विकास बैंक परिभाषाएं संरचना विकास बैंक के 5 कार्य

विकास बैंक के द्वारा उद्योगों को मध्य व दीर्घकालीन वित्त प्रदान किया जाता है। ये उद्यम वृत्ति को प्रोत्साहित करती हैं तथा तकनीकी व व्यावहारिक ज्ञान के विकास पर भी ध्यान देती है। इनके द्वारा उद्यमिता को बढ़ाने हेतु सलाहकारी सेवायें भी दी जाती हैं। इन बैंकों के द्वारा वित्तीय तथा विकास सम्बन्धी सेवायें एक साथ प्रदान की जाती है।

विकास बैंक की परिभाषाएं

विकास बैंकों को विभिन्न विद्वानों ने निम्नवत् परिभाषित किया है-

विकास बैंके सार्वजनिक अथवा निजी संस्थाएँ होती हैं. जो कि अपने एक मुख्य कार्य के रूप में औद्योगिक परियोजनाओं में मध्यमकालीन अथवा दीर्घकालीन विनियोग करती है।

बोस्की शिर्ले के अनुसार

इसके अन्तर्गत विभिन्न प्रकार की वित्तीय संस्थाएँ जो उद्योग अथवा कृषि को मध्यम व दीर्घकालीन वित्त प्रदान करती हों, तथा परियोजनाओं के निर्माण व सुधार हेतु तकनीकी व प्रबन्धकीय सलाह देती हों शामिल की जाती है।

सी. एस. वेंकटराव के शब्दों में

विकास Bank एक ऐसी संस्था होती है जो निर्जी क्षेत्र में उद्यम का प्रवर्तन करती है तथा वित्त उपलब्ध कराती है।

डायमण्ड विलियम के अनुसार

विकास बैंक एक वित्तीय मध्यस्थ होता है जो बैंक योग्य आर्थिक विकास परियोजनाओं हेतु मध्यम तथा दीर्घकालीन ऋण तथा उससे सम्बन्धित सेवायें उपलब्ध कराता है।

केनी जोसेफ के अनुसार

विकास बैंक की संगठनात्मक संरचना

हमारे देश में विकास बैंकों की संगठन संरचना में औद्योगिक क्षेत्र से सम्बन्धित विकास Bank एवं निगम, कृषि विकास से सम्बन्धित बैंक, विनियोग क्षेत्र से सम्बन्धित बैंक तथा अन्य विशिष्ट वित्तीय संस्थाएँ शामिल की जाती हैं।

  1. औद्योगिक क्षेत्र – औद्योगिक क्षेत्र की सहायता हेतु राष्ट्रीय एवं राज्यीय स्तर पर विकास बैंक एक निगम है जो कि निम्नलिखित हैं:
    • राष्ट्रीय स्तर पर –
      • भारतीय औद्योगिक विकास Bank
      • भारतीय औद्योगिक विनियोग बैंकें
      • भारतीय लघु उद्योग विकास Bank
      • भारतीय औद्योगिक साख एवं विनियोग निगम
      • भारतीय औद्योगिक वित्त निगम
    • राज्य स्तर पर –
      • राज्य वित्तीय निगम
      • राज्य औद्योगिक विकास निगम
  2. कृषि क्षेत्र – इस क्षेत्र में राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) को शामिल किया जाता है।
  3. विनियोग क्षेत्र – इस क्षेत्र की प्रमुख विकास बैंक निम्नलिखित हैं –
  4. विदेशी क्षेत्र – इस क्षेत्र में भारतीय निर्यात बैंक आता है।
  5. अन्य विशेष वित्तीय संस्थान – यह निम्नलिखित है-
    • आधारभूत संरचना पट्टेदारी एवं वित्तीय सेवा लिमिटेड
    • भारतीय पर्यटन वित्त निगम

विकास बैंक के कार्य

विकास बैंकों (औद्योगिकं बैंकों) के मुख्य कार्य निम्नलिखित हैं-

  1. प्रत्यक्ष सहायता देना – औद्योगिक विकास बैंकों के द्वारा विभिन्न औद्योगिक संस्थाओं को प्रत्यक्ष रूप से ऋण के रूप में वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। ये ऋण मध्यमकालीन एवं दीर्घकालीन हो सकते हैं।
  2. औद्योगिक ऋणों का पुनर्वित्तीयन करना – इनके द्वारा ऐसे ऋणों का भुगतान करने हेतु भी ऋण दिया जाता है, जो बैंकों तथा अन्य वित्तीय संस्थानों के द्वारा इन्हें दिये गये हों ।
  3. अंशों एवं ऋणपत्रों में अभिदान – ये विशिष्ट वित्तीय संस्थाओं द्वारा जारी किये गये अंशों तथा ऋणपत्रों में अभिदान करके उनकी सहायता करती हैं।
  4. अभिगोपन – ये भारतीय औद्योगिक वित्त निगम द्वारा ऐसे ऋणों की गारन्टी देती है जो औद्योगिक संस्थाओं द्वारा लिए गये हो।
  5. अन्य कार्य – उपरोक्त कार्यों के अतिरिक्त विकास बैंकों के अन्य कार्य निम्नलिखित हैं :
    • ऋण लेने वाले उद्योगों को तकनीकी जानकारी देना।
    • लीजिंग एवं मर्चेन्ट बैंकिंग के कार्य करना।
    • औद्योगिक इकाइयों द्वारा निर्मित या बेची गयी मशीनरी का बट्टा या पुनः बट्टा करना।
    • बीज पूँजी योजनाओं के अन्तर्गत, बीज पूँजी अथवा उदार ऋण उपलब्ध कराना।
    • लघु स्तर क्षेत्र की औद्योगिक इकाइयों हेतु पट्टेदारी, किराया क्रय का विपणन आदि में सहायता देना।
    • नवीन परियोजनाओं की उपयुक्तता का अध्ययन करना।
    • तकनीकी आर्थिक सर्वेक्षण करना।
    • भारतीय निर्यातकों व विदेशी आयातकों को दीर्घकालीन ऋण देना आदि।
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