भारतीय शिक्षा प्रणाली का विकास

वैदिककालीन शिक्षा बौद्धकालीन शिक्षा मुस्लिमकालीन शिक्षा
तक्षशिला विश्वविद्यालय मैकाले का विवरण पत्र 1835 लॉर्ड विलियम बैंटिक की शिक्षा नीति
वुड का घोषणा पत्र हण्टर आयोग लार्ड कर्जन की शिक्षा नीति
सैडलर आयोग 1917 सार्जेण्ट रिपोर्ट 1944 मुदालियर आयोग 1952
कोठारी आयोग 1964 राष्ट्रीय पाठ्यक्रम 2005 बेसिक शिक्षा
विश्वविद्यालय शिक्षा आयोग शिक्षा का राष्ट्रीयकरण त्रिभाषा सूत्र
राष्ट्रीय साक्षरता मिशन प्रौढ़ शिक्षा अर्थ प्रशिक्षित अप्रशिक्षित शिक्षक में अंतर
दूरस्थ शिक्षा अर्थ परिभाषा ऑपरेशन ब्लैक बोर्ड शिक्षक शिक्षा की समस्याएं
विश्वविद्यालय संप्रभुता उच्च शिक्षा समस्याएं उच्च शिक्षा समस्याएं
उच्च शिक्षा के उद्देश्य शैक्षिक स्तर गिरने के कारण मुक्त विश्वविद्यालय
मुक्त विश्वविद्यालय के उद्देश्य शिक्षा का व्यवसायीकरण सर्व शिक्षा अभियान

शिक्षा का व्यवसायीकरण, शैक्षिक प्रबंधन समस्याएं

शिक्षा का व्यवसायीकरण की आवश्यकता

माध्यमिक शिक्षा का व्यवसायीकरण को लेकर भारत सरकार ने कई आयोगों का गठन ही नहीं किया अपितु उनकी सलाह पर कार्य किया। परंतु फिर भी स्थिति में ज्यादा सुधार नहीं हुआ। इसके संबंध में कोठारी आयोग 1964 ने कहा है बार-बार सलाह देने के पश्चात भी दुर्भाग्य की बात यह है कि विद्यालय स्तर पर …

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शिक्षा का व्यवसायीकरण

भारत में शिक्षा के निजीकरण के कारण

भारत में शिक्षा के निजीकरण के कारण – भारत में स्वतंत्रता से पूर्व निजी क्षेत्र की प्रधानता की, परंतु योजना काल में सार्वजनिक क्षेत्र का महत्व बढ़ा है तथा निजी क्षेत्र के महत्त्व में सापेक्षिक रूप से कमी आई है। सन 1991 में नई आर्थिक नीति की घोषणा की गई। इस नीति के अंतर्गत निजी …

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राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान

राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान 2009

राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान – सर्व शिक्षा अभियान से माध्यमिक विद्यालयों में प्रवेश संख्या बढ़ी है और विद्यालय में ठहराव में सफलता मिली है। इसी प्रगति क्रम को आगे बढ़ाने के लिए NUEPA ने 2006 में योजना पर विचार किया गया। योजना को कार्यान्वित करने के लिए समय-समय पर रूपरेखा तैयार की गई। वर्ष 2009 …

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सर्व शिक्षा अभियान

सर्व शिक्षा अभियान

सर्व शिक्षा अभियान केंद्र सरकार द्वारा चलाई जाने वाली एक महत्वपूर्ण योजना है। इस योजना का उद्देश्य भारत भर में सभी को जहां तक संभव हो शिक्षित करना है। अक्टूबर 1998 में राज्य सरकारों को शिक्षा मंत्रियों की एक कॉन्फ्रेंस यह तय करने के लिए केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री ने दिल्ली में बुलाई थी कि …

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ब्रिटिश काल में प्राथमिक शिक्षा 1835

ब्रिटिश काल में प्राथमिक शिक्षा – ब्रिटिश काल में ईस्ट इंडिया कंपनी से लेकर ब्रिटिश शासन तक सभी के काल में भारत में शिक्षा पद्धति ने नवीन दिशा ग्रहण की। इसाई धर्म के प्रचार के लिए आई हुई मिशनरियों के द्वारा ईसाई धर्म के प्रचारक भारत में शिक्षा का प्रसार करना चाहते थे। 1813 में …

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प्राथमिक शिक्षा पाठ्यक्रम

प्राथमिक शिक्षा पाठ्यक्रम के 6 गुण व 5 दोष

प्राथमिक शिक्षा पाठ्यक्रम को समझने से पहले यह आवश्यक है कि हम इस पाठ्यक्रम की कमियों को देखें। विदेशी शिक्षण संस्थाओं के पाठ्यक्रम से इसकी तुलना करने पर हम पाते हैं कि हमारा प्राथमिक शिक्षा का पाठ्यक्रम अत्यधिक संकुचित व पुराना है। इसका प्रमुख कारण यह है कि यह पाठ्यक्रम लाभदायक कुशलताओं का विकास तथा …

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परीक्षा सुधार आवश्यकता

परीक्षा सुधार आवश्यकता (6 Important Exam Improvement Needs)

परीक्षा सुधार आवश्यकता – जैसे-जैसे समाज की विचारधाराओं में परिवर्तन होता चला गया। शिक्षा व्यवस्था व उसका स्वरूप भी परिवर्तित होता चला गया। जैसे ही शिक्षा के उद्देश्य परिवर्तित हुए तो उसी के आधार पर पाठ्यक्रम शिक्षाविद विधियां अनुशासन शिक्षा बालक परीक्षा का मूल्यांकन आदि सभी परिवर्तित हो जाते हैं जैसे कि शिक्षा की इतिहास …

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हण्टर आयोग 1882, सैडलर आयोग, शैक्षिक प्रबन्धन कार्य, वेदान्त दर्शन

राष्ट्रीय पाठ्यक्रम 2005 के उद्देश्य

राष्ट्रीय पाठ्यक्रम 2005 – वर्तमान में कोई भी घटना, समस्या, प्रदूषण, प्राकृतिक आपदा, क्षेत्रीय, राष्ट्रीय ना रहकर अंतरराष्ट्रीय रूप धारण कर लेती है। जैसे आतंकवाद आणविक शक्ति का दुरुपयोग प्राकृतिक संसाधनों का अधिक दोहन, भूकंप इत्यादि। इसलिए पाठ्यक्रम ने भी विश्व स्तरीय रूप ले लिया है। विश्व के विद्वानों अर्थशास्त्रियों, मनोवैज्ञानिकों, वैज्ञानिकों, राजनीतिज्ञों और महापुरुषों, …

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लार्ड कर्जन की शिक्षा नीति, मुदालियर आयोग

राष्ट्रीय पाठ्यक्रम निर्माण 2005

राष्ट्रीय पाठ्यक्रम निर्माण 2005 – मानव संसाधन मंत्रालय द्वारा बुलाई गई राष्ट्रीय अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद की कार्यकारिणी सभा में चिंतन किया गया कि राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा के पाठ्यक्रम 2000 में क्या सुधार किया जाए? 14 जुलाई से 19 जुलाई 2004 में बुलाई गई सभा में निर्णय लिया गया कि 21 वी शताब्दी के लिए …

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संतुलित पाठ्यक्रम आवश्यकता

संतुलित पाठ्यक्रम आवश्यकता – पाठ शालाओं की आत्मा होने के कारण पाठ्यक्रम में एकात्मक संतुलन और संजीवता होनी चाहिए। शिक्षा ऐसे जीवन के लिए होती है जो स्थिर न रहकर परिवर्तनशील होता है। शिक्षण एक निरंतर चलते रहने वाला कार्य है। इसीलिए यह थोड़े वर्षों में ही नहीं हो सकता। शैशव से मृत्यु तक का …

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वैदिककालीन शिक्षा, उच्च शिक्षा के उद्देश्य,

केंद्र सरकार के शैक्षिक उत्तरदायित्व

केंद्र सरकार के शैक्षिक उत्तरदायित्व – 15 अगस्त 1947 को भारत स्वतंत्र हुआ। स्वतंत्रता पूर्व 1945 ईस्वी में शिक्षा विभाग का स्वतंत्र अस्तित्व प्रकाश में आ चुका था। स्वाधीन भारत की सरकार ने सन 1947 में ही शिक्षा मंत्रालय का गठन कर दिया और भारत के प्रथम शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आजाद को बनाया …

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प्राथमिक शिक्षा प्रशासन

शिक्षा निदेशक के कार्य

शिक्षा निदेशक के कार्य शिक्षा निदेशक के कुछ मुख्य कार्य निम्न है – शिक्षा निदेशक संपूर्ण राज्य में शिक्षा प्रशासन के प्रति उत्तरदाई होता है। वाह शिक्षामंत्री को शैक्षिक एवं प्रशासनिक विषयों में सलाह देता है। राज्य के समस्त विश्वविद्यालयों की कार्यकारिणी परिषद का वह पदेन सदस्य होता है। इस प्रकार वह विश्वविद्यालयों पर नियंत्रण …

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मैकाले का विवरण पत्र 1835, त्रिभाषा सूत्र, राज्य स्तर पर शैक्षिक प्रशासन

केंद्र सरकार की शैक्षिक सलाहकार समितियां

केंद्र सरकार की शैक्षिक सलाहकार समितियां – केंद्र सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय के अंतर्गत शिक्षा विभाग है जो केंद्रीय सरकार के शिक्षा विषयक कार्यों और उत्तर दायित्वों का निर्वहन करता है। शिक्षा विभाग के कार्य काफी विस्तृत है। इस दृष्टि से केंद्रीय सरकार ने शिक्षा विभाग के विभिन्न क्षेत्रों को समुन्नत बनाने के …

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मुक्त विश्वविद्यालय

दूरस्थ शिक्षा लक्षण

दूरस्थ शिक्षा लक्षण – प्राचीन काल से ही हमारे देश में दूरस्थ शिक्षा की व्यवस्था रही है। समय के साथ-साथ इसका भी स्वरूप बदलता रहा है। वर्तमान में यह पद्धति अत्यधिक विकसित हो चुकी है। काल में जहां ऋषि मुनि ज्ञान देने के लिए गांव गांव जाते थे या अपनी कुटिया में रहकर ज्ञान देते …

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मुक्त विश्वविद्यालय

मुक्त विश्वविद्यालय के उद्देश्य

मुक्त विश्वविद्यालय के उद्देश्य – मुक्त विश्वविद्यालय शिक्षा की एक ऐसी प्रणाली है जिसके द्वार सबके लिए खुले हैं। इसमें प्रवेश पाने के लिए आयु व आधारभूत शैक्षिक योग्यता आदि का कोई बंधन नहीं होता। इसमें सब युवक अथवा वृद्ध अपना पंजीकरण करा सकते हैं। जो किसी कारण उच्च शिक्षा प्राप्त करने से वंचित रह …

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मुक्त विश्वविद्यालय

मुक्त विश्वविद्यालय

शिक्षा के क्षेत्र में मुक्त विश्वविद्यालय एक नवीन अवधारणा है। मुक्त विश्वविद्यालय का अर्थ उस विश्वविद्यालय से है जो विश्वविद्यालय परिसर से दूर रहने वाले छात्रों को शिक्षा प्रदान करता है। मुक्त विश्वविद्यालय के द्वार छात्रों के लिए सदैव खुले रहते हैं। इससे यह अभिप्राय है कि मुक्त विश्वविद्यालय के अंतर्गत शिक्षा प्राप्त करने के …

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Caste system and Social Reform, दलित समस्या समाधान, घरेलू हिंसा

दूरस्थ शिक्षा की आवश्यकता

दूरस्थ शिक्षा की आवश्यकता समझना बहुत ही आवश्यक है। दूरस्थ शिक्षा क्यों जरूरी है? दूरस्थ शिक्षा नि:संदेह बीसवीं सदी की देन है, परंतु इसकी आवश्यकता 21वीं सदी में ज्यादा महसूस की जा रही है। आधुनिक युग में दूरस्थ शिक्षा की आवश्यकता बढ़ने के महत्वपूर्ण कारण निम्न है- 1. जनसंख्या विस्फोट 1947 में जब भारत आजाद …

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दूरस्थ शिक्षा, नेतृत्व

दूरस्थ शिक्षा अर्थ परिभाषा

दूरस्थ शिक्षा से तात्पर्य ऐसी शिक्षा से है जिनके माध्यम से उन दूरदराज के लोगों को शिक्षित किया जाना है। जो किन्ही कारणों से औपचारिक शिक्षा प्राप्त करने से वंचित रह गए थे। ऐसे शिक्षा के अंतर्गत शिक्षार्थी को किसी विद्यालय, महाविद्यालय विश्वविद्यालय में दाखिला लेना नहीं पड़ता, अपितु वे अपने निवास स्थान पर रहते …

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दोषयुक्त परीक्षा प्रणाली

शैक्षिक स्तर गिरने के कारण – 10 Reasons of Declining Education

शैक्षिक स्तर गिरने के कारण – स्वतंत्रता के बाद से यही कहा जा रहा है कि देश में शिक्षा का स्तर गिर रहा है। इस बीच देश में शिक्षा के संबंध में जितने भी आयोग का गठन (विश्वविद्यालय आयोग, माध्यमिक शिक्षा आयोग, राष्ट्रीय शिक्षा आयोग) किया गया। सभी ने शिक्षा के स्तर गिरने की बात …

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ऑपरेशन ब्लैक बोर्ड

ऑपरेशन ब्लैक बोर्ड से तात्पर्य प्राथमिक स्कूलों को न्यूनतम आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध कराई जाए। स्कूल सुधार योजना के एक आंशिक हिस्से के रूप में यह कार्यक्रम संपूर्ण देश में लागू किया गया है। ऑपरेशन ब्लैक बोर्ड स्कूलों में आवश्यक न्यूनतम शिक्षण सहायक सामग्री को उपलब्ध कराना मात्र नहीं है अपितु यह एक मानसिकता और आचरण …

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उच्च शिक्षा के उद्देश्य, विश्वविद्यालय शिक्षा प्रशासन, नेता के सामान्य गुण

उच्च शिक्षा समस्याएं

उच्च शिक्षा समस्याएं – भारत में विभिन्न स्तरों की शिक्षा के उद्देश्य निश्चित करने का कार्य सर्वप्रथम वुड के घोषणा पत्र में किया गया। इसके बाद भारत में जो भी शिक्षा आयोग गठित किए गए सभी ने विभिन्न स्तरों की शिक्षा के उद्देश्य स्पष्ट करने का कार्य जारी रखा। 15 अगस्त 1947 को देश की …

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वैदिककालीन शिक्षा, उच्च शिक्षा के उद्देश्य,

विश्वविद्यालय संप्रभुता – University Sovereignty in Hindi

विश्वविद्यालय संप्रभुता से अभिप्राय विश्वविद्यालयों को कार्य प्रवेश अनुसंधान तथा प्रशासन संबंधी स्वाधीनता से है। वर्तमान समय में विश्वविद्यालयों की प्रभुसत्ता पर अनेक राजनीतिक नियंत्रण है। आयोग ने विश्वविद्यालय की प्रभुसत्ता के तीन क्षेत्र बताए हैं- विश्वविद्यालय संप्रभुता वर्तमान समय में भारत में विश्वविद्यालयों की प्रभुसत्ता पर राजनीति छा गई है। इसके परिणाम स्वरूप विद्यालय …

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विश्वविद्यालय के कार्य – शिक्षा अनुदान सम्बद्धता प्रसार

विश्वविद्यालय के कार्य – विश्वविद्यालय (युनिवर्सिटी) वह संस्था है जिसमें सभी प्रकार की विद्याओं की उच्च कोटि की शिक्षा दी जाती हो, परीक्षा ली जाती हो तथा लोगों को विद्या संबंधी उपाधियाँ आदि प्रदान की जाती हों। इसके अंतर्गत विश्वविद्यालय के मैदान, भवन, प्रभाग, तथा विद्यार्थियों का संगठन आदि भी सम्मिलित हैं। विश्वविद्यालय के कार्य …

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लार्ड कर्जन की शिक्षा नीति, राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान

शिक्षक शिक्षा की समस्याएं

स्वतंत्रता प्राप्ति के समय से ही भारतीय अध्यापक शिक्षा में बहुत अधिक सुधार हुए हैं, परंतु फिर भी सभी समस्याओं का हल खोजना संभव नहीं हो सका है। शिक्षक शिक्षा की समस्याएं शिक्षक शिक्षा की समस्याएं अति विचारणीय है जो कि इस प्रकार हैं – विविध स्तरीय प्रशिक्षण में संपर्क ना होना। बुनियादी एवं गैर …

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वैदिककालीन शिक्षा, उच्च शिक्षा के उद्देश्य,

उच्च शिक्षा के उद्देश्य

उच्च शिक्षा के उद्देश्य – भारत में विभिन्न स्तरों की शिक्षा के उद्देश्य निश्चित करने का कार्य सर्वप्रथम वुड के घोषणा पत्र में किया गया।इसके बाद भारत में जो भी शिक्षा आयोग गठित किए गए सभी ने विभिन्न स्तरों की शिक्षा के उद्देश्य स्पष्ट करने का कार्य जारी रखा। 15 अगस्त 1947 को देश की …

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भारतीय शिक्षा की समस्याएं, उदारवादी व उपयोगितावादी शिक्षा

वैदिककालीन शिक्षा गुण व दोष

वैदिककालीन शिक्षा गुण व दोष – धर्म और धार्मिक मान्यताएं भारतीय शिक्षा के पीछे हजारों वर्षों की शैक्षिक तथा सांस्कृतिक परंपरा का आधार हैं। प्राचीन काल में शिक्षा का आधार क्रियाएं थी। वैदिक क्रिया ही शिक्षा का प्रमुख आधार थी।समस्त जीवन धर्म से चलायमान था। भारतीय शिक्षा का प्रमुख ऐतिहासिक साक्ष्य वेद है। वैदिक युग …

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वैदिककालीन शिक्षा के गुण

वैदिककालीन शिक्षा में गुरु शिष्य सम्बंध

वैदिककालीन शिक्षा में गुरु शिष्य सम्बंध विशेष प्रकार के थे, जोकि अत्यंत मधुर, आत्मीय एवं अनुकरणीय थे। वैदिक काल में गुरु और शिष्य के मध्य भरोसे और जिम्मेदारी के संबंध हुआ करते थे। गुरु शिष्यों के साथ पुत्रवतभावना से व्यवहार करते थे। और शिष्य भी गुरु को पिता तुल्य मानकर उनकी सभी आज्ञाओ का पालन …

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मुस्लिमकालीन शिक्षा

वैदिककालीन शिक्षा के उद्देश्य – Top 5 Education Objectives

वैदिककालीन शिक्षा के उद्देश्य शिक्षा स्वरूप तथा उसकी गंभीरता से यह स्पष्ट होता है कि तत्कालीन शिक्षा के उक्त उद्देश्यों के साथ-साथ एक अति महत्वपूर्ण उद्देश्य तथा आदर्श ज्ञान का विकास था। ईश्वर भक्ति तथा धार्मिकता की भावना चरित्र निर्माण व्यक्तित्व का विकास नागरिक तथा सामाजिक कर्तव्यों का पालन सामाजिक कुशलता की उन्नति और राष्ट्रीय संस्कृति का …

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सूक्ष्म शिक्षण, शिक्षण तकनीकी

प्रशिक्षित अप्रशिक्षित शिक्षक में अंतर

प्रशिक्षित अप्रशिक्षित शिक्षक – शिक्षक ही विद्यालय तथा शिक्षा पद्धति की प्रमुख गत्यात्मक सकती है परंतु यह भी सत्य है कि विद्यालय भवन, पाठ्यक्रम, पाठ्य सहगामी क्रियाएं, निर्देशन आदि सभी वस्तुएं शैक्षिक कार्यक्रम में महत्वपूर्ण स्थान रखती है। इन सबसे भी अधिक महत्वपूर्ण एक विषय है, शिक्षक का प्रशिक्षित होना क्योंकि शिक्षक ही आने वाली …

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old lady chatting

प्रौढ़ शिक्षा की समस्याएं – 3 Problems of Adult Education

प्रौढ़ शिक्षा की समस्याएं – प्रौढ़ शिक्षा निर्विवाद रूप से एक राष्ट्रीय आवश्यकता है। विकास का संबंध केवल कल कारखानों, बांधों और सड़कों से नहीं, इसका संबंध बुनियादी तौर पर लोगों के जीवन से है। इसका लक्ष्य है कि लोगों की भौतिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक उन्नति। मानवीय पक्ष तथा उससे जुड़ी हुई बातें सबसे महत्वपूर्ण …

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प्रौढ़ शिक्षा की आवश्यकता

प्रौढ़ शिक्षा की आवश्यकता – Requirement of Adult Education

प्रौढ़ शिक्षा की आवश्यकता – अशिक्षित मानव पशु के समान ही है, वर्तमान समय के सामाजिक आर्थिक राजनैतिक व्यवसाय तथा तकनीकी वातावरण में अपने को समायोजित करने के लिए तथा प्राकृतिक संपदा व वैज्ञानिक उपलब्धियों का अधिकतम सदुपयोग करने के लिए मानव का शिक्षित होना अत्यंत आवश्यक है। विभिन्न परिस्थितियों के कारण शिक्षा प्राप्त करने …

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प्रौढ़ शिक्षा अर्थ – Adult Education Meaning in Hindi

प्रौढ़ शिक्षा को भिन्न-भिन्न नामों से संबोधित किया जाता है। साक्षरता, समाज शिक्षा, जीवनपर्यंत शिक्षा, उद्देश्यपूर्ण शिक्षा, आधारभूत शिक्षा, द्वितीय अवसर की शिक्षा जैसे विभिन्न नामों से पुकारा जाता है। इन सभी नामों से प्रौढ़ शिक्षा नाम सर्वाधिक उपयुक्त प्रतीत होती है। भारत सरकार ने भी प्रौढ़ शिक्षा नाम को ही अपनाया है। अतः आगे …

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नीति आयोग, राष्ट्रीय साक्षरता मिशन

राष्ट्रीय साक्षरता मिशन परिस्थितियां महत्व व सफलता

पिछले कुछ वर्षों में प्रौढ़ शिक्षा तथा प्राथमिक शिक्षा को जन-जन तक पहुंचाने पर बल दिए जाने के बावजूद निरीक्षरो की संख्या में निरंतर वृद्धि होती जा रही है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि साक्षरता के प्रसिद्ध में सुधार हुआ है, परंतु निरक्षरो की संख्या विगत 30 वर्षों में डेढ़ गुनी से अधिक हो …

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मौलिक अधिकार

प्रौढ़ शिक्षा के उद्देश्य – 1. व्यक्तिगत 2. सामाजिक

प्रौढ़ शिक्षा के उद्देश्य उन प्रौढ व्‍यक्तियों को शैक्षिक विकल्‍प देना है। जिन्‍होंने यह अवसर गंवा दिया है और औपचारिक शिक्षा आयु को पार कर चुके हैं। लेकिन अब वे साक्षरता, आधारभूत शिक्षा, व्‍यावसायिक शिक्षा और इसी तरह की अन्‍य शिक्षा सहित किसी तरह के ज्ञान की आवश्‍यकता का अनुभव करते हैं। 2001 की जनगणना …

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प्रौढ़ शिक्षा की आवश्यकता

प्रौढ़ शिक्षा का क्षेत्र – 5 Areas of Adult Education

प्रौढ़ शिक्षा केवल साक्षर बनाने तथा साधारण गणित का ज्ञान देने तक सीमित नहीं है, प्रौढ़ शिक्षा का क्षेत्र व्यापक है। महात्मा गांधी जी के अनुसार, करोड़ों लोगों का निरीक्षण होना भारत के लिए अभिशाप है इससे मुक्ति पानी ही होगी। गांधीजी के जन्मदिन के 2 अक्टूबर 1978 को ‘राष्ट्रीय प्रौढ़ शिक्षा कार्यक्रम’ का शुभारम्भ …

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शिक्षा का राष्ट्रीयकरण

शिक्षा का राष्ट्रीयकरण आवश्यकता और महत्व

शिक्षा का राष्ट्रीयकरण – शिक्षा के संदर्भ में राष्ट्रीयकरण का अर्थ है ‘शिक्षा पर सरकार का पूर्ण नियंत्रण’। कुछ लोग शिक्षा के राष्ट्रीयकरण का अर्थ सरकारीकरण से लगाते हैं। दूसरे शब्दों में शिक्षा के राष्ट्रीयकरण का अभिप्राय शिक्षा के विभिन्न पहलुओं, पक्षों जैसे शिक्षा के स्वरूप एवं उद्देश्यों का निर्धारण, पाठ्यक्रम निर्माण, पाठ्य पुस्तकों का …

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कोठारी आयोग 1964 विशेषताएं मूल्यांकन दोष

कोठारी आयोग – शिक्षा के क्षेत्र में सुधार करने के लिए हमारे देश में जब भी किसी कमेटी अथवा आयोग का गठन किया जाता है तो इसका अभिप्राय यह ही लगाया जाता है कि इस क्षेत्र की लचर व्यवस्था के पुनर्गठन तथा मूल्यांकन के लिए ही इस प्रक्रिया को प्रारंभ किया गया है। स्वतंत्रता प्राप्ति …

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मैकाले का विवरण पत्र 1835, त्रिभाषा सूत्र, राज्य स्तर पर शैक्षिक प्रशासन

त्रिभाषा सूत्र के दोष, संशोधन व मूल्यांकन

त्रिभाषा सूत्र – मुदालियर आयोग ने भाषा के संबंध में जो द्विभाषा सूत्र का सुझाव दिया था। जिसमें अंग्रेजी भाषा की उपेक्षा की गई थीी। जिसका अंग्रेजी समर्थकों ने विरोध किया था और 15 वर्षों तक अंग्रेजी भाषा चलती रहने की बात को लेकर हिंदी समर्थकों ने अंग्रेजी का विरोध किया। इन परिस्थितियों में भाषा …

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किशोरावस्था अधिगम

मुदालियर आयोग 1952 – कार्य उद्देश्य व सुझाव माध्यमिक शिक्षा

मुदालियर आयोग 1952 – स्वतंत्रता प्राप्त करने के पश्चात यह आवश्यकता अनुभव की गई कि देश की माध्यमिक शिक्षा का अवश्य ही पुनर्मूल्यांकन होना चाहिए। इसलिए सन 1952 में एक आयोग की नियुक्ति हुई। इस आयोग ने अपनी रिपोर्ट सन् 1953 में प्रस्तुत की। इस आयोग के चेयरमैन डा• ए लक्ष्मणस्वामी मुदालियर थे। मुदालियर आयोग …

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विश्वविद्यालय शिक्षा आयोग

विश्वविद्यालय शिक्षा आयोग 1948 – Best उद्देश्य एवं सुझाव

विश्वविद्यालय शिक्षा आयोग ने भारतीय शिक्षा के गिरते हुए स्तर पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए उनमें प्रत्येक संभव उपाय के द्वारा सुधार करने के संबंध में अपने सुझाव दिए। उच्च शिक्षा के स्तर में वृद्धि करने के उद्देश्य से आयोग ने विश्वविद्यालय शिक्षा के स्तर की ओर ध्यान दिया। उनका मानना था कि हमारे …

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सार्जेण्ट रिपोर्ट 1944 कार्यक्षेत्र सिफारिशें गुण दोष प्रभाव

सार्जेण्ट रिपोर्ट 1944 भारतीय शिक्षा के इतिहास में बहुत महत्वपूर्ण है। इस रिपोर्ट को अनेक नामों से जाना जाता है। जैसे सार्जेण्ट रिपोर्ट, भारत में युद्धोत्तर शिक्षा विकास योजना एवं केंद्रीय शिक्षा सलाहकार योजना की रिपोर्ट आदि। दूसरे विश्व युद्ध के समाप्त होने के बाद भारत सरकार का ध्यान भारतीयों की दशा सुधारने के लिए …

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पुस्तकालय

बेसिक शिक्षा 1937 सिद्धांत विशेषताएँ पाठ्यक्रम उद्देश्य

बेसिक शिक्षा मूल रूप से व्यावहारिक होती है तथा बालक एक साथ कई विषयों का ज्ञान प्राप्त कर लेता है। बेसिक शिक्षा क्रियाओं तथा अनुभवों पर आधारित है इसीलिए इसका ज्ञान थोड़े से समय में ही हो जाता है। बालकों की शिक्षण व्यवस्था निम्न प्रकार होती है- बेसिक शिक्षा के मूल सिद्धांत बेसिक शिक्षा के …

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हण्टर आयोग 1882, सैडलर आयोग, शैक्षिक प्रबन्धन कार्य, वेदान्त दर्शन

सैडलर आयोग 1917 का प्रतिवेदन व 12 मुख्य विशेषताएँ

सैडलर आयोग – सन् 1913 के “शिक्षा संबंधी सरकारी प्रस्ताव” में प्राथमिक, माध्यमिक और उच्च शिक्षा की उन्नति एवं विस्तार के लिए अनेक बहुमूल्य विचार व्यक्त किए गए थे। किंतु इन विचारों को व्यावहारिक रूप प्रदान करने के लिए शिक्षाविदों की सहमति की आवश्यकता थी। अतएव शिक्षा आयोग की नियुक्ति का प्रस्ताव प्रस्तुत किया गया। …

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हण्टर आयोग 1882-83 के 5 उद्देश्य सुझाव व समीक्षा

हण्टर आयोग – लगभग सन् 1880 में ब्रिटिश प्रशासन को यह आवश्यकता अनुभव हुई की अब तक की शिक्षा की प्रगति का मूल्यांकन किया जाए तथा उत्पन्न हुए दोषों को किस प्रकार दूर किया जाए? इन उद्देश्यों की पूर्ति के लिए 1882 में हण्टर आयोग का गठन किया गया जो भारतीय शिक्षा आयोग के नाम …

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वैदिककालीन शिक्षा, उच्च शिक्षा के उद्देश्य,

लार्ड कर्जन की शिक्षा नीति 1904 – प्राथमिक शिक्षा सुझाव

लार्ड कर्जन की शिक्षा नीति को एक सरकारी प्रस्ताव के रूप में 11 मार्च 1904 को प्रकाशित कराया गया। प्रस्ताव में उस समय के भारतीय शिक्षा के विभिन्न 200 व कमियों का विश्लेषण किया गया उसके बाद सुधार हेतु सुझाव प्रस्तुत किए गए। प्रस्ताव में शिक्षा की नीति निम्न प्रकार से निर्धारित की गई। वुड …

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वुड का घोषणा पत्र, संप्रेषण,

वुड का घोषणा पत्र 1854 – मुख्य बिंदु व प्रभाव

वुड का घोषणा पत्र – 19 जुलाई 1854 को ईस्ट इंडिया कंपनी की ओर से एक नया शिक्षा संबंधी घोषणा पत्र आया। इस घोषणा पत्र को वुड का घोषणा पत्र कहा गया। इस घोषणा पत्र का मुख्य कारण भारतियों की शिक्षा सम्बंधी मांग थी। 1853 में कंपनी को ब्रिटिश सरकार की ओर से एक आज्ञा …

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मैकाले का विवरण पत्र 1835, त्रिभाषा सूत्र, राज्य स्तर पर शैक्षिक प्रशासन

एडम रिपोर्ट – प्रथम, द्वितीय व तृतीय एडम रिपोर्ट

एडम रिपोर्ट – एडम एक शिक्षाविद्, विद्वान एवं कर्तव्यनिष्ठ समाज सेवक थे। एडम का मानना था कि शिक्षा के द्वारा ही किसी भी समाज का विकास किया जा सकता है। तत्कालीन गवर्नर जनरल लॉर्ड विलियम बेंटिक ने एडम को बिहार तथा बंगाल में शिक्षा की स्थिति का सर्वेक्षण करने का कार्य दिया था। एडम रिपोर्ट …

एडम रिपोर्ट – प्रथम, द्वितीय व तृतीय एडम रिपोर्ट Read More »

वुड का घोषणा पत्र

लॉर्ड विलियम बैंटिक की शिक्षा नीति

बैंटिक की शिक्षा नीति – लॉर्ड विलियम बैंटिक ने मैकाले के विवरण पत्र में उल्लेखित किए गए उसके सभी विचारों का अनुमोदन किया। इस अनुमोदन के बाद 7 मार्च 1835 को एक नई विज्ञप्ति जारी की गई जिसमें उसने संस्कार की शिक्षा नीति को निम्न शब्दों में व्यक्त किया। शिक्षा के लिए निर्धारित धन का …

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वुड का घोषणा पत्र

मैकाले का विवरण पत्र 1835 – आलोचना व प्रभाव

मैकाले का विवरण पत्र 1835 – 10 जून 1834 को लॉर्ड मैकाले ने गवर्नर जनरल की काउंसिल के कानूनी सदस्य के रूप में भारत में पदार्पण किया। उस समय तक प्राच्य पाश्चात्य विवाद उग्रतम रूप धारण कर चुका था। बैंटिक को विश्वास था कि मैंकॉले जैसा प्रकांड विद्वान ही इस विवाद को समाप्त कर सकता …

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मुस्लिमकालीन शिक्षा, इस्लाम दर्शन

मुस्लिमकालीन शिक्षा – 7 उद्देश्य विशेषताएं व स्त्री शिक्षा

मुस्लिमकालीन शिक्षा, मध्यकालीन युग में अरब की सामाजिक तथा सांस्कृतिक नीतियों का प्रभाव भारत के समाज विशेषकर कला एवं संस्कृति पर पड़ा। इसी प्रभाव का असर हमारी तत्कालीन शिक्षा व्यवस्था पर भी पड़ा। इसके फलस्वरूप शिक्षा जगत भी प्रभावित हुए बिना न रह सका। 11वीं शताब्दी में मुस्लिम आक्रमणों की जो श्रंखला प्रारंभ हुई वह …

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