अर्थशास्त्र

अर्थशास्त्र सामाजिक विज्ञान की वह शाखा है, जिसके अन्तर्गत वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादन, वितरण, विनिमय और उपभोग का अध्ययन किया जाता है। ‘अर्थशास्त्र’ शब्द संस्कृत शब्दों अर्थ (धन) और शास्त्र की संधि से बना है, जिसका शाब्दिक अर्थ है – ‘धन का अध्ययन’। किसी विषय के संबंध में मनुष्यों के कार्यो के क्रमबद्ध ज्ञान को उस विषय का शास्त्र कहते हैं, इसलिए अर्थशास्त्र में मनुष्यों के अर्थसंबंधी कार्यों का क्रमबद्ध ज्ञान होना आवश्यक है।

पूंजीवादी अर्थव्यवस्था 10 विशेषताए 8 लाभ 12 दोष

पूँजीवादी अर्थव्यवस्था प्रतियोगिता के आधार पर संगठित व्यवस्था है। इस व्यवस्था पर कीमत संयन्त्र का सम्पूर्ण नियन्त्रण होता है। अर्थव्यवस्था में उत्पादन के सम्पूर्ण साधनों पर व्यक्तियों अथवा व्यक्तिगत संस्थाओं का स्वामित्व होता है। इन साधनों का उपयोग वे निजी लाभ को अधिकाधिक बढ़ाने के लिए स्वतन्त्रतापूर्वक करते हैं। इस व्यवस्था में वस्तुओं के उत्पादन, …

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समाजवादी अर्थव्यवस्था परिभाषाएं 8 विशेषताएं 9 लाभ 8 दोष

समाजवादी अर्थव्यवस्था का प्रारम्भ सामान्यतः पिछली शताब्दी के प्रथम चरण में रॉबर्ट ओवन द्वारा प्रतिपादित फैक्ट्री सुधारों के साथ-साथ माना जाता है किन्तु इसे व्यवस्थित एवं वैज्ञानिक रूप सन् 1848 में कार्ल मार्क्स ने दिया। वर्तमान में समाजवाद अनेक भ्रान्तियों और विवादों के घेरे में है। विभिन्न विद्वानों ने इसे अपने-अपने दृष्टिकोण से अभिव्यक्ति दी …

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धरोहर के 6 प्रमुख रूप

“धरोहर” अपने आप में बहुत ही व्यापक भाव को आत्मसात किया हुआ महत्वपूर्ण शब्द है, जिसका शाब्दिक अर्थ है थाती। अर्थात् एक निश्चित समय तक संभाल कर या सहेज कर रखा गया, धन, जेवरात, जायदाद, दस्तावेज, भवन, स्मारक, ग्रंथ, संस्कार, रीति रिवाज आदि, जो आगामी पीढ़ी को “धरोहर” के रूप में प्राप्त होते हैं। किसी …

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रुपयों का हिसाब

भुगतान संतुलन की 5 विशेषताएं असंतुलन के कारण ठीक करने के उपाय

भुगतान संतुलन अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के आर्थिक लेन-देन या संव्यवहारों का लेखांकन है। यह विदेशों से प्राप्तियों व भुगतानों का विवरण-पत्र होता है। भुगतान संतुलन एक विवरण है जो एक वर्ष की अवधि में एक देश के कुल आयातों एवं निर्यातों के मूल्यों को बताता है। यह किसी देश का विश्व के अन्य देशों में होने …

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भारतीय अर्थव्यवस्था की विशेषताएं

FDI FPI में अन्तर

FDI FPI में अन्तर क्या है? अन्तर्राष्ट्रीय वित्तीय प्रवाह विकासशील और विकसित देशों के पूँजी बाजारों में एक प्रमुख भूमिका निभाता है। अन्तर्राष्ट्रीय वित्तीय प्रवाह के दो महत्वपूर्ण रूप हैं- प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (FPI) प्रत्यक्ष विदेशी निवेश और विदेशी पोर्टफोलियो निवेश किसी भी देश के आर्थिक विकास में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका …

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व्यक्ति

भारत का विदेशी व्यापार

भारत का विदेशी व्यापार – भारत प्राचीन काल से ही विभिन्न देशों से व्यापार करता आ रहा है। उस समय भारतवासी व्यापार करने के लिए अन्य देशों में जाया करते थे। आगे चलकर यूरोपवासियों को भारत के साथ व्यापार करने की लालसा उत्पन्न हुई जिसके कारण पुर्तगाल, हालैण्ड, फ्रांस व इंग्लैण्ड के लोगों को भारत …

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Coin Currency

भारत में आर्थिक असमानता के प्रभाव 9 कारण व दूर करने के उपाय

आर्थिक असमानता अथवा आय तथा सम्पत्ति के असमान वितरण से अभिप्राय अर्थव्यवस्था उन परिस्थितियों से है, जिसमें कि राष्ट्र के कुछ लोगों की आय, राष्ट्र की औसत आय से बहुत अधिक तथा अधिकाश लोगों की आय, राष्ट्र की औसत आय से बहुत कम होती है। आय तथा सम्पत्ति के असमान द्वितरण की समस्या का सम्बन्ध …

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समावेशी विकास

समावेशी विकास के तत्व आवश्यकता महत्व चुनौतियां

समावेशी विकास एक ऐसी अवधारणा है, जिसमें समाज के सभी लोगों को समान अवसरों के साथ विकास का लाभ भी समान रूप से प्राप्त हो, अर्थात सभी वर्ग, क्षेत्र, प्रान्त के व्यक्तियों का बिना भेदभाव, एक समान विकास के अवसरों के साथ-साथ होने वाले देश के विकास को समावेशी विकास कहा जाता है या हम …

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A girl in tension

भारत में शिक्षित बेरोजगारी के कारण व दूर करने के 15 सुझाव

शिक्षित बेरोजगारी – शिक्षा की सुविधायें तो बढ़ी हैं पर उपलब्ध नौकरियों की संख्या में उतनी अधिक वृद्धि नहीं हुई है। अब शिक्षित व्यक्तियों में यह विश्वास अधिक प्रचलित है कि चयन समिति के अधिकांश सदस्य भ्रष्ट और घूसखोर होते हैं, नियुक्तियों जातीयता या प्रान्तीयता के आधार पर की जाती है तथा अच्छी नौकरियाँ केवल …

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A girl in tension

बेरोजगारी परिभाषा प्रकार भारत में बेरोजगारी के 7 कारण व उपाय

बेरोजगारी (Unemployment) – जब कोई व्यक्ति किसी भी कार्य को करने की पूर्ण क्षमता व योग्यता रखता हो तथा कार्य करने का इच्छुक भी हो, किन्तु उसे कोई कार्य न मिले तो यह बेरोजगारी कहलाती है। भारतीय अर्थव्यस्था में बेरोजगारी की भीषण समस्या व्याप्त है क्योंकि भारत की जनसंख्या जिस अनुपात में बढ़ रही है, …

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जनांकिकी, क्षेत्रीय असमानता के कारण

क्षेत्रीय असमानता के कारण

क्षेत्रीय असमानता के कारण – भारत में असमानता अर्थात आय तथा सम्पत्ति में पाई जाने वाली असमानता का मुख्य कारण जमींदारी प्रथा तथा भूमि के स्वामित्व में पाई जाने वाली असमानता है। स्वतन्त्रता से पहले देश में जमींदारी प्रथा पाई जाती थी। इसके फलस्वरूप भू-स्वामित्व में सारी असमानता पाई जाती थी। क्षेत्रीय असमानता के कारण …

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क्षेत्रीय असमानता के कारण

भारत में असमानता के कारण

भारत में असमानता के कारण निम्नलिखित हैं- भूमि के स्वामित्व में असमानता शहरी क्षेत्रों में सम्पत्ति का निजी स्वामित्व विरासत का कानून व्यावसायिक प्रशिक्षण की असमानता महंगाई वित्तीय संस्थाओं की ऋण नीति अप्रत्यक्ष करों का अधिक बोझ भ्रष्टाचार वेरोजगारी कर चोरी 1. भूमि के स्वामित्व में असमानता भारत में असमानता अर्थात आय तथा सम्पत्ति में …

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