31 दिसम्बर 1925
अतरौली गाँव लखनऊ उत्तर प्रदेश
28 अक्टूबर 2011
लखनऊ उत्तर प्रदेश
श्रीलाल शुक्ल अंग्रेज़ी, उर्दू, संस्कृत और हिन्दी भाषा के विद्वान थे। श्रीलाल शुक्ल संगीत के शास्त्रीय और सुगम दोनों पक्षों के रसिक-मर्मज्ञ थे। श्रीलाल शुक्ल का व्यक्तित्व सहज, सतर्क, विद्वान, अनुशासनप्रिय था। उन्हें नई पीढ़ी भी सबसे ज़्यादा पढ़ती है। वे नई पीढ़ी को सबसे अधिक समझने और पढ़ने वाले वरिष्ठ रचनाकारों में से एक रहे। श्रीलाल जी का लिखना और पढ़ना रुका तो स्वास्थ्य के गंभीर कारणों के चलते। व्यक्तित्व की इसी ख़ूबी के चलते उन्होंने सरकारी सेवा में रहते हुए भी व्यवस्था पर करारी चोट करने वाली राग दरबारी जैसी रचना हिंदी साहित्य को दी।
इलाहाबाद विश्वविद्यालय से स्नातक
अज्ञेय: कुछ राग और कुछ रंग