संप्रेषण अर्थ बाधाएं

संप्रेषण में समय लगता है। शब्द सम्प्रइन
की उत्पत्ति लैटिन भाषा के शब्द कम्यूनिस से हुई मानी जाती है जिसका आशय है “सामान्य”। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि संप्रेषण शब्द लैटिन भाषा के शब्द कम्यूनिस से लिया गया है जिसका आशय है सामान्य रूप से सम्प्रेषण के बारे में यह कहा जा सके कि यह एक द्वि-मार्गीय प्रक्रिया है जिसके माध्यम से दो या अधिक व्यक्ति विचारों का आदान-प्रदान करते हैं। सम्प्रेषण लिखित या भाषित सूचना का विनिमय है। सम्प्रेषण के अन्तर्गत एक व्यक्ति से किसी दूसरे व्यक्ति के पास सूचना एवं विचारों का अग्रसारण होता है। वास्तव में सम्प्रेषण का आशय एक व्यक्ति से किसी दूसरे व्यक्ति के पास संदेश भेजने से लगाया जाता है ताकि वह संदेश को समझ सके व उसे कार्यान्वित कर सके।

यदि एक व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति द्वारा भेजे गये संदेश को नहीं समझ पाता है या समझने में असफल रहता है तो इसे संप्रेषण नहीं कहा जा सकता है। जैसे यदि उपक्रम का वार्षिक सामान्य सभा में अंग्रेजी भाषा में भाषण देता है तथा कोई भी व्यक्ति अंग्रेजी नहीं मझता तो इसे सम्प्रेषण नहीं कहा जा सकता।
सम्प्रेषण प्रक्रिया के द्वारा सूचना एवं विचार एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति के पास पहुँचते यह लिखित एवं भाषित विचारों का आदान-प्रदान है। सम्प्रेषण का आशय एक व्यक्ति से किसी दूस व्यक्ति के संदेश देना है ताकि अन्य व्यक्ति संदेश को समझे, अनुकरण करे तथा उसका कार्यान्वयन कर वर्तमान समय में नवीन वैज्ञानिक परिवर्तनों एवं सोचो के कारण सम्प्रेषण अत्यन्त वस्तु एवं सरल हो गया है। वर्तमान युग में टेलीफोन, रेडियो, उपग्रह सेवा, तार, दूरदर्शन, ई-मेल आ का अधिकाधिक प्रयोग होता है।

संप्रेषण

सम्प्रेषण मानव-प्राणी के जन्म होते ही प्रारम्भ हो जाता है। सम्प्रेषण का रूप सभ्य परिवर्तन के साथ-साथ बदलता है। इसके विकास का कारण मानवीय आवश्यकताओं का असीमित होना है। प्राचीनकाल में लकड़ी व पत्तियों को संदेशवाहन हेतु प्रयोग में लाया जाता था। हालांकि सम्प्रेषण प्रत्येक प्राणी द्वारा किया जाता है परन्तु मानव इसे विशेष रूप से तथा प्रभावशाली तरीक से करता है। सम्प्रेषण एक कला है तथा जो व्यक्ति इस कला में निपुण है वह अत्यन्त प्रभावशाला तथा सफल व्यक्ति माना जाता है।

प्रत्येक व्यावसायिक संगठन में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका होती है। सम्प्रेषण व्यावसायिक संगठन को सूचना देता है। सम्प्रेषण के अन्तर्गत तथ्यों, विचारों, सम्मतियों, अभिरुचियों आदि आदान-प्रदान होता है तथा सामूहिक प्रयास द्वारा लक्ष्यों को आसानी से प्राप्त किया जा सकता है।

सम्प्रेषण की परिभाषाएँ

विभिन्न विद्वानों ने सम्प्रेषण को अग्रवत परिभाषित किया है-

संचालकों को प्रशिक्षण देने वाली अमेरिका समिति के अनुसार, अच्छा सम्प्रेषण विचारा का आदान-प्रदान है अथवा पारम्परिक समझदारी, विश्वास तथा अच्छे मानवीय सम्बन्धों की स्थापना हेतु सूचना है।
न्यूमैन एवं समर के अनुसार, सम्प्रेषण दो या दो से अधिक व्यक्तियों के मध्य तथ्यों, विचारों, सम्मतियों अथवा भावनाओं का विनिमय है।

बेलॉज एवं गिलसन के अनुसार, संप्रेषण शब्दो, पत्रों, चिह्नो अथवा समाचारों का आदान-प्रदान करने का समागमन है और एक प्रकार से यह संगठन के एक सदस्य द्वारा दूसरे व्यक्ति से अर्थ एवं समझदारी में हिस्सा बँटाना है।

फ्रेड जी. मायर के अनुसार, “सम्प्रेषण शब्दों, पत्रों अथवा सूचना, विचारों, सम्मतियों का आदान प्रदान करने का समागममन है।

संप्रेषण में बाधाएं

संप्रेषण की प्रमुख बाधाएं

सम्प्रेषण की प्रमुख बाधाएं नीचे दी गयी हैं-

  1. संगठनात्मक बाधा
  2. शोरगुल वा असंत वातावरण
  3. नियोजन की कमी या सम्प्रेषण के संदर्भ में गलत नियोजन
  4. विशिष्ट भाषागत बाध
  5. प्रास्थिति बाधा
  6. सामाजिक मनोवैज्ञानिक बाधा
  7. सांस्कृतिक अन्तर के कारण बाधा
  8. गलत व अस्पष्ट मान्यतायें
  9. अत्यधिक सूचना भार
  10. अपरिपक्व मूल्यांकन व समीक्षा
  11. असावधानी करना
  12. मार्ग में सूचना का विकृतिकरण या देरी
  13. पल का विकृत होना
  14. समायोजन की अवधि की अपर्याप्तता
  15. कम सुनाई पड़ना
  16. बचावपूर्ण मुद्रा
  17. कम याददाश्त
  18. लक्ष्य सम्बन्धी मतभेद या गड़बड़ियों
  19. माध्यम का त्रुटिपूर्ण चयन
  20. समय तथा दूरी एवं
  21. अनावश्यक व अनौचित्यपूर्ण हस्तक्षेप आदि

संप्रेषण में आवश्यक तत्व

संप्रेषण में निम्न बातों का होना अति आवश्यक है –

1. सावधानीपूर्वक सुनना
3. संदेश को संक्षिप्त रखना
2.सामान्य म्यूजिक की बातों को खोजना
4. स्टीरियो टाइपिंग से बचना चाहिए
5. जानने की इच्छा तथा जानने की आवश्यकता में अन्तर करना
6. ललचाने वाली इच्छाओं से बचाव करना
7. पर्याप्त बात करें
8. भाषा व निर्देशों पर ध्यान देना
9. अनावश्यक मतभेदों से बचाव करना
10. तथ्यों व परिणाम में अन्तर करना
11. सही समय पर सम्प्रेषण करना
12. प्रतिपुष्टि का ध्यान रखना
13. सभी संदेहों का समाधान करना
14. स्पष्ट अभिव्यक्ति होना
15. सरल व स्पष्ट भाषा का प्रयोग करना
16. शारीरिक भाषा पर ध्यान देना आदि।

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