विश्व इतिहास, इसके अंतर्गत हम लोग देखेंगे कैसे पुनर्जागरण के बाद में इंग्लैंड की गौरवपूर्ण क्रांति और औद्योगिक क्रांति अमेरिका का स्वतंत्रता संग्राम फ्रांस की राज्यक्रांति जर्मनी का एकीकरण इटली का एकीकरण तथा रूसी क्रांति हुई और फिर प्रथम विश्व युद्ध चीनी क्रांति तुर्की और इटली में फ्रांसिस्को का उदय जर्मनी में नाजीवाद का उदय तथा द्वितीय विश्व युद्ध।
विश्व इतिहास
विश्व इतिहास से आशय अतीत से लेकर आजतक पृथ्वी के सभी स्थानों की मानवजाति के इतिहास से है। वैश्विक इतिहास ऐतिहासिक अध्ययन का एक नया क्षेत्र है जो 1980 के दशक में एक अलग शैक्षणिक क्षेत्र के रूप में उभरा। ‘वैश्विक इतिहास’ से आशय वैश्विक परिप्रेक्ष्य से इतिहास की जांच करने से है। किन्तु यह तुलनात्मक इतिहास से अलग है और विश्व के इतिहास से भी अलग है।
पुनर्जागरण
- 14 वी शताब्दी के मध्य में यूरोप में पुनर्जागरण हुआ।
- बिर्जेटाइन साम्राज्य की राजधानी कुस्तुनतुनिया का पतन पुनर्जागरण का एक प्रमुख कारण था।
- इटली के महान कवि दाते को पुनर्जागरण का अग्रदूत माना जाता है डिवाइन कॉमेडी उनकी एक प्रमुख रचना है।
- पुनर्जागरण के फलस्वरूप मध्ययुगीन आडंबरों अंधविश्वासों एवं प्रथा का अंत हुआ और लोग विज्ञान चिंतन एवं उन्नत अर्थव्यवस्था की ओर उन्मुख हुए।
- पुनर्जागरण के फलस्वरूप साहित्य विज्ञान कला इत्यादि के क्षेत्र में प्रगति हुई।
- पुनर्जागरण के फल स्वरूप हुए वैज्ञानिक प्रगति में गैलीलियो, न्यूटन, रोजर बेकन इत्यादि वैज्ञानिकों ने अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। आप विश्व इतिहास Hindibag पर पढ़ रहे हैं।

इंग्लैंड की गौरवपूर्ण क्रांति
- इंग्लैंड में वर्ष 1603 में स्टुअर्ट राजवंश का शासन प्रारंभ हुआ।
- 1642 से 1649 तक हुए 7 वर्षीय गृह युद्ध के पश्चात चार्ल्स प्रथम को फांसी की सजा दे दी गई एवं चार्ल्स द्वितीय को राजगद्दी सौंपी गई।
- चार्ल्स चार्ल्स द्वितीय भी निरंकुश शासक निकला जिससे जनता उसके विरुद्ध होने लगी।
- चार्ल्स द्वितीय की मृत्यु के बाद जेम्स द्वितीय शासक बना तथा जेम्स द्वितीय की निरंकुशता एवं अत्याचारों के फलस्वरूप 1688 ईस्वी में शक्तिहीन क्रांति हुई बिना किसी खून खराबे के जनता अपने उद्देश्य को पूरा करने में सफल रही थी, इसीलिए इस क्रांति को गौरवपूर्ण क्रांति कहा गया।
- गौरवपूर्ण क्रांति के बाद इंग्लैंड में संसद की सर्वोच्चता स्थापित हुई।
औद्योगिक क्रांति
उत्पाद के क्षेत्रों में मशीनों और वास्तु की शक्ति के प्रयोग से जो व्यापक परिवर्तन हुए और इन परिवर्तन के फल स्वरुप लोगों की जीवन पद्धति एवं उनके विचारों में जो मौलिक परिवर्तन हुए उसे ही इतिहास में औद्योगिक क्रांति कहा जाता है।
- औद्योगिक क्रांति की शुरुआत इंग्लैंड में हुई क्योंकि अधिक उपनिवेशों के कारण उसके पास कच्चे माल एवं पूंजी की अधिकता थी।
- औद्योगिक क्रांति की शुरुआत और इसे आगे बढ़ाने में विभिन्न वैज्ञानिकों के अविष्कारों का विशेष योगदान रहा।
- एशिया के देशों में जापान में आधुनिक उद्योगों का विकास सर्वप्रथम हुआ। आप विश्व इतिहास Hindibag पर पढ़ रहे हैं।
अमेरिका का स्वतंत्रता संग्राम
- 15 वीं शताब्दी के अंत में कोलंबस ने अमेरिका का पता लगाया।
- इंग्लैंड के शासक जेम्स प्रथम के शासनकाल में अमेरिका में ब्रिटिश औपनिवेशिक साम्राज्य की नींव डाली गई।
- 18 वीं शताब्दी के अंत में अमेरिका में स्वतंत्रता संग्राम की शुरुआत हुई।
- अमेरिका स्वतंत्रता संग्राम के दौरान अमेरिका वासियों का नारा था प्रतिनिधित्व नहीं तो कर नहीं।
- अमेरिका स्वतंत्रता संग्राम का तत्कालिक कारण बोस्टन टी पार्टी था।
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- अमेरिका को पूर्ण स्वतंत्रता 4 जुलाई 1776 को मिली।
- अमेरिकी स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख नायक जॉर्ज वाशिंगटन थे। जो स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद अमेरिका के प्रथम राष्ट्रपति बने।
- स्वतंत्रता के बाद अमेरिका में लिखित संविधान 1789 में लागू हुआ यह दुनिया का सबसे पहला लिखित संविधान था।
- अमेरिका विश्व का पहला ऐसा देश था जिसने मनुष्य को समानता तथा उसके मौलिक अधिकारों की घोषणा की।
- विश्व में सर्वप्रथम प्रजातंत्र की स्थापना करने के कारण अमेरिका को आधुनिक गण तंत्र की जननी कहा जाता है।

फ्रांस की राज्य क्रांति
- फ्रांस फ्रांस की राज्यक्रांति लुइ 16 वे के शासनकाल में 1789 में हुई।
- स्वतंत्रता समानता बंधुता कानारा फ्रांस की राज्यक्रांति की देन है।
- 14 जुलाई 1789 को क्रांतिकारियों ने बास्तील के कारागृह के मुख्य द्वार को तोड़कर बंदियों को मुक्त कर दिया था।
- तब से 14 जुलाई को फ्रांस में राष्ट्रीय दिवस के रूप में मनाया जाता है।
- फ्रांसीसी क्रांति में वाल्टेयर मोंटेग्यू एवं दूसरों जैसे दार्शनिकों का महत्वपूर्ण योगदान था।
- आधुनिक फ्रांस का निर्माता नेपोलियन को कहा जाता है।
- 1804 में नेपोलियन ने खुद को फ्रांस का सम्राट घोषित कर दिया।
- नेपोलियन ने कानूनों का संग्रह तैयार करवाया जिसे नेपोलियन कोड कहा जाता है।
- 1815 में वाटरलू के युद्ध में नेपोलियन के जीवन का अंतिम था इस युद्ध में उसे पराजय मिली।
- रूस का आक्रमण नेपोलियन के पतन का कारण बना। आप विश्व इतिहास Hindibag पर पढ़ रहे हैं।
जर्मनी का एकीकरण
- जर्मनी के एकीकरण का श्रेय बिस्मार्क को दिया जाता है जो प्रशा के शासक विलियम प्रथम का प्रधानमंत्री था।
- 19वीं सदी में जर्मनी अनेक छोटे छोटे राज्यों में बटा था जिसमें प्रशा सबसे शक्तिशाली राज्य था।
- जर्मनी में राष्ट्रीयता की भावना जगाने का श्रेय नेपोलियन को जाता है।
- 1815 से 1850 के बीच जर्मनी साम्राज्य पर ऑस्ट्रिया का अधिपति था।
- जर्मनी के एकीकरण के क्रम में प्रशा को डेनमार्क अस्ट्रिया तथा फ्रांस से युद्ध करना पड़ा।
- फ्रांस एवं प्रसार के लिए सेडान का युद्ध 1817 में हुआ युद्ध के बाद जर्मनी का एकीकरण संभव हो सका।
- जर्मनी के एकीकरण के बाद प्रसाद का राजा विलियम प्रथम जर्मन सम्राट बना। आप विश्व इतिहास Hindibag पर पढ़ रहे हैं।

इटली का एकीकरण
- उन्नीसवीं सदी के प्रारंभ में इटली कई छोटे-छोटे राज्यों में बटा था जिसमें सबसे शक्तिशाली राज्य सर्डिनिया था।
- “यदि समाज में क्रांति लानी हो तो क्रांति का नेतृत्व नवयुवकों के हाथ में दे दो” यह कथन जोसेफ मेजिनी का है।
- इटली के एकीकरण में सबसे बड़ा बाधक ऑस्ट्रिया था।
- मैजिनी के अतिरिक्त काउंट कावूर और गैरीबाल्डी को भी इटली के एकीकरण का श्रेय दिया जाता है।
- इटली का एकीकरण काउंट कावूर ने 1871 ईसवी में किया। इसी वर्ष रूम को संयुक्त इटली की राजधानी घोषित किया गया।
- नेपोलियन को इटली के एकता का जन्मदाता कहा जाता है।
रूसी क्रांति
- रूसी क्रांति 1917 ईस्वी में हुई जिसका नेतृत्व लेनिन ने किया।
- क्रांति का तात्कालिक कारण प्रथम विश्व युद्ध मैं रूस की पराजय थी।
- 7 मार्च 1917 को रूस में क्रांति का प्रथम विस्फोट हुआ। विद्रोहियों ने रोटी रोटी का नारा लगाते हुए सड़कों पर प्रदर्शन करना शुरू कर दिया। आप विश्व इतिहास Hindibag पर पढ़ रहे हैं।
- इस क्रांति के फलस्वरूप रूस में साम्यवादी शासन का पहला प्रयोग हुआ ।
- रूस की क्रांति में कार्ल मार्क्स की विचारधारा का प्रभाव था ।
- कार्ल मार्क्स ने दास कैपिटल एवं कम्युनिस्ट मेनिफेस्टो नामक पुस्तक लिखी।
- मार्क्स ने नारा दिया विश्व के मजदूरों एक हो।
- 1921 में लेनिन ने रूस में नई आर्थिक नीति लागू की।
प्रथम विश्व युद्ध
- प्रथम विश्व युद्ध की शुरुआत 28 जुलाई 1914 को हुई।
- इसका तात्कालिक कारण ऑस्ट्रिया के राजकुमार फर्डिनेंड बोस्निया की राजधानी में की गई हत्या थी।
- या युद्ध 4 वर्षों अर्थात 1918 ईस्वी तक चला जिसमें 37 देशों ने भाग लिया।
- इस विश्व युद्ध में संपूर्ण विश्व दो भागों में बांटा था मित्र राष्ट्र एवं धुरी राष्ट्र। आप विश्व इतिहास Hindibag पर पढ़ रहे हैं।
- धुरी राष्ट्रों का नेतृत्व जर्मनी ने किया इनमें शामिल अन्य देश थे ऑस्ट्रिया, हंगरी, तुर्की, इटली।
- मित्र राष्ट्रों में इंग्लैंड फ्रांस रूस जापान संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे देश शामिल थे।
- इटली बाद में धुरी राष्ट्रों से अलग होकर के मित्र राष्ट्रों में जा मिला।
- रूसी क्रांति के बाद रूस भी युद्ध से अलग हो गया।
- प्रथम विश्व युद्ध की समाप्ति 11 नवंबर 1918 को हुई।
- 18 जून 1919 को पेरिस में शांति सम्मेलन का आयोजन किया गया जिससे 27 देशों के नेताओं ने भाग लिया।
- 19 जून 1919 को मित्र राष्ट्रों ने पराजित जर्मन के साथ काफी अन्न्यायपुर्ण वर्साय की संधि की थी, जिससे पूरे विश्व को 20 वर्ष बाद फिर से 1 विश्व युद्ध में उलझना पड़ा।

द्वितीय विश्व युद्ध
- द्वितीय विश्व युद्ध की शुरुआत 1 सितंबर 1939 को हुई इसमें 61 देशों ने भाग लिया जिसका तत्कालिक कारण जर्मनी द्वारा पोलैंड पर आक्रमण था।
- यह युद्ध 6 वर्षों तक चला 14 अगस्त 1945 को जापान के आत्मसमर्पण के बाद यह युद्ध समाप्त हुआ। आप विश्व इतिहास Hindibag पर पढ़ रहे हैं।
- इस युद्ध में एक ओर सोवियत रूस इंग्लैंड फ्रांस अमेरिका चीन तथा अन्य राष्ट्र थे जिन्हें मित्र राष्ट्र कहा जाता था।
- दूसरी ओर जर्मनी जापान तथा इटली थे जिन्हें धुरी राष्ट्र कहा जाता था।
- द्वितीय विश्व युद्ध के समय इंग्लैंड के प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल एवं अमेरिका के राष्ट्रपति फ्रैंकलीन रुजवेल्ट थे।
- 6 अगस्त 1945 को अमेरिका ने जापान के हिरोशिमा पर पैडमैन एवं इसके 3 दिन बाद 9 अगस्त को नागासाकी पर लिटल बॉय नाम के एटम बम का प्रयोग किया।
- इस युद्ध में हुए विध्वंसक परिणामों को देखते हुए विश्व में शांति की स्थापना हेतु एक अंतरराष्ट्रीय संस्था की आवश्यकता महसूस हुई
- अतः 24 अक्टूबर 1945 को संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना की गई।
विश्वभारत व्यवस्था परिवर्तन क्रांति 21वी सदी की आखिरी क्रांति का उदय हो रहा है जिससे 21वीसदी उज्जवल भविष्य की आदिम आदम की कल्पना की स्थापना होगी और सबका सबकुछ किसी का कुछ नहीं का काल लागू होगा