समामेलित नियोजन

समामेलित नियोजन संगठन के निर्धारण तथा कार्य रीति के निर्माण एवं कार्य योजना से सम्बन्ध रखता है। समामेलित नियोजन, सामान्य नियोजन का भाग है। यह दीर्घकालीन रणनीति के अन्तर्गत तैयार किया जाता है। भावी विकास योजनाएँ, उद्देश्य सामान्य नीति तथा लक्ष्य आदि तैयार किये जाते हैं।

हसे के अनुसार, “समामेलित नियोजन में लक्ष्यों का निर्धारण तथा कार्य, लोगों और प्रणालियों का संगठन सम्मिलित है ताकि निर्धारित लक्ष्यों को प्राप्त किया जा सके. नियोजन प्रक्रिया तथा नियोजन के द्वारा अभिप्रेरित किया जाता है, कार्य निष्पादन का माप किया इसमें जाता है, इसमें नियोजन की प्रगति को नियंत्रित किया जाता है तथा लोगों को श्रेष्ठ निर्णय लेने, स्पष्ट उद्देश्यों, अधिक भागीदारी तथा प्रगति की जानकारी करने के लिए विकसित किया जाता है।” यह परिभाषा काफी व्यापक है जिसमें प्रबन्ध के कई कार्यों को लाया गया है।

समामेलित नियोजन समदन के मुख्य उदेश्य निर्धारित करने तथा इन उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए नीतियों एवं रणनीतिया बनाने की प्रक्रिया है ताकि संतानों की प्राप्ति,प्रयोग तथा बंटवारे को नियंत्रित किया जा सके।

स्टेनियर के अनुसार

दीर्घकालीन नियोजन यह प्रक्रिया है जो भविष्य को ध्यान में रखते हुए वर्तमान निर्णयों का मार्गदर्शन करती है तथा यह भावी निर्णयों को शीघ्रता, मितव्ययिता तथा न्यूनतम अवरोधों से लेने का साधन है।

वारेन के अनुसार

समामेलित नियोजन की विशेषताएं

समामेलित नियोजन की विशेषताएं है-

  1. औपचारिक प्रक्रिया  समामेलित निकेजन एक औपचारिक प्रक्रिया है। इसके कारण, समामेलित नियोजन उद्देश्यों का निर्धारण तथा कार्यनीतियों योजनाओं तथा नीतियों के निर्धारण को आवश्यक बनाता है।
  2. दीर्घकालीन नियोजन समामेलित नियोजन, दीर्घकालिक नियोजन है।
  3. अधिक विनियोग होना  रामामेलित नियोजन एक दीर्घकालिक नियोजन है। इसलिए इस प्रकार के नियोजन हेतु भारी विनियोग की आवश्यकता होत है। इसमें लाभ लम्बे समय बाद प्राप्त होता है।
  4. क्रमबद्ध प्रक्रिया  समामेलित नियोजन एक प्रक्रिया है। यह एक तार्किक प्रक्रिया है।
  5. अन्य विशेषताएँ – ये अम्रयत है
    • भौद्धिक तथा विवेकपूर्ण प्रक्रिया
    • निरन्तर प्रक्रिया
    • भविष्य उन्मुखी प्रक्रिया
    • व्यापक तथा एकीकृत प्रक्रिया
    • नीतियों व उद्देश्यों पर आधारित होना।

समामेलित नियोजन के लाभ

समामेलित नियोजन के लाभ अग्रवत है-

  1. यह स्थायी, सुदृढ़ व लाभकारी नियोजन है।
  2. संसाधनों का अनुकूलतम प्रयोग सम्भव होता है।
  3. पर्याप्त सुधार करना सम्भव होता है।
  4. यह प्रभावी कार्य रणनीति बनाने में सहायक है।
  5. उत्पादन का बेहतर प्रमाप निर्धारित किया जा सकता है तथा इसे प्राप्त भी किया सकता है।
  6. समामेलित नियोजन जटिल व्यावसायिक कार्यों हेतु आवश्यक है।

समामेलित नियोजन की हानियां

समामेलित नियोजन की हानियाँ अग्रवत हैं :

  • समामेलित नियोजन एक दीर्घकालिक प्रक्रिया है अतः इसमें जोखिम रहती है।
  • लम्बी अवधि हेतु पूर्वानुमान करना कठिन होता है।
  • इसके लिए संसाधनों की प्रचुरता होना आवश्यक होता है।
  • समामेलित नियोजन कुछ दशाओं में असफल हो सकता है।

भारत में समामेलित नियोजन

भारत में समामेलित नियोजन असफल है। इसके कारण अग्रवत है :

  1. भारत विक्रेताओं का बाजार है। यहाँ पर प्रतिस्पर्धा में कमी पायी जाती है।
  2. भारत के व्यवसायियों के पास दीर्घकालिक नियोजन हेतु पर्याप्त संसाधन नहीं है।
  3. कार्मिक प्रबन्ध भी दीर्घकालिक नियोजन में एक बाधा है।
  4. भारत के व्यवसायी शीघ्र लाभ की आशा से कार्य करते हैं।
  5. भारत में एकाधिकार पर बहुत से प्रतिबन्ध हैं जिसके कारण दीर्घकालिक नियोजन असफल है।
  6. भारत में उद्यमिता की कमी है।
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