जयप्रकाश भारती

जयप्रकाश भारती हिंदी साहित्य में एक प्रमुख हिंदी कवि और लेखक थे। उन्होंने अपने योगदान के लिए एक महत्वपूर्ण स्थान बनाया है। वे समाजवादी विचारधारा के प्रति अपनी अनुभवों को बयां करने वाले काव्य और प्रोस के कवि थे। उनका काव्य और निबंध हिंदी साहित्य के क्षेत्र में विचारशीलता, सामाजिक चिंतन, और आर्थिक न्याय के मुद्दों पर विचार करने के लिए महत्वपूर्ण हैं। उनका योगदान आधुनिक हिंदी साहित्य में एक महत्वपूर्ण मोमेंट के रूप में माना जाता है।

जयप्रकाश भारती जीवन परिचय

 
जयप्रकाश भारती
लेखक, सम्पादक
जन्म

2 जनवरी, 1936

जन्म स्थान

मेरठ (उत्तर प्रदेश)

मृत्यू

5 फरवरी, 2005

सम्मान

श्रेष्ट बाल साहित्य के लेखन के लिये इन्हें उपराष्ट्रपति द्वारा रजत पदक प्रदान करके अभिनन्दित किया गया।

भारती जी ने हिन्दी बालसाहित्य पर महत्त्वपूर्ण कार्य किया। उन्हें हिन्दी बाल-साहित्य का युगनिर्माता कहा जाता है। ‘नंदन’ को उन्होंने सर्वश्रेष्ठ बाल पत्रिका का दर्जा दिलाया।

शिक्षा

एम॰ए॰, बी॰एस-सी॰, साहित्यरत्न की परीक्षाएँ उतीर्ण कर इन्होंने पत्रकारिता तथा अन्य विषयों में डिप्लोमा किया। इनकी एक हजार से अधिक कविताएँ, कहानियाँ तथा लेख प्रकाशित हो चुके हैं। उन्होने सौ से अधिक पुस्तकों का सम्पादन किया।

रचनाएं
  • अनन्त आकाश,
  • हिमालय की पुकार,
  • अथाह सागर,
  • विज्ञान की विभूतियाँ,
  • देश हमारा,
  • चलो चाँद पर चलें,
  • सरदार भगतसिंह,
  • हमारे गौरव के प्रतीक,
  • ऐसे थे हमारे बापू,
  • बर्फ की गुड़िया,
  • दुनिया रंग बिरंगी
  • भारत की प्रतिनिधि लोक-कथाएँ
  • हिन्दी की सौ श्रेष्ठ पुस्तकें
  • हिन्दी पत्रकारिता : दशा और दिशा
  • बाल पत्रकारिता, स्वर्ण युग की ओर
  • हिन्दी के श्रेष्ठ बालगीत
  • एक थाल मोतियों भरा : जीवन निर्माण की प्रेरक कथाएँ
  • भारतीय बाल साहित्य का इतिहास


जयप्रकाश भारती जीवनी प्रश्नावली

हिमालय की पुकार रचनाकार जयप्रकाश जी का सारांश क्या था?

“हिमालय की पुकार” भारती जी की महत्वपूर्ण काव्य रचना है, जिसमें उन्होंने हिमालय की प्रकृति, जलवायु, सांस्कृतिक धरोहर, और मानवता के साथ जुड़े विभिन्न मुद्दों पर चिंतन किया। इस काव्य में वे हिमालय की सुन्दरता, महत्व, और विशालता को व्यक्त करते हैं और इसे भारतीय भूमि की मानवता के साथ गहरे संबंध के रूप में प्रस्तुत करते हैं।

काव्य के माध्यम से, जयप्रकाश भारती हमें यह सिखाते हैं कि हिमालय सिर्फ एक भौतिक रूप नहीं है, बल्कि वह भारतीय जीवनशैली, दर्शन, और आदर्शों का प्रतीक है। इस रचना में हिमालय के बारे में गहरा और प्रशंसापूर्ण भावनात्मक वर्णन किया गया है और वह यह भी दिखाते हैं कि हमें अपने प्राकृतिक संसाधनों का सावधानी से संरक्षित रखने की आवश्यकता है।

इस काव्य का सारांश है कि हिमालय भारतीय सांस्कृतिक और प्राकृतिक धरोहर का महत्वपूर्ण हिस्सा है, और हमें इसके प्रति सतर्क और समर्थन में रहना चाहिए। यह एक प्राकृतिक सौंदर्य के साथ मानवता की सहायता करने के लिए हमारी जिम्मेदारी भी है।

अथाह सागर रचनाकार जयप्रकाश भारती का सारांश क्या था?

“अथाह सागर” भारती जी की एक प्रसिद्ध कविता है, जिसमें वे समाजवाद, मानवाधिकार, और आजादी के मुद्दों पर अपने विचार और आवश्यकताओं को व्यक्त करते हैं। इस कविता का सारांश निम्नलिखित है:

“अथाह सागर” कविता में जयप्रकाश जी भावनाओं को अथाह सागर की तरह व्यक्त करते हैं, जिसमें वे स्वतंत्रता, समाजवाद, और मानवाधिकार की ओर एक महत्वपूर्ण कदम बढ़ाने की आवश्यकता को दर्शाते हैं। कविता में उन्होंने समाज के अधिकारों और न्याय के लिए आवाज उठाई है और सामाजिक और राजनीतिक सुधार की मांग की है। “अथाह सागर” इनके साहित्यिक और सामाजिक प्रतिबद्धता का प्रतीक है और उनके काव्य कौशल का प्रतीक भी है।

विज्ञान की विभूतियाँ रचनाकार भारती जी का सारांश क्या था?

“विज्ञान की विभूतियाँ” जयप्रकाश भारती की एक प्रसिद्ध कविता है, जिसमें वे विज्ञान की महत्वपूर्ण भूमिका पर चिंतन करते हैं और विज्ञान के महत्व को बताते हैं। इस कविता का सारांश निम्नलिखित है:

“विज्ञान की विभूतियाँ” कविता में इन्होने विज्ञान के महत्व को उजागर किया है और विज्ञान को मानव समाज की प्रगति के लिए एक महत्वपूर्ण साधना बताया है। वे विज्ञान के माध्यम से मानवता को नई सीमाओं तक पहुंचने में मदद करने की बात करते हैं और उसके महत्व को गौरवपूर्ण रूप से प्रस्तुत करते हैं।

इस कविता में जयप्रकाश जी विज्ञान के महत्व को संजीवनी बूटी के रूप में दिखाते हैं, जो मानवता को अनगिनत संभावनाओं का सामना करने में मदद करता है। वे विज्ञान के प्रति अपनी आश्वासना और समर्थन को व्यक्त करते हैं और विज्ञान के साथ मानव समाज की सामाजिक और आर्थिक सुधार की दिशा में आगे बढ़ने की आवश्यकता को बताते हैं।

महादेवी वर्मा
दुनिया रंग बिरंगी रचनाकार जयप्रकाश भारती का सारांश क्या था?

“दुनिया रंग-बिरंगी” जयप्रकाश भारती की एक प्रसिद्ध कविता है, जिसमें वे जीवन की विविधता और रंगीनता को दर्शाते हैं। इस कविता का सारांश निम्नलिखित है:

“दुनिया रंग-बिरंगी” कविता में जयप्रकाश भारती ने जीवन की विविधता को महत्वपूर्ण रूप से बताया है और हमें यह याद दिलाते हैं कि हमारी दुनिया अनगिनत रंगों, संवादों, और अनुभवों से भरपूर है। वे जीवन को खुशियों और दुखों के साथ एक सुंदर और रंगीन खेल के रूप में प्रस्तुत करते हैं, जिसमें हमें हर पल का आनंद और सिखने का अवसर होता है।

यह कविता हमें जीवन के हर पल की महत्वपूर्णता को समझाती है और हमें अपने जीवन को पूरी तरह से जीने की प्रेरणा देती है। जयप्रकाश भारती के इस काव्य में उन्होंने खुशियों की प्रमुख भूमिका दी है और यह दर्शाया है कि हमें अपने जीवन को सर्वोत्तम तरीके से जीने की कोशिश करनी चाहिए।

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