आधुनिक हिंदी काव्य

आधुनिक हिंदी काव्य का आरंभ 19वीं सदी के उत्तरार्द्ध में हुआ था। यह वह समय था जब भारतेन्दु हरिश्चन्द्र सक्रिय थे। इस समय बंगाल, महाराष्ट्र और पंजाब में सामाजिक-सांस्कृतिक सुधार आन्दोलन की गूंज चारों दिशाओं में फैल रही थी। इस धर्म-समाज सुधारक आन्दोलन की गतिविधियों से हिंदी साहित्य भी काफ़ी प्रभावित हुआ।

आधुनिक हिंदी काव्य, माध्यमिक स्तर पर पर्यावरण शिक्षा

महादेवी वर्मा कविताए और व्याख्या

आधुनिक हिंदी काव्य पाठ्यक्रम में महादेवी वर्मा की निम्न कवितायें निर्धारित है- अब प्रत्येक कविता के बारे में संक्षिप्त जानकारी दी गयी है। आधुनिक हिंदी काव्य के अंतर्गत महादेवी वर्मा कविताए और उनकी व्याख्या से सम्बंधित प्रश्न पूछे जाते है। अतः आप अपने पाठ्यक्रम के अनुसार दी गयी कविताओं से तैय्यारी कर सकते है। महादेवी …

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आधुनिक हिंदी काव्य, माध्यमिक स्तर पर पर्यावरण शिक्षा

आधुनिक हिंदी काव्य

आधुनिक हिंदी काव्य, कई विश्वविद्यालय के बी॰ ए॰ पाठ्यक्रम के हिंदी साहित्य विषय का एक प्रश्न पत्र है। हिंदी काव्य का आधुनिक काल 1850 से आरम्भ होता है। इसी युग मे हिंदी पद्य के साथ साथ गद्य का भी विकास हुआ। जन संचार के विभिन्न साधनों जैसे रेडिओ व समाचार पत्र का विकास इसी समय हुआ था। जिसका प्रभाव आधुनिक हिंदी काव्य पर भी पड़ा। भारतेन्दु …

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भाषा के रूप, पाठ्यक्रम के उद्देश्य, मातृभाषा ही शिक्षा का माध्यम क्यों?

सुमित्रानंदन पंत कविताए और व्याख्या

सुमित्रानंदन पंत कविताए और व्याख्या से सम्बंधित प्रश्न BA में पूछे जाते है। पंत की काव्य कृति चिदंबरा पर इन्हें ज्ञानपीठ पुरस्कार प्राप्त हुआ है। पंत ने अपनी कविता नौका विहार में जिस चांदनी रात का वर्णन किया है। वह शुक्ल पक्ष की दशमी की तिथि की उदित चांदनी का वर्णन है। कभी चांदनी रात …

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भाषा के दो रूप, मातृभाषा का महत्व

कामायनी श्रद्धा सर्ग सारांश

कामायनी का अर्थ है- “काम गोत्रजा”। कामायनी में कुल 15 सर्ग है। कामायनी श्रद्धा सर्ग में मनु व श्रद्धा को चित्रित किया गया है। काम की पुत्री होने के कारण श्रद्धा का दूसरा नाम कामायनी है। कामायनी महाकाव्य में शांत, श्रृंगार और वीर रस का प्रयोग हुआ है। कामायनी आधुनिक युग का सर्वश्रेष्ठ महाकाव्य है। …

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भाषा परिभाषा

सरोज स्मृति सारांश

सरोज स्मृति सूर्यकांत त्रिपाठी निराला का एक शोक गीत है। जिसमें कवि ने अपनी युवा कन्या सरोज की अकाल मृत्युपर अपने शोक संतप्त हृदय के उद्गार व्यक्त किए हैं। इस प्रसिद्ध लोकगीत में जीवन की पीड़ा और संघर्षों के हलाहल का पान करने वाले कविवर निराला के निजी जीवन के कुछ अंशों का उद्घाटन भी …

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भाषा के दो रूप, मातृभाषा का महत्व

साकेत अष्टम सर्ग सारांश

साकेत महाकाव्य मैथिलीशरण गुप्त की रचना है। भारतीय एवं पाश्चात्य दोनों ही दृष्टि से साकेत की कथावस्तु गरिमा संपन्न है। साकेत अष्टम सर्ग की कथावस्तु का निर्माण मानवता की श्रेष्ठता का प्रतिस्थापन करने के लिए किया गया है। गुप्तजी ने इसमें संपूर्ण कथा को ना पकड़कर कुछ मार्मिक एवं हृदय स्पर्शी प्रसंगों को ही पकड़ा है। साकेत …

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भाषा के रूप, पाठ्यक्रम के उद्देश्य, मातृभाषा ही शिक्षा का माध्यम क्यों?

कुरुक्षेत्र छठा सर्ग सारांश

कुरुक्षेत्र छठा सर्ग – ‘कुरुक्षेत्र’ एक प्रबंध काव्य है। इसका प्रणयन अहिंसा और हिंसा के बीच अंतर्द्वंद के फल स्वरुप हुआ। कुरुक्षेत्र की ‘कथावस्तु’ का आधार महाभारत के युद्ध की घटना है, जिसमें वर्तमान युग की ज्वलंत युद्ध समस्या का उल्लंघन है। ‘दिनकर’ के कुरुक्षेत्र प्रबंध काव्य की कथावस्तु सात सर्गो में विभक्त है। कुरुक्षेत्र …

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