सामाजिक विज्ञान शिक्षण विधि

सामाजिक विज्ञान शिक्षण विधि –

सामाजिक अध्ययन सामाजिक अध्ययन पाठ्यक्रम निर्माण के सिद्धांत पाठ्यक्रम संगठन के उपागम
व्याख्यान विधि पर्यवेक्षिक अध्ययन विधि समस्या समाधान विधि
सेमिनार समाजीकृत अभिव्यक्ति विधि पर्यवेक्षिक अध्ययन विधि
सूक्ष्म शिक्षण शिक्षण कौशल शिक्षण तकनीकी

सूक्ष्म शिक्षण, शिक्षण तकनीकी

शिक्षण तकनीकी परिभाषाएं 7 विशेषताएं 7 अवधारणाएं

शिक्षण तकनीकी – शिक्षण विकास की एक महत्त्वपूर्ण प्रक्रिया है जो शिक्षक-छात्र की अन्तःप्रक्रिया द्वारा सम्पन्न होती है। वस्तुतः शिक्षण एक सोद्देश्य प्रक्रिया है, जिसका अन्तिम लक्ष्य बालक का पूर्ण विकास करना है। शिक्षण के दो प्रमुख तत्व माने गये हैं- (i) पाठ्यवस्तु तथा (ii) कक्षागत व्यवहार अथवा सम्प्रेषण शिक्षण तकनीकी में ये दोनों ही …

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सूक्ष्म शिक्षण, शिक्षण तकनीकी

शिक्षण कौशल परिभाषा विशेषताएं व 14 शिक्षण कौशल

शिक्षण कौशल – शिक्षण की प्रक्रिया में शिक्षक एक मदारी की भाँति क्रियाकलाप कर अपने पाठ को अधिगम कराने का प्रयास करता है साथ ही अपनी कला के कलात्मक पक्ष के निरन्तर विकास हेतु विभिन्न क्रियाओं अर्थात् शिक्षण कौशलों में सुधार हेतु प्रयास करता है। प्रभावशाली शिक्षण का विकास तभी होता है जब शिक्षण के …

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सूक्ष्म शिक्षण, शिक्षण तकनीकी

सूक्ष्म शिक्षण परिभाषाएं सिद्धांत 5 विशेषताएं कमियां सीमाएं

सूक्ष्म शिक्षण – शिक्षण के द्वारा ही शिक्षक, छात्रों में पाठ्य उद्देश्यों की प्राप्ति कर उसमें वांछित दक्षताओं का विकास करता है। शिक्षण कार्य की कुशलता शिक्षक के स्वःज्ञान पर निर्भर है, साथ ही शिक्षण कला कुशलता हेतु शिक्षक की दक्षता भी आवश्यक है। शिक्षा तकनीकी की यह धारणा है कि शिक्षक जन्मजात नहीं होते …

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व्याख्यान विधि के गुण, सेमिनार

सेमिनार के 4 प्रकार उपयोगिता सेमिनार के उद्देश्य

सेमिनार उच्च अध्यापन की एक अनुदेशनात्मक प्रविधि है जिसके अन्तर्गत किसी विषय पर एक पत्र प्रस्तुत किया जाता है जिस पर बाद में सामूहिक विचार-विमर्श किया जाता है ताकि विषय के जटिल पहलुओं को स्पष्ट किया जा सके। सेमिनार समूह के लिये एक स्थिति उत्पन्न करता है जहाँ पर लोगों में आपस में उस विषय …

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भाषा के रूप, पाठ्यक्रम के उद्देश्य, मातृभाषा ही शिक्षा का माध्यम क्यों?

पर्यवेक्षिक अध्ययन विधि के 5 गुण 6 दोष व सावधानियां

पर्यवेक्षिक अध्ययन विधि – सन् 1971 में डेजी मारविल जॉन ने इस पद्धति का सुझाव प्रस्तुत किया था। पर्यवेक्षित अध्ययन अपने नाम के अनुरूप अध्ययन की एक ऐसी विधि है जिसमें छात्र अपने निर्धारित कार्य के दौरान अपने सामाजिक अध्ययन – शिक्षक के उचित निर्देशन प्राप्ति के साथ अपनी समस्याओं का निराकरण भी प्राप्त करते …

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समस्या समाधान विधि, मानव विकास की अवस्थाएं, राज्य स्तर पर शैक्षिक प्रशासन

समस्या समाधान विधि विशेषताएं 7 लाभ व 7 दोष

समस्या समाधान विधि छात्र की मानसिक क्रिया पर आधारित है क्योंकि इस विधि में समस्या का चयन करके छात्र स्वयं के विचारों एवं तर्क शक्ति के आधार पर मानसिक रूप से समस्या का हल ढूंढ़ कर नवीन ज्ञान प्राप्त करता है। समस्या समाधान विधि में विद्यालय का पाठ्यक्रम इस प्रकार संगठित किया जाता है कि …

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भाषा के रूप, पाठ्यक्रम के उद्देश्य, मातृभाषा ही शिक्षा का माध्यम क्यों?

समाजीकृत अभिव्यक्ति विधि परिभाषा गुण दोष सुझाव

समाजीकृत अभिव्यक्ति विधि शिक्षण की एक नवीन विधि है जिसमें शिक्षक के निर्देशन में परस्पर विचार-विमर्श कर सहयोग एवं सद्भाव के वातावरण में समूह के साथ कार्य करते हुए के छात्र विविध ज्ञान प्राप्त करते हैं। समाजीकृत अभिव्यक्ति विधि द्वारा कक्षा के वातावरण की कृत्रिमता को समाप्त कर उसके स्थान पर स्वाभाविकता उत्पन्न की जाती …

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पर्यावरण शिक्षा, भारत में जनसंख्या वृद्धि के कारण

पाठ्यक्रम संगठन के उपागम

पाठ्यक्रम संगठन के उपागम – पाठ्यक्रम निर्माण के सिद्धान्तों के उपरान्त यह जानना आवश्यक है कि उसका संगठन कैसे किया जाए? पाठ्यक्रम संगठन के लिए बालकों के व्यक्तित्व के विभिन्न आयामों के अतिरिक्त उनकी व्यक्तिगत भिन्नताओं के साथ ही पाठ्य सामग्री के विभिन्न स्वरूपों (पक्षों-ज्ञान, किया एवं भाव) आदि दृष्टिकोणों को ध्यान में रखना आवश्यक …

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व्याख्यान विधि

व्याख्यान विधि के गुण व व्याख्यान विधि के दोष

व्याख्यान विधि – शिक्षा के क्षेत्र में प्राचीनकाल से ही प्रचलित व्याख्यान विधि सामाजिक विज्ञान शिक्षण की प्रमुख विधि रही है। वस्तुतः व्याख्यान विधि उच्च कक्षाओं के शिक्षण कार्य में अपनाई जाने वाली एक प्रमुख विधि है जिसमें शिक्षार्थी एक श्रोता की भाँति और शिक्षक एक व्याख्याता की भाँति क्रिया करता है। यह विधि तब …

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ब्रज भाषा साहित्य

सामाजिक अध्ययन पाठ्यक्रम निर्माण के सिद्धांत

सामाजिक अध्ययन पाठ्यक्रम निर्माण के सिद्धांत – पाठ्यक्रम, शैक्षिक उद्देश्यों की प्राप्ति का साधन होता है अर्थात् शैक्षिक क्रियाकलापों की पूर्णतया यों कहें कि शिक्षा प्रक्रिया को लक्ष्य तक पहुँचाने का मात्र एक साधन। पाठ्यक्रम के स्वरूप में शिथिलता या कोई भी दोष अधिगमकर्त्ता की निष्क्रियता को जन्म दे सकता है, जिससे शिक्षा के स्वरूप …

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पर्यावरण शिक्षा, भारत में जनसंख्या वृद्धि के कारण

सामाजिक अध्ययन विशेषताएं अवधारणा क्षेत्र प्रकृति

सामाजिक अध्ययन – 19वीं शताब्दी में विभिन्न विषयों जैसे इतिहास, भूगोल, अर्थशास्त्र, राजनीतिकशास्त्र और समाजशास्त्र का अध्ययन एक-दूसरे से पृथक् विषय के रूप में होता था। वास्तव में सामाजिक अध्ययन विषय का प्रादुर्भाव सन् 1892 में संयुक्त राज्य अमरीका में हुआ। 1921 में इस विषय के संबंध में विस्तृत अध्ययन करने के लिए अमेरिका में …

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