बाल विकास

बाल मनोविज्ञान क्या है? बाल विकास बाल विकास के सिद्धांत
विकास वृद्धि और विकास प्रकृति व अंतर मानव विकास की अवस्थाएं
मानव का शारीरिक विकास सृजनात्मकता शैशवावस्था में मानसिक विकास
बाल्यावस्था में मानसिक विकास शिक्षा मनोविज्ञान प्रगतिशील शिक्षा – 4 Top Objective
बाल केन्द्रित शिक्षा किशोरावस्था में सामाजिक विकास सामाजिक विकास
बाल विकास के क्षेत्र निरीक्षण विधि Observation Method विशिष्ट बालकों के प्रकार
समावेशी बालक प्रतिभाशाली बालक श्रवण विकलांगता
श्रवण विकलांगता समस्यात्मक बालक – 5 Top Qualities सृजनात्मक बालक Creative Child

कलात्मक मूल्य

अंतर्ज्ञान और तर्क से किसी भी समस्या का हल निकालें

अंतर्ज्ञान और तर्क पूर्वानुमान तथा समस्या को हल करने की दो महत्वपूर्ण विधियां हैं। यह दोनों विधियां संबंधित समस्या को हल करने में सहायक होती हैं। परंतु अंतर्ज्ञान विधि का प्रयोग हम दैनिक आधार पर आधारित समस्याओं को हल करने में करते हैं। तारीख को करने के लिए तर्क विधि का प्रयोग हम सर्वाधिक करते …

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Food and Nutrition

सृजनात्मक बालक Creative Child की 8 विशेषताएँ

सृजनात्मक बालक – सृजनात्मकता शब्द बांग्ला भाषा के क्रिएटिविटी शब्द का पर्यायवाची है। विधायकता, उत्पादकता, खोज, मौलिकता आदि सभी शब्द इसी के समान माने जाते हैं। सृजनात्मक बालकों से तात्पर्य उन बालकों से होता है जो मौलिक चिंतन के धनी होते हैं और जिनमें मौलिक रचना करने तथा मौलिक उत्पादन करने की क्षमता होती है। …

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पाठ्यपुस्तक विधि

समस्यात्मक बालक – 5 Top Qualities

समस्यात्मक बालक से हमारा तात्पर्य उन बालकों से है जो परिवार एवं कक्षा वह विद्यालय में भलीभांति से समस्याएं उत्पन्न करते हैं। ऐसे बालकों का व्यवहार सामान्य प्रकार के बालकों से भिन्न होता है। वह वातावरण के साथ अपने आप को समायोजित नहीं कर पाते हैं। ऐसे बच्चे अपने अध्यापकों के लिए समस्या बने रहते …

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श्रवण विकलांगता के कारण एवं 5 प्रकार

किसी व्यक्ति द्वारा पूरी तरह से आवाज सुनने में अक्षम होना श्रवण विकलांगता कहलाता है। यहां श्रवण तंत्रिका के अपर्याप्त विकास के कारण, श्रवण संस्थान की बीमारी या चोट लगने की वजह से हो सकता है। सुनना सामान्य वाक्य एवं भाषा के विकास के लिए सुनना यह प्रथम आवश्यकता है। बच्चा परिवार या आसपास के …

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प्रतिभाशाली बालक की परिभाषा व पहचान कैसे करें?

प्रतिभाशाली बालक वह है जो बच्चे सामान्य बच्चों से किसी भी प्रकार से अलग होते हुए विशिष्ट बच्चों की श्रेणी में आते हैं विशिष्ट बच्चे आपस में भी कई उप श्रेणियों में विभक्त होते हैं जिनमें मानसिक मंदित, समस्यात्मक, पिछड़े, चलन बाधित, प्रतिभाशाली। प्रायः उच्च बुद्धिलब्धि को प्रतिभाशाली का संकेत माना जाता है। अतः प्रतिभाशाली …

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पिछड़ा बालक

पिछड़ा बालक की पहचान व 8 New विशेषताएँ

जो छात्र निश्चित समय में निश्चित ज्ञान की प्राप्त करने में असफल रहते हैं। सामान्य छात्रों से पीछे रहते हैं। इन्हें पिछड़ा बालक के नाम से पुकारा जाता है। पिछड़े का शाब्दिक अर्थ है अपने कार्य में अपनी सामान्य साथियों से पीछे रह जाना। परंतु शिक्षा के संबंध में इसका अर्थ है कि छात्र जब …

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विशिष्ट बालकों के प्रकार

विशिष्ट बालकों के प्रकार

विशिष्ट बालकों के प्रकार – विशिष्ट बालक की अवधारणा यह है कि वह सामान्य होते हुए भी प्रायः असामान्य गुणों से युक्त होता है। व्यक्तिक भिन्नता ही विशिष्टता का आधार है। मनोवैज्ञानिकों ने यह अनुभव किया है कि कोई भी दो बालक एक दूसरे से भिन्न होते हैं। उनमें समानता के साथ-साथ कुछ बताएं होती …

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समावेशी बालक प्रकार पहचान व Top 5 विशेषताएँ

समावेशी बालक – अधिकांश बाधित बालक विद्यालय तथा समाज में बिना पहचाने रह जाते हैं। चाहे वह स्कूल जाते हैं अथवा नहीं इसके परिणाम स्वरूप में अपनी कार्यक्षमता हों तथा प्रतिभाओं का पूर्ण रूप से विकास नहीं कर पाते हैं। अतः ऐसे बालकों के लिए ऐसे अध्यापकों की आवश्यकता होती है कि वह बाधित बालकों …

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समावेशी बालक,

बाल विकास के क्षेत्र – Top 12 Area

बाल विकास के क्षेत्र – बाल विकास मनोविज्ञान की वह शाखा है जो गर्भाधान से लेकर मृत्यु पर्यंत तक होने वाले मनुष्य के विकास की विभिन्न अवस्थाओं में होने वाले परिवर्तनों का अध्ययन करता है।बाल विकास के द्वारा हम बाल मन और बाल व्यवहारों तथा बालक के विकास के रहस्य को भलीभांति समझ सकते हैं। …

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निरीक्षण विधि Observation Method

निरीक्षण विधि का उपयोग छोटे बच्चों और शिशुओं की समस्याओं के समाधान के लिए किया जाता है। बाल मनोविज्ञान के समस्याओं के अध्ययन में इस विधि का सर्वप्रथम उपयोग जर्मनी में हुआ। अमेरिका में वाटसन ने इस विधि का उपयोग बालकों के प्राथमिक संवेगो के अध्ययन में किया। निरीक्षण नेत्रों द्वारा सावधानी से किए गए …

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टोली शिक्षण

किशोरावस्था में सामाजिक विकास – 8 Top Best Qualities

किशोरावस्था में सामाजिक विकास – किशोरावस्था मनुष्य के जीवन का बसंतकाल माना गया है। उसमें सभी प्रकार के सौंदर्य की रुचि उत्पन्न होती है और बालक इसी समय नए नए और ऊँचे ऊँचे आदर्शों को अपनाता है। जो बालक किशोरावस्था में समाज सुधारक और नेतागिरी के स्वप्न देखते हैं, वे आगे चलकर इन बातों में …

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वृद्धि और विकास, सामाजिक विकास

सामाजिक विकास विशेषताएं व प्रभावित करने वाले कारक

सामाजिक विकास – मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। वह दूसरों के व्यवहार को प्रभावित करता है और उसके व्यवहार से प्रभावित होता है। इस परस्पर व्यवहार के व्यवस्थापन पर ही सामाजिक संबंध निर्भर होते हैं। इस परस्पर व्यवहार में रुचियों, अभिवश्त्तियों, आदतों आदि का बड़ा महत्व है। सामाजिक विकास में इन सभी का विकास सम्मिलित …

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प्रगतिशील शिक्षा – 4 Top Objective

जॉन डीवी का प्रगतिशील शिक्षा की अवधारणा के विकास में विशेष योगदान रहा है। जॉन डीवी संयुक्त राज्य अमेरिका के एक मनोवैज्ञानिक थे। इस शिक्षा की अवधारणा इस प्रकार है – शिक्षा का एकमात्र उद्देश्य बालक की शक्तियों का विकास है। बालक को प्रत्यक्ष रूप से उपदेश ना देकर उसे सामाजिक परिवेश दिया जाना चाहिए …

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बाल केन्द्रित शिक्षा के अंतर्गत पाठ्यक्रम का स्वरूप

बाल केन्द्रित शिक्षा के अंतर्गत विभिन्न शिक्षण विधियों को प्रयोग में लाया जाता है जो बालकों के सीखने की प्रक्रिया, महत्वपूर्ण कारक, लाभदायक या हानिकारक दशाएं, रुकावट, सीखने के वक्र तथा प्रशिक्षण इत्यादि तत्वों को सम्मिलित करती हैं तथा मनोवैज्ञानिक विश्लेषण पर आधारित होती है। बाल केंद्रित शिक्षा का शिक्षा मनोविज्ञान को दिया जाता है। …

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विकास परिभाषा विकास के 4 रूप व 3 नियम

विकास एक सार्वभौमिक प्रक्रिया है जो जन्म से लेकर जीवनपर्यन्त तक अविराम होता रहता है। विकास केवल शारीरिक वृद्धि की ओर ही संकेत नहीं करता बल्कि इसके अंतर्गत वह सभी शारीरिक, मानसिक, सामाजिक और संवेगात्मक परिवर्तन सम्मिलित रहते हैं, जो गर्भावस्था से लेकर मृत्युपर्यन्त तक निरंतर प्राणी में प्रकट होते रहते हैं। विकास केवल अभिवृद्धि …

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शिक्षा

शिक्षा मनोविज्ञान के उद्देश्य व महत्व – Education Psychology

शिक्षा मनोविज्ञान मनोविज्ञान की एक प्रयुक्त शाखा है। अर्थात मनोविज्ञान नियमों सिद्धांतों तथा तत्वों का उपयोग शिक्षा के क्षेत्र में करके बाल को एवं वयस्कों के सर्वांगीण विकास में मदद करता है। यह बालकों के मानसिक शारीरिक एवं नैतिक क्षमताओं को निर्धारित करके तदनुसार उचित शिक्षा की व्यवस्था करने में सहायता पहुंचाता है। साथ ही …

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सृजनात्मकता परिभाषा प्रकार परीक्षण सिद्धांत व विशेषताएँ

सृजनात्मकता मानवीय क्रियाकलाप की वह प्रक्रिया है जिसमे गुणगत रूप से नूतन भौतिक तथा आत्मिक मूल्यों का निर्माण किया जाता है। प्रकृति प्रदत्त भौतिक सामग्री में से तथा वस्तुगत जगत की नियमसंगतियों के संज्ञान के आधार पर समाज की विभिन्न आवश्यकताओं की पूर्ति करने वाले नये यथार्थ का निर्माण करने की मानव क्षमता ही सृजनात्मकता …

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बाल्यावस्था में मानसिक विकास

बाल्यावस्था में मानसिक विकास – 3 वर्ष से 12 वर्ष

बाल्यावस्था में मानसिक विकास शैशवावस्था की अपेक्षा काफी तेजी से होता है। मानसिक दृष्टि से परिपक्व व्यक्ति वह है जो बौद्धिक रूप से चरम सीमा तक पहुंच चुका है। बाल्यावस्था 3 वर्ष से 12 वर्ष की आयु तक को माना जाता है। बच्चों का मानसिक विकास न सिर्फ पढ़ाई-लिखाई से बेहतर होता है, बल्कि खेलने …

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सूक्ष्म शिक्षण की विशेषताएं

मानव विकास की अवस्थाएं – शैशवावस्था बाल्यावस्था किशोरावस्था

मानव विकास की अवस्थाएं हमको यह बताती है कि मानव का विकास किस अवस्था में कितना होता है। मानव विकास की अवस्था का अर्थ है “परिवर्तन की एक प्रगतिशील श्रृंखला जो परिपक्वता और अनुभव के परिणामस्वरूप एक क्रमिक रूप से अनुमानित पैटर्न में होती है।” मानव विकास, स्वास्थ्य भौतिक पर्यावरण से लेकर आर्थिक, सामाजिक और …

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शैशवावस्था विकास

मानव का शारीरिक विकास – शैशवावस्था तथा बाल्यावस्था

मानव का शारीरिक विकास मुख्य रूप से शैशवावस्था तथा बाल्यावस्था में ही हो जाता है। मानव विकास की मुख्य रूप से तीन अवस्थाएं हैं शैशवावस्था, बाल्यावस्था, किशोरावस्था। शारीरिक विकास की गति स्थिर नहीं होती, वरन् पृथक् आयु अंतराल में भिन्न होती है। मानव का शारीरिक विकास शारीरिक विकास से तात्पर्य, सामान्य शारीरिक रचना, शरीर की …

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बच्चा स्तनपान करता हुआ

शैशवावस्था में मानसिक विकास

शैशवावस्था में मानसिक विकास का मुख्य साधन ज्ञानेंद्रियों की क्षमता एवं गुणवत्ता का विकास होता है। इस विकास के अंतर्गत भाषा स्मृति तर्क चिंतन कल्पना निर्णय जैसी योग्यताओं को शामिल किया जाता है। नवजात शिशु का मस्तिष्क कोरे कागज के समान होता है। अनुभव के साथ साथ उसके ऊपर हर बात लिख दी जाती है। …

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बाल मनोविज्ञान परिभाषा, व्यवहार तकनीकी

बाल विकास के सिद्धांत – Principles of Child Development

बाल विकास के सिद्धांत – जब बालक विकास की एक अवस्था से दूसरे में प्रवेश करता है तब हम उस में कुछ परिवर्तन देखते हैं। अध्ययनों ने सिद्ध कर दिया है कि यह परिवर्तन निश्चित सिद्धांतों के अनुसार होते हैं। इन्हीं को बाल विकास का सिद्धांत कहा जाता है। बाल विकास के सिद्धांत बाल विकास …

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Bal Vikas

वृद्धि और विकास प्रकृति व अंतर

वृद्धि और विकास – वृद्धि को आमतौर पर मानव के शरीर के विभिन्न अंगों के विकास तथा उन अंगों की कार्य करने की क्षमता का विकास माना जाता है। जबकि विकास एक सार्वभौमिक प्रक्रिया है जो जन्म से लेकर जीवन पर्यंत तक अभिराम गति से चलती रहती है। विकास केवल शारीरिक वृद्धि की ओर संकेत …

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बाल विकास

बाल विकास क्षेत्र आवश्यकता महत्व Child Development

बाल विकास मनोविज्ञान की एक शाखा के रूप में विकसित हुआ है। इसके अंतर्गत बालकों के व्यवहार, स्थितियां समस्याओं तथा उन सभी कारणों का अध्ययन किया जाता है जिसका प्रभाव बालक के व्यवहार पर पड़ता है। बाल विकास बाल विकास विज्ञान की वह शाखा है जो बालक के व्यवहार का अध्ययन गर्भावस्था से मृत्यु पर्यंत …

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बाल मनोविज्ञान

बाल मनोविज्ञान क्या है? – Child Psychology Means in Hindi

बाल मनोविज्ञान का जन्मदाता दर्शनशास्त्र philosophy ही है। आज से कुछ वर्ष पूर्व मनोविज्ञान अलग विषय के रूप में विकसित नहीं था बल्कि यह दर्शनशास्त्र की ही एक शाखा के रूप में था। मनोविज्ञान अंग्रेजी भाषा के शब्द साइकोलॉजि psychology का हिंदी रूपांतरण है। साइकोलॉजी शब्द दो शब्दों के जोड़ से बना है अर्थात साइक …

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