9 अप्रैल 1893
पन्दहा आजमगढ़ उत्तर प्रदेश भारत
14 अप्रैल 1963
यात्रा वृतांत विधा के जनक
राहुल सांकृत्यायन हिंदी के एक प्रमुख साहित्यकार थे। वे एक प्रतिष्ठित बहुभाषाविद्, यात्रा वृतांत तथा विश्व-दर्शन के क्षेत्र में साहित्यिक योगदान दिए। वह हिंदी यात्रा साहित्य के पितामह कहे जाते हैं। बौद्ध धर्म पर उनका शोध हिंदी साहित्य में युगान्तरकारी माना जाता है, जिसके लिए उन्होंने तिब्बत से लेकर श्रीलंका तक भ्रमण किया था। इसके अलावा उन्होंने मध्य-एशिया तथा कॉकेशस भ्रमण पर भी यात्रा वृतांत लिखे जो साहित्यिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण हैं।
बचपन में ही इनकी माता का देहांत हो जाने के कारण इनका पालन-पोषण इनके नाना श्री राम शरण पाठक और नानी ने किया था। 1898 में इन्हे प्राथमिक शिक्षा के लिए गाँव के ही एक मदरसे में भेजा गया। छत्तीस भाषाओं के ज्ञाता राहुल ने उपन्यास, निबंध, कहानी, आत्मकथा, संस्मरण व जीवनी आदि विधाओं में साहित्य सृजन किया परन्तु अधिकांश साहित्य हिन्दी में ही रचा।