हमारे चारों ओर वायु है। वायु एक रंगहीन, गंदहीन तथा स्वादहीन पदार्थ है। इसमें बाहर होता है तथा यह दबाव भी डालती है। सभी सजीवों के लिए वायु एक महत्वपूर्ण प्राकृतिक संपदा है। इस अध्याय में हम वायुमंडल की संरचना तथा वायु प्रदूषण के विषय में अध्ययन करेंगे।
वायुमंडल
हमारी पृथ्वी वायुमंडल से गिरी हुई है यह वायुमंडल के सभी सजीव पदार्थों के लिए आवश्यक है। इसमें कई प्रकार की गैस से तथा अन्य पदार्थ मिले होते हैं। यह वायुमंडल पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण बल से ही यह वायुमंडल पृथ्वी के गिर्द थमा हुआ है। संरचना तथा तापमान के आधार पर वायुमंडल की चार परते हैं। यह परते निम्नलिखित है-
- क्षोभ मंडल – यहां वायुमंडल की सबसे पहली परत है। जिसमें श्वसन के लिए पर्याप्त वायु होती है। यह पृथ्वी तल से केवल 15 किलोमीटर की ऊंचाई तक फैली हुई है। बादल वायुमंडल की इसी परत में बनते हैं।
- समताप मंडल – वायुमंडल की या परत पृथ्वी तल से 15 किलोमीटर से 80 किलोमीटर की ऊंचाई तक फैली हुई है। वायुमंडल के अधिकांश वायु इसी परत में पाई जाती है। इस परत में ऑक्सीजन नहीं पाई जाती।
- मध्य मंडल – यह प्रथ्वी तल से 80 किलोमीटर से 500 किलोमीटर की ऊंचाई तक फैली हुई है। इस परत में भी ऑक्सीजन नहीं पाई जाती।
- बाह्य मंडल – यह वायुमंडल की सबसे बाहरी परत है। यह पृथ्वी तल से 500 किलोमीटर से लेकर कई हजार किलोमीटर की ऊंचाई तक फैली हुई है।



वायुमंडलीय दाब
हमारे चारों ओर वायु है यह वायु पृथ्वी के तल पर दबाव डालती है इस दबाव को वायुमंडलीय दाब कहते हैं। यह पारे के सेंटीमीटर से प्रदर्शित की जाती है। यह दबाव 1 किलोमीटर द्रव्यमान द्वारा 1 वर्ग सेंटीमीटर के क्षेत्र पर डाले गए दबाव के बराबर होता है।
जैसे-जैसे हम किसी पर्वत के ऊपर चढ़ते जाते हैं वायुमंडलीय दाब घटता जाता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि जैसे-जैसे हम ऊपर जाते हैं वायु पतली होती जाती है। अतः समुद्र तल से ऊंचाई के आधार पर वायुमंडलीय दाब एक स्थान से दूसरे स्थान तक परिवर्तित होता रहता है। समुद्र तल पर वायुमंडलीय दाब पारे के 76 सेंटीमीटर ऊंचे स्तंभ के दाब के बराबर होता है।
1 वायुमंडलीय दाब = 1.01310^5N/m^2.
दाब की इकाई पास्कल होती है।
वायुमंडलीय दाब मापन
वायुमंडलीय दाब को मापने वाला यंत्र बैरोमीटर कहलाता है।प्राचीन समय में पारे के स्तंभ वाले मर्करी बैरोमीटर प्रयोग किया जाता था। आजकल भी इसका उपयोग विद्यालयों, प्रयोगशाला तथा प्रमुख मौसम केंद्रों में किया जाता है। क्योंकि वायुमंडलीय दाब, वायुमंडल द्वारापृथ्वी की सतह पर वायु के भार के फल स्वरुप लगने वाला दाब है।
इसलिए इसे वायुमंडलीय भार द्वारा पृथ्वी का एक इकाई क्षेत्र पर लगने वाले बल के रूप में मापा जाता है।यह बल द्रव्य अथवा गैस जैसे किसी तरल पदार्थ द्वारा सभी दिशाओं में समान रूप से संचालित होता है। अतः इसे पारे के स्तंभ की ऊंचाई के प्रेक्षण द्वारा मापा जाता है। यह अपने दाब द्वारा वायुमंडलीय दाब को पूर्णता संतुलित रखता है।
पारद बैरोमीटर
कांच की लगभग 840 मिमी० ऊंची नली का बना होता है। जिसका एक सिरा बंद तथा दूसरा सिरा खुला हुआ होता है। जब इस नली में पारा भरकर पारे से ही भरे एक टब में उल्टा या जाता है, तो नली में पारा नीचे गिरकर टब में रखे पारे की सत्ता से 760 मिमी० की ऊंचाई पर स्थित हो जाता है। नली का ऊपरी भाग पूर्णता निर्वात होता है।
वायुमंडलीय दाब में परिवर्तन के फल स्वरुप नली में पारे की ऊंचाई थोड़ी घटती अथवा बढ़ती है। जो समुद्र तल पर 737 मिमी० से कम तथा 775 मिमी० से अधिक शायद ही कभी हो पाती हो। शायद बैरोमीटर में पारे के तेल को बर्नियर नामक एक विशेष प्रकार के आशंकित पैमाने से पढ़ा जाता है।

एनीरॉयड बैरोमीटर
पारद बैरोमीटर थोड़े भारी होते हैं, तथा इन्हें एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाना कठिन होता है। इसके अतिरिक्त यह थोड़े महंगे भी होते हैं। इसलिए आजकल निरद्रव्य बैरोमीटर अधिक प्रयोग किए जाते हैं। इनमें किसी प्रकार के द्रव्य का प्रयोग नहीं किया जाता है। इसमें एक संकेतक भी होता है दबाव बढ़ने पर दांत की पतली चादर नीचे की ओर तथा दबाव कटने पर नीचे की और दब जाती है। इससे संकेतक आशंकित पैमाना पर घूमता है।
वायु के अवयव
वायु मैं बहुत से अवयव पाए जाते हैं जैस- नाइट्रोजन, ऑक्सीजन, कार्बन डाइऑक्साइड, निष्क्रिय गैस और जलवाष्प आदि।वायुमंडल की बनावट स्थित नहीं होती है। यह स्थान, ऊंचाई, मौसम और दिन के समय आदि पर निर्भर करता है। वास्तव में मानव के क्रियाकलापों का वायुमंडल की बनावट पर काफी प्रभाव पड़ता है। दुर्भाग्यवश मानव के क्रियाकलापों ने वायुमंडल की बनावट को इस सीमा तक प्रवाहित किया है कि स्वयं मनुष्यों का पृथ्वी पर जीवन दूभर हो गया है।