व्यवस्थापन संघर्षकारी समूहों में सन्तुलन कायम करने की एक व्यवस्था भी है। इसमें दोनों पक्षों में सहिष्णुता पैदा हो जाती है और वे अपनी सच्ची और न्यायपूर्ण मांगों का प्रतिनिधित्व करने लगते हैं। यह संघर्षकारियों को सहयोग एवं निर्माण की ओर अग्रसर करता है तथा उन्हें पूर्ण विनाश से भी रोकता है। प्रजातंत्र में कई विरोधी बल कभी-कभी साझे की सरकार बनाते हैं जो इसका एक उदाहरण है।
किन्तु व्यवस्थापन का उद्देश्य नकारात्मक ही नहीं होता है वरन यह इस बात का भी सूचक है कि संघर्षकारी समूह अब शक्ति से रहना चाहते हैं। इनमें दोनों पक्षों में लेन-देन होता है और प्रत्येक पक्ष अपने व्यवहार में परिवर्तन लाता है। प्रजातीय एवं धार्मिक संघर्षो को कम करने या समाप्त करने की दृष्टि से भी व्यवस्थापन महत्वपूर्ण है।
व्यवस्थापन परिभाषा
व्यवस्थापन मित्रतापूर्ण आदान-प्रदान की प्रक्रिया है जिसमें सहिष्णुता, पंच निर्णय एवं समझौते के द्वारा चेतन रूप से सामंजस्य किया जाता है।
बोगार्डस के अनुसार
व्यवस्थापन वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा प्रतियोगी एवं संघर्षरत व्यक्ति एवं समूह प्रतिस्पर्धा, विरोध या संघर्ष के कारण उत्पन्न कठिनाइयों को दूर करने के लिए एक-दूसरे के साथ अपने सम्बन्धों का सामंजस्य कर लेते हैं।
गिलिन और गिलिन के अनुसार
व्यवस्थापन वह शब्द है जिसका प्रयोग समाजशास्त्री आक्रामक व्यक्तियों या समूह द्वारा किये जाने वाले सामंजस्य के लिए करते हैं।
आगवर्न एवं निमकॉफ के अनुसार



व्यवस्थापन की पद्धतियाँ
- बल प्रयोग – बल प्रयोग मानसिक एवं शारीरिक दोनों प्रकार से हो सकता है। इसमें कमजोर पक्ष शक्तिशाली पक्ष के सामने झुकता है। शक्तिशाली पक्ष कहीं कमजोर को नष्ट न कर दे, अतः वह शक्तिशाली की इच्छा एवं शर्तों के अनुसार कार्य करने को तैयार हो जाता है।
- समझौता – समझौता दो समान पक्षों में होता है। इसमें दोनों पक्ष परस्पर आदान प्रदान करते हैं, दूसरे के लिए रियायतें एवं त्याग करते हैं। दो समान शक्ति वाले राष्ट्रों, व्यक्तियों, समूहों एवं व्यापारिक संस्थानों में समझौते के आधार पर ही व्यवस्थापन किया जाता है। श्रम विवादों का निपटारा भी इसी रूप में होता है। यह व्यवस्थापन का स्वस्थ एवं सर्वोत्तम रूप है।
- स्थिति परिवर्तन – इस शब्द का प्रयोग सामान्यतः एक व्यक्ति द्वारा अपनी निजी संस्कृति के स्थान पर दूसरी संस्कृति को अपनाने के लिए किया जाता है धर्म के क्षेत्र में इस प्रक्रिया का अध्ययन किया गया है। हिन्दू द्वारा मुसलमान या ईसाई बन जाना स्थिति परिवर्तन ही है। इसी प्रकार से राजनीतिक दल-बदल भी स्थिति परिवर्तन ही है।
- निर्मलीकरण या शोधन – इसके अन्तर्गत व्यक्ति या समूह पुराने स्वीकृत कार्यों के स्थान पर नवीन कार्यों को प्रस्तुत करता है जिसे विरोधी पक्ष स्वीकृति दे देता है। इस प्रकार यह पुरानी बातों में संशोधन है। इसमें पुराने मूल्यों के स्थानों पर नवीन मूल्य स्थापित किए जाते हैं।
- पंचनिर्णय – पंचनिर्णय भी व्यवस्थापन की एक विधि है। इसमें दोनों पक्षों के बीच एक माध्यम या पंच होता है जो उनमें समझौता कराता है। जब दोनों पक्ष परस्पर मिलकर प्रत्यक्ष रूप से समझौता करने में असफल हो जाते हैं, तो पंचनिर्णय या मध्यस्थ के द्वारा समझौता कराया जाता है। मजदूरों के विवादों को निपटाने एवं अन्तर्राष्ट्रीय संघर्ष को टालने के लिए पंचनिर्णय का सहारा लिया जाता है।
व्यवस्थापन के परिणाम
व्यवस्थापन के परिणाम निम्नांकित निकलते हैं-
- संघर्ष एवं प्रतिस्पर्धा पर नियन्त्रण – व्यवस्थापन प्रतिस्पर्धा, प्रतिरोध एवं संघर्ष जैसी विघटनकारी प्रक्रियाओं पर नियन्त्रण रखता है और समाज में एकता तथा संगठन बनाये रखने में योग देता है। उदाहरण के लिए यदि व्यवस्थापन द्वारा मजदूर विवादों का निपटारा न किया जाय तो अर्थव्यवस्था ठप्प हो जायेगी। इसी प्रकार से पति-पत्नी के विवादों का निपटारा न हो तो परिवार विघटित हो जायेगा।
- प्रस्थिति में परिवर्तन – यह समूह में व्यक्ति की प्रस्थिति का पुनर्निर्धारण करता है संघर्ष अथवा विरोध के द्वारा स्थापित प्रस्थितियाँ छिन्न-भिन्न हो जाती हैं जिन्हें इसके द्वारा पुनः व्यवस्थित एवं स्थापित किया जाता है।
- आत्मसात के लिए तैयार करना – संघर्ष, विरोध एवं प्रतिस्पर्धा के समाप्त होने के बाद दोनों पक्षों में पहले व्यवस्थापन होता है और उसके बाद आत्मसात । दोनों पक्ष एक-दूसरे के मूल्यों, विचारों एवं संस्कृति से परिचित होते हैं तथा एक-दूसरे के प्रति सहिष्णु दृष्टिकोण अपनाते हैं। इससे आत्मसात का मार्ग प्रशस्त होता है।
- यह नयी परिस्थितियों से सामंजस्य करने के लिए संस्थाओं एवं व्यक्तियों में सुधार लाता है।
- यह विभिन्न प्रकार के व्यक्तियों में ताल-मेल बैठता है।
- व्यवस्थापन प्रतियोगिताओं के बीच होने वाले व्यर्थ खर्च को रोकता है तथा उपभोक्ताओं को सस्ते मूल्य पर वस्तुएं दिलाने में सहायक होता है।


सामाजिक परिवर्तन परिभाषा | सामाजिक परिवर्तन के कारक | |