ग्राम सभा बैठक विषय 5 कार्य

ग्राम सभा का क्षेत्र एक सम्पूर्ण ग्राम पंचायत होता है। यह पंचायती राज व्यवस्था का महत्वपूर्ण अंग है। ग्राम पंचायत क्षेत्र में रहने वाले सभी व्यक्ति जिनका नाम मतदाता सूची में दर्ज हो इस सभा के सदस्य होते हैं। इसमें 200 या उससे अधिक की जनसंख्या का होना जरूरी होता है। ग्राम सभा की बैठक हर तीन महीने में एक बार होनी आवश्यक है। इसका मतलब यह कि दो ग्राम सभा के बीच की अवधि तीन माह से अधिक नहीं होनी चाहिए।

ग्राम सभा

ग्राम सभा की बैठक हर तीन महीने में एक बार होनी आवश्यक है। (यद्यपि कहीं कहीं दो बार की बैठक आवश्यक है। ग्राम सभा की बैठक को बुलाने का अधिकार ग्राम प्रधान यानी मुखिया को है। वह किसी समय असामान्य बैठक का भी आयोजन कर सकता है। बैठक से 15 दिन पहले सदस्यों को सूचित करना होता है। जिला पंचायत राज अधिकारी या क्षेत्र पंचायत द्वारा लिखित रूप से मांग करने पर या फिर ग्राम सभा के सदस्यों की मांग पर प्रधान द्वारा तीस दिनों के भीतर बैठक बुलाया जा सकता है।

ग्राम सभा

यदि ग्राम प्रधान बैठक आयोजित नहीं करता है तो यह बैठक उस तारीख के साठ दिनों के भीतर होगी, जिस तारीख को प्रधान से बैठक बुलाने की मांग की गई है। ग्राम सभा की बैठक के लिए कुल सदस्यों की संख्या का पांचवें भाग का सम्मिलित होना आवश्यक है। किन्तु यदि गणपूर्ति (कोरम) के अभाव के कारण बैठक न हो सके तो इसके लिए दुबारा बैठक का आयोजन किया जा सकता है।

दरबार बैठक के लिए पांचवें भाग की उपस्थिति की आवश्यकता नहीं होती। प्रत्येक ग्राम सभा में एक अध्यक्ष होता है, जो ग्राम प्रधान, सरपंच अथवा मुखिया कहलाता है। साथ ही कुछ अन्य सदस्य भी होते हैं। इसमें 1000 की आबादी तक एक ग्राम पंचायत सदस्य (वार्ड सदस्य), 2000 की आबादी तक ग्यारह सदस्य तथा 3000 की आबादी तक पंद्रह सदस्य होते हैं।

ग्राम सभा बैठक की अवधि

एक कैलेण्डर वर्ष (1 जनवरी से 31 दिसम्बर तक) में न्यूनतम चार ग्राम सभा आयोजित किया जाना अनिवार्य है। आवश्यकतानुसार भारत में ग्राम सभा चार से अधिक बार आयोजित किया जा सकता है। इसे आसानी से याद रखने के लिए बैठक प्रमुख राष्ट्रीय दिवस/अन्तर्राष्ट्रीय दिवस को आयोजित का सुझाव दिया गया है।

  • 26 जनवरी – गणतंत्र दिवस
  • 8 मार्च – अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस
  • 1 मई – मजदूर दिवस
  • 15 अगस्त – स्वतंत्रता दिवस
  • 2 अक्टूबर – गांधी जयन्ती
  • 14 नवम्बर – बाल दिवस

धारा-4 की उप धारा (3) के अनुसार यह बैठक आयोजित करने की जिम्मेदारी मुखिया की है। ग्राम सभा की बैठक मुखिया द्वारा नहीं बुलाये जाने की स्थिति में पंचायत समिति के कार्यपालक पदाधिकारी (बी.डी.ओ.) को जानकारी मिलने पर वह बैठक बुलवा सकता है। कोई ग्रामीण (मतदाता) द्वारा बी.डी.ओ. को सूचना देने पर भी बी.डी.ओ. बैठक आयोजित करेगा। कार्यपालक पदाधिकारी बैठक में भाग लेने हेतु स्वयं या अपने स्थान पर किसी सरकारी सेवक प्रतिनिधि बना कर भेज सकते हैं।

High Angle Photography of Village

ग्राम सभा के बैठक की सूचना

बैठक की सूचना डुगडुगी बजाकर, लाऊडस्पीकर से और ग्राम पंचायत कार्यालय के सूचना पट्ट पर नोटिस चिपकाकर या अन्य माध्यमों से आम जनता को दिया जाना आवश्यक है।

बैठक की अध्यक्षता

इस सभा की प्रत्येक बैठक की अध्यक्षता उस ग्राम पंचायत का मुखिया और उसकी अनुपस्थिति में उप मुखिया करता है।

ग्राम सभा बैठक का कोरम

ग्राम सभा की बैठक का कोरम कुल सदस्यों की संख्या के बीसवें भाग यानी पांच प्रतिशत की उपस्थिति से पूरा होने का प्रावधान है। अगर कोरम के अभाव में बैठक स्थगित हो तो उसके बाद की बैठक बुलाने पर कुल सदस्यों की संख्या के चालीसवें भाग यानि ढ़ाई प्रतिशत की उपस्थिति से कोरम पूरा हो जाएगा। कोरम पूरा नहीं होने पर ग्राम सभा की बैठक का निर्णय मान्य नहीं होगा। इसका मतलब यह हुआ कि इस बैठक में कोरम का पूरा होना हर हाल में जरूरी है।

ग्राम सभा में विचार योग्य विषय

  1. ग्राम पंचायत का वार्षिक लेखा-जोखा के बारे में चर्चा करना।
  2. पिछले वित्तीय वर्ष के प्रशासनिक प्रतिवेदन पर विचार करना।
  3. पिछली अंकेक्षण टिप्पणी पर विचार करना।
  4. अगले वित्तीय वर्ष के लिए ग्राम पंचायत के बजट पर विचार करना।
  5. पिछले वर्ष के विकास सम्बंधी कार्यों की समीक्षा करना।
  6. चालू वित्तीय वर्ष में शुरू किए जाने वाले प्रस्तावित विकास कार्यक्रम पर विचार करना।
  7. निगरानी समिति की रिपोर्ट पर विस्तार से चर्चा करना।
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ग्राम सभा के कार्य

  1. गांव में किये जाने वाले विकास के कार्यों में सहायता करना।
  2. गांव के विकास स्कीमों का कार्यान्वयन करने के लिए लाभ लेने वालों की पहचान करना। परन्तु यदि उचित समय के भीतर ग्राम सभा लाभ लेने वालों का चयन करने में विफल रहती है तो ग्राम पंचायत ऐसे लाभ उठाने वालों की पहचान करती है।
  3. ग्राम पंचायत क्षेत्र में श्रमदान करके सहयोग देना।
  4. गांव के भीतर जन शिक्षा और परिवार कल्याण कार्यक्रमों में सभी तरह के सहयोग देना।
  5. गांव में समाज के सभी वर्गों के बीच एकता और सौहार्द बढ़ाना।

ग्राम सभा की बैठक में सदस्यों का भाग लेना अति आवश्यक है। बैठक में सदस्यों की सक्रिय भागीदारी से पंचायती राज व्यवस्था मजबूत होती है साथ ही ग्रामीण विकास भी तेजी से होता है। इसलिए इसके सदस्यों का ग्राम सभा की बैठक में जाना न केवल उनका अधिकार है, बल्कि उनका कर्त्तव्य भी है। अपनी भूमिका निभाने के लिए प्रत्येक सभा के सदस्य को अपने अधिकार और कर्तव्य के प्रति जागरूक रहना चाहिए।

इससे ग्राम पंचायत के चौतरफे विकास और प्रगति को बल मिलता है। ग्राम सभा में सदस्यों के सक्रिय भागीदारी से ही पंचायतों का सर्वांगीण विकास संभव है। इसलिए यह माना जाता है कि ग्राम सभा पंचायती राज की आत्मा है और आत्मा की रक्षा करना प्रत्येक नागरिक का धर्म एवं कर्म होता है। इसमें आमजन को जनता के सम्पूर्ण विकास के संबंध में विचार करना चाहिए।

ग्राम सभा

ग्राम सभा की निगरानी समिति

ग्राम पंचायत द्वारा किए गए कार्य, योजनाओं और अन्य कार्यकलापों चाहें वह व्यक्ति से सम्बन्धित हो या सामुदायिक विकास की योजनाओं से, जो उस ग्राम पंचायत से संबंधित हों, का पर्यवेक्षण करने एवं पर्यवेक्षण प्रतिवेदन प्रस्तुत करने के लिए यह जरूरत के अनुसार एक या एक से अधिक निगरानी समिति का गठन कर सकती है। इसमें एक तथ्य यह भी है कि ग्राम पंचायत का कोई निर्वाचित सदस्य निगरानी समिति का सदस्य नहीं हो सकता।

इसलिए इस समिति के गठन से ग्राम पंचायत द्वारा किए गए कार्यों, उसके कार्यान्वयन और अपनायी गई अनियमितता एवं मनमानी पर रोक लगाई जा सकती है। ग्राम पंचायत के मतदाताओं में से ही इस समिति का गठन होता है और यह समिति अपना रिपोर्ट ग्राम सभा में रखती है।

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