संप्रेषण की समस्याएं – संप्रेषण के मार्ग में अनेक बाधाएं और अवरोध हैं। वास्तव में जो तत्व संप्रेषण के प्रभाव में वृद्धि करते हैं, यदि उनका प्रयोग न किया जाए तो संप्रेषण का प्रभाव घटने लगता है।
संप्रेषण की समस्याएं
संप्रेषण की समस्याएं को घटाने वाले तत्व मुख्यत: निम्न है-
- सैद्धांतिक बाधा
- पद सोपान की बाधा
- भाषा संबंधी कठिनाई
- धन का अभाव
- संगठन के आकार की बाधा
- वैचारिक पृष्ठभूमि की कठिनाई
- रुचि का अभाव
- प्रशिक्षित व्यक्तियों की कमी
- विद्युत आपूर्ति की समस्या
- संप्रेषण माध्यमों का प्रयोग न करना

1. सैद्धांतिक बाधा
पृष्ठभूमि, शिक्षा और प्रत्याशी में अंतर होने के कारण सामाजिक एवं राजनीतिक विचारों में अंतर आ जाता है। संभवत: प्रभावशाली संप्रेषण में यह सबसे बड़ी बाधाएं हैं जिन्हे पार करना सबसे कठिन है।
2. पद-सोपान की बाधा
संप्रेषण की प्रभावशीलता के मार्ग में एक अन्य बाधा पदसोपान सिद्धांत के अनुसार विभिन्न स्तरों की है। अध्यक्ष अधिकारियों और अधीनस्थ कर्मचारियों के बीच संप्रेषण व्यवस्था अनेक स्तरों में से होकर गुजरती है। इन विभिन्न स्तरों पर संचार या संप्रेषण भाषा के विभिन्न अर्थ लगाए जा सकते हैं।
जिससे संप्रेषण के संदेश के बारे में भ्रम उत्पन्न होते हैं और कभी-कभी कर्मचारी वर्ग अपने उच्चाधिकारियों को प्रसन्न करने के लिए उन्हीं के अनुकूल अर्थ लगा सकते हैं। हर्बर्ट साइमन आदि का कहना है कि संप्रेषण को अनेक कारणों से प्रश्न करने वाली बातों की ओर संचालित कर दिया जाता है, गलतियों से संबंधित सूचनाओं को नहीं भेजा जाता।
3. भाषा संबंधी कठिनाई
भाषा की अस्पष्टता असंगठित और जटिलता अत्यंत हानिकारक सिद्ध हो सकती है। शब्दों के अत्याचार से संप्रेषण अर्थात संचार कठिन हो जाता है। कितनी बार अच्छे-अच्छे शब्द भी विचारों को समुचित रूप से अभिव्यक्त नहीं कर पाते।
डॉ• अवस्थी एवं माहेश्वरी के अनुसार “विशिष्टीकरण ने जो आधुनिक शासन की विशिष्टता है अपनी एक अलग निरर्थक शब्दावली विकसित कर ली है जो संचार का विरोध करती है।”
4. धन का अभाव
विद्यालयों में संप्रेषण से संबंधित उपकरणों को खरीदने के लिए धन नहीं होता है। यदि किसी प्रकार उपकरण खरीद भी लिया जाए तो उसके अनुरक्षण की समस्या भी बनी रहती है।
5. संगठन के आकार की बाधा
संगठन का आकार और विशिष्टीकरण भी संप्रेषण के सामान्य प्रवाह में रुकावट डालते हैं। संगठन का आकार जितना अधिक विस्तृत होगा उतना ही अधिक कर्मचारियों को संबद्ध करने की आवश्यकता होगी। इसके फलस्वरूप संप्रेषण व्यवस्था का जाल और अधिक जटिल हो जाएगा। विशिष्टीकरण की बाधा भी कम नहीं है। (संप्रेषण की समस्याएं)
6. वैचारिक पृष्ठभूमि की कठिनाई
संगठन में विभिन्न व्यक्तियों की पद प्रतिष्ठा तथा उनकी वैचारिक पृष्ठभूमि भी संप्रेषण में अवरोध उत्पन्न करती है। यह देखा गया है कि शिक्षा अधिकारी अपनी प्रतिष्ठा का अर्थ जिस रूप में लेते हैं वह संप्रेषण व्यवस्था के लिए कई बार हानिकारक सिद्ध होती है।
जो अधिकारी जरा सी बात पर नाराज होकर अपनी शक्ति का दुरुपयोग करने के अभ्यस्त होते हैं उनसे अधीनस्थ प्रायः डरते रहते हैं। ऐसा प्रयत्न करते हैं कि वह उन अधिकारियों के सामने जितना कम आए उतना ही अच्छा है। ऐसे अधिकारियों का व्यक्तित्व संगठन में सामान्य पारस्परिक संबंधों को विकसित नहीं होने देता है। यह स्थिति संगठन के आधार को कमजोर कर देती है।



7. रुचि का अभाव
विद्यालय के प्रधानाचार्य और शिक्षक संप्रेषण माध्यमों के उपयोग तथा व्यवस्था में रुचि नहीं लेते हैं।
8. प्रशिक्षित व्यक्तियों की कमी
संप्रेषण माध्यमों के उपकरणों के लिए प्रशिक्षित तकनीकी व्यक्तियों की आवश्यकता होती है जिनका अभाव है।
9. विद्युत आपूर्ति की समस्या
संप्रेषण माध्यमों के लिए विद्युत आपूर्ति अत्यंत आवश्यक है। हमारे यहां बिजली का संकट सदैव बना रहता है जिसके कारण संप्रेषण माध्यमों का संचालन बहुत कठिन है।
10. संप्रेषण माध्यमों का प्रयोग न करना
संप्रेषण माध्यम तथा उपकरण जिन विद्यालयों में उपलब्ध है उनका उपयोग भी शिक्षक तथा प्रधानाध्यापक नहीं कर पाते हैं क्योंकि वह इन माध्यमों के प्रयोग में अभ्यस्त नहीं होते हैं।