व्यक्तित्व को व्यक्ति के संपूर्ण व्यवहार का दर्पण कहा जाता है। यह व्यक्ति के समूचे व्यवहार को प्रभावित करता है। व्यक्तित्व व्यक्ति के सामाजिक, शारीरिक, मानसिक तथा संवेगात्मक संरचना का योग है जो इच्छाओं, रुचियों, आदर्शों व्यवहारों, तौर-तरीकों, ढंगो, आदतों, स्वभावों तथा लक्षणों के रूप में प्रकट किया जाता है।
वर्तमान शिक्षा का मुख्य उद्देश्य व्यक्तित्व का स्वस्थ संतुलित तथा सर्वांगीण विकास करना है। व्यक्तित्व के सर्वांगीण विकास के लिए यह आवश्यक है कि बालकों की शिक्षा उनकी व्यक्तिगत विभिन्न नेताओं के आधार पर प्रदान की जाए तथा बालक के व्यक्तित्व के मूलभूत गुणों का पता लगाया जाए। व्यक्तित्व के गुणों का पता लगाना ही व्यक्तित्व के गुणों का माप कहा जाता है।
व्यक्तित्व शब्द का अर्थ
ऐतिहासिक दृष्टि से व्यक्तित्व शब्द की उत्पत्ति लैटिन भाषा के शब्द परसोना से हुई है जिसका अर्थ है लिबास या नकाब। वर्तमान मनोवैज्ञानिकों के मतानुसार व्यक्तित्व में केवल बाह्य गुण या शारीरिक गुड ही शामिल नहीं होते हैं, अर्थात् व्यक्तित्व मनो-शारीरिक गुरु का संगठन है।

व्यक्तित्व की परिभाषा
साधारण शब्दों में हम कह सकते हैं कि हम जो कुछ हैं या जो कुछ बनना चाहते हैं यही हमारा व्यक्तित्व है। व्यक्तित्व के अर्थ को भिन्न-भिन्न दार्शनिकों, विचारको, समाज शास्त्रियों और मनोवैज्ञानिकों ने भिन्न-भिन्न प्रकार से परिभाषित किया है। व्यक्तित्व से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण परिभाषाएं निम्न हैं-
व्यक्तित्व व्यक्ति के मनोज दैहिक गुणों का वह गत्यात्मक संगठन है जो व्यक्ति के वातावरण के प्रति अपूर्व समायोजन को निर्धारित करता है।
व्यक्तित्व किसी व्यक्ति के संपूर्ण व्यवहार का गुण है।
व्यक्तित्व वातावरण के साथ सामान्य तथा स्थाई समायोजन है।
व्यक्तित्व जन्मजात और अर्जित प्रवृत्तियों या विशेषताओं का योग है।
व्यक्तित्व वह है जिसके द्वारा हम भविष्यवाणी कर सकते हैं कि कोई व्यक्ति किसी विशेष परिस्थिति में क्या करेगा।

व्यक्तित्व के प्रकार
कोई भी दो व्यक्ति समान नहीं हो सकते हैं। यह अलग बात है कि उनमें किसी ना किसी प्रकार या आधार की समानता हो सकती है। इसके आधार पर व्यक्तियों के प्रकार का प्राचीन समय से ही वर्गीकरण किया जाता रहा है। उदाहरण के तौर पर भारतीय आयुर्वेद में व्यक्ति की तीन प्रकार की प्रकृति बताई गई हैं-वात, पित्त और कफ।
इसी प्रकार धर्म शास्त्र में तीन मानसिक व्रतियों को माना गया है- सात्विक, राजसिक व तामसिक। इसके अतिरिक्त विभिन्न मनोवैज्ञानिकों ने भी व्यक्तित्व का भिन्न-भिन्न आधारों पर वर्गीकरण किया है। कुछ महत्वपूर्ण मनोवैज्ञानिकों ने व्यक्तित्व का वर्गीकरण निम्न प्रकार से किया है।
युंग ने व्यक्तित्व के दो प्रकार बताए हैं-
- बहिर्मुखी व्यक्तित्व – इस प्रकार के व्यक्तित्व वाले व्यक्ति व्यवहार कुशल, समाजवादी, यथार्थवादी, भाव प्रधान, शीघ्र निर्णय लेने वाले, कार्यशील, वर्तमान को महत्व देने वाले, अधिक बोलने वाले तथा वस्तु का दृष्टिकोण आदि विशेषताओं वाले होते हैं।
- अंतर्मुखी व्यक्तित्व – इस प्रकार के व्यक्तित्व वाले व्यक्ति का व्यवहार कुशल, एकांत प्रिय, विचार प्रधान, संकोची, आदर्शवादी, देर से निर्णय लेने वाले, भविष्य को महत्त्व देने वाले, कम बोलने वाले तथा आत्म दृष्टिकोण वाले होते हैं।
हिप्पोक्रेट्स ने व्यक्तित्व का वर्गीकरण स्वभाव के आधार पर किया है, जो इस प्रकार से है-
- आशावान – इस प्रकार के व्यक्ति फुर्तीले तथा सक्रिय होते हैं।
- क्रोधी – इस प्रकार के व्यक्ति शक्तिशाली तथा शीघ्र क्रोधित हो जाते हैं।
- विशाद युक्त – इस प्रकार के व्यक्ति सदा उदास तथा निराश रहते हैं।
- मन्द – इस प्रकार के व्यक्तित्व वाले व्यक्ति स्वस्थ रहने वाले तथा धीमी गति से कार्य करने वाले होते हैं।
व्यक्तित्व का मूल्यांकन
व्यक्तित्व का मापन करना कोई सरल कार्य नहीं है, क्योंकि व्यक्तित्व के विकास को मापा नहीं जा सकता है उसका तो हम केवल मूल्यांकन कर सकते हैं। अतः व्यक्ति के मापन के स्थान पर व्यक्तित्व का मूल्यांकन शब्द का प्रयोग करना अधिक उचित प्रतीत होता है क्योंकि हमारा उद्देश्य व्यक्तित्व के विकास की उन्नति को जानना होता है।
व्यक्तित्व को मापने की कोई इकाई नहीं है अर्थात व्यक्तित्व को ऊंचाई या भार की मात्रा में नहीं मापा जा सकता क्योंकि व्यक्तित्व के मापन में हमें व्यक्ति की आंतरिक भावनाओं अनुभवों इच्छाओं अभिरुचियों का भी मूल्यांकन करना होता है।
व्यक्तित्व मापन से संबंधित विधियों को हम मुख्य रूप से तीन श्रेणियों में विभाजित कर सकते हैं, जो निम्न है-
- व्यक्तिगत विधियां
- वस्तुनिष्ठ विधियां
- प्रक्षेपण विधियां

व्यक्तिगत विधियां
व्यक्तित्व के मूल्यांकन की व्यक्तिगत विधियां निम्नलिखित हैं-
- साक्षात्कार
- प्रश्नावली
- आत्मकथा
- व्यक्तित्व इतिहास
- व्यक्तित्व सूची
वस्तुनिष्ठ विधियां
व्यक्तित्व के मूल्यांकन की वस्तुनिष्ठ विधियां निम्न है-
- निरीक्षण विधि
- क्रम निर्धारण माप
- परिस्थिति परीक्षण विधि
- समाजमिति विधि
- स्वतन्त्र सम्पर्क विधि