किसी व्यक्ति द्वारा पूरी तरह से आवाज सुनने में अक्षम होना श्रवण विकलांगता कहलाता है। यहां श्रवण तंत्रिका के अपर्याप्त विकास के कारण, श्रवण संस्थान की बीमारी या चोट लगने की वजह से हो सकता है। सुनना सामान्य वाक्य एवं भाषा के विकास के लिए सुनना यह प्रथम आवश्यकता है। बच्चा परिवार या आसपास के वातावरण में लोगों की बोली सुनकर ही बोलना सीखता है।
बधिरता एक अदृश्य दोष है। एक व्यक्ति या बच्चे के बहरेपन को पहचानने के लिए सूक्ष्म निरीक्षण की आवश्यकता होती है। जन्म के समय एवं शैशवावस्था में बहरापन बच्चे के संपूर्ण विकास में गलत प्रभाव डालता है। यह प्रभाव, विकलांगता की प्रभाव भिन्नता, प्रारंभिक आयु, स्वरूप और श्रेणी पर निर्भर है।

श्रवण विकलांगता के कारण
अली यावर जंग राष्ट्रीय श्रवण विकलांग संस्थान मुंबई ने श्रवण विकलांगता के कारणों की व्याख्या निम्न प्रकार से की है-
- बाल्यावस्था में कर्ण बधिरता का पारिवारिक इतिहास पारिवारिक सदस्यों में बहरापन।
- निकट संबंधियों में वैवाहिक रिश्तो का होना जैसे चाचा भतीजी इत्यादि।
- खून की बीमारियां या RH अपरिपूर्णता
- गर्भावस्था के दौरान संक्रामक बीमारियां जैसे जर्मन मीजल्स या रूबेला बुखार के साथ मंपस।
श्रवण विकलांगता के प्रकार
श्रवण विकलांगता मुख्य रूप से पांच प्रकार की होती है।
- चालकीय श्रवण दोष
- संवेदनिक श्रवण दोष
- मिश्रित श्रवण दोष
- मध्यकर्ण श्रवण दोष
- प्रकार्यात्मक श्रवण दोष

1. चालकीय श्रवण दोष
यह मध्यकर्ण एवं कान के बाहरी हिस्से में खराबी के कारण होता है। आवाज कान के अंदर तक ठीक से नहीं पहुंचती है। सभी सुनी हुई आवाज इस प्रकार कमजोर हो जाती हैं या और आवाज दब जाती है। सामान्यतः इस प्रकार के लोग अपने वातावरण की आवाजों का ध्यान रखे बिना नरम आवाज में बोलते हैं।
2. संवेदनिक श्रवण दोष
यह कान के अंदरूनी हिस्सों में या श्रवण स्नायु में चोट लगने या बीमारी के कारण होता है। यह कुछ बीमारियों के प्रभाव के कारण भी होता है। जैसे खसरा, छय, मस्तिष्क ज्वर।
3. मिश्रित श्रवण दोष
यह चालिकी एवं संवैधानिक श्रवण दोष के जोड़ के कारण होता है। इस प्रकार के श्रवण नुकसान का एक बड़ा कारण कान में लगातार लंबे समय तक संक्रमण का रहना है। इसमें कान में मवाद, खून एवं स्वच्छ पानी लगातार निकलता रहता है। यह चालकीय दोष के साथ शुरू होता है। अगर इसका ठीक समय पर ठीक जन से उपचार ना किया जाए तो बाद में उसका रूपांतरण संवैधानिक विकलांगता में होता है।

4. मध्यकर्ण श्रवण दोष
मध्य करण श्रवण दोष चोट के कारण, श्रवण तंत्रिका के संक्रमण के कारण तथा पर्याप्त रूप से विकसित होने के कारण होता है। दिमाग में सुनने के स्थान के विकसित ना होने के कारण भी मध्य करण श्रवण दोष हो जाता है। बच्चा सुन पाता है, लेकिन सुना हुआ समझ नहीं पाता। कुछ बच्चों को जिन्हें बिना सुनने वाला या सीखने में असमर्थ कहा जाता है। वह इस प्रकार के श्रवण हानि से ग्रसित हो सकते हैं।
5. प्रकार्यात्मक श्रवण दोष
यह मनोवैज्ञानिक कारणों से होता है या व्यक्तिगत लाभ के लिए सुनने के लिए किया जाता है।