राजा शूद्रक का चरित्र चित्रण

राजा शूद्रक का चरित्र चित्रण – राजा शूद्रक महाकवि वाण द्वारा रचित कादंबरी का प्रमुख पात्र है। कादंबरी में एक कल्पना पर आधारित 3 जन्मों की कथा को वर्णित किया गया है। शूद्रक पूर्व जन्म में राजा चंद्रापीड तथा चंद्रपीड पूर्व जन्म में स्वयं चंद्रमा थे।

शुकनास का चरित्रचित्रण

CSJMU BEd Semester IV Syllabus
राजा शूद्रक का चरित्र चित्रण

राजा शूद्रक का चरित्र चित्रण

राजा शूद्रक के चरित्र में अनेक विशेषताएं हैं –

  • महा विद्वान
  • महा प्रतापी राजा
  • कुशल शासक
  • श्रेष्ठ व्यक्तित्व
  • युवावस्था
  • समय पालक
  • जीतेंद्रीय एवं धैर्यवान

महा विद्वान

राजा शूद्रक महा पराक्रमी होते हुए अनेक शास्त्रों के ज्ञाता थे। उनका मंत्री भी विद्वान था। महाकवि बाण ने शूद्रक के विषय में लिखा है कि राजा शूद्रक वाणी में सरस्वती के समान तथा बुद्धि में बृहस्पति के समान थे।

महा प्रतापी राजा

राजा शूद्रक अत्यधिक प्रतापी राजा थे। सभी राजा उनका आदर करते थे। राजा शूद्रक पूरे भूमंडल का शासक था। वह इंद्र के समान था तथा बड़े बड़े आश्चर्य के कार्य करता था। इसी संबंध में महाकवि बाण लिखते हैं कि चक्रवर्तीलक्षणोंयेत: चक्रधरा इव कर कमलोय लक्ष्यमाण शंखचक्र लक्षण:।

राजा शूद्रक का चरित्र चित्रण
राजा शूद्रक का चरित्र चित्रण

कुशल शासक

राजा शूद्रक के राज्य में प्रजा अति सुखी थी। उसे किसी भी प्रकार का दुख नहीं था। समाचार वर्णों में विभक्त किंतु संगठित था। कहीं अपराध नहीं थे। स्त्री सम्मान था। कवि ने कहा है- यस्य च परलोकात् भयम विवाहेषु करग्रहणं तुरंड्गेषु कशाभिघात: मकरध्वजे चाप ध्वनिर भूत्।

श्रेष्ठ व्यक्तित्व

राजा शूद्रक व्यक्तित्व का धनी था। आंतरिक एवं बाह्य दोनों रूपों में उसका व्यक्तित्व श्रेष्ठ था। उसकी आंखें बड़ी थी। चौड़ा सीना, हाथी की सूंड के समान हो जाएं और चौड़े कंधे थे। माथा चौड़ा था वह मालती के पुष्पों का मुकुट धारण करता था तथा समय के अनुसार ही वस्त्रों को धारण करता था। यथा भोजन करते समय अलग वस्त्र पूजा के समय अलग एवं दरबार में अलग वस्तुओं का चुनाव करता था।

युवावस्था

राजा शूद्रक की अवस्था युवा थी। वहां अपने राज्य का भार कुशल मंत्रियों के हाथों में देकर वनिता सुख भोग करता था।

समय पालक

राजा शूद्रक समय का पालन अपने दैनिक कार्यों में भी करता था नियम संयम उसकी दिनचर्या में सम्मिलित थे।

राजा शूद्रक का चरित्र चित्रण

जितेंद्रिय एवं धैर्यवान

राजा शूद्रक जितेंद्र एवं धैर्यवान था। वह रूप का पारखी था किंतु रुप का लोभी नहीं था। चांडाल कन्या के सुंदर रूप की प्रशंसा करता था किंतु उसे पाने की इच्छा नहीं रखता था।

इस प्रकार राजा शूद्रक श्रेष्ठ नायक है। उसके चरित्र में देवत्वपूर्ण विशेषताएं हैं। धार्मिक प्रवृत्ति, विवेकी, वीर, पराक्रमी, कलाप्रेमी, शास्त्रज्ञ, तेजस्वी, शिवभक्त, दयालु, गुण पारखी आदि गुणों से युक्त है।

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