की पुरानी साक्षी और आदर्श नगरी पुराने दिल्ली के स्थान पर बनाया गया था। इसका निर्माण मुग़ल सम्राट शाहजहाँ द्वारा किया गया था और इसे विशेष रूप से 1648 में उनके समय की बल्बला में उद्घाटन किया गया था।
लाल किला का निर्माण मुग़ल सम्राट शाहजहाँ ने 17वीं सदी के प्रारंभ में करवाया था। इसका निर्माण 1638 से 1648 तक हुआ था और इसका उद्घाटन उनके समय की बल्बला में हुआ था। इसका निर्माण उस समय के मकबरे के निर्माण के उद्देश्य से किया गया था, लेकिन बाद में यह एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक स्मारक के रूप में महत्वपूर्ण हो गया।


लाल किला की वास्तुकला
लाल किला का वास्तुकला एक उत्कृष्टता का प्रतीक है जो मुग़ल वास्तुकला की शानदारता और अद्वितीयता को प्रकट करता है। इसके प्रांगण में स्थित विभिन्न भव्य इमारतें और सुंदर सजावट इसे और भी आकर्षक बनाते हैं। इसकी दीवारें बालू के और लाल गर्मीय दिनों में उसके आदर्श प्रांगण को ठंडा रखने में मदद करती हैं।
लाल किला का मुख्य दरवाजा ‘लाहौर दरवाजा’ है, जिसे पहले अल्तामश द्वारा बनाया गया था और फिर उसे शाहजहाँ ने सुधारा था। यह दरवाजा उसकी दीवारों की मुख्य प्रवेश द्वार है और इसके आकर्षणीय नक्काशी और वास्तुकला ने उसे एक शानदार दर्शनीयता दी है। लाल किला के प्रांगण में स्थित ‘दिवान-ए-आम’ और ‘दिवान-ए- ख़ास’ दो महत्वपूर्ण इमारतें हैं, जो मुग़ल साम्राज्य की शानदारता और प्राचीनता की याद दिलाती हैं।
‘दिवान-ए-आम’ जनता के साथ संवाद करने के लिए बनाई गई थी, जबकि ‘दिवान-ए-ख़ास’ केवल शाहजहाँ के महत्वपूर्ण व्यक्तिगत मामलों की सुनवाई के लिए बनाई गई थी। इन इमारतों की विशालता, शानदारता और वास्तुकला उनकी महत्वपूर्णता को प्रकट करती है।
दीवान-ए-आम और दीवान-ए-ख़ास
लाल किला के प्रांगण में ‘दीवान-ए-आम’ और ‘दीवान-ए-ख़ास’ दो महत्वपूर्ण इमारतें हैं। ‘दीवान-ए-आम’ जनता के साथ संवाद करने के लिए बनाई गई थी, जबकि ‘दीवान-ए-ख़ास’ केवल शाहजहाँ के महत्वपूर्ण व्यक्तिगत मामलों की सुनवाई के लिए बनाई गई थी। इन इमारतों की विशालता, सुंदरता और वास्तुकला उनकी महत्वपूर्णता को प्रकट करती है।
बागबान
लाल किला के प्रांगण में विभिन्न बागबान हैं जो इसे और भी आकर्षक बनाते हैं। ‘रास्ते की ओर’ एक बड़े बाग़बान का हिस्सा है जो पौधों की विविधता और सुंदरता को प्रकट करता है। यहाँ बगीचे के भीतर चलते हुए आपको एक सुकून और शांति की अनुभूति होती है।

बादशाही किला
लाल किला के नीचे ‘बादशाही किला’ भी स्थित है, जिसे ‘कलाँ-क्वाब’ के नाम से भी जाना जाता है। यह किला शाहजहाँ के लाल किले के पूर्वी पक्ष में स्थित है और इसके निर्माण के पीछे एक रोमांटिक किस्सा भी जुड़ा है।
लाल किला का आकर्षण
लाल किला का मुख्य आकर्षण है उसके दीवारों पर चित्रित नक्काशी, जिनमें मुग़ल साम्राज्य की कथाएँ और दृश्य होते हैं। इन दीवारों पर बनी चित्रित कलाएँ मुग़ल सम्राटों के युद्धों, प्रशासन, और जीवन की दृश्यों को दिखाती हैं और इस तरीके से विश्वभर के पर्यटकों को मुग़ल सम्राटों के आदर्शों और कृतित्व के बारे में जानकारी मिलती है।
लाल किला एक महत्वपूर्ण स्मारक है जो भारतीय इतिहास की महत्वपूर्ण घटनाओं को याद दिलाता है। इसकी वास्तुकला, दीवारों की नक्काशी, और विभिन्न इमारतें इसे एक ऐतिहासिक और वास्तुकला का अद्वितीय स्मारक बनाते हैं। यह दिल्ली के पर्यटन क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण स्थल है और इसके दर्शनीयता, ऐतिहासिक महत्व, और विशेष वास्तुकला के कारण यह विश्वभर के पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बन गया है।