आज का युग विज्ञान एवं तकनीकी का युग है। वैज्ञानिक आविष्कारों के परिणामस्वरूप वर्तमान में मनुष्य का जीवन अपने पूर्वजों से अधिक सुविधाजनक होता जा रहा है। मनुष्य के मस्तिष्क में ही सोचने-विचारने एवं गूढ़ रहस्यों के प्रति आश्चर्य की भावना पायी जाती है। मनुष्य अपनी इसी क्षमता के आधार पर आरम्भ से ही प्रकृति को परिभाषित करने का प्रयास कर रहा है। मनुष्य ने प्रकृति के प्रश्नों के उत्तर खोजने का प्रयास किया है और वह इन प्रश्नों के उत्तर खोजने में सफल हुआ। जिस प्रक्रिया से मनुष्य अनुत्तरित प्रश्नों का उत्तर खोजने में सफल हुआ वह प्रक्रिया थी — विज्ञान की प्रक्रिया।
अतः यह जानना अत्यन्त आवश्यक है कि विज्ञान क्या है ? इसका अर्थ, प्रकृति, क्षेत्र एवं महत्व के विषय में अध्ययन करना अति आवश्यक है।
विज्ञान का अर्थ
शाब्दिक अर्थ-विज्ञान शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है, वि ज्ञान जिसका अर्थ है विशिष्ट ज्ञान। वास्तव में, प्रकृति में घटित घटनाओं का अध्ययन करना तथा उनमें सम्बन्ध ज्ञात करना ही विज्ञान कहलाता है।
विज्ञान शब्द की उत्पत्ति Latin भाषा के शब्दों Verb-Seire से हुई है जिसका अर्थ है जानना (To know) तथा Noun-Scientia से हुई है, जिसका अर्थ है ज्ञान (Knowledge)। अतः विज्ञान, अनुभवों पर आधारित निरीक्षणों की एक श्रृंखला है जो कि प्रत्ययों एवं सिद्धान्तों के निर्माण करने का कार्य करती है। विज्ञान, ज्ञान की एक शाखा भी है और ज्ञान को प्राप्त करने तथा उसे सुधारने की एक प्रक्रिया है। Science की प्राप्ति सुव्यवस्थित एवं क्रमबद्ध ज्ञान व अनुभव पर आधारित अन्वेषणों के फल स्वरुप होती है।
अर्जित ज्ञान या अर्जित किए जाने वाले ज्ञान की एक विशिष्ट पहचान एवं विशेषता होती है। यह ज्ञान सामान्य विषयों के ज्ञान से कुछ अलग होता है। विज्ञान में किसी भी समस्या के समाधान के लिए एक विशिष्ट प्रक्रिया पर बल दिया जाता है। यह विशिष्ट प्रक्रिया ही ज्ञान प्राप्त करने की वैज्ञानिक विधि है तथा इस विशिष्ट प्रक्रिया के द्वारा अर्जित ज्ञान को विज्ञान कहते हैं।
विज्ञान की परिभाषा
वैज्ञानिक विधि के अंतर्गत ज्ञानार्जन के लिए या समस्या समाधान के लिए किसी समस्या की आवश्यकता होती है, जब हमारे समाज को समस्या उत्पन्न होती है, तो हम उस समस्या को हल करने के लिए संबंधित तथ्यों का संग्रह करते हैं। इन तथ्यों के आधार या सम्मिलित हल की परिकल्पना करते हैं। परिकल्पना के सत्यापन के लिए विश्लेषण करते हैं तथा विश्लेषण के आधार पर निष्कर्ष तक पहुंचते हैं, तब उस निष्कर्ष का समस्याएं करण करके उसे उपयोग में लाते हैं, यह प्रक्रिया ही विज्ञान की पहचान होती है। विज्ञान की परिभाषाएं निम्नलिखित हैं-
विज्ञान प्राकृतिक विषय का व्यवस्थित ज्ञान एवं धारणाओं के मध्य संबंधों का तार्किक अध्ययन है, जिनमें यह विषय व्यक्त होते हैं।
डैंपियर के अनुसार
विज्ञान वैज्ञानिक विधियों, वैज्ञानिक दृष्टिकोण और वैज्ञानिक मानसिकता के द्वारा प्राकृतिक घटनाओं के संबंध में ज्ञान प्राप्त करने की वह प्रक्रिया है जिसमें अधिगम अधिक सुव्यवस्थित तथा क्रमबद्ध ढंग से होता है।
कुलश्रेष्ठ के अनुसार
हमारी ज्ञान अनुभूतियों की अस्त-व्यस्त विभिन्नता को एक तर्कपूर्ण विचार प्रणाली में निर्मित करने के प्रयास को विज्ञान कहते हैं।
आइंस्टीन के अनुसार
विज्ञान वह मानवीय व्यवहार है जो घटनाओं की एवं उन परिस्थितियों की जो प्राकृतिक वातावरण में उपस्थित हो पूर्ण शुद्धता से व्याख्या करने का प्रयास करें।
वुडबर्न एवं ओबोर्न के अनुसार
विज्ञान निरंतर क्रांतिकारी परिवर्तन की स्थिति है और वैज्ञानिक सिद्धांत तब तक वैज्ञानिक नहीं होते हैं जब तक कि उन्हें आगामी अनुभव लगा समाज द्वारा परिवर्तन किया जाना निहित नहीं है।
कार्ल पॉपर के अनुसार






विज्ञान की प्रकृति
मनुष्य सदा से सृष्टि के पीछे छिपे सत्य की खोज में रहा है। उसे प्रकृति की बनावट, उसकी कार्यशैली तथा उसके मूल सिद्धांतों को जानने की तीव्र इच्छा रहती है। प्रकृति के कार्यों के नियमों को समझे बिना प्रकृत की शक्तियों को अपने सुख के लिए प्रयोग से लाना असंभव था। प्रकृति के नियमों के प्रतिकूल कार्य करने में कहीं संपूर्ण जीवन नष्ट ना हो जाए।
विज्ञान प्रत्येक तत्व का विश्लेषण करके प्रकृति के प्रत्येक भाग को बारीकी से समझने का प्रयत्न करता है। सृष्टि में बहुत से तथ्य बहुत जटिल है, इसलिए यदि उनका विश्लेषण करके उन्हें छोटे-छोटे भागों में बांट दिया जाए और फिर समझा जाए तो समझना आसान हो जाता है। उदाहरण – चुंबकीय आकर्षण किस पर निर्भर है? इसे हम कई भागों में बांट सकते हैं जैसे क्या वह आकर्षित करने वाले चुंबक के ध्रुव की शक्ति पर निर्भर है? तथा क्या वह दोनों के बीच की दूरी पर निर्भर है? आदि।
जब कभी हम दो तथ्यों को सदा एक साथ घटित होते हुए देखते हैं तो हम तुरंत उनके बीच किसी संबंध की कल्पना कर लेते हैं। फिर इस कल्पना के आधार पर नए तत्वों की खोज की जाती है। वैज्ञानिक विचारणा पक्षपात रहित होती है। वैज्ञानिक विचार किसी व्यक्ति विशेष की धारणाओं पर निर्भर नहीं है और ना ही उन्हें किसी व्यक्ति की भावनाओं का कोई स्थान है। वैज्ञानिक केवल सत्य की खोज में रहता है।
जिन व्यक्तियों को वैज्ञानिक विधि में प्रशिक्षण नहीं मिला होता है वह अटकल से या व्यक्तिगत अनुमान से मूल्यांकन करते हैं। लेकिन जो वैज्ञानिक विधि में प्रशिक्षण प्राप्त होते हैं उनका मूल्यांकन तथ्यों के परिणामों के माप तोल या अन्य किन्हीं परीक्षणों पर आधारित होता है। इसलिए विज्ञान की प्रगति अच्छे मार्गों पर उस सीमा तक निर्भर रहती है जितना उन मापक यंत्रों का शोधन होता है और जितनी उनमें सूक्ष्मता आती है।
विज्ञान वह व्यवस्थित ज्ञान या विद्या है जो विचार, अवलोकन, अध्ययन और प्रयोग से मिलती है, जो कि किसी अध्ययन के विषय की प्रकृति या सिद्धान्तों को जानने के लिये किये जाते हैं। विज्ञान शब्द का प्रयोग ज्ञान की ऐसी शाखा के लिये भी करते हैं जो तथ्य, सिद्धान्त और तरीकों को प्रयोग और परिकल्पना से स्थापित और व्यवस्थित करती है। प्रत्येक विषय की अपनी प्रकृति होती है जिसके द्वारा व्यक्ति उस विषय के दृष्टिकोण को परख सकता है। विज्ञान की प्रकृति निम्नलिखित है-
- विज्ञान प्रत्यक्ष ज्ञान एवं सत्य पर आधारित होता है।
- विज्ञान के द्वारा तथ्यों का विश्लेषण किया जाता है।
- विज्ञान परिकल्पना पर आधारित ज्ञान होता है।
- विज्ञान पक्षपात रहित विचारधारा हैं।
- विज्ञान वस्तुनिष्ठ मापकों पर निर्भर रहता है।
- वैज्ञानिक विधि का अनुसरण कर तथ्यों को स्थापित करना ही विज्ञान है।
- विज्ञान समस्या का स्पष्ट एवं सुव्यवस्थित हल है। विज्ञान परिमाणवाची निष्कर्षों की खोज है।
- विज्ञान का ज्ञान सुव्यवस्थित, क्रमबद्ध, तार्किक तथा सुस्पष्ट होता है। इसमें प्रकृति में घटित सम्पूर्ण घटनाओं के परस्पर सम्बन्धों का अध्ययन किया जाता है तथा उनके निष्कर्ष निकाले जाते हैं।
- विज्ञान के अध्ययन से छात्रों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण, आगमन – निगमन, सामान्यीकरण तथा अवलोकन की योग्यता का विकास होता है।
- विज्ञान के अध्ययन से छात्रों में अनुशासन, आत्मनिर्भरता, आत्मविश्वास इत्यादि गुणों का विकास होता है।
- विज्ञान का ज्ञान ज्ञानेन्द्रियों द्वारा सीखा गया ज्ञान होता है जो अधिक समय तक स्थायी रहता है। विज्ञान व्यक्ति की जिज्ञासु प्रवृत्ति का विकास करने में सक्षम रहता है। व्यक्ति की जिज्ञासु होने की प्रवृत्ति ही विज्ञान की प्रकृति है, जो व्यक्ति को निरन्तर नये ज्ञान की ओर प्रेरित करती रहती है।
- विज्ञान का ज्ञान मनुष्य के मस्तिष्क से अन्ध विश्वासों को दूर करने में सक्षम है। अतः विज्ञान की प्रकृति सत्य की खोज करना, तथ्यों, नियमों एवं सिद्धान्तों को सुव्यवस्थित एवं क्रमबद्ध ढंग से प्रस्तुत करना है जिससे ज्ञान में वृद्धि की जा सके तथा समस्याओं का सही व उचित हल किया जा सके।
विज्ञान का क्षेत्र
विज्ञान का क्षेत्र बहुत व्यापक है। परिवर्तन प्रकृति का नियम है इस आधुनिक संसार में परिवर्तन लाने का श्रेय विज्ञान को जाता है। विज्ञान के विद्यार्थी और अध्यापक होने के नाते हम सभी का दायित्व है कि विज्ञान के क्षेत्र के बारे में जानकारी हो। विज्ञान के क्षेत्र को हम विज्ञान की शाखाओं के माध्यम से जान सकते हैं। सुविधा की दृष्टि से विज्ञान को निम्नलिखित भागों में विभाजित किया जा सकता है—
- भौतिक विज्ञान
- रसायन विज्ञान
- जीव विज्ञान
- खगोल विज्ञान
- भू-गर्भ विज्ञान
- आयुर्विज्ञान
- गणित
विज्ञान की उपयोगिता एवं महत्व
आज हम वैज्ञानिक युग में जी रहे हैं। हमारे चारों ओर विज्ञान ही दृष्टिगोचर होता है। अत: हमारे दैनिक जीवन में विज्ञान का बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान है। फलस्वरूप आज मानव जीवन का ऐसा कोई क्षेत्र नहीं है जो विज्ञान के चमत्कारों से अप्रभावित रह गया हो। विज्ञान की उपयोगिता एवं महत्व इस प्रकार हैं-
- कृषि के क्षेत्र में – रासायनिक क्रियाओं द्वारा महत्वपूर्ण उर्वरकों के प्रयोग से ही अच्छी फसल को उगाना सम्भव हो पाया है। जिससे कि हम खाद्यान्न की आवश्यकताओं की पूर्ति कर खाद्यान्न के क्षेत्र में आत्मनिर्भर हो पाये हैं।
- चिकित्सा एवं स्वास्थ्य के क्षेत्र में – विज्ञान के द्वारा ही औषधियों का आविष्कार, रोगों की पहचान, निराकरण तथा बीमारियों का उन्मूलन आदि सम्भव हो पाया है। विज्ञान के द्वारा ही रोगों की पहचान के लिए मशीनों व उपकरणों का निर्माण सम्भव हो सका है जिससे उनका निदान आसानी से किया जा सकता है।
- यातायात के क्षेत्र में – विज्ञान की देन से ही हम कम समय में अधिक से अधिक दूरी तय कर सकते हैं। मोटर, वायुयान, कारें आदि यातायात के साधन विज्ञान की ही देन है जिन्होंने मानव जीवन को सुगम बना दिया है।
- औद्योगिक क्षेत्र में – विज्ञान के कारण ही औद्योगिक विकास सम्भव हो सका है जिससे हम औषधि, सीमेंट, कागज, कपड़ा, पेट्रोलियम आदि का निर्माण आसानी से कर सकते हैं।
- संचार के क्षेत्र में – मोबाइल, टेलीफोन, रेडियो, रॉकेट, इंटरनेट आदि ने मानव जीवन में क्रांतिकारी परिवर्तन किए हैं। इन उपकरणों के माध्यम से हम कम समय में अधिक सूचना प्राप्त कर सकते हैं।
- अन्तरिक्ष के क्षेत्र में – आज विज्ञान के ज्ञान के कारण ही मनुष्य ने चन्द्रमा व अन्य ग्रहों पर पहुँचने में सफलता प्राप्त की है। वर्तमान में विभिन्न क्षेत्रों में भौतिक शास्त्री, रसायन शास्त्री, जैव विज्ञानी आदि सभी अंतरिक्ष में जाकर विभिन्न अनुसंधान में जुटे हैं।
- मनोरंजन के क्षेत्र में – विज्ञान की सहायता से मनुष्य ने अपने जीवन को आनंदमयी बनाने के लिए मनोरंजन के साधनों का विकास कर लिया है। सिनेमा, टीवी, मोबाइल, कंप्यूटर, रोबोट आदि विज्ञान की ही देन है।
- खाद्यान्न के क्षेत्र में – विज्ञान के ज्ञान के कारण ही विभिन्न रासायनिक उर्वरकों द्वारा अधिक से अधिक खाद्यान्नों का उत्पादन किया जा रहा है।
- रक्षा एवं परमाणु के क्षेत्र में – देश की सुरक्षा का दायित्व वैसे तो प्रत्येक नागरिक का है फिर भी प्रत्येक देश का रक्षा विभाग इसका दायित्व बड़ी तत्परता से निभाता है। विज्ञान की नित नई खोजों द्वारा सैन्य शक्ति को मजबूत बनाया जा रहा है। विज्ञान की नित नई खोज जिससे हमारे पास विश्व स्तर के सैन्य उपकरण उपलब्ध हैं, जिसकी सहायता से देश विभिन्न प्रकार की विपरीत परिस्थितियों में किसी भी चुनौतियों का सामना करने के लिए सक्षम है।
- शिक्षा के क्षेत्र में – वर्तमान में विज्ञान के प्रति छात्रों की रुचि में वृद्धि हुई है। मेडिकल हो या इन्जीनियरिंग का क्षेत्र, छात्र आज शिक्षा के माध्यम से अधिक जाग्रत एवं सचेत हो चुका है। जहाँ पहले ग्रामीण क्षेत्र शिक्षा से अछूता रहा था। आज ग्रामीण क्षेत्रों में भी नित नए विद्यालय खुल रहे हैं और छात्र-छात्राएं शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं।






विज्ञान का अन्य विद्यालयी विषयों से सम्बन्ध
विज्ञान का अन्य विद्यालयी विषयों से सम्बन्ध निम्नलिखित प्रकार से हैं-
- विज्ञान का भाषा से सह-सम्बन्ध – अपने विचारों को व्यक्त करने के लिए भाषा एक सार्थक व सशक्त माध्यम है। यदि व्यक्ति का भाषा पर अधिकार नहीं है तो जन साधारण के लिए विज्ञान क्षेत्र से प्राप्त उपलब्धियाँ उपयोगी नहीं हो सकती हैं। विभिन्न लेखों और कहानियों में जो भी विज्ञान की शब्दावली का प्रयोग मिलता है। इस प्रकार विज्ञान से भाषा एवं साहित्य से सम्बन्ध स्थापित किया जा सकता है। विज्ञान के ज्ञान को सरल, स्पष्ट, आकर्षक स्वरूप देने में भाषा की आवश्यकता होती है। विज्ञान शिक्षण में भाषा की शब्दावली का प्रयोग किया जाता है, जिससे तथ्य सरल एवं बोधगम्य हो जाते हैं।
- विज्ञान का इतिहास से सह-सम्बन्ध – विज्ञान का मानव संस्कृति एवं सभ्यता से प्रगाढ़ सम्बन्ध है। विभिन्न प्राणियों के उद्विकास, वैज्ञानिकों के आविष्कारों के इतिहास, इनकी जीवनियाँ आदि के माध्यम से ऐतिहासिक घटनाओं के महत्व को स्पष्ट किया जा सकता है। इस प्रकार विज्ञान का इतिहास के साथ घनिष्ठ सम्बन्ध प्रदर्शित होता है।
- विज्ञान का गणित से सह-सम्बन्ध – विज्ञान शिक्षक के लिए गणितीय प्रक्रियाओं का ज्ञान होना परमावश्यक है क्योंकि सूक्ष्मदर्शी यन्त्र, उत्स्वेदन यन्त्र आदि की विवेचना करने के लिए गणितीय सांख्यिकीय एवं मापन का ज्ञान होना अत्यन्त आवश्यक है। इस प्रकार विज्ञान और गणित के बीच में घनिष्ठ सम्बन्ध है। विज्ञान के उपकरणों के स्पष्टीकरण में गतिणीय सिद्धान्तों का भी ज्ञान कराया जा सकता है।
- विज्ञान का भूगोल से सह-सम्बन्ध – मिट्टी की प्रकृति एवं रचना, विभिन्न जलवायु में पाए जाने वाले जीव-जन्तु एवं विभिन्न रासायनिक संरचनाओं के संघटन आदि विज्ञान और भूगोल के मध्य सह सम्बन्ध को स्पष्ट करते हैं। इस प्रकार शिक्षक जीव-विज्ञान के साथ भूगोल का भी ज्ञान प्रदान कर सकता है।
- विज्ञान का कला से सह-सम्बन्ध – विज्ञान शिक्षण का प्रभावशाली एवं अर्थपूर्ण अध्ययन कला के ज्ञान के अभाव में अधूरा है। विज्ञान में चित्र, ग्राफ, चार्ट, प्रतिरूप आदि की बहुत आवश्यकता रहती है। कला के अभाव में विज्ञान का शिक्षण असम्भव है। विज्ञान में नमूनों के चित्र, स्लाइड के चित्र तथा विच्छेदन के चित्र विषय को स्पष्ट करने में सहायक होते हैं जिनका स्पष्टीकरण चित्रों या रेखाचित्रों के द्वारा ही सम्भव है । इस प्रकार स्पष्ट होता है कि विज्ञान और कला दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं।
- विज्ञान एवं स्वास्थ्य विज्ञान में सह-सम्बन्ध – स्वास्थ्य विज्ञान के विकास में विज्ञान का महत्वपूर्ण योगदान होता है। शारीरिक विकास के लिए भोजन (अनाज, फल, दूध आदि) का चयन, विभिन्न रोगों से मुक्ति के लिए आवश्यक ज्ञान विज्ञान के अध्ययन से ही उपलब्ध होता है। इन परिस्थिति में विज्ञान का स्वास्थ्य विज्ञान से सम्बन्ध स्थापित होता है।