समाजशास्त्र

समाजशास्त्र मानव समाज का अध्ययन है। यह सामाजिक विज्ञान की एक शाखा है, जो मानवीय सामाजिक संरचना और गतिविधियों से सम्बन्धित जानकारी को परिष्कृत करने और उनका विकास करने के लिए, अनुभवजन्य विवेचन और विवेचनात्मक विश्लेषण की विभिन्न पद्धतियों का उपयोग करता है, अक्सर जिसका ध्येय सामाजिक कल्याण के अनुसरण में ऐसे ज्ञान को लागू करना होता है।

man and woman hugging each other

नातेदारी अर्थ परिभाषा विशेषताएँ व नातेदारी के 3 प्रकार

मानव समाज में नातेदारी व्यवस्था का विकास इन सभी प्रयत्नों का एक संयुक्त परिणाम है। एक साधारण से अवलोकन से यह स्पष्ट हो जाता है कि जो व्यक्ति हमसे विवाह या रक्त के द्वारा सम्बन्धित होते हैं, उन सभी से हमारे सम्बन्ध समान प्रकृति के नहीं होते। कुछ व्यक्तियों से हम अधिक निकटता महसूस करते …

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वंश क्रम

वंश समूह अर्थ वंश समूह के रूप वंश समूह की प्रकृति

वंश समूह का तात्पर्य व्यक्तियों के उस समूह से होता है जिसमें एक ज्ञात पूर्वज से सम्बन्धित अनेक पीढ़ियों के रक्त सम्बन्धियों का समावेश होता है। ऐसा पूर्वज कोई काल्पनिक या पौराणिक व्यक्ति न होकर पांच-छः पीढ़ी पहले का कोई वास्तविक व्यक्ति होता जिससे आगे की पीढ़ियों की कड़ियां सदस्यों को ज्ञात होती हैं। जब …

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वंश क्रम

वंश क्रम अर्थ परिभाषा विशेषताएँ वंश क्रम के कार्य

नातेदारी से एक बड़े और विस्तृत समूह का बोध होता है जिसके सदस्य पिता तथा माता पक्ष के अनेक पीढ़ियों से सम्बन्धित होते हैं। वास्तव में हममें से प्रत्येक व्यक्ति जन्म के एक विशेष परिवार का सदस्य अवश्य होता हैं चाहे हम उस परिवार में जीवन व्यतीत करें या न करें। साथ ही, हम अपने …

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मातृसत्ता

मातृसत्ता अर्थ परिभाषा व मातृसत्ता की 6 विशेषताएँ

मातृसत्ता शब्द का प्रयोग दो अर्थों में किया जाता है। इसका पहला अर्थ इस सामान्य धारणा से मिलता-जुलता है कि मातृसत्ता सामाजिक संगठन का एक विशेष रूप है जिसमें परिवार की मुखिया कोई स्त्री होती तथा वंशक्रम माता की ओर चलता है। मार्शल ने समाजशास्त्र के शब्दकोश में लिखा है कि मातृसत्ता का दूसरा अर्थ …

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पितृसत्ता

पितृसत्ता अर्थ परिभाषा तथा पितृसत्ता के कारण एवं परिणाम

पितृसत्ता – सामान्य शब्दों में कहा जा सकता है कि जब किसी समाज की संरचना में सत्ता का केन्द्र पुरुषों की प्रस्थिति होती है, तब इस दशा को हम पितृसत्ता कहते हैं। वास्तव में पितृसत्ता एक ऐसी व्यवस्था है जिसमें परम्परा और व्यवहार के नियमों द्वारा स्त्रियों की तुलना में पुरुषों की शक्ति, अधिकारों और …

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भारतीय संयुक्त परिवार

एकाकी परिवार अर्थ एकाकी परिवार की विशेषताएँ व 7 कार्य

एकाकी परिवार विश्व के सभी समाजों की एक सार्वभौमिक विशेषता है, लेकिन भारतीय समाज में इस तरह के परिवार भारत की सामाजिक संरचना में होने वाले परिवर्तनों का परिणाम हैं। भारत में औद्योगीकरण और नगरीकरण के फलस्वरूप जैसे-जैसे स्थान परिवर्तन करने की प्रवृत्ति बढ़ती गई संयुक्त परिवारों की जगह एक ऐसी परिवार व्यवस्था विकसित होने …

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भारतीय संयुक्त परिवार

भारतीय संयुक्त परिवार की 9 विशेषताएँ 6 दोष समस्याएँ परिवर्तन

भारतीय संयुक्त परिवार भारत की पूरी सांस्कृतिक विरासत में विशेष महत्व रहा है। एक साधारण भारतीय के लिए परिवार का अर्थ संयुक्त परिवार से ही होता है। संयुक्त परिवार की प्रकृति को स्पष्ट करते हुए इरावती कर्वे ने लिखा है, “संयुक्त परिवार ऐसे व्यक्तियों का समूह है, जो एक ही घर में रहते हैं, एक …

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जनजातीय विवाह

जनजातीय विवाह क्या है? जनजातीय विवाह के 6 मुख्य प्रकार

जनजातीय विवाह को समझते समय हमारा ध्यान सबसे पहले जनजातीय समाज की और जाता है। इसका कारण यह है कि जनजातियां किसी भी समाज में सभ्यता के विकास की मौलिक प्रतिनिधि होती है तथा उन्हीं की विशेषताओं को समझकर हम सभ्यता के विकास के विभिन्न स्तरों की समझ सकते हैं। जनजाति से हमारा तात्पर्य आदिवासियों …

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हिन्दू विवाह

ईसाई विवाह के प्रकार उद्देश्य प्रक्रिया व वर्तमान परिवर्तन

ईसाई विवाह को परिभाषित करते हुए कहा गया है कि “विवाह समाज में एक पुरुष तथा स्त्री के बीच का एक समझौता है, जो साधारणतया सम्पूर्ण जीवनभर के लिए होता है तथा इसका उद्देश्य यौन सम्बन्धी पारस्परिक सहयोग तथा परिवार की स्थापना करना है।” ईसाई विवाह में पति-पत्नी के स्थायी सम्बन्ध को स्पष्ट करते सेण्ट …

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हिंदू व मुस्लिम विवाह में अंतर

हिंदू व मुस्लिम विवाह में अंतर – मुस्लिम विवाह के उपर्युक्त सम्पूर्ण विवेचन से स्पष्ट होता है कि मुस्लिम विवाह के आदर्श विवाह प्रक्रिया विवाह के स्वरूप निषेध तथा तलाक के आधार हिन्दू विवाह से काफी भिन्न है। हिंदू व मुस्लिम विवाह में अंतर कुछ प्रमुख आधारों पर हिंदू व मुस्लिम विवाह में अंतर निम्नांकित …

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मुस्लिम विवाह

मुस्लिम विवाह की शर्तें महर मुस्लिम तलाक के नियम

मुस्लिम विवाह कानून में कहा गया है कि “विवाह स्त्री-पुरुष के बीच किया गया वह बिना शर्त का समझौता है जिसका उद्देश्य सन्तान को जन्म देना तथा उन्हें वैध रूप प्रदान करना है। लगभग इसी रूप में ने मुस्लिम विवाह को परिभाषित करते हुए लिखा है कि “मुस्लिम विवाह एक समझता (संविदा) है जिसका उद्देश्य …

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परिवार

हिन्दू विवाह उद्देश्य विशेषताएँ नियम व स्वरूप

हिन्दू विवाह एक अस्थायी वन्धन अथवा कानूनी समझौता नहीं है बल्कि इसे एक पवित्र धार्मिक संस्कार के रूप में देखा जाता है। हिन्दू मान्यताओं के अनुसार यह एक ऐसा पवित्र बन्धन है जिसे जन्म-जन्मान्तर में भी तोड़ा नहीं जा सकता। भारतीय संस्कृति में व्यक्ति के लिए चार प्रमुख कर्तव्यों को पूरा करना आवश्यक माना गया …

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परिवार

विवाह का अर्थ विवाह के उद्देश्य व विवाह के 4 नियम

विवाह मानव-सभ्यता के बहुत आरम्भिक काल में ही यह अनुभव कर लिया गया था कि समाज में एक ऐसी व्यवस्था को विकसित करना आवश्यक है जिससे स्त्री-पुरुषों के सम्बन्धों को नियमबद्ध करने के साथ ही उनसे जन्म लेने वाले बच्चों को वैध रूप देकर उनके पालन-पोषण की सुचित व्यवस्था की जा सके। इसी आवश्यकता के …

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राष्ट्रीय जनसंख्या नीति

राष्ट्रीय जनसंख्या नीति 2000 क्या है?

राष्ट्रीय जनसंख्या नीति – भारत में जनसंख्या वृद्धि के खतरों को महसूस करते हुए स्वतन्त्रता के बाद सन् 1952 से ही परिवार नियोजन कार्यक्रम आरम्भ किया गया। लगभग 10 वर्षों तक इस कार्यक्रम को अधिक प्राथमिकता नहीं दी गयी सन् 1961 की जनगणना के आंकड़े बहुत चौंकाने वाले थे। फलस्वरूप भारत सरकार ने सन् 1966 …

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भारतीय जनसंख्या के प्रमुख लक्षण

भारतीय जनसंख्या के 11 लक्षण व विशेषताएँ

भारतीय समाज को समझने के लिए इसके भारतीय जनसंख्या के स्वरूप को समझना आवश्यक है। आज किसी समाज की जनांकिकीय विशेषताओं को जनगणना (Census) के द्वारा ही ज्ञात किया जा सकता है। उदाहरण के लिए, भारत में सन् 1871 से जनगणना के द्वारा विभिन्न जनसंख्यात्मक विशेषताओं को ज्ञात करने का प्रयत्न आरम्भ हुआ। तब से …

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भारतीय समाज में विविधता

भारतीय समाज में विविधता में एकता

भारतीय समाज में विविधता में एकता – वर्तमान भारतीय समाज की एक प्रमुख विशेषता विभिन्नता में एकता का होना है। भारतीय समाज एक लम्बे समय से विभिन्न प्रजातियों, धर्मो और संस्कृतियों वाले समूहों का संगम स्थल रहा है। अपनी सांस्कृतिक सहिष्णुता के कारण भारतीय समाज में विभिन्न संस्कृतियों का मिश्रण हुआ, लेकिन इसके बाद भी …

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भारतीय सामाजिक व्यवस्था

भारतीय सामाजिक व्यवस्था के 5 आधार

भारतीय सामाजिक व्यवस्था वह स्थिति या अवस्था हैं जिसमें सामाजिक संरचना का निर्माण करने वाले विभिन्न अंग या इकाइयां सांस्कृतिक व्यवस्था के अंतर्गत निर्धारित पास्परिक प्रकार्यात्मक संबंध के आधार पर सम्बध्द समग्रता की ऐसी सन्तुलित स्थिति उत्पन्न करते हैं जिससे मानवीय आवश्यकताओं की पूर्ति तथा सामाजिक लक्ष्यों की प्राप्ति संभव होती है। भारतीय सामाजिक व्यवस्था …

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मानविकी उन्मेष,

बहुलवाद क्या है? भारतीय समाज में बहुलवाद

बहुलवाद – संस्कृति की पूर्व विवेचना से यह स्पष्ट हो चुका है कि संस्कृति से सम्बन्धित विभिन्न विशेषताएं सामाजिक संरचना को व्यापक रूप से प्रभावित करती हैं। एक ओर संस्कृति व्यक्तित्व के निर्माण का आधार है दूसरी ओर आज के बदलते हुए समाजों में संस्कृति का सार्वभौमिक रूप समाप्त होता जा रहा है। कुछ पहले …

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सभ्यता तथा संस्कृति

सभ्यता तथा संस्कृति में 5 अंतर व सम्बंध

साधारणतया सभ्यता तथा संस्कृति का एक ही अर्थ में प्रयोग कर लिया जाता है, लेकिन वास्तव में संस्कृति तथा सभ्यता की धारणा एक-दूसरे से अत्यधिक भिन्न है। इस दृष्टिकोण से यह आवश्यक हो जाता है कि प्रस्तुत विवेचन में हम सभ्यता के अर्थ को स्पष्ट करके इसका संस्कृति से अन्तर तथा सम्बन्ध स्पष्ट करेंगे। सभ्यता …

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man in white shirt carrying girl in gray shirt

परिवार अर्थ परिभाषा परिवार के प्रकार विशेषताएँ कार्य व महत्व

मानव सभ्यता के सम्पूर्ण इतिहास में परिवार का महत्व सबसे अधिक रहा है। व्यक्ति परिवार में जन्म लेता है तथा परिवार में ही उन सभी नियमों और व्यवहारों को सीखता है, जो उसे सच्चे अर्थों में एक सामाजिक प्राणी बनाते हैं। कोई समाज चाहे परम्परागत हो अथवा आधुनिक, ग्रामीण हो या नगरीय, धनी हो या …

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संस्था की विशेषताएं

संस्था अर्थ परिभाषा विशेषताएँ उदाहरण संस्था के कार्य व महत्व

संस्था व्यक्तियों का कोई संगठन न होकर कुछ ऐसे नियमों अथवा कार्य-प्रणालियों का बोध कराती है, जिनके माध्यम से हम अपने विभिन्न उद्देश्यों को पूरा करते हैं। व्यक्तियों द्वारा अपने विभिन्न हितों को पूरा करने के लिए जिन समितियों की स्थापना की जाती है, वे कभी-भी मनमाने रूप से कार्य नहीं कर सकतीं। उन्हें अपने …

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समुदाय

समाज के प्रकार 1 जनजातीय 2 कृषक 3 औद्योगिक 4 उत्तर औद्योगिक

समाज के प्रकार – समाज के गत संपूर्ण विवेचन से स्पष्ट हो जाता है। कि सामाजिक संबंध ही समाज के निर्माण का वास्तविक आधार है। इसका तात्पर्य है कि सामाजिक संबंधों की प्रकृति के अनुसार ही समाज को भी एक विशेष स्वरूप प्राप्त हो जाता है। इस संबंध में यह ध्यान रखना आवश्यक है कि …

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समुदाय

समाज अर्थ परिभाषा विशेषताएँ तथा समाज तथा समुदाय में 9 अंतर

समाजशास्त्र समाज का वैज्ञानिक अध्ययन है। इसके बाद भी सभी सामाजिक विज्ञानों में ‘समाज’ शब्द का उपयोग एक-दूसरे से बहुत भिन्न अर्थ में किया जाता रहा है। बोलचाल की सामान्य भाषा में हम ‘समाज’ शब्द का उपयोग जिस अर्थ में करते हैं, समाज का समाजशास्त्रीय अर्थ उससे बहुत भिन्न है। साधारणतया हम यह समझते हैं …

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सामाजिक समूह की विशेषताएं, समाज की विशेषताएँ

समुदाय तथा समिति में अन्तर

समुदाय तथा समिति में अन्तर – समिति तथा समुदाय एक-दूसरे के पूरक हैं। मैकाइवर का कथन है कि “समिति एक समुदाय नहीं है बल्कि समुदाय के अन्तर्गत ही एक संगठन है।” यह कथन जहां एक ओर समिति और समुदाय के अन्तर को स्पष्ट करता है, वहीं इनकी पारस्परिक निर्भरता पर भी प्रकार डालता है। इसका …

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समुदाय

समिति अर्थ परिभाषाएँ 9 विशेषताएँ उदाहरण तथा महत्व

जब कुछ व्यक्ति अपनी एक या अधिक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए सहयोग के आधार पर किसी संगठन का निर्माण करते हैं, तब इसी संगठन को हम समिति कहते हैं। इसका तात्पर्य यह है कि समितियां हमारी आवश्यकताओं को पूरा करने का महत्वूर्ण साधन हैं। मैकाइवर ने लिखा है कि व्यक्ति अपनी आवश्यकताओं की …

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समाज के प्रकार

समुदाय का अर्थ परिभाषाएँ व 9 विशेषताएँ

समाजशास्त्र की प्राथमिक अवधारणाओं में समुदाय एक महत्वपूर्ण अवधारणा है। यह इस दृष्टिकोण से प्राथमिक है कि एक ओर इसकी सहायता से एक विशेष मानव समूह की प्रकृति को समझा जा सकता है तथा दूसरी ओर, इसी के सन्दर्भ में समाज की अवधारणा को तुलनात्मक आधार पर स्पष्ट किया जा सकता है। समुदाय की अवधारणा …

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सामाजिक समूह, समाज

द्वितीयक समूह अर्थ परिभाषा व 7 विशेषताएँ

द्वितीयक समूह वे हैं, जिनमें प्राथमिक समूह की विशेषताएं नहीं पाई जातीं। ये समूह प्राथमिक समूहों की तुलना में कहीं अधिक बड़े होते हैं और इनके सदस्य एक-दूसरे से सैकड़ों मील दूर रहकर भी अपने बीच सम्बन्धों को बनाए रख सकते हैं। फलस्वरूप द्वितीयक समूह के सदस्यों के बीच प्रत्यक्ष सम्बन्धों का होना आवश्यक नहीं …

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five human hands on brown surface

प्राथमिक समूह अर्थ परिभाषा विशेषताएँ व 8 महत्व

चार्ल्स कूले ने प्राथमिक समूह को ‘मानव स्वभाव की पोषिका’ कहा है। कूले ने कुछ समूहों को ‘प्राथमिक’ इसलिए कहा है, क्योंकि महत्व के दृष्टिकोण से इनका स्थान प्रथम और प्रभाव प्राथमिक है। परिवार ही समाजीकरण का केन्द्र है, जहां बच्चा प्राथमिक शिक्षा प्राप्त करता है। परिवार के पश्चात् दूसरा स्थान क्रीड़ा-समूह (play-group) का है। …

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समाज के प्रकार

सामाजिक समूह की विशेषताएं

सामाजिक समूह की विशेषताएं अनेक हैं, जोकि यहाँ विस्तारपूर्वक बतायी गयी है। सामाजिक समूह ऐसे व्यक्तियों का एकत्रीकरण है, जो एक-दूसरे के साथ क्रिया करते हैं और इस पारस्परिक क्रिया की एक इकाई के रूप में ही अन्य सदस्यों द्वारा पहचाने जाते हैं। समूह का अर्थ अधिक या कम ऐसे व्यक्तियों से है, जिनके बीच …

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समाज के प्रकार

सामाजिक समूह अर्थ परिभाषा प्रकार तथा 8 महत्व

सामाजिक समूह को समाजशास्त्रीय अध्ययन में एक ‘प्राथमिक अवधारणा’ के रूप में देखा जाता है। सच तो यह है कि विभिन्न प्रकार के सामाजिक समूह ही व्यक्ति को एक सामाजिक प्राणी बनाते हैं तथा उसकी विभिन्न आवश्यकताओं को पूरा करते हैं। अपने जीवन में व्यक्ति जिन सामाजिक समूहों का सदस्य होता है, विभिन्न आधारों पर …

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मानविकी उन्मेष,

समाजशास्त्रीय अन्तर्दृष्टि के 3 प्रमुख आधार

बीसवीं शताब्दी के विचारकों में सी. राइट मिल्स वह प्रमुख विचारक हैं जिन्होंने समाजशास्त्रीय अन्तर्दृष्टि के रूप में सामाजिक यथार्थ को समझने के लिए एक नए उपागम का उल्लेख किया। मिल्स ने ‘Sociological Imagination’ शब्द का प्रयोग जिस अर्थ में किया है, उसका सम्बन्ध सामाजिक तथ्यों या घटनाओं का उनके यथार्थ रूप में विश्लेषण करने …

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समाजशास्त्र तथा मानवशास्त्र में संबंध

मानविकी उन्मेष परिभाषा विशेषताएँ व Top 4 उपागम

समाजशास्त्रीय अध्ययन के मानविकी उन्मेष का तात्पर्य सामाजिक घटनाओं का इस तरह अध्ययन करना है जिससे जटिल और परिवर्तनशील मानवीय सम्बन्धों और विभिन्न प्रकार के व्यवहारों को उनकी पृष्ठभूमि एवं कुछ विशेष अर्थों के सन्दर्भ में समझा जा सके। ऐसे अध्ययन पूरी तरह वस्तुपरकता पर जोर न देकर अध्ययन की विषयपरकता (Subjectivity) को भी महत्वपूर्ण …

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समाजशास्त्र तथा अर्थशास्त्र में संबंध

समाजशास्त्र की वैज्ञानिक प्रकृति

समाजशास्त्र की वैज्ञानिक प्रकृति – समाजशास्त्रियों में इस बारे में मतभेद हैं कि समाजशास्त्र की प्रकृति वैज्ञानिक है या नहीं अथवा यह कि क्या इसे एक विज्ञान के रूप में विकसित किया जा सकता है? बहस का एक मुद्दा यह भी है कि क्या समाजशास्त्र में प्राकृतिक विज्ञानों की तरह सिद्धान्तों का निर्माण करना सम्भव …

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समाजशास्त्र, प्राथमिक समूह

समाजशास्त्रीय परिप्रेक्ष्य – 1. कॉम्ट 2. स्पेन्सर 3. मार्क्स

समाजशास्त्रीय परिप्रेक्ष्य – समाजशास्त्र क्या है ? इसे समझने के लिए सबसे पहले यह जरूरी है कि हम इसके परिप्रेक्ष्य को समझें। शाब्दिक रूप से परिप्रेक्ष्य का अर्थ होता है— नजरिया या दृष्टिकोण। किसी भी घटना या वस्तु को देखने का हर व्यक्ति का अपना अपना एक विशेष नजरिया या दृष्टिकोण होता है। हमारा दृष्टिकोण …

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समाजशास्त्र

समाजशास्त्र अर्थ व समाजशास्त्र की परिभाषा व वैज्ञानिक पक्ष

समाजशास्त्र समाज का व्यवस्थित और वैज्ञानिक अध्ययन है। इसके बाद भी समाजशास्त्र में हम जिस समाज का अध्ययन करते हैं, उसके बारे में हमें ऐसा लगता है कि समाज हमारे लिए कोई नया तथ्य नहीं है, क्योंकि हम सभी समाज में रहते हैं और समाज के बारे में पहले से ही कुछ-न-कुछ जानते हैं। वास्तविकता …

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समाजशास्त्र तथा राजनीतिशास्त्र में संबंध

समाजशास्त्र तथा राजनीतिशास्त्र में संबंध

समाजशास्त्र तथा राजनीतिशास्त्र में संबंध – राजनीतिशास्त्र सामाजिक ज्ञान की वह शाखा है जो राज्य के स्वरूप, महत्व, संगठन, शासन सिद्धान्तों और नीतियों की व्याख्या करती है। इस प्रकार राजनीतिविज्ञान राज्य के जीवन अथवा सम्पूर्ण समूह के राजनीतिक भाग से भी सम्बन्धित है। समाजशास्त्र और राजनीतिशास्त्र को आरम्भ से ही एक-दूसरे से सम्बन्धित माना जाता …

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समाजशास्त्र तथा अर्थशास्त्र में संबंध

समाजशास्त्र तथा अर्थशास्त्र में संबंध

समाजशास्त्र तथा अर्थशास्त्र में संबंध क्या है? अनेक अर्थशास्त्रियों ने समाजशास्त्र के सामान्य सिद्धान्तों को उपयोग में लाकर इस तथ्य को स्वीकार भी कर लिया है “अर्थशास्त्र जीवन की सामान्य दशाओं से सम्बन्धित उन आर्थिक क्रियाओं का अध्ययन है जिनका उद्देश्य भौतिक सुख न होकर आर्थिक और सामाजिक कल्याण के लक्ष्य को प्राप्त करना है। …

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समाजशास्त्र तथा मनोविज्ञान में संबंध

समाजशास्त्र तथा मनोविज्ञान में संबंध

समाजशास्त्र तथा मनोविज्ञान में संबंध – मनोविज्ञान मनुष्य की मानसिक प्रक्रियाओं का अध्ययन है। यह उन मानसिक विशेषताओं से सम्बन्धित है, जो व्यक्ति को अनुभव करने, विचार करने और विभिन्न इच्छाओं तथा प्रेरणाओं के लिए क्षमता प्रदान करती है। साधारणतया ऐसा समझा जाता है कि समाज का निर्माण करने वाले पारस्परिक सम्बन्ध व्यक्ति की मानसिक …

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समाजशास्त्र एवं समाजिक विज्ञान

समाजशास्त्र एवं समाजिक विज्ञान में क्या सम्बन्ध है? – समाजशास्त्र की प्रकृति को समझने के लिए यह जानना बहुत आवश्यक है कि दूसरे सामाजिक विज्ञानों की तुलना में समाजशास्त्र का स्थान क्या है? यह सच है कि समाजशास्त्र सम्पूर्ण समाज का एक सामान्य अध्ययन है, लेकिन इसका तात्पर्य यह नहीं है कि समाजशास्त्र को ही …

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समाजशास्त्र की परिभाषा

सामाजिक क्रिया क्या है? परिभाषा 6 विशेषताएं 10 उद्देश्य

सामाजिक क्रिया की प्रकृति को बहुत व्यवस्थित रूप से स्पष्ट करते हुए उन्होंने लिखा “सामाजिक क्रिया कोई भी वह मानवीय दृष्टिकोण अथवा कार्य है जिसका सम्बन्ध क्रिया करने वाले लोगों के अर्थपूर्ण व्यवहार से होता है, चाहे वह कार्य करने की असफलता को स्पष्ट करता हो या निष्क्रिय स्वीकारोक्ति को।” इस कथन के द्वारा उन्होंने …

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समाजशास्त्र तथा मानवशास्त्र में संबंध

समाजशास्त्र तथा मानवशास्त्र में संबंध

समाजशास्त्र तथा मानवशास्त्र में संबंध क्या है? यह किस प्रकार सम्बंधित है? मानवशास्त्र यह विज्ञान है जो आदिकालीन मानव की शारीरिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और उद्विकास सम्बन्धी विशेषताओं का अध्ययन करता है। समाजशास्त्र और मानवशास्त्र एक-दूसरे से इतने घनिष्ठ रूप से सम्बद्ध है कि क्रोबर (Kroeber) ने इन्हें जुड़वां बहनें तक कह दिया है। ऐसा इसलिए …

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समाजशास्त्र तथा इतिहास में संबंध

समाजशास्त्र तथा इतिहास में संबंध

समाजशास्त्र तथा इतिहास में संबंध – अतीत की घटनाओं का क्रमबद्ध अध्ययन ही इतिहास है। प्रसिद्ध विद्वान वुल्फ (Wolf) का विचार है कि इतिहास विशेष राष्ट्रों, संस्थाओं, खोजों और आविष्कारों से सम्बन्धित है इस विज्ञान में हम उन सभी घटनाओं का अध्ययन करते हैं जो अतीत के समाज की विशेषताओं को स्पष्ट करती हैं। समाजशास्त्र …

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दलित समस्या समाधान

सामाजिक प्रक्रियाएं विशेषताएं परिभाषा आवश्यक तत्व प्रकार

सामाजिक प्रक्रियाएं – एक व्यक्ति या समूह की दूसरे के साथ अन्तःक्रिया होती है और वह अन्तः क्रिया सहयोग, संघर्ष, प्रतिस्पर्धा, आदि किसी भी रूप में हो सकती है। अन्तःक्रिया के विभिन्न स्वरूपों को ही सामाजिक प्रक्रिया के नाम से पुकारा गया है। जब अन्तः क्रिया में निरन्तरता पायी जाती है और साथ ही जब …

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औपचारिक सामाजिक नियंत्रण

औपचारिक सामाजिक नियंत्रण विशेषताएं साधन व प्रविधियां

औपचारिक सामाजिक नियंत्रण से आशय ऐसे नियंत्रण से लगाया जाता है जो राज्य सरकार या किन्हीं औपचारिक संस्थाओं द्वारा अपने सदस्यों के व्यवहारों को नियंत्रित करने के लिए स्पष्ट या परिभाषित नियमों के द्वारा लागू किया जाता है और यह नियम सदस्यों पर अनिवार्य रूप से लागू होते हैं। जो सदस्य इन नियमों का पालन …

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सहयोग

सहयोग अर्थ परिभाषा विशेषताएं 4 लाभ व महत्व

सहयोग के अर्थ को भली-भाँति समझने के लिए इसकी कुछ परिभाषाओं पर विचार करना आवश्यक है। सहयोग का अर्थ स्पष्ट करते हुए प्रो. ग्रीन ने लिखा है सहयोग दो या दो से अधिक व्यक्तियों द्वारा किसी कार्य को करने या किसी समान इच्छित उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए किया जाने वाला निरन्तर एवं सामूहिक …

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प्रचार

प्रचार अर्थ परिभाषा प्रचार के Top 5 साधन

प्रचार एक मनोवैज्ञानिक ढंग है जिसके माध्यम से व्यक्तियों या व्यक्तियों के समूह को एक पूर्व निर्धारित दिशा की ओर मोड़ने का प्रयास किया जाता है। आज चाहे कोई भी क्षेत्र हो। सर्वत्र प्रचार का महत्व है। प्रचार का कार्य क्षेत्र राजनीति ही नहीं रहा वरन् इसका प्रसार धार्मिक, आर्थिक सभी क्षेत्रों में हो गया …

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जनमत अर्थ परिभाषा Top 7 विशेषताएं

आधुनिक युग में जनमत सामाजिक नियंत्रण का महत्वपूर्ण साधन है। आदिम समाजों में जनमत सामाजिक नियंत्रण का प्रमुख साधन है। ग्रामीण क्षेत्रों में जनमत ही सर्वोपरि होता है, इसकी अवहेलना करना प्रायः ग्रामीणों के लिए असंभव होता है। गांवों में जनमत का प्रतिनिधित्व ग्राम पंचायतें करती हैं। ग्रामीणों में पंच के प्रति अगाध श्रद्धा होती …

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सेमिनार का संचालन

व्यवस्थापन अर्थ परिभाषा पद्धतियां व्यवस्थापन के परिणाम

व्यवस्थापन संघर्षकारी समूहों में सन्तुलन कायम करने की एक व्यवस्था भी है। इसमें दोनों पक्षों में सहिष्णुता पैदा हो जाती है और वे अपनी सच्ची और न्यायपूर्ण मांगों का प्रतिनिधित्व करने लगते हैं। यह संघर्षकारियों को सहयोग एवं निर्माण की ओर अग्रसर करता है तथा उन्हें पूर्ण विनाश से भी रोकता है। प्रजातंत्र में कई …

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प्रतिस्पर्धा

प्रतिस्पर्धा क्या है? प्रतिस्पर्धा के परिणाम एवं महत्व

प्रतिस्पर्धा या प्रतियोगिता को एक असहगामी सामाजिक प्रक्रिया माना गया है। इसका कारण यह है कि प्रतिस्पर्द्धियों में कम या अधिक मात्रा में एक-दूसरे के प्रति कुछ ईर्ष्या-द्वेष के भाव पाये जाते हैं। प्रत्येक दूसरों को पीछे रखकर स्वयं आगे बढ़ना चाहता है। अपने उद्देश्य को प्राप्त करना चाहता है। अत्यधिक या अनियन्त्रित प्रतिस्पर्धा समाज …

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औद्योगीकरण

औद्योगीकरण परिभाषा 7 विशेषताएं समाज पर प्रभाव

औद्योगीकरण शब्द का प्रयोग प्रायः दो अर्थों में किया जाता है प्रथम संकुचित अर्थ में तथा दूसरा व्यापक अर्थ में संकुचित अर्थ में औद्योगीकरण का अर्थ है निर्माता उद्योगों की स्थापना एवं विकास। इस अर्थ में औद्योगीकरण को आर्थिक विकास की व्यापक प्रक्रिया का एक अंग माना जाता है जिसका उद्देश्य उत्पादन के साधनों की …

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