चीन के वन 10 वनस्पतियां वन विनाश

चीन के वन – प्राकृतिक वनस्पति पर जलवायु और मिट्टी का प्रभाव सबसे अधिक पड़ता है। वर्तमान समय में केवल 14.3% भाग पर वन पाए जाते हैं। यहां की प्राकृतिक वनस्पति में वन, घास के मैदान तथा मरुस्थलीय झाड़ियों की प्रधानता है। यहां के उत्तरी पूर्वी भाग में सदाबहार वन, दक्षिणी पूर्वी भाग में मानसूनी पतझड़ वन, उत्तरी पश्चिमी भाग में शुष्क मरुस्थलीय वनस्पति, पर्वत श्रेणियों पर शीत कटिबंधीय वनस्पति तथा निम्न भागों पर दलदली वनस्पति पाई जाती है। यहां पर कठोर जलवायु वाले वनस्पतिहीन क्षेत्र भी हैं। इस प्रकार वनस्पति की विविधता के लिए निम्न भौगोलिक कारक उत्तरदाई है-

  1. अक्षांशीय स्थिति
  2. उच्चावच
  3. जलवायु
  4. विभिन्न प्रकार की मिट्टी
चीन के वन
चीन के वन

चीन के वन

चीन के सभी क्षेत्रों में वन विस्तार एक समान नहीं है। यहां के लगभग 1333 लाख हेक्टेयर भाग पर वन फैले हुए हैं। यहां जनसंख्या भार के कारण वनों को काटकर खेती के योग्य बनाया गया है। परिणाम के रूप में यहां बहुत कम वन रह गए हैं। यहां पर सबसे अधिक वनों के क्षेत्र सेचवान, हेलुंगकियांग तथा हुनान प्रदेशों में है।

प्रसिद्ध विद्वान जेम्स घोर ने चीन की प्राकृतिक वनस्पतियों को 10 भागों में बांटा हैं-

  1. नदी घाटियों की वनस्पति – भारत की तरह चीन में भी नदी घाटियां सबसे उपजाऊ क्षेत्र है। उत्तरी चीन के तटवर्ती इलाकों में चीड़, पापलर एवं बुइयो इत्यादि के वृक्ष पाए जाते हैं। डेल्टाई भाग में अबरोड्स वृक्ष की प्रधानता है।
  2. मरू क्षेत्र की वनस्पति– गोबी, ताकड़ा मकान, आर्डोस इत्यादि मरुस्थल में अनेक प्रकार की झाड़ियां एवं छोटी-छोटी घासें पाई जाती हैं। यह सभी वनस्पतियां शुष्क ऋतु के आने से पहले ही सूख जाती हैं।
  3. स्टेपी क्षेत्र की वनस्पति – मरुस्थलीय क्षेत्रों में केवल स्टेपी क्षेत्रों में ही सबसे अधिक वर्षा होती है। इसलिए इन क्षेत्रों में ऊंची एवं सघन घनी घास पाई जाती है।
  4. अर्द्ध शुष्क क्षेत्र की कटीली झाड़ियां – यह कटीली झाड़ियां शेन्शी व कान्शू प्रदेशों की लोयस मिट्टी के विस्तृत क्षेत्र में पाई जाती हैं। कहीं-कहीं पापलर, पाईन, सेडार एवं बुईयों के वृक्ष भी पाए जाते हैं।
  5. शुष्क पर्वतीय वनस्पति – यह वनस्पति कानसू प्रदेश के उत्तर पश्चिमी भाग में घास एवं छोटे वृक्ष मिश्रित रूप में पाए जाते हैं। 3000 मीटर से अधिक ऊंचे क्षेत्रों में पापलर, स्प्रूस एवं फर वृक्ष पाए जाते हैं।
चीन के वन
चीन के वन
  1. पठारी क्षेत्रों की वनस्पति – चीन के वन का यह क्षेत्र पहले वनों से आच्छादित थे। यहां पतझड़ वाले वन अधिक पाए जाते थे। इस क्षेत्र के दक्षिणी भाग में चौड़ी पत्ती वाले वृक्षों के जंगल पाए जाते हैं। वर्तमान समय में इस क्षेत्र के दक्षिणी भाग में स्थित पर्वती भाग पर चीड़ वृक्ष पाए जाते हैं।
  2. सेचवान प्रदेश के निचले क्षेत्र की वनस्पति – यहां के अधिकांश क्षेत्र कृषि योग्य हैं। यहां मुख्य रूप से साइप्रस, चीड़ एवं स्प्रूस वृक्षों के वन पाए जाते हैं। यहां पर चौड़ी पत्ती वाले सदाबहार वरगर के पेड़ हैं। कहीं-कहीं ओक के वृक्ष भी देखने को मिलते हैं।
  3. ऊंचे पर्वतों की वनस्पति – इस प्रकार की वनस्पति सेचवान प्रदेश एवं तिब्बत के पठार पर पाई जाती है। समतल युक्त पर्वतीय क्षेत्र में तून व तृण भूमि देखने को मिलती है।
  4. उपोषण क्षेत्र की वनस्पति – उष्ण वन में पाइन, चीन एवं बांस के वन मिलते हैं। यांग्टिसी नदी के दक्षिण में चौड़ी पत्ती वाले सदाबहार वन देखे जाते हैं।
  5. उष्ण मण्डलीय चौड़ी पत्ती वाले वृक्षों के वन – इस प्रकार के चीन के वन दक्षिणी चीन में पाए जाते हैं। इमेज चित्रों में इस प्रकार के वनों के साथ चीड़, बांस एवं पतझड़ वृक्ष मिश्रित रूप से पाए जाते हैं।

वन विनाश

चीन के निवासी वनों के विकास में सर्वज्ञ उदासीन रहते आए हैं। इसलिए चीन में प्राकृतिक वनस्पति का जितना विनाश हुआ है शायद विश्व के अन्य किसी देश में इतना नहीं हुआ है। चीन के वन की मात्रा में ह्रास होने के कारण मृदा अपरदन बहुत अधिक हुआ है। वनों के अविवेकपूर्ण कटाई के कारण ही प्राचीन काल की चीन की सभ्यताएं विलुप्त हो चुकी हैं। चीन में वन विनाश के निम्न कारण है-

चीन के वन
चीन के वन
  1. जनसंख्या वृद्धि – लगातार बढ़ती जनसंख्या के भरण-पोषण के लिए कृषि भूमि की मात्रा बढ़ाने के लिए वनों को काटा गया है।
  2. बाढ़ग्रस्त क्षेत्र – मैदानी क्षेत्रों में बाढ़ आने के कारण मिट्टी के सबसे ऊपर के स्तर का अपरदन होता है एवं उसके साथ वनस्पति की जड़े भी उखड़ जाती है। फिर उस जगह वहां की कॉप मिट्टी का एक नया स्तर जम जाता है। जिसके कारण वनस्पति का विकास जल्दी नहीं हो पाता है।
  3. ईंधन की कमी – चीन में ईंधन की कमी एक पुरानी समस्या है। ईधन की पूर्ति के लिए यहां वनों का विकास किया गया है। यातायात के साधनों के विकास में भी वनों को नष्ट किया गया है। इसके अतिरिक्त पहले सभी वन जमींदारों के नियंत्रण में थे। जमीदार लोग अपनी आय बढ़ाने के लिए वनों के वृक्षों को नष्ट करके लकड़ी बेच डालते थे।
  4. शिकार की प्रवृत्ति – सामंती युग में जमीदार लोग जंगली पशुओं के शिकार के लिए वनों में आग लगा देते थे। जिससे शिकार के साथ-साथ वनों का भी विनाश हो जाता है।
  5. जापान द्वारा वन संपदा का शोषण – बहुत समय तक चीन जापान के अधीन रहा। जापानी लोग अपने जीविकोपार्जन के लिए वन संपदा का शोषण विवेकहीन द्रष्टि से करते थे।

वन विनाश के दुष्परिणाम

चीन के वन विनाश के दुष्परिणाम निम्न है-

  1. पर्वतीय क्षेत्रों में वनों की कमी के कारण मृदा अपरदन तेजी से हो रहा है।
  2. वनों के विनाश के कारण नदियों में बाढ़े आ रही हैं। वन के अभाव में जल संचय एवं जल धारण के क्षेत्र समाप्त हो गए हैं। आता है वर्षा होने से नदियों में जल की मात्रा अधिक हो जाती है। जिससे अधिकांश भयंकर बाढ़ आती है।
  3. वृक्षों के अभाव में पर्यावरण प्रदूषण की समस्या बढ़ रही है।
  4. वनों की मात्रा में ह्रास होने के कारण ईंधन की समस्या बढ़ रही है।
चीन के वन
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इस प्रकार चीन में उन्हीं क्षेत्रों में वन अधिक पाए जाते हैं जहां मकान बनाना व खेती करना संभव नहीं है। अतः यहां वनों का विस्तार नहीं हो पा रहा है।

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