प्रचार अर्थ परिभाषा प्रचार के Top 5 साधन

प्रचार एक मनोवैज्ञानिक ढंग है जिसके माध्यम से व्यक्तियों या व्यक्तियों के समूह को एक पूर्व निर्धारित दिशा की ओर मोड़ने का प्रयास किया जाता है। आज चाहे कोई भी क्षेत्र हो। सर्वत्र प्रचार का महत्व है। प्रचार का कार्य क्षेत्र राजनीति ही नहीं रहा वरन् इसका प्रसार धार्मिक, आर्थिक सभी क्षेत्रों में हो गया है। प्रचार वह शक्तिशाली माध्यम है जिसके द्वारा लोगों के मन में किसी वस्तु या व्यक्ति के प्रति अच्छी या बुरी भावनायें उत्पन्न की जाती हैं।

प्रचार

‘प्रचार’ शब्द अंग्रेजी भाषा के (Propaganda) शब्द का हिन्दी अनुवाद है। प्रचार को विभिन्न विद्वानों ने इस प्रकार परिभाषित किया है

‘प्रचार व्यक्ति को बिना भेदभाव के तैयार निर्णय को स्वीकार करने को प्रेरित करता है।

हॉटर्न एवं हण्ट

‘प्रचार व्यक्ति या समूह द्वारा जनमत या अन्य किसी प्रकार की मनोवृत्तियों को प्रभावित करने का एक संगठित या व्यवस्थित प्रयत्न है।

अकोलकर

‘प्रचार अपने आप जन्म नहीं लेता, वरन् यह एक विवश उत्पत्ति है।

लम्ले

प्रचार के साधन

आज के प्रगतिशील समय में जिस तरह हर क्षेत्र में क्रान्ति हुई है। उसी तरह प्रचार के क्षेत्र में अभूतपूर्व क्रान्ति हुई है। पहले प्रचार के साधन सीमित हुआ करते थे किन्तु आज की परिस्थितियों सर्वथा भिन्न हैं, आज प्रचार के परम्परागत साधनों के साधनों के साथ-साथ टेलीविजन और इन्टरनेट भी प्रचार के महत्वपूर्ण साधन बन चुके हैं। प्रचार के विभिन्न साधन निम्नलिखित हैं-

1. रेडियो एवं टेलीविजन

आजादी के पूर्व रेडियो यदा-कदा ही पाये जाते थे किन्तु हाल के कुछ वर्षों मे रेडियो का प्रचलन काफी बढ़ गया है। आज खेतों में किसान भी रेडियो सुनते हुए पाये जाते हैं। इसके प्रचलन से प्रसार को नये आयाम मिले हैं। पहले मनोरंजन के लिए नाटक, नौटंकी ही हुआ करते थे, परन्तु रेडियो के प्रचलन से आम आदमी मनोरंजन के साथ-साथ विभिन्न सरकारी योजनाओं, वार्तालापों भाषणों आदि को सुन सकता है।

आज सरकार की विभिन्न योजनाओं एवं नीतियों का प्रचार रेडियो जैसे साधनों से हो रहा है। टेलीविजन ने तो प्रचार के क्षेत्र में क्रान्ति कर दी है। टेलीविजन घटनाओं के विवरण के साथ-साथ उनके सजीव प्रसारण को भी दिखा रहा है। इन साधनों की भूमिकाओं को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि ये प्रचार के अति महत्वपूर्ण साधन है। आप Hindibag पर पढ़ रहे हैं।

2. शिक्षा एवं शिक्षण संस्थायें

यह भी प्रचार के संबंध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। शिक्षण के माध्यम से अध्यापक अपने विचारों का प्रचार विद्यार्थियों में करते हैं। सरकार पाठ्य पुस्तक के माध्यम से देश की नीतियों, संस्कृति, योजनाओं एवं भावी कार्यक्रमों का प्रचार करती है।

3. मंच

पहले प्रचार के आधुनिक उपकरणों के न रहने पर, प्रचार का माध्यम अधिकांशतः मंच ही हुआ करते थे। मंच में श्रोता एवं वक्ता दोनों आमने-सामने होते हैं जिसका श्रोताओं पर तत्काल प्रभाव पड़ता है। मंच के माध्यम से नेतागण प्रभावपूर्ण तरीके से अपनी बात का प्रचार करते हैं। इसी तरह धार्मिक गतिविधियों को संचालित करने वाले धर्म गुरू भी अपने विचारों का प्रचार मंच के माध्यम से ही करते हैं।

4. सिनेमा

सिनेमा प्रचार का शक्तिशाली साधन है। इसका प्रयोग पढ़े लिखे अनपढ़ दोनों ही वर्गों पर किया जाता है। सिनेमा में समाज की ही घटनाओं को दिखाया जाता है। इस कारण इसका प्रभाव स्थायी होता है। सिनेमा मनोरंजन के साथ विचारों का भी प्रचार करता है। आज के औद्योगिक समय में व्यापारी वर्ग इसका बहुत लाभ उठा रहा है। इसके माध्यम से वह अभिनेता एवं अभिनेत्रियों के द्वारा अपने उत्पाद का प्रचार करवा रहा है।

5. समाचार-पत्र एवं पत्रिकायें

समाचार-पत्रों एवं पत्रिकाओं की प्रचार में महती भूमिका होती है। आज समाचार पत्रों के बिना किसी स्थान की कल्पना करना मुश्किल है। समाचार-पत्र आज की आवश्यक आवश्यकतायें बन गये हैं। इसके माध्यम से विभिन्न समाचारों को लिखित रूप में प्राप्त किया जा सकता है और उनका संकलन किया जा सकता है। इसी तरह विभिन्न पत्रिकायें भी विभिन्न विषयों पर अपने विचारों का प्रचार कर रही हैं। पत्र-पत्रिकाओं के द्वारा विभिन्न लेख, कहानी, नाटक एवं विचारों का प्रचार किया जाता है। समाचारों के महत्वपूर्ण अंशों को इसके प्रथम पृष्ठ पर छापा जाता है जो पाठकों पर अच्छा प्रभाव छोड़ते हैं।

Subscribe
Notify of
guest

0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments
×