स्वोट विश्लेषण एक महत्वपूर्ण योजना उपकरण है जो विद्यालय प्रबन्धन की शक्तियों एवं कमजोरियों को जानने में मदद करता है। साथ ही किसी भी अवसर और संकटों को पहचान कर किसी विशिष्ट स्थिति को सुधारने के लिए उपयोग करता है। यह विद्यालय प्रबन्धन में सुधार के लिए एक अच्छा उपकरण है।
स्वोट (SWOT) एक संक्षिप्त शब्द है जिसके प्रत्येक अक्षर का अपना अर्थ है। स्वोट शक्ति, कमजोरियों, अवसरों तथा समस्याओं से मिलकर बना है-
S – शक्तियाँ (Strengths )
W – कमजोरियाँ (Weaknesses)
0 – अवसर (Opportunities)
T – संकट / समस्याएँ (Threats)
स्वोट विश्लेषण की परिभाषा
विद्यालय के उद्देश्यों को प्राप्त करने वाले साधनों का सकारात्मक प्रभाव विद्यालय की शक्तियाँ होती हैं। विद्यालय में शक्तियों का मतलब उसको सुचारु रूप से चलाने वाले घटक (उसका प्रबन्धन देखना, उसको चलाने के लिए समिति का निर्माण करना, धन की व्यवस्था करना आदि) से होता है। विद्यालय का संचालन करने में प्रबन्ध समिति का गठन किया जाता है। प्रबन्ध समिति ही यह निर्धारण करती है कि विद्यालय का पाठ्यक्रम कैसा होना चाहिए किस तरह के शिक्षकों की नियुक्ति की जानी चाहिए।
विद्यालय के उद्देश्यों को प्राप्त करने वाले कारकों का नकारात्मक प्रभाव विद्यालय की कमजोरियाँ होती है। ऐसी बाहरी कारक जो विद्यालय के उद्देश्यों को प्राप्त करने या उसके अधिक होने पर सकारात्मक प्रभाव डालने की सम्भावना के अवसर प्रदान करते हैं। ऐसे बाहरी कारक या परिस्थिति जो विद्यालय उद्देश्यों पर नकारात्मक प्रभाव डालते हैं या लक्ष्यों की प्राप्ति में बाधक (Threats) होते हैं। स्वोटस (SWOTs) की पहचान करना जरूरी है क्योंकि चयनित उद्देश्य की प्राप्ति के लिए योजना बनाने की प्रक्रिया में उत्तरगामी कदम स्वोटस (SWOTs) से प्राप्त किए जा सकते हैं।
स्वोट विश्लेषण की आवश्यकता
विद्यालय प्रबन्धन में इसके निम्नलिखित लाभ हैं-
- सक्रिय स्वैच्छिक समिति की योजना बनाने तथा कार्यों को व्यवस्थित करने के लिए।
- शिक्षक तथा छात्र को लचीला पाठयक्रम प्रदान करने के लिए।
- विद्यालय प्रबन्धन की असफलताओं के कारणों को समझने एवं उनके निवारण के लिए।
- शिक्षक अभिभावक संघ (पीटीए) की भागदारी सुनिश्चित करने के लिए।
- विद्यालय के सफल इतिहास को जानने के लिए।
- स्वोट विश्लेषण की आवश्यकता अति-कुशल शिक्षक की पहचान करने के लिए।
- विद्यालय प्रबन्धन में सुधार करने के लिए तथा अवसरों की पहचान करने के लिए।
- विद्यालय की वास्तविक स्थितियों का आंकलन करने के लिए।
- छात्र, शिक्षक एवं अन्य सदस्यों की समस्याओं पर विचार करने के लिए।




स्वोट विश्लेषण करने के तरीके
स्वोट विश्लेषण संगठनात्मक निदान की एक सहगामी प्रक्रिया होती है। स्वोट विश्लेषण का आयोजन टीम के रूप में किया जाता है। स्वोट विश्लेषण निम्न तरीकों से किया जा सकता है-
- बनाई गई टीम विद्यालय की शक्तियों एवं कमजोरियों के बारे में चर्चा करके प्रबन्धन में सुधार करती है। विश्लेषण टीम में प्रधानाचार्य, शिक्षक तथा विद्यालय प्रशासन के सदस्यों आदि को सम्मिलित किया जाता है ।
- विद्यालय प्रबन्धन का विश्लेषण स्वोट विश्लेषण प्रारूप का उपयोग करके किया जा सकता है। इस प्रारूप में विद्यालय की शक्तियों, कमजोरियों, अवसरों तथा संकटों से सम्बन्धित सीट होती है जिनमें चर्चा एवं सर्वसम्मति से आँकड़े निश्चित किए जाते हैं ।
- प्रश्नावली तथा परीक्षणों के माध्यम से एकत्रित किए गए डेटा पर स्वोट विश्लेषण बनाया जा सकता है। ये आँकड़े प्रबन्धन की शक्तियों एवं कमजोरियों के प्रति स्टाफ की अवधारणा क सामूहिक दृष्टिकोण दर्शाता है।
- स्वोट विश्लेषण से पूर्व विद्यालय प्रबन्धन स्वयं चर्चा करके विषय का चयन करता है कि इन विषयों पर अवसरों की उपलब्धता को बढ़ाने के लिए स्वोट विश्लेषण किया जाना चाहिए।
स्वोट विश्लेषण के लाभ
प्रबन्धन में स्वोट विश्लेषण के निम्नलिखित लाभ हैं-
- विद्यालय का सशक्तीकरण करता है।
- विद्यालय के उपलब्धि एवं प्रगति के अवसरों में बढ़ोत्तरी करता है ।
- प्रबन्धन की रणनीतियों को सुनिश्चित करने में सहयोग देता है।
- विद्यालय की कमियों को दूर करता है।
- यह रणनीतिक योजना के चयन में सहायता करता है।
- विद्यालय की समस्याओं एवं संकट का निवारण करने में सहयोग करता है ।