मातृभाषा ही शिक्षा का माध्यम क्यों?

मातृभाषा ही शिक्षा का माध्यम क्यों? – जहाँ तक शिक्षा के माध्यम की बात है लगभग सभी स्वतन्त्र देशों में शिक्षा का माध्यम वहाँ की मातृभाषाएँ ही हैं। जिन देशों में एक से अधिक मातृभाषाएँ हैं उन देशों में वहाँ की राष्ट्रभाषा को शिक्षा का माध्यम बनाया गया है। कुछ देश इसके अपवाद भी हैं। उनमें से एक हमारा देश भारत भी है।

भाषा के रूप, मातृभाषा ही शिक्षा का माध्यम क्यों?
मातृभाषा ही शिक्षा का माध्यम क्यों?

मातृभाषा ही शिक्षा का माध्यम क्यों?

जिन देशों की मातृभाषा और राष्ट्रभाषा एक ही है और वही वहाँ की शिक्षा का माध्यम है उन देशों में शिक्षा की प्रगति बहुत तेजी से हुई है और उन देशों ने अपना विकास भी तेजी से किया है। अतः किसी भी देश में किसी भी स्तर की शिक्षा का माध्यम मातृभाषा को ही बनाया जाना चाहिए। और जहाँ एक से अधिक समृद्ध भाषाएँ हो, वहाँ राष्ट्रभाषा को मातृभाषा को ही शिक्षा का माध्यम बनाने के पीछे निम्नलिखित तथ्य हैं-

  1. मातृभाषा अभिव्यक्ति एवं विचार-विनिमय का सरलतम साधन होती है और इस पर बच्चों का जन्मसिद्ध अधिकार होता है। इसके माध्यम से अध्ययन अध्यापन की क्रिया बड़े सरल और सहज रूप में चलती है।
  2. मातृभाषा और विचार में अटूट सम्बन्ध होता है। प्रत्येक बच्चा अपनी मातृभाषा में ही विचार करता है और उसी के माध्यम से विचारविनिमय करता है।
  3. मातृभाषा के माध्यम से अध्ययन करते समय बच्चों को स्वतन्त्र चिन्तन और स्वतन्त्र अभिव्यक्ति के अवसर मिलते हैं, उनके स्वतन्त्र व्यक्तित्व का विकास होता है, उनके व्यष्टित्त्व का विकास होता है।
  4. मातृभाषा के माध्यम से ही बच्चे सामाजिक व्यवहार करते हैं और उसी के माध्यम से सामाजिक अन्तः क्रिया करते हैं। शिक्षण प्रक्रिया में सामाजिक व्यवहार एवं सामाजिक अन्तः क्रिया दोनों का बड़ा महत्त्व होता है, इसलिए शिक्षा का माध्यम मातृभाषा ही होनी चाहिए।
  5. अपनी मातृभाषा के प्रति बच्चों में एक आदर-भाव होता है, माता और मातृभूमि के समान के मातृभाषा भी वन्दनीय होती है, उसके स्थान पर किसी अन्य भाषा को शिक्षा का माध्यम बनाने से बच्चों की भावना पर कुठाराघात होता है।
  6. मातृभाषा के साहित्य में जाति विशेष का इतिहास एवं संस्कृति छिपी होती है, बच्चों पर प्रारम्भ से ही उसके अमिट संस्कार होते हैं। मातृभाषा किसी समाज की संस्कृति का अंग होती है, कोई व्यक्ति उसके बिना समूह का सदस्य नहीं बन सकता।
  7. जब मातृभाषा शिक्षा का माध्यम होती है तो बच्चों को उसका प्रयोग बहुत अधिक करना पड़ता है. प्रयोग और अभ्यास से उन्हें अपनी मातृभाषा पर अधिकार होना स्वाभाविक है। और तब व्यक्ति एवं समाज के विकास को गति मिलना भी स्वाभाविक है। व्यक्ति और समाज, दोनों के विकास के लिए मातृभाषा को ही शिक्षा का माध्यम बनाना चाहिए।
भाषा परिभाषा प्रकृति महत्वभाषा के रूपमातृभाषा
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