विद्यालय में पुस्तकालय का बड़ा महत्व है। वास्तव में प्रधानाचार्य विद्यालय का मस्तिष्क है, अध्यापक नाड़ी- संस्थान हैं और पुस्तकालय उनका हृदय है।पुस्तकालय बौद्धिक एवं साहित्यिक अभिवृद्धि का स्थान होता है। पुस्तकालय में ही बालक मानवीय ज्ञान तथा अनुभवों की निधि प्राप्त करता है या नवीन ज्ञान की खोज का केंद्र होता है। पुस्तक अनेक महान चिंतकों के अनुभवों द्वारा विद्वानों पर स्थित संग्रह होती है या संग्रह भौतिक तथा आध्यात्मिक विकास में उल्लेखनीय सहयोग प्रदान करता है।
विद्यालय पुस्तकालय
वास्तव में पुस्तकालय एक बौद्धिक प्रयोगशाला है। जहां हम अपनी बुद्धि के विकास हेतु सतत प्रयास करते हैं। पुस्तकालय हमारे मस्तिष्क को स्वच्छ एवं पोषक भोजन प्रदान करने वाला व्यवस्थित भोजनालय है यह हमारी सोच क्षमता में वृद्धि करने का केंद्र है।



पुस्तकालय में हमें पढ़ने का अवसर प्रदान करता है। हम अनेक पुस्तक के निजी तौर पर क्रय नहीं कर सकते, इसलिए पुस्तकालय बड़े उपयोगी होते हैं। पाठ्यपुस्तक के सीमित ज्ञान देती है। जब अध्यापक किसी ज्ञान को व्यापक करना चाहता है। तब पुस्तकालय है उसकी सहायता करती है। संदर्भ पुस्तके विवाद ग्रस्त विषयों को स्पष्ट करने में सहायक होती है। विभिन्न प्रकार की पुस्तकों पत्र-पत्रिकाओं आदि की व्यवस्था व्यक्तिगत स्तर पर नहीं हो सकती है। इसी की सुविधा पुस्तकालय ही दे पाता है।
पुस्तकालय छात्रों के लिए भी बड़ा उपयोगी है। छात्र यहां आकर पाठ्य पुस्तकों के अलावा अन्य संगठित पुस्तकें पढ़कर अपने ज्ञान भंडार में वृद्धि करते हैं। वह यहां आकर विविध पुस्तकों के अध्ययन में रुचि जागृत करते हैं और साहित्य अध्ययन के शुभ अवसर प्राप्त करते हैं पुस्तकालय छात्रों में स्वाध्याय की प्रवृत्ति जागृत करने में बड़े सहायक होते हैं। पुस्तक के बालकों के सामने ज्ञान तथा विचारों का एक भंडार प्रस्तुत करती है। जिससे उसके दृष्टिकोण का विकास होता है। पुस्तकालय बालकों के लिए मनोरंजन तमक पुस्तकों की व्यवस्था करता है। इससे वे अपने विश्राम के समय का सदुपयोग करना सीखते हैं। पुस्तकालय बालकों में मौन वाचन की आदत का विकास करता है।
शिक्षण की आधुनिक कदम पद्धतियां, जैसे- डाल्टन विधि, वाद विवाद पद्धति, योजना पद्धति आदि की सफलता के लिए विद्यालय में पुस्तकालय का होना नितांत आवश्यक है। (सर्व शिक्षा अभियान)
विद्यालय पुस्तकालय के उद्देश्य
विद्यालय के पुस्तकालय स्थापित करने के निम्नलिखित उद्देश्य हैं-
- छात्रों के लिए विविध साहित्य की क्रम ब्रदर्स व्यवस्था करना।
- छात्रों में स्वास्थ्य साहित्य के अध्ययन के प्रति रुचि जागृत करना।
- छात्रों में स्वाध्याय तथा मौन वाचन की आदतों का विकास करना।
- छात्रों के ज्ञान को व्यापक बनाने के साधन जुटाना पाठ्य पुस्तकों के अलावा अन्य संबंधित पुस्तकें पत्र-पत्रिकाओं आदि की व्यवस्था करना।
- शिक्षकों के लिए उच्च स्तरीय साहित्य की व्यवस्था करना।
- छात्रों के लिए शब्द भंडार बढ़ाने के लिए शब्दकोश तथा अतिरिक्त ज्ञान बढ़ाने के लिए संदर्भ पुस्तके जुटाना।
- कक्षा में दी गई सामान्य सूचना में अभिवृद्धि करना तथा पुस्तकों को सही ढंग से प्रयोग करना सीखना।
- छात्रों को स्वतंत्र तथा मौलिक चिंतन करने का प्रशिक्षण प्रदान करना।
विद्यालय पुस्तकालय से लाभ
विद्यालय में अच्छे पुस्तक का होना अत्यंत आवश्यक है। पुस्तक के महत्व की चर्चा करते हुए माध्यमिक शिक्षा आयोग लिखना है, “व्यक्तिगत कार्य, समूह- प्रयोजन कार्य, शैक्षणिक व मनोरंजन कार्य तथा पाठ्यक्रम सहगामी क्रियाओं के अच्छे तथा दक्ष पुस्तकालय का होना आवश्यक है। छात्रों की सूचियों का विकास, उनके शब्द भंडार का वर्धन तथा कक्षा में अर्जित ज्ञान की वृद्धि करना – यह सब इस बात पर निर्भर है कि छात्रों को पुस्तकालय में कितने साधन उपलब्ध हैं। इनके अलावा पुस्तकालय से निम्नलिखित लाभ और हानियां हैं-
- छात्रों को अतिरिक्त अध्ययन सामग्री सरलता और सहजता के साथ उपलब्ध हो जाती हैं।
- अच्छे पुस्तकालय छात्रों में अध्ययन संबंधी स्वस्थ आदतों का विकास करते हैं।
- पुस्तकालय अवकाश के समय का सदुपयोग करने के अच्छे साधन है।
- छात्रों के व्यापक दृष्टिकोण का विकास होता है।
- पुस्तकालय छात्रों को पुस्तकों के उचित प्रयोग का प्रशिक्षण कर देते हैं। पुस्तकालय से ही वे वह सीखते हैं कि पुस्तकों को ठीक प्रकार से किसी प्रकार रखा जाए।
- छात्र में मौन पाठ की आदत का विकास होता है।
- पुस्तकालय उन मूल्यवान पुस्तकों की व्यवस्था करते हैं,जिन्हें अध्यापक या छात्र स्वयं करें नहीं कर सकते हैं।
- छात्रों में स्वास्थ्य साहित्य पढ़ने की आदत का विकास होता है।
- पुस्तकालय से आधुनिक साहित्य का परिचय प्राप्त होता है।
- यहां एक ही समय पर अध्ययन हेतु अनेक पुस्तकें उपलब्ध हो जाती हैं।