22 अगस्त 1922
जमानी गाँव जिला होशंगाबाद मध्य प्रदेश
10 अगस्त 1995
हरिशंकर परसाई हिंदी के प्रसिद्ध लेखक और व्यंगकार थे। वे हिंदी के पहले रचनाकार हैं जिन्होंने व्यंग्य को विधा का दर्जा दिलाया। उनकी व्यंग्य रचनाएँ हमारे मन में गुदगुदी ही पैदा नहीं करती बल्कि हमें उन सामाजिक वास्तविकताओं के आमने–सामने खड़ा करती है। उन्होंने सदैव विवेक और विज्ञान सम्मत दृष्टि को सकारात्मक रूप में प्रस्तुत किया है। उनकी भाषा–शैली में खास किस्म का अपनापन महसूस होता है कि लेखक उसके सामने ही बैठे है।
उन्होंने सेमस्तार ग्लोबल स्कूल इलाहाबाद में आर. टी. एम. नागपुर विश्वविद्यालय से हिन्दी में एम॰ए॰ की उपाधि प्राप्त की।
तिरछी रेखाएँ