शिक्षा के सामाजिक परिप्रेक्ष्य

आधुनिक भारतीय समाज सामाजिक परिवर्तन भारतीय समाज का आधुनिक स्वरूप
भारतीय समाज अर्थ परिभाषा आधार भारतीय समाज का बालक पर प्रभाव धर्मनिरपेक्षता अर्थ विशेषताएं
आर्थिक विकास संस्कृति अर्थ महत्व सांस्कृतिक विरासत
मौलिक अधिकार भारतीय संविधान के मौलिक कर्तव्य प्रजातंत्र परिभाषा व रूप
प्रजातंत्र के गुण व दोष लोकतंत्र और शिक्षा के उद्देश्य सतत शिक्षा
भारत में नव सामाजिक व्यवस्था जनतंत्र अर्थ जनतंत्र और शिक्षा
स्त्री शिक्षा विकलांग शिक्षा भारत में स्त्री शिक्षा का विकास

भारत में स्त्री शिक्षा का विकास

भारत में स्त्री शिक्षा का विकास

भारत में स्त्री शिक्षा का विकास – प्राचीन काल में नारी समाज की एक शब्द शिक्षित व सम्मानित अंग रही है। ऋग्वेद काल में स्त्रियों को पूर्ण स्वतंत्रता थी। वह पुरुषों के साथ यज्ञ करती थी। यहां तक कि वह यज्ञ पूर्ण नहीं माना जाता था। जो बिना अर्धांगिनी के संपादित किया जाता था। ऋग्वैदिक …

भारत में स्त्री शिक्षा का विकास Read More »

विकलांग शिक्षा उद्देश्य पाठ्यक्रम व सरकारी प्रयास

विकलांग शिक्षा – विकलांग बच्चे विशिष्ट बच्चों की श्रेणी में आते हैं, जिनकी पहचान गुणों, लक्षणों, आदर्शों या किसी कमी के कारण अलग से प्रतीत होती है। विशिष्ट बालक वह है, जो सामान्य बालकों से शारीरिक, मानसिक, सांविधिक और सामाजिक विशेषताओं में इतने अधिक विषमता पूर्ण होते हैं कि अपनी उच्चतम योग्यताओं को विकसित करने …

विकलांग शिक्षा उद्देश्य पाठ्यक्रम व सरकारी प्रयास Read More »

UPSC IAS

स्त्री शिक्षा महत्व उद्देश्य पाठ्यक्रम व सरकारी प्रयास

स्त्री शिक्षा आज के युग में समाज में सुधार की ओर तीव्र गति से बढ़ रही है। उनकी हर तरह की पारिवारिक, सामाजिक, शैक्षिक एवं आर्थिक स्थिति में क्रांतिकारी परिवर्तन आया है। आज की नारी किसी भी क्षेत्र में पुरुष से पीछे नहीं है। स्त्रियों की स्थिति में परिवर्तन का श्रेय स्त्री शिक्षा के प्रसार …

स्त्री शिक्षा महत्व उद्देश्य पाठ्यक्रम व सरकारी प्रयास Read More »

जनतंत्र और शिक्षा, संस्कृत गद्य साहित्य का विकास

जनतंत्र और शिक्षा के 6 संबंध (भारत के परिप्रेक्ष्य में)

जनतंत्र और शिक्षा – शिक्षा में जनतंत्रीय सिद्धांतों के प्रयोग का श्रेय जॉन डीवी को है। डीवी की पुस्तक जनतंत्र और शिक्षा, प्लेटो की रिपब्लिक और रूसो की एमिल की भांति ही एक उच्च श्रेणी की पुस्तक है। डीवी के विचारों का शिक्षा पर बड़ा प्रभाव पड़ा। शिक्षा के क्षेत्र में कार्य करने वाले व्यक्ति …

जनतंत्र और शिक्षा के 6 संबंध (भारत के परिप्रेक्ष्य में) Read More »

मौलिक अधिकार

जनतंत्र अर्थ परिभाषा विशेषताएं व जनतंत्र के 6 सिद्धांत New

जनतंत्र को गणतंत्र भी कहा जाता है। गण का अर्थ होता है – झुंड, समूह या जत्था। जनतंत्र को राजतंत्र भी कहा जाता है इसलिए लोकतंत्र के लिए गणराज्य शब्द का भी प्रयोग किया जाता है। सभी शब्दों से एक ही मत या विचार स्पष्ट होता है कि किसी भी देश या राष्ट्र में राजनैतिक …

जनतंत्र अर्थ परिभाषा विशेषताएं व जनतंत्र के 6 सिद्धांत New Read More »

भारतीय समाज

भारतीय समाज अर्थ परिभाषा आधार

भारतीय समाज – समाजशास्त्री समाज को एक अचित्रित या अमूर्त संप्रत्यय कहते हैं। समाज को सामाजिक संबंधों का जाल मानते हैं। साधारण भाषा में सामाजिक संबंधों से बने सामाजिक समूह को समाज कहते हैं। प्रत्येक समाज लगभग इसी प्रकार का ही होता है। भारतीय समाज भी इसी प्रकार का है परंतु भारतीय समाज को अनेक …

भारतीय समाज अर्थ परिभाषा आधार Read More »

भारत में नव सामाजिक व्यवस्था

भारत में नव सामाजिक व्यवस्था – राजतंत्र अर्थतंत्र शिक्षा

भारत में नव सामाजिक व्यवस्था – नवीन भारत में देश की सामाजिक व्यवस्था मुख्य रूप से राजतंत्र, अर्थतंत्र और शिक्षा व सामाजिक व्यवस्थाओं पर आधारित है। परंतु इसका यह अर्थ नहीं है कि इसके इस स्वरूप निर्धारण में धर्म तथा अन्य सामाजिक व्यवस्थाओं का योगदान नहीं है। भारत में नव सामाजिक व्यवस्था भारत विभिन्न संस्कृतियों …

भारत में नव सामाजिक व्यवस्था – राजतंत्र अर्थतंत्र शिक्षा Read More »

शिक्षा के व्यक्तिगत उद्देश्य, भारतीय समाज का आधुनिक स्वरूप

भारतीय समाज का आधुनिक स्वरूप

भारतीय समाज का आधुनिक स्वरूप – भारतीय समाज दुनिया के सबसे जटिल समाजों में एक है। इसमें कई धर्म, जाति, भाषा, नस्ल के लोग बिलकुल अलग-अलग तरह के भौगोलिक भू-भाग में रहते हैं। उनकी संस्कृतियां अलग हैं, लोक-व्यवहार अलग है। भारतीय समाज का आधुनिक स्वरूप समाज की प्रकृति गतिशील होने के कारण उसमें निरंतर परिवर्तन …

भारतीय समाज का आधुनिक स्वरूप Read More »

गृहकार्य, सतत शिक्षा

सतत शिक्षा और सतत शिक्षा की विशेषताएँ, माध्यम व उद्देश्य

सतत शिक्षा एक ऐसी व्यापक अवधारणा है जो सभी रूपों में चलने वाले शैक्षिक क्रियाकलापों को अंतर्निहित करती है। इसके अंतर्गत औपचारिक सहज तथा गैर औपचारिक सभी प्रकार की शैक्षिक प्रणालियां आ जाती हैं। सतत शिक्षा मूल्य शिक्षा को जीवन और जीवन को शिक्षा समझने वाली अवधारणा है। व्यापक अर्थ में सतत शिक्षा यह जीवन …

सतत शिक्षा और सतत शिक्षा की विशेषताएँ, माध्यम व उद्देश्य Read More »

लोकतंत्र और शिक्षा के उद्देश्य

लोकतंत्र और शिक्षा के उद्देश्य

लोकतंत्र और शिक्षा के उद्देश्य – लोकतंत्र की सफलता उसके नागरिकों पर निर्भर करती है। लोकतंत्र व्यक्ति के व्यक्तित्व एवं सामाजिक दोनों प्रकार के विकास पर समान बल देता है। इस अपेक्षा के साथ ही उससे व्यक्ति, समाज और राष्ट्र सभी का हित हो। लोकतंत्र और शिक्षा के उद्देश्य लोकतंत्र और शिक्षा के उद्देश्य निम्नलिखित …

लोकतंत्र और शिक्षा के उद्देश्य Read More »

प्रजातंत्र के गुण व दोष

प्रजातंत्र के गुण व दोष

प्रजातंत्र के गुण व दोष – प्रजातंत्र की सफलता का मूल आधार शिक्षा होती है, इसलिए लोकतंत्र जन शिक्षा पर सबसे अधिक बल देता है। इसके लिए वह सर्वथा में निश्चित आयु तक के बच्चों के लिए अनिवार्य एवं निशुल्क शिक्षा की व्यवस्था करता है। वह पुरुष और महिलाओं में भेद नहीं करता इसलिए दोनों …

प्रजातंत्र के गुण व दोष Read More »

भारतीय संविधान के मौलिक कर्तव्य

प्रजातंत्र परिभाषा व रूप – Definition of Democracy in Hindi

प्रजातंत्र अंग्रेजी भाषा के Democracy का हिंदी रूपांतरण है। जोकि दो शब्दों के योग से बना है – Demos और Kratia। इसमें Demos का अर्थ है जनता तथा Kratia का अर्थ है शक्ति या शासन। इस प्रकार शाब्दिक दृष्टि से इसका अर्थ है “जनता का शासन”। जिस देश में जनता को शासन के कार्यों में …

प्रजातंत्र परिभाषा व रूप – Definition of Democracy in Hindi Read More »

×