किसी बड़े तथा एकात्मक संगठन को लघु व लोचपूर्ण तथा स्वतन्त्र भागों में बाँटनाविभागीगकरण कहलाता है। इस क्रिया के अन्तर्गत संगठन को भिन्न-भिन्न विभागों में बाँटा जाता है विभागीयकरण से संगठन की कार्यकुशलता बढ़ती है व निष्पादकता में सुधार होता है। विभागीयकरण को विभिन्न विद्वानों ने अप्रवत परिभाषित किया है-
कूण्ट्ज तथा ओडोनल के अनुसार, “विभागीयकरण एक विशाल एकात्मक कार्यात्मक संगठन की छोटी-छोटी एवं लोचशील प्रशासकीय इकाइयों में बाँटने की एक प्रक्रिया है।”
विलियम एफ, ग्लूक के अनुसार, सम्पूर्ण उपक्रम के कार्यों को विभाजित करने तथा कृत्यों के समूह को स्थापित करने के तरीके को ही विभागीयकरण कहते है। विभागीयकरण का परिणाम उक्त इकाइयों का निर्माण करना है जिन्हें सामान्यतः विभागीयकरण कहा जाता है।
विभागीयकरण की विशेषताएं
विभागीयकरण की विशेषताएँ अग्रवत है-
- बड़े संगठन की क्रियाओं का लघु इकाइयों ने बाँटा जाना।
- सम्पूर्ण संगठन की विस्तृत प्रक्रिया होना।
- समान प्रकृति की क्रियाओं को समूहों में बांटना।
- प्रत्येक विभाग का लगभग स्वतन्त्र होना
- विशिष्टीकरण का प्राप्त होना।
विभागीयकरण की आवश्यकता
विभागीयकरण तथा उप-विभागीयकरण से संगठन की कुशलता बढ़ती है, कार्य निष्पादन में सरलता आती है तथा प्रशासन कार्य प्रभावी व सुविधाजनक हो जाता है विभागीयकरण की निम्न आवश्यकता है-
- विभागीयकरण सर्वोत्तम तरीके से उपक्रम का प्रशासन करने हेतु आवश्यक होता है।
- इसका उद्देश्य विभिन्न खण्डो एवं उनके कार्मिकों के कार्य का वैज्ञानिक वितरण करना होता है। यह वितरण इस प्रकार से किया जाता है ताकि संगठन अधिक लाभ प्राप्त करने हेतु पर्यवेक्षण, मार्गदर्शन, नियंत्रण व समन्वय कर सके तथा कर्मचारियों का भी हित हो सके।
- विभागीयकरण के लिए संगठन के उद्देश्यों को प्राप्त करने हेतु प्राधिकार एवं उत्तरदायित्वों का बंटवारा होता है। प्रयासों का सरलीकृत एवं आसान मूल्यांकन करना विभागीयकरण का सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण उद्देश्य होता है।
- विभागीयकरण का उद्देश्य उपक्रम की क्रियाओं पर उचित एवं प्रभावशाली नियंत्रण करना होता है।
- विभागीयकरण से सम्बन्धित व्यक्तियों पर निश्चित उत्तरदायित्व डाले जा सकते हैं।
विभागीयकरण के लाभ
- नियंत्रण में सरलता होना विभागीयकरण से उपक्रम की गतिविधियों पर नियंत्रण करना सरल हो जाता है। इससे प्रभावी नियंत्रण में सरलता रहती है। कार्य मूल्यॉकन में सरलता होना विभागीयकरण से कर्मचारियों तथा अधिकारियों के कार्य का सरलतापूर्वक निर्धारण किया जा सकता है।
- विकेन्द्रीयकरण को प्रोत्साह विभागीयकरण से विकेन्द्रीयकरण को प्रोत्साहन मिलता है तथा इससे विकेन्द्रीयकरण के लाभ प्राप्त होते है।
- कर्मचारियों की कुशलता में वृद्धि होना विभागीयकरण कर्मचारियों की कार्य-कुशलता में वृद्धि करता है।
- अन्य लाभ उपरोक्त के अतिरिक्त विभागीयकरण के अन्य लाभ अग्रवत है-
- उत्तरदायित्व निर्धारित करने में आसानी होना।
- विभागीय बजट में सरलता होना।
- उपक्रम का विकास व विस्तार करना सरल हो जाना।
- विशेषज्ञों की उपलब्धता होना।
विभागीयकरण के सिद्धांत
विभागीयकरण के सिद्धान्त निम्नवत् है-
- विशिष्टीकरण का सिद्धान्त।
- उचित नियंत्रण का सिद्धान्त।
- समाक्षय का सिद्धांत।
- उपक्रम के सामाजिक पक्ष का सिद्धान्त।