हिन्दी भाषा का विकास आरंभ में बहुत ही धीमी गति से हुआ। विश्व में लगभग 3000 से अधिक भाषाएं बोली जाती हैं। हिन्दी उनमें से एक है। हिंदी, भारोपीय शाखा के भारतीय ईरानी शाखा के भारतीय आर्य उपशाखा की एक भाषा है। हिंदी भाषा की उत्पत्ति, विकास, उपभाषा और बोलियों के बारे में संक्षिप्त जानकारी इस लेख में दी गई है।
हिन्दी भाषा की उत्पत्ति
हिन्दी की आदि जननी संस्कृत है। संस्कृत पालि, प्राकृत भाषा से होती हुई अपभ्रंश तक पहुंचती है। फिर अपभ्रंश से अवहट्ट से गुजरती हुई प्राचीन/प्रारंभिक हिंदी का रूप ले लेती है।

- प्राचीन भारतीय आर्य भाषा काल 1500 ई•पू• से 500 ई•पू• पूर्व तक माना गया है, इस अवधि में संस्कृत बोलचाल की भाषा थी।
- संस्कृत संस्कृत भाषा के दो रूप हैं-
- वैदिक संस्कृत
- लौकिक संस्कृत
- 500 ई•पू• से 1 ईसवी तक संस्कृत कालीन बोलचाल की भाषा परिवर्तित होकर पालि के रूप में विकसित हो गई। इसी अवधि में शौरसेनी, पैशाची, महाराष्ट्री, माघधी नामक क्षेत्रीय बोलियां विकसित हुई।
- आगे चलकर प्राकृत की विभिन्न बोलियां विकसित होती हुई अपभ्रंश की गोलियों के रूप में प्रस्तुत हुई।
अपभ्रंश
अपभ्रंश हिन्दी भाषा का विकास 500 ईसवी से लेकर 1000 ईसवी के मध्य हुआ इसमें साहित्य का आरंभ आठवीं सदी से हुआ जो 13वी सदी तक जारी रहा।
अपभ्रंश से आधुनिक भारतीय आर्य भाषाओं का विकास –
- शौरसेनी से पश्चिमी हिंदी, राजस्थानी, गुजराती आदि भाषाओं का विकास हुआ।
- अर्द्ध मागधी से पूर्वी हिंदी का विकास हुआ।
- मागधी से बिहारी, उड़िया, बांग्ला, असमिया का विकास हुआ।
- महाराष्ट्री से मराठी भाषा का विकास हुआ।
अवहट्ट
इसे परवर्ती अपभ्रंश भी कहा जाता है। अवहट्ट अपभ्रंश और आधुनिक भारतीय आर्य भाषाओं के बीच की संक्रमण कालीन भाषा है। इसका कालखंड 900 ई• से 1100 ई• तक निर्धारित किया जाता है।
प्राचीन/पुरानी/प्रारंभिक/आरंभिक/आदिकालीन हिन्दी
अपभ्रंश से अवहट्ट के बाद की भाषा प्राचीन हिन्दी काल कहा जाता है।

हिन्दी भाषा का विकास
हिंदी भाषा की उत्पत्ति मूलतः शौरसेनी अपभ्रंश से हुई है I हिन्दी की बोलियाँ और उन बोलियों की उपबोलियाँ हैं जो न केवल अपने में एक बड़ी परंपरा, इतिहास, सभ्यता को समेटे हुए हैं वरन स्वतंत्रता संग्राम, जनसंघर्ष, वर्तमान के बाजारवाद के खिलाफ भी उसका रचना संसार सचेत है। अपभ्रंश से विकसित भाषाओं से अन्य उप बोलियों का विकासक्रम भी निम्नानुसार है —
अपभ्रंश से विकसित होने वाली भाषाएं | बोलियां |
---|---|
पश्चिमी हिंदी | खड़ी बोली, कन्नौजी, बुंदेली, ब्रजभाषा, बांगरू (हरियाणवी) |
राजस्थानी | मेवाती (उत्तरी राजस्थान), मारवाड़ी (पश्चिमी राजस्थान ), ढूंढाडी (पूर्वी राजस्थान), मालवी (दक्षिणी राजस्थान) |
पहाड़ी | उत्तरी पश्चिमी पहाड़ी, मध्यवर्ती पहाड़ी, पूर्वी पहाड़ी |
बिहारी | मगही, मैथिली, भोजपुरी |
पूर्वी हिंदी | अवधि, बघेली, छत्तीसगढ़ी |

हिंदी भाषा की उपभाषा और बोलियाँ
हिंदी क्षेत्र में पांच उप भाषाएं हैं और उनकी अट्ठारह बोलिया सम्मिलित है I इन बोलियों के क्षेत्र निम्नानुसार हैं :
सूची – 1
सं. | बोलिया | क्षेत्र |
---|---|---|
1. | खड़ी बोली | खड़ी बोली का क्षेत्र मेरठ, मुजफ्फरपुर, बिजनौर, रामपुर, मुरादाबाद, देहरादून, सहारनपुर, दिल्ली है I इसका अन्य नाम कौरवी है I |
2. | ब्रजभाषा | आगरा, मथुरा, मैनपुरी, अलीगढ़, एटा, हाथरस, बदायूं, बरेली, धौलपुर जिले भाषा के क्षेत्र हैं I सर्वाधिक साहित्य सर्जन बृजभाषा में ही हुई है I हरियाणवी (बांगरू) हरियाणा व दिल्ली के देहाती भाग में हरियाणवी बोली जाती है I |
3. | कन्नौजी | इसका क्षेत्र फरुखाबाद, इटावा, शाहजहाँपुर, कानपुर, हरदोई, पीलीभीत है I |
4. | बुंदेली | झांसी, जालौन ,हमीरपुर ,ओरछा, सागर, नरसिंहपुर, सिवनी, होशंगाबाद इसके क्षेत्र हैं I यह बुंदेलखंड की बोली है I |
5. | अवधी | लखनऊ, बाराबंकी, सीतापुर, प्रतापगढ़, उन्नाव, रायबरेली, फतेहपुर, मिर्जापुर इसके क्षेत्र है I इसको कौसली नाम से भी जाना जाता है I |
6. | बघेली | इसके क्षेत्र रीवां, नागौद, शहडोल, सतना, मेहर है I इसका केंद्र रीवा है I |
7. | छत्तीसगढ़ी | कोरिया, बिलासपुर दुर्ग, नंदगांव, कांकेर, सरगुजा, रायपुर, रायगढ़ आदि क्षेत्र इसके अंतर्गत आते हैं I |
8. | भोजपुरी | इसका क्षेत्र बनारस, जौनपुर, मिर्जापुर, गाजीपुर, गोरखपुर, बलिया, देवरिया, आजमगढ़, बस्ती, शाहबाद, चंपारण, सारण है I |
9. | मगही | मगध शब्द से मगही विकसित हुआ है I पटना, गया, पलामू, हजारीबाग, मुंगेर, भागलपुर आदि क्षेत्रों में यह बोली बोली जाती है I |

सूची – 2
सं. | बोलिया | क्षेत्र |
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10. | मैथिली | दरबंगा, मुजफ्फरपुर, पूर्णिया, मुंगेर में बोली जाती है I |
11. | मारवाड़ी (पश्चिमी राजस्थानी) | जोधपुर, अजमेर, किशनगढ़, उदयपुर, गंगानगर, बाड़मेर, जैसलमेर, बीकानेर में बोली जाती है I |
12. | मेवाती (उत्तरी राजस्थानी) | अलवर ,भरतपुर, धौलपुर, सोहना, नूह, सिरका, फिरोजपुर, गुडगांव, करनाल में बोली जाती है I |
13. | जयपुरी (पूर्वी राजस्थानी) | जयपुर , दौसा, किशनगढ़, टोंक I इसे ढूंढाडी भी कहा जाता है I |
14. | मालवी (दक्षिणी राजस्थान) | इंदौर, उज्जैन, देवास, रतलाम, भोपाल में बोली जाती है I |
15. | पश्चिमी पहाड़ी (नेपाली) | यह बोली हिमाचल प्रदेश के शिमला, मंडी, चम्बा, सिरमौर, जौनसार में बोली जाती है I |
16. | गढ़वाली | यह गढ़वाल क्षेत्र में बोली जाती है I उत्तरकाशी, बद्रीनाथ, श्रीनगर में बोली जाती है I |
17. | कुमायूनी | उत्तरांचल का कुमायू क्षेत्र इस बोली का क्षेत्र है I नैनीताल, अल्मोड़ा, रानीखेत में यह बोली बोली जाती है I |