संप्रेषण प्रबंध प्रक्रिया का एक महत्वपूर्ण घटक है, यह वह माध्यम है जिसके द्वारा व्यक्ति से व्यक्ति, व्यक्तियों और समूहों को संभोग संप्रेषित किया जाते हैं। विचारों की अभिव्यक्ति या व्यक्तियों के प्रश्नों के उत्तर भी संप्रेषण या संचार माध्यम से दिए जाते हैं। संप्रेषण व्यवस्था का आशय सूचना या संदेश भेजने की व्यवस्था मात्र नहीं है। शैक्षिक प्रशासन के संबंध में इसका अर्थ अधिक व्यापक है तथा प्रशासन के विभिन्न स्तरों के बीच विचार-विमर्श एवं मिलजुल कर कार्य करना परिधि के अंतर्गत आता है।
संप्रेषण
संप्रेषण के मूल में यह विचार निहित है कि व्यक्ति समस्याओं पर परस्पर मिलजुलकर विचार करें और एक दूसरे के दृष्टिकोण को समझकर सामंजस्य पूर्ण ढंग से अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते हुए लक्ष्य प्राप्त की दिशा में सुगमतापूर्वक बढ़ सके। संप्रेषण के अर्थ को स्पष्ट करने वाली कुछ प्रमुख परिभाषाएं किस प्रकार हैं-
परस्पर एक-दूसरे विचारों तथा भावनाओं में समान स्तर पर भागीदारी रखना ही संप्रेषण है।
संप्रेषण को किसी साझे के प्रयोजन की साझा समझ के रूप में परिभाषित किया जा सकता है।
संप्रेषण का मूल समान विषयों पर मस्तिष्क में मेल स्थापित करता है।
प्रचार के रूप में संप्रेषण को किसी एक ऐसी प्रक्रिया के रूप में परिवर्तित किया जा सकता है जिसके द्वारा निर्णय को संगठन के एक सदस्य से दूसरे सदस्य तक पहुंचाया जा सके।
मानवीय विचारों एवं भावनाओं का शब्दों, पत्रों, संकेतों अथवा आदेशों के माध्यम से आदान-प्रदान करना ही संप्रेषण है।
संप्रेषण दो या दो से अधिक व्यक्तियों के मध्य तथ्यों, विचारों, सम्मतियों तथा भावनाओं का विनिमय है।
संप्रेषण एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक सूचना एवं समझ का हस्तांतरण है।


संप्रेषण की आवश्यकता
बिना प्रभावी संप्रेषण के समूह या समाज की कल्पना नहीं की जा सकती। संप्रेषण की उचित व्यवस्था के बिना कोई भी प्रशासकीय संगठन कार्य नहीं कर सकता और यदि संगठन अपने स्वरूप में अत्यधिक विस्तृत हो। तब तो यह अनिवार्य हो जाता है कि उसके संचालन अथवा नियंत्रण के स्तर पर कार्य की प्रगति से संबंधित पर्याप्त सूचनाएं निश्चित समय पर मिलती रहे।
संप्रेषण व्यवस्था को प्रशासन का प्रथम सिद्धांत माना जा सकता है। संगठन में आंतरिक सहयोग और समन्वय का समायोजन की प्राप्ति के लिए संप्रेषण व्यवस्था का होना नितांत आवश्यक है।
किसी व्यक्ति द्वारा कोई बात कह देना ही पर्याप्त नहीं होता बल्कि आवश्यकता इस बात की भी होती है कि सूचना पाने वाला सूचना को उसी प्रकार प्राप्त करें एवं उसका वही अर्थ लगाए जो सूचना देने वाले का है। संप्रेषण के माध्यम से ही प्रशासन के विभिन्न स्तरों और प्रशासन तथा जनता के बीच सही रूप में संपर्क किया जा सकता है। यह एक जानी-मानी बात है कि सरकारी कर्मचारी सरकार की नीतियों, कार्यक्रमों और उद्देश्य से भलीभांति परिचित होंगे तो न केवल अपने कार्य की सार्थकता अधिक समझ सकेंगे, बल्कि कार्य का संपादन भी अधिक निष्ठा के साथ करेंगे।
इसके अतिरिक्त यदि अधिकारियों को कर्मचारियों का विकास प्राप्त होगा तो वह उनके सहयोग के बल पर अपने कर्तव्यों का निर्वहन अधिक अच्छे ढंग से कर सकेंगे। आज के लोकतांत्रिक युग में प्रशासन और जनता के बीच संपर्क रहना भी आवश्यक है। यदि प्रशासन जनता से अलग-थलग रहता है तो लोकतांत्रिक व्यवस्था का कोई मूल्य नहीं रह जातहै। यही कारण है कि आधुनिक लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं में सरकारी विभागों में सूचना प्रचार एवं जनसंपर्क अधिकारियों की नियुक्ति की जाती है।


आज लगभग सभी राज्य सरकारों ने सूचना प्रकाशन और लोक संपर्क विभाग स्थापित कर लिए हैं। प्रबंध संबंधित साहित्य संप्रेषण विषयक लेखों से परिपूर्ण हैं। वस्तुतः आज का युग संचार व्यवस्था का युग है। संचार व्यवस्था के कारण ही आज औसत दर्जे का आदमी भी अपनी सरकार और अपने पड़ोसियों के अधिक निकट है तथा वह अपने चारों ओर के जीवन से अधिक एकरूपता अनुभव करता है।
संप्रेषण एक कला है। यदि उपयुक्त भाषा, शैली और माध्यम से लक्ष्य के अनुरूप संदेश भेजा जाए तो अत्यंत प्रभावकारी होता है जिसका प्रभाव प्रबंध दक्षता पर पड़ता है। यही वह काला है जिसके माध्यम से कुशल प्रबंधक बड़े से बड़े समूह को एक सूत्र में बांधे रहता है। उचित संचार के अभाव में अफवाहों को जन्म मिलता है जो प्रभावी प्रबंधन के लिए घातक होता है।
विद्यालय के अंतर्गत प्रधानाचार्य को संप्रेषण माध्यमों तथा उपकरणों के उपयोग से शिक्षा प्रशासन में अधिक सहायता मिलती है तथा उसकी कार्य क्षमता बढ़ जाती है। संप्रेषण के माध्यमों के उपयोग से दूरवर्ती शिक्षा का विकास किया है। संचार माध्यमों से ही दूरवर्ती शिक्षण का आयोजन किया जाता है और देश के किसी भी क्षेत्र का छात्र दूरवर्ती शिक्षा से उच्च शिक्षा ग्रहण कर सकता है। इस प्रकार की शिक्षा अपेक्षाकृत मितव्ययी होती है।
संप्रेषण की विशेषताएं
संप्रेषण की प्रमुख विशेषताएं निम्न है-
- संप्रेषण एक मानवीय प्रक्रिया है।
- संप्रेषण में अंत:प्रक्रिया होती है जो आदान-प्रदान को प्रोत्साहित करती है तथा पृष्ठ पोषण देती है।
- संप्रेषण की प्रक्रिया में अनुभवों की भागीदारी होती है जब तक उन अनुभवों पर सभी का अधिकार न हो जाए।
- संप्रेषण के कारण प्रबंधन का स्वरूप सक्रीय तथा परिवर्तनशील रहता है।
- संप्रेषण प्रक्रिया एकमार्गी तथा द्विमार्गी दोनों प्रकार की होती है परंतु द्विमार्गी प्रक्रिया अधिक प्रभावशाली होती है, क्योंकि इसमें प्रष्ठपोषण दिया जाता है और अंतः प्रक्रिया भी होती है।
- संप्रेषण वह साधन है जिसमें विचारों और भावनाओं की भागीदारी होती है।
- शिक्षण की प्रभावशीलता संप्रेषण की प्रभावशीलता पर ही निर्भर करती है।
- प्रभावशाली संप्रेषण की अपनी एक शब्दावली होती है जिसके सुनिश्चित प्रयोग होने पर संप्रेषण सार्थक होता है।
- संप्रेषण के लिए संदेश लक्ष्य भेजने वाला प्राप्त करने वाला भाषा विषय वस्तु एवं माध्यम आवश्यक है।
- संप्रेषण ऊपर से नीचे तथा नीचे से ऊपर दोनों दिशाओं में होता है।
संप्रेषण का क्षेत्र कक्षा शिक्षण से लेकर विद्यालय प्रबंधन और शिक्षा प्रशासन तक फैला हुआ है। कक्षा शिक्षण में पाठ्यवस्तु का प्रभाव कारी प्रस्तुतीकरण संप्रेषण के विभिन्न माध्यमों के द्वारा ही संभव है। शिक्षा प्रशासन के विभिन्न स्तरों पर संप्रेषण की विभिन्न विधियों तथा माध्यमों का उपयोग किया जाता है।


संप्रेषण की विधियां
विद्यालय प्रबंधन में संप्रेषण की निम्नलिखित विधियों और उपकरणों का प्रयोग किया जाता है-
- मौखिक एवं लिखित विधियां
- ध्वनि विस्तारक यंत्र
- आंतरिक माध्यम प्रणाली
- श्रव्य दृश्य कैमरा प्रणाली
- विद्यालय में कंप्यूटर प्रणाली
- बंद परिपथ दूरदर्शन
- बहुमाध्यम आयाम उपागम
- दूरदर्शन तथा रेडियो माध्यम
- ओवरहेड प्रोजेक्टर
- आंतरिक कंप्यूटर प्रणाली
- कंप्यूटर सहायक अनुदेशन
- चलचित्र विस्तारक
- एपीडिया स्कोप
- भाषा प्रयोगशाला
- मोबाइल एवं टेली कॉन्फ्रेंसिंग
- इंटरनेट
- ईमेल
- शिक्षण मशीन
संप्रेषण के प्रमुख घटक
संप्रेषण के प्रमुख घटक निम्न है-
- संप्रेषण के लक्ष्य
- सम्प्रेषक
- संदेश प्राप्तकर्ता
- संदेश श्रंखलाएं
- संदेश की विषयवस्तु
- संदेश माध्यम
- संदेश की भाषा
1. संप्रेषण के लक्षण
प्रायः लक्ष्य के अनुरूप ही संदेश तय किया जाता है। यदि संदेश त्वरित देना है तब त्वरित माध्यम यथा तार, फोन फैक्स और तदनुसार हिंदी भाषा संक्षिप्त परंतु अर्थ को स्पष्ट करने वाली होगी। सैनिक संदेश कूट भाषा में हो सकता है। यदि कोई आदेश देना है तो भाषा भी आदेशात्मक होगी। यदि उच्च अधिकारी को संदेश भेजना है तो स्पष्ट एवं विस्तृत संदेश दिया जाना चाहिए।


2. सम्प्रेषक
संदेश भेजने वाला संप्रेषक कहलाता है जो मूलतः का संदेश का कारण होता है। संदेश भेजने वाला व्यक्ति समूह संगठन या सरकार हो सकता है। वह उच्च अधिकारी से लेकर समान पद पर आसीन या नियम अधिकारी भी हो सकता है। सम प्रेषक जितना महत्वपूर्ण होगा संदेश का महत्व उतना ही अधिक होगा। संदेश प्रेषित की स्थिति व विश्वसनीयता संदेश के महत्व को कम या अधिक कर सकता है।
3. संदेश प्राप्तकर्ता
संदेश की यही समझ के लिए संदेश भेजने वाले की स्थिति संदेश भेजने वाले व्यक्ति के प्रति संदेश पाने की धारणा, पूर्व पृष्ठभूमि या अनुभव तथा अन्य संदर्भ प्रभाव डाल सकते हैं। अविश्वसनीय प्रेषक के संदेशों अथवा संदिग्ध संदेशों को हराया संदेश प्राप्त करता अस्वीकृत कर देता है।
4. संदेश श्रंखलाएं
संदेश संप्रेषण में अनेक प्रकार की श्रृंखलाएं अपनानी होती है। जब संदेश उच्च अधिकारी द्वारा संगठन के निम्न स्तर पर आसीन व्यक्ति को भेजा जाता है तब ऊपर से नीचे की श्रंखला जब संगठन में कार्यरत समान स्तर के व्यक्ति को संदेश दिया जाता है तब क्षैतिज श्रंखला और जब निचले स्तर से संदेश भेजा जाता है तब यह नीचे से ऊपर संदेश श्रंखला होती है। इनके अतिरिक्त प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष चक्रीय व क्रमिक प्रकार की भी संख्याएं होती हैं जिन्हें प्रबंधक आवश्यकता अनुसार संदेश संप्रेषण में अपनाता है।
5. संदेश की विषयवस्तु
संदेश की विषयवस्तु उद्देश्यानुरूप होती है। गोपनीय उद्देश्य का संदेश विषय वस्तु आम संदेश की विषय वस्तु से भिन्न होगा। इसी प्रकार प्रशासनिक उद्देश्य से भेजे गए संदेश जब सामान्य के लिए प्रसारित विषयवस्तु से सर्वथा भिन्न होंगे। जहां अनुसंधान यार गवेषणापूर्ण संदेश संक्षिप्त, स्पष्ट एवं प्रकार थी होगा, वही साहित्यिक संदेश व्यापक बहू अर्थी लक्षणा व्यंजना की अभिव्यक्ति शैली में हो सकता है जिससे विषय वस्तु भिन्नता लिए हुए हो सकती है।
6. संदेश माध्यम
संदेश संप्रेषण के लिए संदेश भेजने वाला अनेक माध्यम अपनाता है। एक प्रबंधक कभी व्यक्तिगत लिखित कभी मौखिक कभी नोटिस बोर्ड पर आम सूचना पत्र वाहक द्वारा पत्र वह पुस्तिका द्वारा तथा त्वरित संदेश तार द्वारा भेजता है। व्यापक संदेश प्रसारण वह रेडियो एवं टेलीविजन का भी सहारा ले सकता है।
7. संदेश की भाषा
विषय वस्तु के समान संप्रेषण की भाषा भी उद्देश्य अनुरूप भिन्न-भिन्न और विविधता लिए हो सकती है। सैनिक या गोपनीय प्रशासनिक भाषा कूट भाषा में भी हो सकती है, जिसे संबंधित व्यक्ति ही समझ सकता है।
इसके अतिरिक्त यह भी देखा जाता है कि संदेश पाने वाला खुलासा एवं किस भाषाई स्तर को समझ सकता है। संदेश की भाषा आवश्यकतानुसार पारंपरिक व विशिष्ट भी हो सकती है।