बेसिक शिक्षा 1937 सिद्धांत विशेषताएँ पाठ्यक्रम उद्देश्य

बेसिक शिक्षा मूल रूप से व्यावहारिक होती है तथा बालक एक साथ कई विषयों का ज्ञान प्राप्त कर लेता है। बेसिक शिक्षा क्रियाओं तथा अनुभवों पर आधारित है इसीलिए इसका ज्ञान थोड़े से समय में ही हो जाता है। बालकों की शिक्षण व्यवस्था निम्न प्रकार होती है-

  1. सबसे पहले बच्चों को कहानी तथा बातचीत के माध्यम से मातृभाषा का ज्ञान कराया जाता है।
  2. मातृ भाषा का ज्ञान होने पर बच्चे पहले उसे पढ़ना तथा फिर लिखना सीखते हैं।
  3. पढ़ाई के साथ-साथ बालक किसी आधारभूत शिल्प का ज्ञान भी प्राप्त करते हैं।
  4. जैसे-जैसे बच्चा आगे की कक्षाओं में पहुंचता है वैसे ही उसे विभिन्न विषयों का ज्ञान भी प्राप्त होता रहता है।
  5. प्राकृतिक वातावरण, सामाजिक वातावरण तथा हस्तकला के माध्यम से अनेक विषयों का ज्ञान बालकों को कराया जाता है।
  6. बालक अपनी रूचि के अनुसार हस्तशिल्प का चयन करता है।
बेसिक शिक्षा
बेसिक शिक्षा

बेसिक शिक्षा के मूल सिद्धांत

बेसिक शिक्षा के प्रमुख सिद्धांत निम्न है-

  1. सबको शिक्षा – बेसिक शिक्षा का प्रथम व मूल सिद्धांत सभी लोगों को शिक्षा प्रदान करना है। अज्ञानता व शिक्षा को मिटाकर शिक्षा व ज्ञान का प्रकाश फैलाना इस शिक्षा का प्रथम कर्तव्य है।
  2. आत्मनिर्भरता – बेसिक शिक्षा में व्यवसायिक शिक्षा का समावेश करके यह प्रयास किया गया है कि बालकों को शिक्षा के साथ-साथ कोई हस्तशिल्प सिखा कर उन्हें आत्मनिर्भर बनाया जाए। इस प्रकार इस शिक्षा से बालकों को स्वावलंबी बनने की प्रेरणा भी प्रदान की जा सकती है।
  3. निशुल्क व अनिवार्य शिक्षा – बेसिक शिक्षा का एक प्रमुख लक्ष्य सभी बालकों को निशुल्क व अनिवार्य रूप से शिक्षा की व्यवस्था करना है। इस संबंध में हमारे संविधान में लिखा है कि जब तक सभी बच्चे 14 वर्ष की अवस्था को पूर्ण नहीं कर लेते तब तक राज्य उनको निशुल्क व अनिवार्य शिक्षा प्रदान करने का कार्य करेगा।
  4. समाज का विकास – बेसिक शिक्षा का प्रमुख सिद्धांत एक ऐसे समाज का विकास करना है जिसमें स्वार्थ शोषण नफरत घृणा के स्थान पर प्रेम अहिंसा स्नेह सहयोग तथा अहिंसा की भावना हो। इस प्रकार के समाज का निर्माण बुनियादी शिक्षा के माध्यम से ही हो सकता है।
  5. मातृभाषा का विकास – किसी विद्वान ने कहा है कि यदि किसी देश की संस्कृति का तथा समाज का विनाश करना है तो उसकी मातृभाषा का विनाश कर देना चाहिए। इसी बात से शिक्षा लेते हुए बेसिक शिक्षा में अंग्रेजी को कोई स्थान नहीं दिया गया तथा मातृभाषा को ही प्रमुखता दी गई है।
  6. श्रम का महत्व – बेसिक शिक्षा में श्रम का स्थान महत्वपूर्ण है तथा हस्तशिल्प से शारीरिक श्रम भी होता है। वह आय के साधन में भी वृद्धि होती है, गांधी जी ने कहा था कि बालक के शरीर के अंगो का विवेकपूर्ण प्रयोग उसके मस्तिष्क को विकसित करने की सर्वोत्तम विधि है।
हण्टर आयोग 1882, सैडलर आयोग

बेसिक शिक्षा की विशेषताएं

बेसिक शिक्षा की अनेक विशेषताएं हैं जिनमें से कुछ प्रमुख निम्न है-

  1. कक्षा 5 तक शिक्षा का पाठ्यक्रम सह शिक्षा के रूप में है।
  2. कक्षा 5 के बाद बालक व बालिकाओं की शिक्षा का प्रबंध अलग अलग है।
  3. छठी तथा सातवीं की कक्षाओं में बालिकाओं की गृह विज्ञान की शिक्षा आधारभूत शिल्प के स्थान पर मान्य हो सकती है।
  4. सातवीं तथा आठवीं की कक्षाओं के लिए संस्कृत, वाणिज्य, आधुनिक भारतीय साहित्य आदि विषय हैं।
  5. शिक्षा का माध्यम मातृभाषा है लेकिन राष्ट्रभाषा के रूप में हिंदी अनिवार्य है।
  6. पाठ्यक्रम का स्तर वर्तमान मौद्रिक के स्तर का है।
  7. पाठ्यक्रम में अंग्रेजी व धर्म का कोई स्थान नहीं है।

बेसिक शिक्षा की प्रशिक्षण विधि

  1. बेसिक शिक्षा संस्थानों में शिक्षा का तथा शिक्षक का महत्वपूर्ण स्थान होता है। जिन क्षेत्रों में विद्यालय स्थित होते हैं उसी क्षेत्र में व्यक्तियों को शिक्षक के रूप में नियुक्त किया जाता है। शिक्षक के द्वारा किसी बुनियादी शिल्प के माध्यम से ही शिक्षा दी जाती है तथा शिल्प के चुनाव में स्थानीय व भौगोलिक आवश्यकताओं का ध्यान रखा जाता है।
  2. बेसिक विद्यालयों में प्रशिक्षित शिक्षकों को ही नियुक्त की जाती है। इस प्रकार के विद्यालयों की सफलता शिक्षकों के ऊपर ही निर्भर करती है। अतः शिक्षकों को दो प्रकार के प्रशिक्षण की आवश्यकता होती है-
    • दीर्घकालीन प्रशिक्षण जो कि 3 वर्ष की अवधि का होता है।
    • अल्पकालीन प्रशिक्षण जोकि 1 वर्ष की अवधि का होता है।
मन्द बुद्धि बालक, बेसिक शिक्षा

बेसिक शिक्षा का पाठ्यक्रम

बेसिक शिक्षा का पाठ्यक्रम निम्न प्रकार है-

  1. आधारभूत कलाएं
    • कृषि
    • लकड़ी का कार्य
    • कताई बुनाई
    • चमड़े का काम
    • मिट्टी का काम
    • पुस्तक कला
    • मछली पालन
    • फूलों व सब्जियों की बागवानी
    • नौ ग्रह विज्ञान
    • स्थानीय वातावरण के अनुकूल कोई अन्य शिल्प
  2. मातृभाषा
  3. गणित
  4. सामाजिक अध्ययन
    • इतिहास
    • भूगोल
    • नागरिक शास्त्र
  5. सामान्य विज्ञान
    • प्रकृति अध्ययन
    • वनस्पति विज्ञान
    • जीव विज्ञान
    • रसायन विज्ञान
    • स्वास्थ्य विज्ञान
    • नक्षत्रों का ज्ञान
    • वैज्ञानिकों व अन्वेषणकर्ताओं के प्रेरक प्रसंग
  6. कला – संगीत व चित्रकला
  7. हिंदी – उन स्थानों के लिए जहां यह मातृभाषा नहीं है।
  8. शारीरिक शिक्षा – व्यायाम तथा खेलकूद।
समावेशी बालक, बेसिक शिक्षा

बेसिक शिक्षा के उद्देश्य

बेसिक शिक्षा के प्रमुख उद्देश्य निम्न प्रकार है-

आर्थिक उद्देश्य

बेसिक शिक्षा का प्रथम उद्देश्य बच्चों को शिक्षा प्राप्त करने के बाद किसी ना किसी व्यवसाय में दक्ष बनाना है। बालकों के द्वारा निर्मित की गई वस्तुएं विक्रय करके वे धन उपार्जन कर सकते हैं। इस संबंध में गांधी जी ने कहा था कि प्रत्येक बालक व बालिका को विद्यालय छोड़ने के बाद किसी व्यवसाय में लगाकर उसे आत्मनिर्भर बनाना चाहिए।

नैतिकता में वृद्धि

आज के समाज में नैतिकता का ह्रास दिन प्रतिदिन हो रहा है। बेसिक शिक्षा का एक प्रमुख उद्देश्य बालकों में नैतिकता की भावना का विकास करना व उसमें वृद्धि करना है। चरित्र निर्माण का प्रयास करने की भावना का किसी आयु वर्ग से कोई संबंध नहीं है। यह भावना स्वयं में हमारे अंदर आनी चाहिए। छात्रों को अपने चरित्र पर विशेष ध्यान देना चाहिए।

सांस्कृतिक भावना के प्रसार का उद्देश्य

वर्तमान शिक्षा प्रणाली में बालकों को अपनी संस्कृति व मूल्यों को भुलाकर पाश्चात्य सभ्यता व संस्कृत का पाठ पढ़ाया जा रहा है। इस कारण से आज के बच्चे अपनी संस्कृति से परिचित नहीं है। बेसिक शिक्षा में मातृभाषा और राष्ट्रभाषा के प्रयोग से सरल शब्दों में अपनी संस्कृति के गौरव को अध्यापक, छात्रों को समझाते हैं। अतः इस प्रकार हम देखते हैं कि बेसिक शिक्षा से बालक अपनी संस्कृति व मूल्यों की ओर आकर्षित हो सकते हैं।

बेसिक शिक्षा

नागरिकता का उद्देश्य

बेसिक शिक्षा बालकों को एक अच्छा नागरिक बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। बेसिक शिक्षा से बालकों को कर्तव्य पालन, परस्पर सहयोग, सदाचार, राष्ट्रभक्ति, श्रम का महत्व आदि गुणों से परिचय होता है। इस शिक्षा से लोकतंत्र प्रणाली में अपने कर्तव्य व दायित्वों को पूर्ण करने तथा उनका सही ढंग से पालन करने की सीख देती है।

शारीरिक, मानसिक, आध्यात्मिक विकास

वर्तमान शिक्षा प्रणाली केवल बालक के मानसिक विकास पर बल देती है जबकि बेसिक शिक्षा का उद्देश्य बालक की मानसिक उन्नति के साथ-साथ शारीरिक व आध्यात्मिक उन्नति करना भी है।

बेसिक शिक्षा की असफलता के कारण

सैद्धांतिक दृष्टि से बेसिक शिक्षा योजना आदर्श योजना मानी जा सकती है किंतु व्यवहारिक रूप से यह योजना पूर्णतः असफल रही है। इसकी असफलता के प्रमुख कारण निम्नलिखित थे।

1. योजना की व्यापकता का अभाव

बेसिक शिक्षा योजना को राष्ट्रीय योजना कहा जाता है किंतु यह केवल ग्रामीण तथा प्राथमिक स्तर के बालकों के लिए ही थी, शहरी तथा अन्य स्तर के बालकों के लिए नहीं।

2. उच्च शिक्षा के संबंध न होना

वर्धा शिक्षा पूर्णतः प्राथमिक स्तर के बालकों के लिए बनाई गई थी। इसके 7-14 वर्ष के ग्रामीण बालकों की आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर बनाई गई थी माध्यमिक शिक्षा तथा उच्च शिक्षा से संबंधित ना होने के कारण इसकी उपयोगिता डांसिंग अप्रासंगिक लगने लगी और इसे लागू न किया जा सका।

3. हस्त कौशलों पर अधिक बल

वर्धा शिक्षा योजना में हस्त कौशलों पर अधिक बल दिया गया इसे पाठ्यचार्य का केंद्रीय विषय बनाया गया और इसी के माध्यम से अन्य विषयों की शिक्षा देने पर बल दिया गया। स्कूलों समय 5 घंटे 30 मिनट में 3 घंटे 20 मिनट हस्त कौशलों के लिए निर्धारित किया गया। केवल हस्त कौशल के विकास के बालक का सर्वांगीण विकास नहीं किया जा सकता।

बेसिक शिक्षा

4. कच्चे माल का अपव्यय

बेसिक शिक्षा योजना में बालक को किसी कुटीर उद्योग की शिक्षा देने पर बल दिया गया था किंतु जिसकी शिक्षा विद्यालय में देने की व्यवस्था थी। किंतु छोटे-छोटे बच्चों से उत्पादन की आशा करना कोरी कल्पना का विषय है क्योंकि जो कुछ बच्चे विद्यालय में बनाना सीखेंगे वह उपयोग के लायक नहीं होता न उसे बाजार में बेचा जा सकता है। इस योजना में कच्चे माल की बर्बादी के अतिरिक्त कुछ भी हासिल ना होगा, अतः इसे सफलतापूर्वक लागू नहीं किया जा सका।

5. समय व श्रम का अपव्यय

प्राथमिक स्तर के बालकों को हस्त कौशलों में दक्षता प्रदान करना संभव नहीं है। इस योजना के द्वारा ना तो किसी बच्चे को किसी हस्त कौशल में दक्ष किया जा सका और न इसके द्वारा उत्पादित वस्तुओं को बाजार में विक्रय कर स्कूल का व्यय निकाला जा सका। इसमें कच्चे माल, समय तथा श्रम का अपव्यय ही हो रहा था।

6. शिक्षण विधि तथा अध्यापकों की अनुपलब्धता

बेसिक शिक्षा योजना की असफलता का सबसे प्रमुख कारण इसकी कोई विशेष शिक्षण विधि पाठ्यक्रम तथा शिक्षकों का ना होना था जिसके अभाव में या पूर्णत: असफल रही।

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