सॉफ्टवेयर अर्थ आवश्यकता व प्रकार

कम्प्यूटर सिस्टम सॉफ्टवेयर एवं हार्डवेयर दोनों से निर्मित होता है। हार्डवेयर भौतिक संघटकों को शामिल करता है जबकि सफ्टवेयर भौतिक संघटकों के संचालन के लिए प्रयुक्त होने वाले निर्देशों के सैट को सम्मिलित करता है।

सॉफ्टवेयर

सॉफ्टवेयर उन निर्देशों के सैट या समूह होते हैं जिनके माध्यम से कम्प्यूटर सिस्टम कार्य करता है। साफ्टवेयर के बिना कम्प्यूटर सिस्टम उसी प्रकार होगा जिस प्रकार आत्मा के बिना शरीर कम्प्यूटर एक मशीन है जिसे विभिन्न उद्देश्यों से प्रयोग किया जाता है इस प्रकार सॉफ्टवेयर द्वारा विभिन्न उद्देश्य प्राप्त किए जा सकते हैं।

सॉफ्टवेयर में दिए गए निर्देश सिस्टम से कार्य कराते हैं। प्रारम्भ में साफ्टवेयर कम्प्यूटर निर्माताओं द्वारा विकसित किए गए थे। परन्तु अब सॉफ्टवेयर शब्द का व्यापक अर्थ है इन दिनों विशिष्ट कम्पनियाँ सॉफ्टवेयर का विकास करती है। अब किसी व्यक्ति को साफ्टवेयर प्राप्त करने के लिए हार्डवेयर निर्माताओं पर निर्भर होने की आवश्यकता नहीं है।

सॉफ्टवेयर की आवश्यकता (Need of Software)

सॉफ्टवेयर की आवश्यकता निम्नलिखित कारणों से होती है-

  1. इनपुट/आउटपुट डिवाइस का उचित उपयोग करना।
  2. विभिन्न समस्याओं के समाधान के लिए विभिन्न प्रोग्रामों का विकास करना।
  3. प्रोग्रामों को ऐसी भाषा में परिवर्तित करना जिसे कम्प्यूटर द्वारा समझा जा सकता हो।
  4. मेमोरी का उपयोग करना।
  5. डाटा एवं सूचना का संचार करना।
  6. उपयोगकर्ता के लिए कम्प्यूटर का प्रभावशाली उपयोग करना। उपरोक्त सॉफ्टवेयर की आवश्यकताएँ है तथा दिन-प्रतिदिन साफ्टवेयर की आवश्यकताएँ बढ़ रही है।
  7. कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर के बिना कुछ भी नहीं कर सकता।

सिस्टम सॉफ्टवेयर

सिस्टम सॉफ्टवेयर कम्प्यूटर को चालू करने एवं चलाने के लिए आवश्यक मूल कार्य करता है। यह कम्प्यूटर की विभिन्न क्रियाओं एवं संसाधनों का नियंत्रण एवं निगरानी करता है तथा कम्प्यूटर द्वारा उपयोग किए जाने हेतु इन्हें और अधिक आसान एवं प्रभावशाली बनाता है। सिस्टम सॉफ्टवेयर को निम्नलिखित तीन वर्गों में बाँटा जा सकता है-

  1. सिस्टम कन्ट्रोल सॉफ्टवेयर (System Control Software) – ये ऐसे प्रोग्राम होते है जो सिस्टम के संसाधनों एवं कार्यों का प्रबन्धन करते हैं।
  2. सिस्टम सपोर्ट सॉफ्टवेयर (System Support Software) – ऐसे प्रोग्राम होते हैं जो विभिन्न अनुप्रयोगों के निष्पादन की सहायता करते हैं।
  3. सिस्टम डेवलपमेन्ट सॉफ्टवेयर (System Development Software) – ये वे प्रोग्राम होते हैं जो सूचना प्रणालियों की डिजायनिंग करने एवं उनका विकास करने में सिस्टम विकासकर्ताओं की सहायता करते हैं।

इस प्रकार सिस्टम सॉफ्टवेयर ऐसे सॉफ्टवेयर होते हैं जो कम्प्यूटर सिस्टम का नियंत्रण एवं नियमन करते हैं। प्रोग्राम जैसे डॉस, यूनिक्स, कम्पाइलर आदि को सिस्टम सॉफ्टवेयर में शामिल किया जाता है। ये सॉफ्टवेयर कम्प्यूटर निर्माताओं द्वारा उपलब्ध कराये जाते हैं। उपयोगकर्ता को सिस्टम सॉफ्टवेयर का उपयोग करने के सम्बन्ध में पूर्ण ज्ञान होना चाहिए। सिस्टम सॉफ्टवेयर को कम्प्यूटर विशेषज्ञों द्वारा बनाया जाता है।

ऑपरेटिंग सिस्टम, सॉफ्टवेयर

एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर

एप्लीकेशन प्रोग्राम या सॉफ्टवेयर एक ऐसा प्रोग्राम है जिसका निर्माण या लेखन उपयोगकर्ता द्वारा किसी कार्य विशेष को निष्पादित करने के लिए किया जाता है। सामान्य उद्देश्यीय एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर जैसे इलेक्ट्रानिक स्प्रेडशीट के अनुप्रयोग बहुत व्यापक होते हैं। विशिष्ट उद्देश्यीय एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर जैसे पेरोल एवं सेल्स एनालिसिस का उपयोग केवल उस अनुप्रयोग हेतु होता है जिसके लिए इसे डिजायन किया जाता है। इन प्रोग्रामों को एप्लीकेशन प्रोग्रामर लिखते हैं। सामान्यतया कम्प्यूटर उपयोगकर्ता एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर के साथ अन्तर्क्रिया करते हैं।

यूजर एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर सिस्टम सॉफ्टवेयर एवं कम्प्यूटर हार्डवेयर एप्लीकेशन तथा सिस्टम सॉफ्टवेयर यूजर तथा कम्प्यूटर हार्डवेयर के बीच एक ऑपरेटिंग सिस्टम के रूप में कार्य करते हैं। यदि यह सॉफ्टवेयर विद्यमान न हो तो बहुत कम लोग कम्प्यूटर हार्डवेयर का उपयोग कर पाएंगे। एप्लीकेशन एवं सिस्टम सॉफ्टवेयर के अधिक सक्षम बनने पर लोग कम्प्यूटर का उपयोग अधिक आसानी से कर सकते हैं।

सिस्टम सॉफ्टवेयर एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर के निष्पादन का नियंत्रण करता है तथा अन्य सहायता कार्य जैसे डाटा स्टोरेज का कार्य करता है। एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर बनाने के लिए भाषाएँ जैसे सी. बेसिक, फोरट्रान आदि उपयोग में लायी जाती है। ये सॉफ्टवेयर यूजर फ्रेण्डली होते हैं। कुछ एप्लीकेशन पैकेज इस प्रकार हैं – बड़े प्रोसेसर, स्प्रेडशीट, डाटाबेस मैनेजमेन्ट सिस्टम (DBMS), ग्राफिक्स, ब्राउजर, पर्सनल इन्फॉर्मेशन मैनेजर आदि।

सॉफ्टवेयर

यूजर डिफाइण्ड सॉफ्टवेयर

यदि पूर्व लिखित सॉफ्टवेयर पैकेज में से कोई भी संगठन की विशिष्ट आवश्यकताओं को पूरा नहीं करता तो संगठन अपनी आवश्यकताओं के लिए कस्टोमाइज्ड सॉफ्टवेयर पैकेज का विकास करना चुन सकता है। सभी सॉफ्टवेयर किसी व्यक्ति द्वारा विकसित किए जाने होते हैं। सॉफ्टवेयर का विकास करना तथा इसे उपयोग में लाना एक जटिल प्रक्रिया होती है तथा इसमें निम्नलिखित चरण होते हैं-

  1. हस्तस्थ समस्या का विश्लेषण करना, तथा समस्या के समाधान के लिए प्रोग्राम का नियोजन करना।
  2. प्रोग्राम को कूटबद्ध करना।
  3. प्रोग्राम का परीक्षण, दोषमार्जन एवं प्रपत्रीकरण करना।
  4. प्रोग्राम का क्रियान्वयन करना।
  5. प्रोग्राम का मूल्यांकन एवं रखरखाव करना।

ऐसे सॉफ्टवेयर में परिवर्तन करना ज्यादा आसान होता है। परन्तु इनके रखरखाव एवं प्रबन्ध हेतु समय, धन एवं संसाधनों की आवश्यकता होती है। यूजर-डिफाइण्ड सॉफ्टवेयर उन प्रोग्रामों का समूह होता है जो विशिष्ट समस्या का समाधान करता है अथवा विशिष्ट प्रकार का जॉब करता है। प्रोग्राम कम्प्यूटर द्वारा समझी जाने वाली भाषा में लिखे हुए निर्देशों का क्रम होता है। ये अनुप्रयोग विशिष्ट प्रोग्राम होते हैं क्योंकि ये उस विशिष्ट उपयोग हेतु वाँछित प्रोसेसिंग का निर्देशन करते हैं जिसे अन्तिम उपयोगकर्ता करना चाहते हैं।

इसे व्यक्तित्व, व्यावसायिक या वैज्ञानिक प्रोसेसिंग कार्यों हेतु भी उपयोग किया जा सकता है। एक ऐसा अन्तिम उपयोगकर्ता जो यूजर-डिफाइण्ड एप्लीकेशन पैकेज का उपयोग करने का इच्छुक होता है उसे अपनी आवश्यकताओं को उस ऑपरेटिंग सिस्टम से परिभाषित करना होता है जिसे वाँछित विशिष्ट परिणामों को उत्पन्न करने के लिए सिस्टम में यूजर-डिफाइण्ड प्रोग्रामों द्वारा उपयोग में लाया जाता है। इसे सामान्यतया उच्चस्तरीय भाषाओं में लिखा जाता है। ऐसा सॉफ्टवेयर ऑपरेटिंग सिस्टम के निर्देशन में कार्य करता है।

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