शिक्षा के क्षेत्र में केंद्र सरकार की भूमिका – केंद्र सरकार माध्यमिक शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रही है। यह माध्यमिक शिक्षा से संबंधित मामलों में राज्य सरकारों को परामर्श एवं वित्तीय सहायता प्रदान करती है तथा उनका पथ प्रदर्शन एवं नेतृत्व भी करती है। इसके अतिरिक्त केंद्र सरकार माध्यमिक शिक्षा में सुधार करने के लिए बहुत से कार्यक्रम प्रस्तावित करती है, जैसे शैक्षिक एवं व्यवसायिक निर्देशन के लिए राज्य ब्यूरो की स्थापना, राज्य मूल्यांकन एकक, विज्ञान के राज्य संस्थान आदि।
शिक्षा के क्षेत्र में केंद्र सरकार की भूमिका
केंद्र सरकार माध्यमिक शिक्षा के क्षेत्र में जो कार्य कर रही है, उनका संक्षिप्त वर्णन इस प्रकार है –
- शैक्षिक एवं व्यवसायिक निर्देशन
- पर्यावरण शिक्षा
- केंद्रीय विद्यालय
- केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड
- नवोदय विद्यालय
- राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद
- राष्ट्रीय मुक्त विद्यालय
1. शैक्षिक एवं व्यवसायिक निर्देशन
केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद के विभाग डेवलपमेंट ऑफ साइकोलॉजिकल फाउंडेशन के अंतर्गत केंद्रीय शैक्षिक एवं व्यावसायिक निर्देशन ब्यूरो की स्थापना की है। इसे ब्यूरो का मुख्य कार्य है –
- निर्देशन सेवाओं की प्रकृति तथा उसकी आवश्यकता ओं के लिए जागरूकता विकसित करना
- व्यावसायिक निर्देशन सामग्री एकत्रित करना
- निर्देशन से संबंधित साहित्य तैयार करना
इसके सुझाव पर केंद्र सरकार ने राज्यों में शैक्षिक एवं व्यवसायिक निर्देशन ब्यूरो स्थापित करने की योजना प्रस्तावित की। आप सभी राज्यों में ऐसे ब्यूरो स्थापित हो गए हैं। केंद्र सरकार किन राज्य ब्यूरो को पर्याप्त मात्रा में आर्थिक सहायता प्रदान करती है।

2. पर्यावरण शिक्षा
केंद्र सरकार ने विद्यालय शिक्षा को पर्यावरण आधार प्रदान करने के लिए सन 1988 में एक योजना बनाई जिसमें स्थानीय पर्यावरण तथा शिक्षा कार्यक्रमों के बीच संश्लेषण किया गया। इस योजना को क्रियान्वित करने के लिए भारत सरकार ने राज्यों तथा संघ शासित प्रदेशों को शत प्रतिशत आधार पर आर्थिक सहायता प्रदान की।
इस योजना में नर्सरी स्थापित करने पर बल दिया गया। साथ ही दृश्य श्रव्य उपकरणों के माध्यम से पर्यावरण संबंधी शिक्षा प्रदान करने पर भी बल दिया गया। इस योजना का प्रमुख उद्देश्य छात्रों में पर्यावरण के संबंध में एक स्वस्थ एवं सही दृष्टिकोण तथा जागरूकता का विकास करना है।
3. केंद्रीय विद्यालय
द्वितीय वेतन आयोग की सिफारिश पर भारत सरकार ने केंद्रीय विद्यालय खोलने की योजना को क्रियान्वित किया। इस समय देश में 850 केंद्रीय विद्यालय हैं जिनमें लगभग 11,29,481 छात्र शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं और 50,958 शिक्षक कार्यरत हैं।
इन विद्यालयों में पाठ्यक्रम तथा शिक्षण का माध्यम एक सा है। इनमें कक्षा 8 तक निशुल्क शिक्षा प्रदान की जाती है और 9, 10 तथा 11 वीं कक्षाओं में फीस का निर्धारण पढ़ने वाले बालकों के अभिभावकों के वेतन के अनुकूल किया जाता है। यह विद्यालय उन कर्मचारियों के बच्चों के लिए खोले गए हैं जिनके पद स्थानांतरित होते हैं।
इन विद्यालयों का संचालन केंद्रीय विद्यालय संगठन नामक स्वायत्त संस्था द्वारा किया जाता है। इन विद्यालयों के छात्र केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की अखिल भारतीय हायर सेकेंडरी परीक्षा में बैठते हैं। इन विद्यालयों का मुख्य उद्देश्य कम खर्च पर शिक्षा के स्तर को कायम रखना है।

4. केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड
भारत सरकार ने माध्यमिक शिक्षा के ढांचे में अनुरूपता लाने तथा उन छात्रों की शैक्षिक आवश्यकताओं की पूर्ति करने के लिए जिनके अभिभावक एक राज्य से दूसरे राज्य में समय-समय पर स्थानांतरित होते रहते हैं, केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की जुलाई 1952 में स्थापना की गई।
अब तक इस परिषद में 1389 विद्यालय इस बोर्ड से संबद्ध है। इनमें एक विद्यालय तेहरान में स्थित है। इस विद्यालय का संचालन Central Tibetan Schools Administration नामक स्वायत्त संस्था द्वारा किया जाता है।
5. नवोदय विद्यालय
यह सर्वमान्य है कि विशिष्ट प्रतिभा के बच्चों को तेजी से प्रगति के अवसर उपलब्ध कराए जाने चाहिए। इस दृष्टि से राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अंतर्गत व्यवस्था की गई कि देश के विभिन्न भागों में एक निश्चित आधार पर ऐसे विद्यालय स्थापित किए जाएं। ऐसे विद्यालय को नवोदय विद्यालय का नाम दिया गया।
नवोदय विद्यालय के प्रमुख उद्देश्य निम्न हैं –
- प्रतिभावान बच्चों की पारिवारिक सामाजिक तथा आर्थिक स्थिति के भेदभाव के बिना उनके सर्वांगीण विकास के लिए आधुनिकतम तकनीकी सुविधाओं सहित श्रेष्ठ स्तर की आधुनिक शिक्षा उपलब्ध कराना।
- त्रिभाषा फार्मूले के अनुसार 3 भाषाओं में उचित योग्यता
- अनुभव और सुविधाओं के आधार पर शिक्षा में सुधार के लिए केंद्र के रूप में कार्य करना
नवोदय विद्यालयों के संचालन हेतु नवोदय विद्यालय समिति की स्थापना की गई जो कि मानव संसाधन विकास मंत्रालय के अंतर्गत एक संस्था है।

6. राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद
राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद विद्यालय जो एक स्वायत्त संगठन है, सितंबर 1961 में स्कूली शिक्षा तथा शिक्षक प्रशिक्षण में गुणात्मक सुधार लाने के लिए स्थापित की गई थी।
राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद विद्यालय शिक्षा प्रणाली को आवश्यक शैक्षिक सामग्री उपलब्ध करवाने के लिए राज्यों के शिक्षा अधिकारियों एवं संस्थानों से संपर्क रखती हैं।
- छोटे बच्चों की देखभाल तथा शिक्षा पढ़ाई के न्यूनतम स्तर,
- विद्यालय स्तर पर शिक्षा प्रक्रिया एवं विषय वस्तु की ओर झुकाव,
- विद्यालय में विज्ञान की शिक्षा में सुधार,
- कंप्यूटर साक्षरता,
- अध्यापक शिक्षा,
- महिलाओं की समानता के लिए शिक्षा,
- शिक्षा का व्यवसायीकरण,
- विकलांगों की शिक्षा,
- राष्ट्रीय प्रतिभा खोज छात्रवृत्ति,
- शिक्षा अनुसंधान को बढ़ावा
- देश भर में माध्यमिक शिक्षा केंद्रीय बोर्ड से संबंधित विद्यालयों के लिए पाठ्य पुस्तकों का प्रकाशन कराती है।

7. राष्ट्रीय मुक्त विद्यालय
सन 1979 में केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड दिल्ली द्वारा देश में अपनी तरह का पहला खुला विद्यालय दिल्ली में खोला गया। भारत सरकार ने नवंबर 1779 मैं एक परियोजना रिपोर्ट के आधार पर शिक्षा विभाग मानव संसाधन विकास मंत्रालय के प्रशासकीय नियंत्रण में एक स्वायत्तशासी निकाय तथा पंजीकृत समिति के रूप में राष्ट्रीय खुले विद्यालय की स्थापना का निर्णय लिया और मुक्त विद्यालय को इसमें मिला लिया।
अक्टूबर 1990 में भारत सरकार के प्रस्ताव द्वारा राष्ट्रीय मुक्त विद्यालय को माध्यमिक परीक्षाएं आयोजित करने तथा प्रमाण पत्र जारी करने का अधिकार दिया गया। राष्ट्रीय खुला विद्यालय सुदूर शिक्षा के माध्यम से लाखों लोगों को वैकल्पिक खुली शिक्षा व्यवस्था करता है, जिनमें ग्रामीण जन, शहरी क्षेत्र के गरीब लोग, महिलाएं, अनुसूचित जातियों और जनजातियों के लोग कामगार व्यस्त तथा स्कूलों से छूट चुके वे लोग शामिल है जो औपचारिक विद्यालय व्यवस्था से जुड़ने में असमर्थ हैं।
यह शिक्षा को प्रेरित शिक्षार्थियों तक ले जाता है और उन्हें उनकी सहूलियत के समय स्थान एवं क्षमता अनुसार पढ़ने की इजाजत देता है। हाल में राष्ट्रीय खुले विद्यालय ने कई व्यावसायिक पाठ्यक्रमों की शुरुआत की है।
वर्तमान में राष्ट्रीय मुक्त विद्यालय में देश के सभी केंद्र शासित प्रदेशों और राज्यों से 27,10,000 से अधिक छात्रों का नामांकन हो चुका है। इस समय राष्ट्रीय मुक्त विद्यालय के पूरे देश में 4201 मान्यता प्राप्त अध्ययन केंद्र हैं जिनमें 1374 व्यवसायिक शिक्षा के हैं।