समाचार पत्रों की उपयोगिता – समाचार पत्र या अख़बार, समाचारो पर आधारित एक प्रकाशन है, जिसमें मुख्यत: सामयिक घटनायें, राजनीति, खेल-कूद, व्यक्तित्व, विज्ञापन इत्यादि जानकारियां सस्ते कागज पर छपी होती है। … समाचारपत्र प्रायः दैनिक होते हैं लेकिन कुछ समाचार पत्र साप्ताहिक, पाक्षिक, मासिक एवं छमाही भी होतें हैं। समाचार किसी अनोखी या असाधारण घटना की अविलंब सूचना को कहते हैं, जिसके बारे में लोग प्रायः पहले कुछ न जानते हों, लेकिन जिसे तुरंत ही जाने की अधिक से अधिक लोगों की रुचि हो ।”
समाचार पत्र परिभाषा
समाचार क्या है ? इसे एक उदाहरण से समझिए किसी कुत्ते ने किसी व्यक्ति को काटा तो कोई विशेष बात नहीं हुई, प्रायः ऐसा होता ही रहता है, लेकिन किसी व्यक्ति ने किसी कुत्ते को काट खाया हो तो यह समाचार बन जाता है क्योंकि इसमें कुछ न कुछ अनोखापन है, जिसे लोग जानना चाहेंगे।

कोई भी ऐसी घटना जिसमें लोगों की दिलचस्पी हो समाचार है।
पाठक जिसे जानना चाहते हैं, वह समाचार है ।
“पर्याप्त संख्या में लोग जिसे जानना चाहें, वह समाचार है। शर्त यह है कि वह सुरुचि तथा प्रतिष्ठा के नियमों का उल्लंघन न करे।”
अनेक व्यक्तियों की अभिरुचि जिस समयिक बात में हो, वह समाचार है।
सर्वश्रेष्ठ समाचार वह है जिसमें बहुसंख्यक की अधिकतम रुचि हो।
“समाचार यह है कि जिसे प्रस्तुत करने में किसी बुद्धिमान व्यक्ति को सबसे अधिक संतोष हो जो ऐसा है जिसे प्रस्तुत करने से पत्रकार को कोई आर्थिक लाभ हो न, हो परंतु जिसके सम्पादन से ही उसकी व्यवसायिक कुशलता का पूरा पूरा पता चलता हो ।”
जिज्ञासा मानव की स्वाभाविक प्रवृत्ति है क्योंकि अन्य प्राणियों की अपेक्षा केवल मानव ही चिंतन – मनन की शक्ति रखता है । समाचार – पत्र मानव की जिज्ञासा शांत करने का एक साधन है । यह सरल, तथा लोकप्रिय साधन है ।

समाचार पत्रों की आवश्यकता तथा प्रकार
आवश्यकता आविष्कार की जननी है । समाचार – पत्रों का जन्म भी आवश्यकता का ही परिणाम है। मानव की जिज्ञासा शांत करने के लिए ही समाचार पत्रों का जन्म हुआ। मनुष्य अपने आस – पड़ोस ही नहीं बल्कि देश – विदेश की घटनाओं को जानने को उत्सुक रहता है। समाचार – पत्र मनुष्य की इस आवश्यकता को भलीभाँति पूरा करते हैं। आजकल समाचार – पत्र केवल समाचारों का विवरण मात्र ही नहीं रह गए हैं वरन् वे अन्य सामग्री भी प्रकाशित करते हैं जिसमें खेलकूद , राजनीति , मनोरंजन , बाजार भाव , भाँति – भाँति विषय पर संपादक के विचार , पाठकों के पत्र तथा अन्य प्रकार के लेख भी शामिल हैं।
इस प्रकार आज का समाचार ‘ भानुमती का पिटारा ‘ बन गया है । समाचार – पत्र दैनिक , साप्ताहिक , पाक्षिक , मासिक , त्रैमासिक , अर्धवार्षिक तथा वार्षिक होते हैं । समाचार – पत्रों का संबंध विविध विषयों से हो सकता है जैसे – साहित्य , राजनीति , धर्म , खेलकूद आदि । आजकल विभिन्न विषयों की थोड़ी – थोड़ी सामग्री एक ही समाचार – पत्र में छाप दी जाती है।
समाचार पत्रों की उपयोगिता
समाचार पत्र ज्ञान वृद्धि तथा मनोरंजन के साधन तो हैं ही , साथ ही हमें संसार के नवीनतम परिवर्तनों की सूचना भी प्रदान करते हैं । समाचार – पत्र जन – जागरण का सशक्त माध्यम है । नैपोलियन ने कहा था , “मैं लाखों विरोधियों की अपेक्षा तीन विरोधी समाचार – पत्रों से अधिक भयभीत रहता हूँ।” समाचार – पत्र लोकतंत्र का पहरेदार हैं । वे एक और जनमत को वाणी देते हैं , तो दूसरी ओर जनमत तैयार भी करते हैं । सरकार की नीतियाँ जनता तक पहुँचाते हैं , तो जनता की आवाज सरकार तक । आजकल तो समाचार – पत्र व्यापार को बढ़ावा देने , नौकरी खोजने , वर – वधू ढूँढने, घर या सामान खरीदने – बेचने जैसे अनेक कार्यों को संपादित करते हैं।

समाचार पत्रों का उत्तरदायित्व
यद्यपि समाचार – पत्र हमारे समाज के निर्माता हैं तथा कुछ समाचार – पत्र घटनाओं को तोड़ मरोड़कर , उसमें नमक मिर्च लगाकर प्रकाशित करते हैं तथा लोगों की भावनाएँ भड़काने का काम करते हैं । ऐसे समाचार – पत्रों पर प्रतिबंध लगा दिया जाना चाहिए जो अपने उत्तरदायित्व को भलीभाँति निभाते न हों । समाचार – पत्रों के संपादकों का दायित्व है कि वे राष्ट्रहित को सर्वोपरि माने तथा ऐसे समाचार अपने पत्र में छापें जो देशहित में हों ।