व्यावसायिक पर्यावरण परिभाषा 6 विशेषताएं व भारत में महत्व

व्यावसायिक पर्यावरण दो शब्दों अर्थात व्यवसाय तथा पर्यावरण के योग से बना है। अतः इसे विधिवत समझने के लिए दोनों शब्दों के समुचित आशय को समझना आवश्यक है।

1. व्यवसाय अर्थ

अंग्रेजी भाषा का शब्द ‘बिजनेस’ (Business) ‘बिजी’ (busy) शब्द से बना है जिसका शाब्दिक अर्थ है ‘व्यस्त’ तथा ‘बिजनेस (business) का शाब्दिक अर्थ है ‘व्यस्तता’ अथवा ‘व्यस्त’ होने की स्थिति (state of being busy) | इस प्रकार ‘व्यवसाय’ शब्द का शाब्दिक अर्थ ‘व्यस्त रहने की स्थिति या अवस्था से है परन्तु सभी प्रकार की मानवीय व्यस्तता को व्यवसाय कहना उचित नहीं है। व्यवसाय को समझने के दृष्टिकोण से कार्यों को दो भागों में बाँटा जा सकता है आर्थिक कार्य, तथा अनार्थिक कार्य।

  • आर्थिक कार्य – आर्थिक कार्यों का उद्देश्य धन को कमाना या अर्जित करना होता है। इस प्रकार माल तथा सेवाओं का निर्माण, उत्पादन एवं वितरण करके मानवीय आवश्यकताओं को सन्तुष्ट करके लाभ द्वारा धनोपार्जन करना व्यवसाय है। ‘व्यावसायिक’ शब्द से आशय ‘व्यवसाय सम्बन्धी बातों से है जिसमें व्यापार, वाणिज्य, उद्योग व सेवा उद्योग शामिल है।
  • अनार्थिक कार्य – अनार्थिक कार्य निम्नलिखित हैं-
    • गृहणियों द्वारा घर के सदस्यों हेतु खाना पकाना
    • प्रार्थना करना
    • मुफ्त सामाजिक सेवा।

व्यवसाय परिभाषा

“व्यवसाय का तात्पर्य वाणिज्य एवं उद्योग के सम्पूर्ण जटिल क्षेत्र आधारभूत उद्योगों, प्राविधिक एवं निर्माणी उद्योगों तथा सहायक सेवाओं के वृहत् जाल वितरण, बैंकिंग, बीमा, यातायात आदि से है जो सम्पूर्ण व्यावसायिक जगत की सहायता करते हैं तथा उसमें अन्तर्व्याप्त है ।”

एफ. सी. हूपर के शब्दों में,

“व्यवसाय एक संस्था है, जो निजी लाभ की प्रेरणा के अधीन समाज को वस्तुएँ व सेवायें उपलब्ध कराने के लिए संगठित व संचालित की जाती है।”

ह्वीलर के अनुसार

“यह उन प्रविधियों का कुल योग हैं, जो वस्तुओं के विनिमय में व्यक्तियों (व्यापार), स्थान (यातायात एवं बीमा) तथा समय (भण्डार गृह) की बाधाओं को दूर करने में संलग्न होती है।”

जेम्स स्टीफेन्स के शब्दों में-

“व्यवसाय को एक ऐसी क्रिया के रूप में परिभाषित किया जा सकता है, जिसमें विभिन्न व्यक्ति किसी उपयोगी चीज का विनिमय पारस्परिक हितों अथवा लाभ के लिए करते हैं, चाहे वे वस्तुएँ हों अथवा सेवायें ।

पीटरसन तथा प्लाऊमैन

व्यवसाय जीविकोपार्जन का एक तरीका है।

मेल्विन एन्सेन के शब्दों में

व्यवसाय एक मानवीय क्रिया है जो वस्तुओं के क्रय-विक्रय द्वारा धन उत्पन्न करने अथवा प्राप्त करने हेतु की जाती है।

एल. एच. हैने के शब्दों में

व्यवसाय वस्तुओं के विनिमय पर आधारित होता है।

हैने के शब्दों में
व्यावसायिक पर्यावरण
व्यावसायिक पर्यावरण

2. पर्यावरण अर्थ

सामान्य रूप से पर्यावरण से आशय उन बाह्य संघटकों या तत्वों से है, जिनमें मनुष्य पैदा होता है तथा रहता है। पर्यावरण में देश, काल व परिस्थितियाँ शामिल होती है। वातावरण में फर्म के बाहर के घटक शामिल होते हैं, जो फर्म के लिए अवसर एवं खतरे पैदा करते हैं।

“पर्यावरण से आशय उन परिवर्ती परिस्थितियों, प्रभावों तथा शक्तियों से है जो सामाजिक तथा सांस्कृतिक दशाओं के समूहों के रूप में (जैसे- रीति-रिवाज, भाषा, कानून, धर्म तथा आर्थिक व राजनीतिक संगठन) किसी व्यक्ति अथवा समुदाय के जीवन को प्रभावित करती है।”

वेसटर के शब्दों में,

“यह उन समस्त बाह्य घटकों का योग है जिनके प्रति व्यवसाय अपने को अनावृत करता है तथा प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित होता है।”

रेनकी एवं शॉल के अनुसार,

“वातावरण में दबाव एवं नियन्त्रण होते हैं जो अधिकांशतः वैयक्तिक फर्म एवं इसके प्रबन्धकों के नियन्त्रण के बाहर होते हैं।”

रिचमैन तथा कोपन के अनुसार,

व्यावसायिक पर्यावरण का विश्लेषण करना किसी व्यवसाय के विविधीकरण व उन्नयन हेतु आवश्यक है। इस संदर्भ में फिलिप कोटलर का कथन है कि “पर्यावरण विश्लेषण का आशय उस प्रक्रिया से है जिसमें विश्लेषणकर्ता आर्थिक, सरकारी, वैधानिक, बाजार, प्रतिस्पर्धात्मक आपूर्तिकर्ता तकनीकी, भौगोलिक तथा सामाजिक तत्त्वों पर दृष्टि रखते हुए अपनी फर्म के लिए सुअवसर तथा आशंकाओं को सुनिश्चित करता है।

व्यावसायिक पर्यावरण

“शब्द ‘व्यवसाय’ तथा पर्यावरण’ की उपरोक्त विवेचना के आधार पर यह कहा जा सकता है कि व्यावसायिक पर्यावरण व्यवसाय के स्थान, व्यवसाय की वस्तुओं, प्राकृतिक संसाधनों, सिद्धान्तों, व्यवसायियों व ग्राहकों का एक संयोग है। यह बाहरी घटकों का समूह है जिसमें आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, कानूनी, जनसांख्यिक तथा प्राकृतिक तत्व शामिल होते हैं। ये घटक व्यवसाय को प्रभावित करते हैं।

व्यवसायिक पर्यावरण की विशेषताएं

व्यावसायिक पर्यावरण की प्रमुख विशेषतायें अग्रवत् है।

  1. व्यावसायिक पर्यावरण परिवर्तनशील होता है
  2. व्यावसायिक पर्यावरण के घटक व्यवसाय को सदैव घेरे रहते हैं।
  3. व्यावसायिक पर्यावरण व्यष्टि एवं समष्टि होता है।
  4. व्यावसायिक पर्यावरण में आर्थिक, सामाजिक-सांस्कृतिक, वैधानिक, सरकारी, य प्राकृतिक संसाधनों आदि को शामिल किया जाता है। जनांकिकीय
  5. व्यवसाय पर्यावरण में बाह्य तत्व अनियन्त्रणीय होते हैं। इन्हें व्यवसाय द्वारा नियंत्रित नहीं किया जा सकता है।
  6. व्यवसाय पर्यावरण का व्यवसाय पर प्रभाव पड़ता है। यह प्रभाव सकारात्मक या नकारात्मक हो सकता है।

व्यावसायिक पर्यावरण का भारत मे महत्त्व

वर्तमान समय में व्यावसायिक पर्यावरण के अध्ययन पर विशेष बल दिया जा रहा है। भारत में इसका महत्व निम्नवत है-

  1. व्यावसायिक सफलता – जापानी सरकार तथा कम्पनियों ने विश्व के सबसे आकर्षक बाजार की पहचान के लिए बहुत बड़ी मेहनत की है। उन्होंने ऐसे उद्योगों को प्राथमिकता दी है जिनके पास उच्च कोटि का कौशल है जिनमें मजूदरों की संख्या अधिक है तथा इलेक्ट्रॉनिक्स कैमरा, घड़ियों, मोटर साइकिल तथा दवाइयाँ जैसी वस्तुओं का चुनाव किया है। इसके साथ-साथ उन उत्पाद बाजारों को चुना है जहाँ पर सारे विश्व से एक ही डिजाइन की वस्तुयें क्रय करने के इच्छुक हों। व्यावसायिक सफलता के लिए फर्म तथा पर्यावरण के सम्बन्ध को पहचानना आवश्यक है।
  2. प्रबन्धकीय निर्णयों में सहायक – पर्यावरण विश्लेषण व अध्ययन प्रबन्धकीय निर्णयों में अत्यन्त सहायक होता है। इसमें विद्यमान अवसरों, समस्याओं, शक्तियों तथा समाधानों के विषय में जानकारी प्राप्त कर ली जाती है।
  3. व्यावसायिक उद्देश्य निर्धारित करना – पीटर एफ० ड्रकर के अनुसार, “व्यवसाय कैसा होगा ? पर्यावरण में कौन से परिवर्तन होते हैं ? आदि जैसे प्रश्न पर्यावरण से सम्बन्धित होते हैं, जो कम्पनी की विशेषता, उद्देश्य तथा मिशन पर प्रभाव डालते हैं और किस प्रकार हम सब उन्हें अपने व्यवसाय के सिद्धान्तों, रणनीति तथा कार्यभार में ढालने के योग्य होते हैं।”
  4. लाभ में वृद्धि करना – समुचित पर्यावरण व उचित उपाय करने से लाभ क्षमता में वृद्धि होती है।
  5. व्यवसाय में उन्नति करना – व्यवसाय को लाभ पर चलाते हुए उसका निरन्तर विस्तार होता है। पर्यावरण के आन्तरिक व बाहरी तत्वों की समय-समय पर जानकारी होने से व्यवसाय निरन्तर आगे बढ़ता जाता है।
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