सन 1864
सन 1938
पंडित राम सहाय द्विवेदी
दौलतपुर ग्राम रायबरेली
आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी हिन्दी के महान साहित्यकार , पत्रकार एवं युगप्रवर्तक थे। उन्होंने हिंदी साहित्य की अविस्मरणीय सेवा की और अपने युग की साहित्यिक और सांस्कृतिक चेतना को दिशा और दृष्टि प्रदान की। उनके इस अतुलनीय योगदान के कारण आधुनिक हिंदी साहित्य का दूसरा युग 'द्विवेदी युग' (1900–1920) के नाम से जाना जाता है। उन्होंने सत्रह वर्ष तक हिन्दी की प्रसिद्ध पत्रिका सरस्वती का सम्पादन किया। हिन्दी नवजागरण में उनकी महान भूमिका रही। भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन को गति व दिशा देने में भी उनका उल्लेखनीय योगदान रहा।
आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी जी का जन्म सन 1864 ई• में रायबरेली के दौलतपुर ग्राम में हुआ था। उनके पिताजी का नाम राम सहाय द्विवेदी था जो सेवा में नौकरी करते थे। द्विवेदी जी के घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी इसलिए उन्होंने स्कूली शिक्षा छोड़ दी थी और रेलवे में सरकारी नौकरी करने लगे तथा घर पर ही संस्कृत, मराठी, बांग्ला, अंग्रेजी एवं हिंदी आदि भाषाओं का अध्ययन किया था।
सन 1930 ईस्वी में द्विवेदी जी ने रेलवे की नौकरी छोड़कर सरस्वती नामक पत्रिका का संपादन प्रारंभ किया। इनकी हिंदी भाषा की सेवा से प्रभावित होकर इनको काशी नागरी प्रचारिणी सभा ने 'आचार्य' की उपाधि से सम्मानित किया गया।
आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी जी ने आजीवन हिंदी साहित्य की सेवा की तथा सन 1938 ईस्वी में इस संसार से विदा हो गए अर्थात उनकी मृत्यु हो गई।
महावीर प्रसाद द्विवेदी जी ने 1903 से लेकर 1920 तक सरस्वती नामक पत्रिका का संपादन करके हिंदी साहित्य का विकास करने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। सरस्वती पत्रिका जो कि साहित्य वैजयंती नाम से प्रसिद्ध थी। द्विवेदी जी से कई लेखकों ने प्रेरणा ली।
काव्य मंजूषा