प्रश्न 1 - 5 अंक
प्रश्न 2 - 5 अंक
प्रश्न 3 - 10 अंक
प्रश्न 4 - 10 अंक
प्रश्न 5 - 10 अंक (5+5)
प्रश्न 6 - 5 अंक
प्रश्न 7 - 5 अंक
प्रश्न 8 - 14 अंक (7+7)
प्रश्न 9 - 2 अंक
प्रश्न 10 - 5 अंक (3+2)
प्रश्न 11 - 8 अंक (2+2+2+2)
प्रश्न 12 - 6 अंक (2+2+2)
प्रश्न 13 - 6 अंक
प्रश्न 14 - 9 अंक

वासुदेव शरण अग्रवाल

 
वासुदेव शरण अग्रवाल
विद्वान, लेखक
जन्म

7 अगस्त 1904

जन्म स्थान

ग्राम खेड़ा जिला मेरठ उत्तर प्रदेश भारत

मृत्यु

27 जुलाई 1967

सम्मान

साहित्य अकादमी पुरस्कार

भाषा

परिमार्जित खड़ी बोली

शैली
  • विचारात्मक
  • गवेशात्मक
  • व्याख्यात्मक

वासुदेव शरण अग्रवाल जी हिन्दी साहित्य में निबन्धकार के रुप में प्रसिद्ध है। इन्होंने अपना पूरा जीवन साहित्यिक रचनाओं को संस्कृत और हिन्दी में लिखने में व्यतीत किया। हिन्दी मे रचनाएँ लिखने के बाद उन्हे संस्कृत मे निबंध, ग्रन्थ, अध्याय और अनुवाद लिखने का शौक था। इन्होंने अपनी कई प्रचलित कविताओं को संस्कृत में अनुवाद किया है।

अग्रवाल जी दिल्ली के राष्ट्रीय संग्रहालय के अध्यक्ष भी रहे तथा काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के भारती विश्वविद्यालय में पुरातन एवं प्राचीन इतिहास विभाग के अध्यक्ष भी रहें है।

शिक्षा

माता का निवास लखनऊ में होने के कारण इनका बचपन यहीं व्यतीत हुआ। माता-पिता की छत्र-छाया में रहकर अपनी शिक्षा भी आपने यहीं प्राप्त की लखनऊ विश्वविद्यालय से 1929 में एम• ए• करने के पश्चात् 1940 तक मथुरा पुरातत्व संग्रहालय के अध्यक्ष रहे। 1941 में पी• एच• डी• तथा 1946 में डी• एल• एड• की उपाधि प्राप्त की।

कार्य क्षेत्र

1946 से 1951 तक भारतीय पुरातत्व विभाग के अध्यक्ष रहे। 1951 में काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के काॅलेज ऑफ इंडोलाॅजी (भारती महाविद्यालय) में प्रोफेसर का पद सुशोभित किया। सन् 1952 में लखनऊ विश्वविद्यालय में राधाकुमुद मुखर्जी व्याख्यान निधि की ओर से व्याख्याता नियुक्त हुए। वे भारतीय मुद्रापरिषद् (नागपुर), भारतीय संग्रहालय परिषद् (पटना), ऑल इंडिया ओरिएंटल काँग्रेस, फाइन आर्ट सेक्शन (बंबई) आदि संस्थाओं के सभापति भी रहे।

साहित्यिक परिचय

पुरातत्व विशेषज्ञ डॉक्टर वासुदेव शरण अग्रवाल हिंदी साहित्य के पंडित्वपूर्ण, सुललित, श्रेष्ठ निबंधकार, व्याख्यान अनुसंधान कर्ता एवं उच्च कोटि के साहित्यकार हैं। अग्रवाल जैसे पुरातत्व एवं प्राचीन हिंदी के क्षेत्र में उनकी सामान्य करने वाले साहित्य लेखक मिलना दुर्लभ है। भारतीय संस्कृति और पुरातत्व विभाग वासुदेव शरण अग्रवाल काशी विश्वविद्यालय के पुरातत्व एवं प्राचीन इतिहास विभाग के अध्यक्ष को सुशोभित किया।

इन्होंने कई ग्रंथों का संपादन एवं पाठ का शोध भी किया। जायसी के पद्मावत की संजीवनी और बाणभट्ट के हर्ष चरित्र का संस्कृत अध्ययन कर के उन्होंने प्राचीन महापुरुष श्री कृष्णा वाल्मीकि और मनुवाद के दृष्टिकोण वृद्धि संगति चरित्र चित्रण प्रस्तुत किया गया है।

रचनाएं
निबन्ध संग्रह
  • पृथिवी पुत्र
  • कल्पलता
  • कला और संस्कृति
  • कल्पवृक्ष
  • भारत की एकता
संपादन एवं अनुवाद
  • हिन्दू सभ्यता
  • शृंगारहाट
  • पोद्दार अभिनन्दन ग्रन्थ
×