आन्तरिक अंकेक्षण अर्थ परिभाषा 4 विशेषताएं लाभ

आन्तरिक अंकेक्षण एक क्रमबद्ध प्रक्रिया है जिसके अन्तर्गत उपक्रम के खातों का उपक्रम के कर्मचारियों द्वारा परीक्षण किया जाता है। वे लेखाकार की भाँति कार्य करते हैं। आन्तरिक अंकेक्षक के लिए चार्टर्ड एकाउन्टेन्सी में डिग्री होना आवश्यक नहीं होता है। यह आन्तरिक निरीक्षण की एक तकनीक होती है। आन्तरिक अंकेक्षण को आन्तरिक निरीक्षण प्रणाली की प्रभावशीलता की जाँच तथा कम्पनी की नीतियों एवं प्रक्रियाओं के अनुपालन को सुनिश्चित करने के उद्देश्य से क्रियान्वित किया जाता है।

आन्तरिक अंकेक्षण

व्यावसायिक संस्थाएँ छल-कपट तथा हिसाब-किताब की गड़बड़ियों को रोकने हेतु अंकेक्षण स्टाफ की नियुक्ति करती हैं। यह वेतनभोगी कर्मचारियों द्वारा किया जाता है। सामान्य योग्यता वाले व्यक्ति भी इस कार्य पर लगाए जा सकते हैं। ये अंकेक्षक सार्वजनिक रूप से अंकेक्षण कार्य न करके केवल अपनी संस्था के लिए ही अंकेक्षण कार्य करते हैं। इस प्रकार यह कहा जा सकता है कि व्यावसायिक संस्था के हिसाब-किताब की समय-समय पर संस्था के कर्मचारियों द्वारा की जाने वाली जाँच ही यह है।

एक संस्था के हिसाब किताब की समय-समय पर उसके वेतन प्राप्त कर्मचारियों द्वारा की गई जांच आंतरिक अंकेक्षण कहलाती है। यह वेतन प्राप्त कर्मचारी योग्य अंकेक्षक की भांति होते हैं। इनका प्रबंध के कार्य में अधिक संबंध होता है। यह एक प्रहरी की भांति कार्य करता है। आंतरिक लेखा परीक्षक कंपनी के निदेशक मंडल द्वारा नियुक्त किया जाता है और आंतरिक लेखा परीक्षक का मुख्य कार्य आंतरिक नियंत्रण प्रणाली की पर्याप्तता और प्रभावशीलता की जांच करना है।

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आन्तरिक अंकेक्षण के उद्देश्य

आन्तरिक अंकेक्षण के उद्देश्य निम्नलिखित है

  1. यह सुनिश्चित करना कि नीतियों को समुचित रूप से क्रियान्वित किया जा रहा है।
  2. उन क्षेत्रों की ओर ध्यान आकृष्ट करना जहाँ प्रबन्ध वर्ग की नीतियों अनुचित हो।
  3. यह जाँच करना कि उपक्रम के नियंत्रण हेतु प्रबन्ध द्वारा प्रयोग की जाने वाली सूचनाएँ सही तथा उचित हैं।
  1. खाता पुस्तकों को अद्यतन बनाने हेतु इसे किया जाता है।
  2. आन्तरिक अंकेक्षण कर्मचारियों पर नैतिक दबाव डालने के लिए भी किया जाता है।
  3. यह कर्मचारियों की कार्यक्षमता बढ़ाने में सहायक होता है।
  4. इसका उद्देश्य उपक्रम की कार्यशीलता में प्रगति लाना भी होता है।
  5. इससे व्यवसाय की कार्यक्षमता में वृद्धि होती है।
  6. यह प्रबन्ध को सुझाव देता है।
आन्तरिक अंकेक्षण

आन्तरिक अंकेक्षण की परिभाषाएँ

आन्तरिक अंकेक्षण की परिभाषाएं निम्नलिखित हैं :

आन्तरिक अंकेक्षण एक कम्पनी या कम्पनियों के समूह की प्रशासनिक प्रणालियों एवं लेखाकन विधियों के सम्बन्ध में परीक्षण करने तथा रिपोर्ट देने की सतत् तथा क्रमबद्ध प्रक्रिया है। इसे कम्पनी के कर्मचारियों द्वारा संचालित किया जाता है।

ए० सी० स्मिथ के अनुसार

आन्तरिक अंकेक्षण, प्रबन्ध के लिए उत्पादन एवं रचनात्मक सेवा देने के आधार के रूप में लेखांकन, वित्तीयन एवं अन्य प्रचालनों के पुनर्विचारण हेतु एक संगठन के भीतर संचालित होने वाली स्वतन्त्र मूल्यांकन गतिविधि है। यह नियंत्रण की एक विधि है जो नियंत्रण की अन्य विधियों की प्रभावशीलता का मापन तथा मूल्यांकन का कार्य करती है। यह प्राथमिक रूप से लेखांकन तथा वित्तीयन मामलों से सम्बन्धित होती है परन्तु यह संचालनात्मक प्रकृति के मामलों में भी उचित प्रकार से संचालित हो सकती है।

आन्तरिक अंकेक्षक संस्थान के अनुसार
आन्तरिक अंकेक्षण

आन्तरिक अंकेक्षण की विशेषताएँ

आन्तरिक अंकेक्षण की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं –

  1. स्वतन्त्र व्यवस्था – यह एक स्वतन्त्र व्यवस्था है। यह व्यावसायिक उपक्रम में अत्यन्त महत्वपूर्ण होता है। यह कार्यात्मक निर्णय लेने में सहायक है। इसे कर्मचारियों द्वारा संचालित किया जाता है।
  1. निरन्तर प्रक्रिया – आन्तरिक अंकेक्षण एक सतत् प्रक्रिया है।
  2. लेखांकन तथा वित्तीय घटनाओं से सम्बन्धित होना – यह लेखांकन तथा वित्तीय घटनाओं से सम्बन्धित होता है। यह उपक्रम की कार्यात्मक घटनाओं से भी सम्बन्ध रखता है।
  1. अन्य विशेषताएँ ये निम्नलिखित हैं –
    • यह संव्यवहार करने के बाद किया जाता है।
    • यह स्वतन्त्र अंकेक्षण में सहायक है।
    • यह मूल्यांकन तथा जाँच से सम्बन्धित है।

आन्तरिक अंकेक्षण के लाभ

आर० से० वाल्ड्रान के अनुसार इसके लाभ निम्नलिखित है

  1. आन्तरिक अंकेक्षण प्रबन्ध वर्ग को सेवायें प्रदान करता है।
  2. यह आन्तरिक नियंत्रण की प्रभावशाली प्रणाली को सुनिश्चित करता है।
  3. यह व्यापार के खाते तथा विवरणपत्र तैयार करने के लिए विश्वसनीय आधार प्रस्तुत करता है।
  4. यह स्थापित प्रक्रिया तथा नीतियों के प्रचालन की पुष्टि करता है।
  5. यह प्रणाली, नियंत्रण तथा व्यवहार की कमजोरियों के सम्बन्ध में सूचनाएँ देता है।
  6. यह अकार्य क्षमता को बताता है।
  7. यह सुधार हेतु उपायों के सुझाव देता है।
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