शिक्षा शास्त्र

शिक्षण-कार्य की प्रक्रिया का विधिवत अध्ययन शिक्षाशास्त्र कहलाता है। इसमें अध्यापन की शैली या नीतियों का अध्ययन किया जाता है। शिक्षक अध्यापन कार्य करता है तो वह इस बात का ध्यान रखता है कि अधिगमकर्ता को अधिक से अधिक समझ में आवे।

शिक्षा के दार्शनिक परिप्रेक्ष्य भारतीय शिक्षा प्रणाली का विकास हिंदी शिक्षण विधि
शिक्षा के मनोवैज्ञानिक परिप्रेक्ष्य पाठ्यक्रम विकास एवं आकलन सामाजिक विज्ञान शिक्षण विधि
शिक्षा के सामाजिक परिप्रेक्ष्य शैक्षिक निर्देशन एवं परामर्श विज्ञान शिक्षण विधि
शिक्षा के तकनीकी परिप्रेक्ष्य शैक्षिक नेतृत्व एवं प्रबंधन गणित शिक्षण विधि
बाल विकास समावेशी शिक्षा पर्यावरण शिक्षा
नदी से निकली हुई बोतलें

माध्यमिक स्तर पर पर्यावरण शिक्षा के 16 उद्देश्य

माध्यमिक स्तर पर पर्यावरण शिक्षा कक्षा नवमीं से लेकर कक्षा बारहवीं तक के छात्रों को प्रदान की जाती है। इन कक्षाओं के छात्रों की उम्र 15 वर्ष से लेकर 18 वर्ष के मध्य होती है। इस आयु के छात्रों का मानसिक स्तर ऐसा होता है कि वे किसी भी कार्य को ठीक प्रकार कार्यान्वित कर …

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भाषा के रूप, मातृभाषा, प्राथमिक स्तर पर पर्यावरण शिक्षा

प्राथमिक स्तर पर पर्यावरण शिक्षा के Top 10 उद्देश्य

प्राथमिक स्तर पर पर्यावरण शिक्षा का प्रमुख उद्देश्य देश के पाँच से लेकर चौदह वर्ष तक के बच्चों में पर्यावरण के प्रति जागरुकता पैदा करना है। बच्चे किसी भी देश का भविष्य होते हैं। यदि बच्चों में अच्छी आदतों एवं विचारों को प्रारम्भ से ही समझाकर बताया जाये तो निश्चित ही उस देश का भविष्य …

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जलवायु परिवर्तन

जलवायु परिवर्तन के कारण

जलवायु परिवर्तन – अनियन्त्रित औद्योगिक विकास ने पृथ्वी, जल, वायु और आकश का जो हाल कर दिया है वह विश्व भर में वैज्ञानिकों की गम्भीर चिन्ता का विषय बन गया है। यही हाल रहा तो ऐसा प्रतीत हो रहा है कि जल्द ही दुनिया रहने लायक नहीं बचेगी प्रदूषित पर्यावरण ऐसी दीर्घकालीन समस्याएँ पैदा करेगा, …

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व्याख्यान विधि के गुण, सेमिनार

सेमिनार के 4 प्रकार उपयोगिता सेमिनार के उद्देश्य

सेमिनार उच्च अध्यापन की एक अनुदेशनात्मक प्रविधि है जिसके अन्तर्गत किसी विषय पर एक पत्र प्रस्तुत किया जाता है जिस पर बाद में सामूहिक विचार-विमर्श किया जाता है ताकि विषय के जटिल पहलुओं को स्पष्ट किया जा सके। सेमिनार समूह के लिये एक स्थिति उत्पन्न करता है जहाँ पर लोगों में आपस में उस विषय …

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भाषा के रूप, पाठ्यक्रम के उद्देश्य, मातृभाषा ही शिक्षा का माध्यम क्यों?

पर्यवेक्षिक अध्ययन विधि के 5 गुण 6 दोष व सावधानियां

पर्यवेक्षिक अध्ययन विधि – सन् 1971 में डेजी मारविल जॉन ने इस पद्धति का सुझाव प्रस्तुत किया था। पर्यवेक्षित अध्ययन अपने नाम के अनुरूप अध्ययन की एक ऐसी विधि है जिसमें छात्र अपने निर्धारित कार्य के दौरान अपने सामाजिक अध्ययन – शिक्षक के उचित निर्देशन प्राप्ति के साथ अपनी समस्याओं का निराकरण भी प्राप्त करते …

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भाषा के रूप, पाठ्यक्रम के उद्देश्य, मातृभाषा ही शिक्षा का माध्यम क्यों?

मातृभाषा ही शिक्षा का माध्यम क्यों?

मातृभाषा ही शिक्षा का माध्यम क्यों? – जहाँ तक शिक्षा के माध्यम की बात है लगभग सभी स्वतन्त्र देशों में शिक्षा का माध्यम वहाँ की मातृभाषाएँ ही हैं। जिन देशों में एक से अधिक मातृभाषाएँ हैं उन देशों में वहाँ की राष्ट्रभाषा को शिक्षा का माध्यम बनाया गया है। कुछ देश इसके अपवाद भी हैं। …

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समस्या समाधान विधि, मानव विकास की अवस्थाएं, राज्य स्तर पर शैक्षिक प्रशासन

समस्या समाधान विधि विशेषताएं 7 लाभ व 7 दोष

समस्या समाधान विधि छात्र की मानसिक क्रिया पर आधारित है क्योंकि इस विधि में समस्या का चयन करके छात्र स्वयं के विचारों एवं तर्क शक्ति के आधार पर मानसिक रूप से समस्या का हल ढूंढ़ कर नवीन ज्ञान प्राप्त करता है। समस्या समाधान विधि में विद्यालय का पाठ्यक्रम इस प्रकार संगठित किया जाता है कि …

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भाषा के रूप, पाठ्यक्रम के उद्देश्य, मातृभाषा ही शिक्षा का माध्यम क्यों?

समाजीकृत अभिव्यक्ति विधि परिभाषा गुण दोष सुझाव

समाजीकृत अभिव्यक्ति विधि शिक्षण की एक नवीन विधि है जिसमें शिक्षक के निर्देशन में परस्पर विचार-विमर्श कर सहयोग एवं सद्भाव के वातावरण में समूह के साथ कार्य करते हुए के छात्र विविध ज्ञान प्राप्त करते हैं। समाजीकृत अभिव्यक्ति विधि द्वारा कक्षा के वातावरण की कृत्रिमता को समाप्त कर उसके स्थान पर स्वाभाविकता उत्पन्न की जाती …

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देवनागरी लिपि

देवनागरी लिपि 7 विशेषताएं व न्यूनताएं

देवनागरी लिपि एक ऐसी लिपि है जिसमें अनेक भारतीय भाषाएँ तथा कुछ विदेशी भाषाएँ लिखीं जाती हैं। देवनागरी लिपि में 14 स्वर और 33 व्यंजन सहित 47 प्राथमिक वर्ण हैं। आज देवनागरी लिपि का उपयोग 120 से अधिक भाषाओं के लिए किया जा रहा है। अधिकतर भाषाओं की तरह देवनागरी भी बायें से दायें लिखी …

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पारिस्थितिक पिरामिड

पारिस्थितिक पिरामिड क्या है? यह कितने प्रकार के होते हैं?

पारिस्थितिक पिरामिड – प्रत्येक पारिस्थितिक तंत्र में प्राथमिक उत्पादों, प्रथम व द्वितीय श्रेणी के उपभोक्ताओं तथा शीर्ष मांसाहारी जीवों की संख्या, जैव भार और ऊर्जा मात्रा में कुछ सम्बन्ध होता है। अगर उत्पादों एवं उपभोक्ताओं के बीच उनकी संख्या, जैवभार एवं ऊर्जा मात्रा के सम्बन्धों का आलेखी निरूपण किया जाये, तो एक स्तूपाकार आकृति बनती …

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भाषा के रूप, पाठ्यक्रम के उद्देश्य, मातृभाषा ही शिक्षा का माध्यम क्यों?

मातृभाषा का क्या महत्त्व है? 4 Top Importance

सामान्यतः जिस भाषा को व्यक्ति अपने शिशु काल में अपनी माता एवं सम्पर्क में आने वाले अन्य व्यक्तियों का अनुकरण करके सीखता है, उसे उस व्यक्ति की मातृभाषा कहते हैं। परन्तु भाषा विज्ञान में इसे बोली कहा जाता है। भाषा वैज्ञानिक कई समान बोलियों की प्रतिनिधि बोली को विभाषा और कई समान विभाषाओं की प्रतिनिधि …

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भाषा के रूप, मातृभाषा, प्राथमिक स्तर पर पर्यावरण शिक्षा

भाषा के रूप कितने होते हैं? भाषा के 7 प्रकार

भाषा के रूप – संसार के भिन्न-भिन्न क्षेत्रों में भिन्न-भिन्न भाषाओं का विकास हुआ है। ये भाषाएँ हजारों की संख्या में हैं। हमारे अपने देश भारत में ही सैकड़ों भाषाओं का प्रयोग होता है। किसी भी मनुष्य के लिए इन सबका सीखना सम्भव नहीं। अतः किसी मनुष्य को किन भाषाओं को सीखना चाहिए और किस …

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