सुदूर पूर्व एशिया – एशिया महाद्वीप के पूर्णता पूर्व में स्थित देश सुदूर पूर्व देश कहलाते हैं। यह देश 21° उत्तरी से 54° उत्तरी अक्षांश तक और 74° पूर्व से 146° पूर्वी देशांतर के मध्य स्थित है। सुदूर पूर्व शब्दावली का प्रयोग सर्वप्रथम सपेट महोदय ने किया है। इसी भू-भाग का जिन्सबर्ग महोदय ने पूर्वी एशिया नामकरण किया है। एशिया महाद्वीप के प्रादेशिक खण्डों में पूर्वी एशिया एक विशिष्ट भौगोलिक खण्ड है। विश्व का सर्वाधिक जनसंख्या वाला देश चीन इसी भाग में स्थित है।

सुदूर पूर्व एशिया
सुदूर पूर्व एशिया के अंतर्गत चीन, जापान, उत्तरी व दक्षिणी कोरिया, ताइवान और मंगोलिया देश आते हैं। इनका क्षेत्रफल लगभग 117 वर्ग किलोमीटर है।विश्व की लगभग एक चौथाई जनसंख्या पूर्वी एशिया में ही रहती है। पूर्वी एशिया में स्थित चीन और जापान ने तेजी से आर्थिक प्रगति कर के आर्थिक जगत में अपना विशिष्ट स्थान बना लिया है। वर्तमान समय में जापान विश्व के प्रमुख विकसित औद्योगिक देशों में से एक देश है।
स्पेट महोदय ने सुदूर पूर्व एशिया का प्रयोग पूर्वी एशिया महाद्वीप के पूर्वी भाग के लिए किया है। सुदूर पूर्व देशों के लोगों में कृषि पद्धति, कृषि प्रकार, परिवार प्रणाली, परंपराओं तथा रीति-रिवाजों में समानता देखने को मिलती है। यहां के लोग एक विशिष्ट सांस्कृतिक बंधन में बंधे होते हैं।
1830 से पहले संपूर्ण एशिया पर चीनी साम्राज्य था। 1868 के पश्चात प्रथम विश्व युद्ध तक जापान ने अपना प्रभुत्व रखा। द्वितीय विश्व युद्ध तक यांगटिसीक्यांग घाटी एवं तिब्बत पर ग्रेट ब्रिटेन का तथा दक्षिणी चीन पर फ्रांस का अधिकार था। सन 1949 में स्वतंत्रता प्राप्त करने के पश्चात चीन में साम्यवादी शासन की स्थापना हुई।

सुदूर पूर्व एशिया – भौगोलिक परिवेश
पूर्वी एशिया भूगर्भिक हलचलों का क्रीडांगन कर रहा है। इसके अधिकांश भाग पर्वतों तथा पठारों का विस्तार है। पर्वतों के बीच अनेक अन्तपर्वतीय पठार पाए जाते हैं। निचले भागों में नदियों द्वारा अवसरों के निक्षेप से निमित्त अनेक छोटे-बड़े मैदान मिलते हैं। इसके पूर्वी भाग में अनेक द्वीप एवं द्वीप समूह पाए जाते हैं। सुदूर पूर्व एशिया को निम्नलिखित भौगोलिक प्रदेशों में बांटा गया है।
- पर्वत श्रेणियां
- पठारी प्रदेश
- जलोढ़ मैदान
- द्विपीय श्रंखला
सुदूर पूर्व एशिया – ऐतिहासिक परिवेश
सुदूर पूर्व प्रदेश पश्चिमी देशों के राजनीतिक, आर्थिक या सांस्कृतिक प्रभाव में नहीं रहे हैं। इसका प्रमुख कारण पूर्वी एशियाई देशों की भौगोलिक स्थिति है। पश्चिमी देशों से यह प्रदेश सामुद्रिक मार्ग से अपेक्षाकृत दूर पड़ते थे। वस्तुतः इसी कारण से इस प्रदेश को सुदूर पूर्व देश की संज्ञा दी गई।
सुदूर पूर्व एशिया – प्राकृतिक संसाधन
प्राकृतिक सुदूर पूर्व प्रदेश में अधिक उदार नहीं है। यहां के विकास में मानवीय शक्ति ही सर्जक है। क्षेत्रफल, जनसंख्या, कृषि, खनिज, औद्योगिक संसाधनों तथा तकनीकी आदि की दृष्टि से ये प्रदेश दक्षिण एशिया और दक्षिणी पूर्वी एशिया से अधिक संपन्न है। जापान ने औद्योगिक विकास में कीर्तिमान स्थापित किया है।
सुदूर पूर्व एशिया की प्रमुख नदियां
सुदूर पूर्व देशों की प्रवाह प्रणाली में चीन और जापान देशों में प्रवाहित होने वाली नदियों के अपवाह तंत्र को सम्मिलित किया गया है।
चीन की नदियां
चीन के भूभाग पर अनेक नदियां प्रवाहित होती हैं। चीन की प्रवाह प्रणाली को मुख्य दो वर्गों में बांटा गया है –
प्रशांत महासागरीय अपवाह
इसके अंतर्गत हीलुंग कियांग, सुंगारी, यालू, लियोहो, ह्वांगहो, यांग्टिसीक्यांग और सीक्यांग नदिया पश्चिम से पूरब की ओर प्रवाहित होती हुई प्रशांत सागर में गिरती हैं।
आंतरिक प्रवाह
पश्चिमी तथा उत्तर पश्चिमी चीन की नदियां सभी ओर से ऊंचे धरातल से घिरे होने के कारण भीतरी भागों के बेसिन में विलीन हो जाती है। इसका उदाहरण चित्र तारिम नदी व जल गृहण क्षेत्र तारिम बेसिन है।

जापान की नदियां
जापान की नदियां मध्यवर्ती पहाड़ियों से निकलकर प्रपात बनाती हुई नीचे उतरती है और सागर में मिल जाती हैं। जापान के अपवाह को भी दो भागों में बांटा गया है-
प्रशांत महासागरीय अपवाह
इसके अंतर्गत कीसो, फ्यूजी, कितांकाई, ओहई, अबूकमा, येनकिनो, योशोना, मीना, सागमी, ओबरु आदि प्रमुख नदियां पूर्व की ओर बहती हुई प्रशांत महासागर में गिरती है।
जापान सागरीय अपवाह
इसके अंतर्गत मोगामी, शिनानो कुरोबी, अगानो, जिन्तमू, हाइम तितोरी आदि नदियां मध्यवर्ती पर्वत श्रेणियों से निकलकर पश्चिम की ओर प्रवाहित होकर जापान सागर में गिरती है। जापान की सबसे बड़ी नदी शिनानो है।
