भारतीय समाज मुद्दे एवं समस्याएं

भारतीय समाज मुद्दे एवं समस्याएं – अपराध बाल अपराध मद्यपान मादक द्रव्य व्यसन वेश्यावृत्ति टूटते परिवार बेरोजगारी गरीबी मानसिक रोग इत्यादि सामाजिक समस्याओं के ही उदाहरण हैं।

Bhartiya samaj mein nari

भारतीय समाज में नारी की स्थिति कैसी है?

भारतीय समाज में नारी की स्थिति अनेक प्रकार के विरोधों से ग्रस्त रही है। एक तरफ़ वह परंपरा में शक्ति और देवी के रूप में देखी गई है, वहीं दूसरी ओर शताब्दियों से वह ‘अबला’ और ‘माया’ के रूप में देखी गई है। दोनों ही अतिवादी धारणाओं ने नारी के प्रति समाज की समझ को, …

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आर्थिक विकास

विस्थापन के कारण – प्राकृतिक आर्थिक राजनीतिक सामाजिक नगरीकरण

विस्थापन के कारण – विस्थापन शब्द अंग्रेजी भाषा के Displacement शब्द से बना जिसका अर्थ है अपना स्थान बदलना। जब कोई व्यक्ति अथवा समूह किसी कारण से अपने स्थाई स्थान से हटा दिया जाता है तो इस क्रिया को विस्थापन कहते हैं। जबकि हटाए गए व्यक्ति को विस्थापित कहते हैं। उदाहरण के लिए भारत में …

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वृद्धों की योजनाएं

वृद्धों की योजनाएं – 7 वृद्धावस्था कल्याणकारी योजनाएं

वृद्धों की योजनाएं वृद्धों की चौमुखी सहायता करने के लिए संस्थाओं द्वारा चलाई जाती हैं। वृद्धजनों की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए सरकारी और गैर सरकारी संस्थान मिलकर कार्य कर रहे हैं। वृद्धों की योजनाएं वृद्धों के लिए निम्नलिखित कल्याणकारी कार्यक्रम और योजनाएं चलाई गई है- 1. राष्ट्रीय वृद्धजन परिषद भारत सरकार की राष्ट्रीय …

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निर्धनता का सामाजिक प्रभाव, जातीय संघर्ष

जातीय संघर्ष व जातीय संघर्ष के 9 मुख्य कारण

भारत में जातीय संघर्ष सर्वाधिक मिलता है। स्वतंत्र भारत में जाति संघर्षों में बाढ़ सी आई है। जातीय ऊंच-नीच, भेदभाव व संकीर्णता से अनेक तत्वो, विरोधो व संघर्षों को जन्म दिया है। जातीय संघर्ष एक जाति की उपजातियों में अथवा विभिन्न जातियों के विरोध तनाव व संघर्ष को जातीय संघर्ष कहा जाता है। आज एक …

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घरेलू हिंसा

जातीय संघर्ष निवारण के 10 Important उपाय

जातीय संघर्ष निवारण के लिए अनेक समाज शास्त्रियों ने अपने अपने सुझाव दिए हैं। स्वस्थ समाज के विकास के लिए आवश्यक है कि विकास के मार्ग की बाधाओं और समस्याओं को दूर किया जाए तथा अनुकूल परिस्थितियों का सृजन किया जाए। जातीय संघर्ष निवारण जातीय संघर्ष निवारण हेतु सुझाव निम्नलिखित हैं- 1. जातिवाद की समाप्ति …

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वृद्धो की समस्याएं

वृद्धो की समस्याएं व सरकार की कल्याणकारी योजनाएं

वृद्धो की समस्याएं – सामान्यत: 65 वर्ष से अधिक आयु के व्यक्तियों की गणना वृद्ध वर्ग के अंतर्गत की जाती है लेकिन भारत में जहां व्यक्ति की औसत जीवन अवधि अपेक्षाकृत कम है 69 वर्ष से अधिक आयु के व्यक्तियों को वृद्ध कहा जाता है। भारत में स्वास्थ्य सेवाओं के विकास, आयु संभावित में वृद्धि …

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धर्म में आधुनिक प्रवृत्तियां

संघर्ष अर्थ परिभाषा प्रकृति विशेषताएं अंतर पीढ़ी संघर्ष

संघर्ष वह प्रयत्न है जो किसी व्यक्ति या समूह द्वारा शक्ति, हिंसा या प्रतिकार अथवा विरोधपूर्ण किया जाता है। संघर्ष अन्य व्यक्तियों या समूहों के कार्यों में प्रतिरोध उत्पन्न करते हुए बाधक बनता है। दूसरे शब्दों में यह कहा जा सकता है ऐसा प्रश्न जो स्वयं के स्वार्थ के लिए व्यक्तियों या सामूहिक कार्य में …

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तलाक की आवश्यकता तलाक के 5 कारण तलाक के विरोध में 3 तर्क

तलाक – भारतीय समाज में अनेकों वैवाहिक समस्याएं विद्यमान है। आज के दिनो में एक प्रमुख समस्या तलाक या विवाह-विच्छेद की है, जोकि व्यक्तिक विघटन को प्रोत्साहित करती है। जब किसी व्यक्ति का विवाह किसी लड़की के साथ होता है तो वे दोनों पवित्र अग्नि के समक्ष मेरे लेकर एक दूसरे का सुख दुख में …

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मानवाधिकार आयोग

राष्ट्रीय व राज्यस्तरीय मानवाधिकार आयोग गठन शक्तियां कर्तव्य

भारत में राष्ट्रीय स्तर व राज्य स्तर दोनों पर मानवाधिकार आयोग की स्थापना की गई है। जिसका मुख्य उद्देश्य मानव के अधिकार का संरक्षण करना, जागरूकता फैलाना व शोध कार्य करना है। राष्ट्रीय तथा राज्य स्तरीय मानवाधिकार आयोगों का अध्ययन हम लोग करने वाले हैं। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम 1993 की धारा 3 …

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हण्टर आयोग 1882, सैडलर आयोग, शैक्षिक प्रबन्धन कार्य, वेदान्त दर्शन

मानवाधिकार संकल्पना इतिहास और कानूनी स्थिति

मानवाधिकार का व्यक्ति के व्यक्तित्व विकास तथा समाजपयोगी कार्यों में महत्वपूर्ण स्थान होता है। अधिकार, सामाजिक जीवन की अनिवार्य आवश्यकता है। अधिकारों के बिना मानव जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती है। राज्य द्वारा व्यक्ति के व्यक्तित्व, विकास हेतु अनेक सुविधाएं दी जाती हैं। राज्य के द्वारा व्यक्ति को प्रदान की जाने वाली बाहरी …

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दहेज प्रथा के 4 कारण, 5 लाभ, 10 हानियां व 5 निवारण के उपाय

दहेज उस धन या संपत्ति को कहते हैं जो विवाह के समय कन्या पक्ष द्वारा वर पक्ष को दिया जाता है। हिंदू विवाह से संबंधित विभिन्न समस्याओं में से दहेज समस्या एक भीषण समस्या है। दहेज वह संपत्ति है जो विवाह के अवसर पर लड़की के माता-पिता या अन्य निकट संबंधियों द्वारा दी जाती है। …

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घरेलू हिंसा

घरेलू हिंसा स्वरूप कारण और घरेलू हिंसा रोकने हेतु सुझाव

घरेलू हिंसा, भारतीय समाज में अनेक प्रकार की समस्याएं पाई जाती हैं, जिनका समाधान करने के लिए परिवार का प्रत्येक सदस्य प्रयत्नशील रहता है। कभी-कभी पारिवारिक समस्याएं इतना विकराल रूप धारण कर लेती हैं कि परिवार के सदस्यों द्वारा उनका समाधान कर पाना असंभव हो जाता है। इस स्थिति में परिवार के सदस्य हिंसा का …

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सामाजिक प्रक्रियाएं

5 दलित समस्या समाधान Dalit Problem Solution

दलित समस्या समाधान – जिन वर्गों का प्रयोग हिंदू सामाजिक संरचना सोपान में निरंतर स्थान रखने के लिए समुदायों के लिए किया जाता है वह दलित व अनुसूचित जातियां कहलाती हैं। ‘निम्नतम’ स्थान का आधार इन जातियों के उस व्यवसाय से जुड़ा है, जिसे अपवित्र कहा गया है। यहां पर दलितों की विवेचना अनुसूचित जाति …

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पिछड़ा वर्ग समस्या समाधान सुझाव

पिछड़ा वर्ग समस्या समाधान सुझाव – पिछड़ा वर्ग शब्द का प्रयोग समाज के कमजोर वर्गों विशेषत: अनुसूचित जातियों, जनजातियों और पिछड़े वर्गों के संदर्भ में किया जाता है। भारतीय संविधान में पिछड़ा वर्ग शब्द का प्रयोग किया गया है। सामान्यत: इन वर्गों में अनुसूचित जातियों, जनजातियों, भूमिहीन श्रमिकों एवं लघु कृषकों आदि को शामिल किया …

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अल्पसंख्यक कल्याण कार्यक्रम

अल्पसंख्यक कल्याण कार्यक्रम – 7 Minority Development Programme

अल्पसंख्यक कल्याण कार्यक्रम – धार्मिक एवं भाषाई अल्पसंख्यकों की समस्याओं के समाधान हेतु सरकार ने अनेक प्रयास किए हैं। अल्पसंख्यकों के हितों की रक्षा के लिए अनेक प्रावधान किए गए हैं। संविधान के अनुच्छेद 14, 15 एवं 16 में कानून के समक्ष समानता एवं विधि के समान संरक्षण का आश्वासन दिया गया है। किसी भी …

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मानवाधिकार

अल्पसंख्यक अर्थ 3 प्रकार व 13 अल्पसंख्यक की समस्याएं

अल्पसंख्यक की समस्याएं – एक समाज या राष्ट्र में विभिन्न दो या अधिक वर्ग के लोग निवास करते हैं जिनमें एक वर्ग या समूह की संख्या आधी से कम होती है वह अल्पसंख्यक वर्ग के नाम से जाना जाता है। संक्षेप में यह कहा जा सकता है कि अल्प व्यक्तियों का समूह अल्पसंख्यक कहलाता है। …

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धर्म परिभाषा, धार्मिक असामंजस्यता, बौद्धकालीन शिक्षा

धार्मिक असामंजस्यता 4 विशेषताएं व 4 कारण

धार्मिक असामंजस्यता – धर्म से समाज में नियंत्रण स्थापित होता है। धर्म से समाज में एकता संगठन व सामंजस्य की स्थापना होती है। एक से अधिक धर्म के अनुयाई साथ साथ रहने के कारण सांप्रदायिक विवाद उत्पन्न होते हैं। बहुधर्मी वाले समाज में धार्मिक असामंजस्यता उत्पन्न होता है तथा समाज की एकता भंग होती है। …

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बौद्धकालीन शिक्षा

धर्म परिभाषा व धर्म व 5 मुख्य लक्षण विश्व के Top 4 धर्म

धर्म परिभाषा – धर्म मानव समाज का एक ऐसा शाश्वत, व्यापक और स्थाई तत्व है, जिसे समझे बिना हम समाज के रूप को समझने में असफल रहेंगे। प्रत्येक समाज में धर्म का महत्वपूर्ण स्थान रहा है। मानवीय व्यवहार तथा आचरण इससे प्रभावित रहता है। संपूर्ण विश्व की संचालक शक्ति के अस्तित्व को एक दृढ़ विश्वास …

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भारतीय समाज में धर्म की भूमिका – 7 सकारात्मक नकारात्मक पहलू

धर्म संस्कृति का एक हिस्सा है। धर्म मानवीय जीवन से संबंधित अनेक अनेक कार्यों की पूर्ति करता है, इसी मानवीय लगाव के कारण आदि काल से लेकर वर्तमान काल तक सभी समाजों में धर्म ही दिखाई देता है। धर्म जीवन के मूल्यों का महत्वपूर्ण अर्थ स्पष्ट करता है। सदाचार की भावना से मनुष्य में आत्म …

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लैंगिक असमानता के कारण व क्षेत्र

लैंगिक असमानता का आशय समाज में स्त्रियों एवं पुरुषों में भेदभाव किए जाने से है। लैंगिक असमानता का प्रयोग जैविकीय एवं सामाजिक दोनों भावो में किया जाता है। जीव विज्ञान में लिंग का आशय विशिष्ट जैविककीय संरचना से है। इसमें विशेष शारीरिक व मानसिक दशाओं का समावेश होता है। समाजशास्त्र में स्त्री पुरुषों का अध्ययन …

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धर्म में आधुनिक प्रवृत्तियां

धर्म में आधुनिक प्रवृत्तियां – 6 धर्म की आधुनिक प्रवृत्तियां

धर्म में आधुनिक प्रवृत्तियां – यदि धर्म रूढ़िवादी पर्वती का तथा वस्तु स्थित बनाए रखने का समर्थक है, परंतु आधुनिक समाज में तेजी से बदलती परिस्थितियों के प्रवेश के प्रवेश में यह स्वयं को बचाने में असमर्थ हो गया, जिसके परिणाम स्वरूप धर्म में नई प्रवृतियां दिखाई दी। धर्म में आधुनिक प्रवृत्तियां 1. धार्मिक संकीर्णता …

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जाति अर्थ परिभाषा लक्षण

भारतीय सामाजिक संस्थाओं में जाति एक सर्वाधिक महत्वपूर्ण संस्था है। डॉक्टर सक्सेना का मत है कि जाति हिंदू सामाजिक संरचना का एक मुख्य आधार रही है, जिससे हिंदुओं का सामाजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक और राजनीतिक जीवन प्रभावित होता रहा है। श्रीमती कर्वे का मत है कि यदि हम भारतीय संस्कृति के तत्वों को समझना चाहते हैं …

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निर्धनता का सामाजिक प्रभाव, जातीय संघर्ष

निर्धनता का सामाजिक प्रभाव – 7 effects of poverty in hindi

निर्धनता का सामाजिक प्रभाव क्या है? निर्धनता अनेक सामाजिक बुराइयों को जन्म देती है। निर्धनता के समाज पर अनेक प्रभाव पड़ते हैं। जिन्हें निम्न प्रकार स्पष्ट किया गया है- निर्धनता का सामाजिक प्रभाव निर्धनता समाज को और अधिक निर्धन करती है। निर्धनता का सामाजिक प्रभाव निम्न है- 1. अपराधों में वृद्धि निर्धनता एक अभिशाप है …

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चीन जनसंख्या वृद्धि

भारत में निर्धनता के कारण – 10 Reasons of Poverty in Hindi

भारत में निर्धनता के कारण – कभी कभी अपनी जीविका चलाने के लिए आवश्यक वस्तुओं को एकत्र करना भी मुश्किल हो जाता है। आवश्यक वस्तुओं के अभाव में निर्धनता का सामना करना पड़ता है। उत्पादन के ठीक होने किंतु उसका वितरण असमान होने पर भी निर्धनता का जन्म होता है। उत्पादन के साधनों पर कुछ …

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निर्धनता अर्थ एवं परिभाषा

भारत में निर्धनता की परिभाषा पौष्टिक आहार के आधार पर दी गई है। योजना आयोग के अनुसार किसी व्यक्ति को गांव में यदि 2400 कैलोरी और शहरों में 2100 कैलोरी प्रतिदिन की ऊर्जा का भोजन उपलब्ध नहीं होता है तो यह माना जाएगा कि वह व्यक्ति गरीबी की रेखा के नीचे अपना जीवन व्यतीत कर …

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