शिक्षा शास्त्र

शिक्षण-कार्य की प्रक्रिया का विधिवत अध्ययन शिक्षाशास्त्र कहलाता है। इसमें अध्यापन की शैली या नीतियों का अध्ययन किया जाता है। शिक्षक अध्यापन कार्य करता है तो वह इस बात का ध्यान रखता है कि अधिगमकर्ता को अधिक से अधिक समझ में आवे।

शिक्षा के दार्शनिक परिप्रेक्ष्य भारतीय शिक्षा प्रणाली का विकास हिंदी शिक्षण विधि
शिक्षा के मनोवैज्ञानिक परिप्रेक्ष्य पाठ्यक्रम विकास एवं आकलन सामाजिक विज्ञान शिक्षण विधि
शिक्षा के सामाजिक परिप्रेक्ष्य शैक्षिक निर्देशन एवं परामर्श विज्ञान शिक्षण विधि
शिक्षा के तकनीकी परिप्रेक्ष्य शैक्षिक नेतृत्व एवं प्रबंधन गणित शिक्षण विधि
बाल विकास समावेशी शिक्षा पर्यावरण शिक्षा

पदार्थ की संरचना व पदार्थ की 3 अवस्थाएँ

ऐसा कुछ भी जिसमें भार होता है, जो स्थान घेरती है और जिसे हम एक या एक से अधिक इन्द्रियों द्वारा महसूस कर पाते हैं, वह पदार्थ कहलाता है। उदाहरण हवा और पानी, हाइड्रोजन और ऑक्सीजन, चीनी और रेत, चीनी और स्टील लोहे और लकड़ी, दूध और तेल, CO, और भाप कार्बन और सल्फर, चट्टानों …

पदार्थ की संरचना व पदार्थ की 3 अवस्थाएँ Read More »

भारतीय विज्ञान की उपलब्धियाँ

7 प्रमुख भारतीय वैज्ञानिक और उनके योगदान

महान् भारतीय वैज्ञानिक की जीवनी मानव जाति एवं समाज के कल्याण हेतु नवीन आविष्कारों एवं सिद्धान्तों को खोजने के लिये प्रेरित करती है तथा कठिन परिश्रम करने की प्रकृति एवं विषम परिस्थितियों में समाज और विज्ञान की समृद्धि हेतु कुछ कर दिखाने की इच्छा को बल प्रदान करती है। इसी उद्देश्य एवं प्रत्याशा से इस …

7 प्रमुख भारतीय वैज्ञानिक और उनके योगदान Read More »

Lucknow University BEd 1st Semester Syllabus

विज्ञान शिक्षण के उद्देश्य Top 12 Objective

विज्ञान शिक्षण के उद्देश्य- वर्तमान परिस्थितियों में शिक्षा का मुख्य उद्देश्य छात्रों का सर्वांगीण विकास करने का प्रयास करना है। किसी भी कार्य को करने से पूर्व कोई लक्ष्य या उद्देश्य निर्धारित करना पड़ता है। उद्देश्य के बिना उस कार्य को कोई दिशा नहीं मिलती। उद्देश्यों के अभाव में कार्य सुचारु रूप से संचालित नहीं …

विज्ञान शिक्षण के उद्देश्य Top 12 Objective Read More »

भारतीय विज्ञान की उपलब्धियाँ

विज्ञान का इतिहास व भारतीय विज्ञान की 11 उपलब्धियाँ

विज्ञान का इतिहास भारत में विज्ञान का उद्भव ईसा से 3000 वर्ष पूर्व हुआ है। हड़प्पा तथा मोहनजोदड़ो की खुदाई से प्राप्त सिंधु घाटी के प्रमाणों से वहाँ के लोगों की वैज्ञानिक दृष्टि तथा वैज्ञानिक उपकरणों के प्रयोगों का पता चलता है। प्राचीन काल में चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में चरक और सुश्रुत, खगोल विज्ञान …

विज्ञान का इतिहास व भारतीय विज्ञान की 11 उपलब्धियाँ Read More »

स्वोट विश्लेषण

स्वोट विश्लेषण की परिभाषा तरीके आवश्यकता व लाभ

स्वोट विश्लेषण एक महत्वपूर्ण योजना उपकरण है जो विद्यालय प्रबन्धन की शक्तियों एवं कमजोरियों को जानने में मदद करता है। साथ ही किसी भी अवसर और संकटों को पहचान कर किसी विशिष्ट स्थिति को सुधारने के लिए उपयोग करता है। यह विद्यालय प्रबन्धन में सुधार के लिए एक अच्छा उपकरण है। स्वोट (SWOT) एक संक्षिप्त …

स्वोट विश्लेषण की परिभाषा तरीके आवश्यकता व लाभ Read More »

शैक्षिक प्रशासन

शैक्षिक प्रशासन की विशेषताएँ प्रकृति उद्देश्य कार्य आवश्यकता

शैक्षिक प्रशासन का सम्बन्ध शिक्षा जगत की एक ऐसी मानवीय प्रक्रिया से है जिसके अन्तर्गत शिक्षा का समुचित संगठन एवं प्रबन्धन का प्रयास किया जाता है। आधुनिक युग में शिक्षा का क्षेत्र प्रशासन का अर्थ केवल शिक्षा की व्यवस्था करना तो नहीं है अपितु शिक्षा से सम्बन्धित विभिन्न शैक्षिक नीतियों का निर्धारण करना, योजना बनाना, …

शैक्षिक प्रशासन की विशेषताएँ प्रकृति उद्देश्य कार्य आवश्यकता Read More »

shallow focus photography of books

सहयोगी अनुशिक्षण उद्देश्य प्रक्रियाएं लाभ व सीमाएं

सहयोगी अनुशिक्षण एक ऐसी प्रक्रिया है जिससे एक से एक को शिक्षण या अधिगम किया जाता है। यह प्रक्रिया विद्यालयों में समावेशन को प्रोत्साहित करती है। इसमें एक व्यक्ति जो वरिष्ठ या पुराना विद्यार्थी या विशेषज्ञ अध्यापक अनुशिक्षक की भूमिका में होता है और अधिगमकर्ता वह होता है जो निर्देशन ग्रहण करता है। अनुशिक्षण बालक …

सहयोगी अनुशिक्षण उद्देश्य प्रक्रियाएं लाभ व सीमाएं Read More »

शिक्षण नीतियाँ

सहकारी अधिगम के उद्देश्य व दिशा निर्देश

सहकारी अधिगम – भारतीय विद्यालय प्रणाली में ऐसा बहुत कम देखने को मिलता है जहाँ बालक समूह में कार्य करते हों। समावेशी कक्षा में जहाँ असंख्य बालक होते हैं, वहाँ बच्चों को सहकारी अधिगम विधि से पढ़ाया जा सकता है। इस तरह से बच्चे सीखने में एक-दूसरे की मदद करते हैं। वे समस्याओं के समाधान …

सहकारी अधिगम के उद्देश्य व दिशा निर्देश Read More »

शिक्षण नीतियाँ

कक्षा प्रबन्धन के सिद्धांत व शिक्षक की भूमिका

कक्षा प्रबन्धन के द्वारा शिक्षण प्रक्रिया को संगठित किया जाता है। कक्षा प्रबन्धन को क्रिया प्रवृत्ति के आधार पर परिभाषित किया गया है। यह ऐसी प्रक्रिया है जिसमें अध्यापक और विद्यार्थियों के सम्बन्धों और अन्तः सम्बन्धों के माध्यम से अधिगम की प्रक्रिया सम्पादित होती है तथा कक्षा में कार्य तथा क्रियाकलापों से अधिगम परिस्थितियाँ पैदा …

कक्षा प्रबन्धन के सिद्धांत व शिक्षक की भूमिका Read More »

स्मृति स्तर शिक्षण

श्रवण बाधित बालक की विशेषताएँ व शिक्षण विधियाँ

श्रवण बाधित बालक – श्रवण, मौखिक सन्देश वाहकता व भाषा विकास का मुख्य ज्ञानेन्द्रीय मार्ग है। श्रवण बोध दोष युक्त होने पर बालक को शाब्दिक अभिव्यक्ति का विकास भी ठीक प्रकार से नहीं हो पाता है। इसके अतिरिक्त श्रवण अधिगम व मानसिक परिपक्वता के विभिन्न पक्षों को भी प्रभावित करता है। ‘कानों के द्वारा सुनने …

श्रवण बाधित बालक की विशेषताएँ व शिक्षण विधियाँ Read More »

प्रतिभाशाली बालक

संवेगात्मक बालक की पहचान व समस्याएँ

संवेगात्मक बालक को पहचानने की उत्तम विधि निरीक्षण विधि है। विभिन्न श्रेणी में आने वाले बालकों के लक्षणों का भली प्रकार अध्ययन करके ऐसे बालकों की पहचान की जा सकती है। मनोवैज्ञानिकों तथा मनोचिकित्सकों की सहायता भी अवश्य ली जानी चाहिए। यदि अध्यापक को किसी प्रकार का सन्देह बालक की संवेगात्मक स्थिति को देखकर होता …

संवेगात्मक बालक की पहचान व समस्याएँ Read More »

प्रतिभाशाली बालक

प्रतिभाशाली बालक की विशेषताएँ पहचान व शिक्षा के 11 सिद्धांत

प्रतिभाशाली बालक की विशेषताएँ हमें सामान्य बालकों से तुलना करने में मदद करती है। ये बालक सम्पूर्ण राष्ट्र हेतु अमूल्य विधि हैं। ये बालक उच्च बुद्धिलब्धि के होते हैं। इनकी बुद्धिलब्धि सामान्यतः 130-140 से उच्च होती है। ये बालक साधारण बालकों से बहुत योग्य होते हैं, जो कार्य इन्हें प्रदान किया जाता है। ये उन्हें …

प्रतिभाशाली बालक की विशेषताएँ पहचान व शिक्षा के 11 सिद्धांत Read More »

×