रेखा संगठन में अधिकार-सत्ता का प्रवाह सीधा उच्च स्तर से निम्न स्तरों की ओर तथा दायित्वों का प्रवाह नीचे से ऊपर की ओर होता है। यह संगठन प्रारूप संगठन संरचना का सर्वाधिक पुराना तथा सरल प्रारूप है। इसे सैनिक संगठन, विभागीय संगठन, लम्बवत् संगठन, सोपानिक संगठन आदि विभिन्न नामों से जाना जाता है।
रेखा संगठन
सी. बी. गोइंग के अनुसार, रेखा संगठन में अधिकारों और दायित्वों की रेखाएँ सम्पूर्ण संस्था में सतत् रूप से नीचे की ओर चलती हैं, जैसेकि पत्तियों की शिराएँ वृन्त के पास एकत्रित होती हैं, अनेक पत्तियों के वृन्त टहनी से मिलते हैं, अनेक टहनियों शाखाओं से मिलती है तथा कई शाखाएँ तने से मिलती हैं और शिराएँ, वृन्त, टहनियाँ, शाखाएँ और तने को सामान्यतः पेड़ के जीवन एवं विकास में सभी कार्य करने पड़ते हैं।
रेखा संगठन में प्रत्यक्ष शीर्ष रेखा सम्बन्ध होते हैं जो प्रत्येक स्तर की स्थिति एवं कार्यों से ऊपर तथा नीचे के स्तर से सम्बन्ध स्थापित करते हैं।
श्री मेकफारलैण्ड के अनुसार
श्री ऐलन के अनुसार, “रेखा आदेश की यह श्रृंखला है जो संचालक मण्डल के विभिन्न प्रत्यायोजनों एवं पुनः प्रत्यायोजन द्वारा अधिकारों एवं दायित्वों को उस बिन्दु तक पहुँचाती है जहाँ पर कि कम्पनी की प्राथमिक क्रियाओं को पूरा किया जाता है।” इसमें सर्वोच्च अधिकारी जनरल मैनेजर होता है।
रेखा संगठन की विशेषताएँ
रेखा संगठन की विशेषताएं निम्न हैं-
- सरल एवं प्राचीनतम संगठन प्रारूप रेखा संगठन संरचना संगठन की सर्वाधिक आसान एवं प्राचीनतम पद्धति है।
- प्राधिकार का ऊपर से नीचे की ओर प्रवाह इस संगठन संरचना में प्राधिकार का प्रवाह ऊपर से नीचे की ओर होता है।
- जबाबदेयता का नीचे से ऊपर की ओर प्रवाह रेखा संगठन में जवाबदेयता का प्रवाह नीचे से ऊपर की ओर होता है।
- रेखीय कार्य करना रेखीय प्रबन्धक द्वारा रेखीय कार्य किये जाते हैं।
- विशेषज्ञीकरण का अभाव इसमें विशेषज्ञीकरण का पूर्ण अभाव होता है। प्रबन्धक कार्य के एक वर्ग का विशेषज्ञ न होकर सभी कार्यों का जानकार होता है।
- सहायकों की सीमित संख्या यह सीमित संख्या में सहायकों वाली सरल संरचना होती है। एक अधिकारी के अधीन कार्य करने वाले कर्मचारियों की संख्या सीमित होती है।
- अन्य विशेषताएँ – रेखा संगठन संरचना की कुछ अन्य विशेषताएं निम्नलिखित होती है।
- प्रत्येक अधीनस्थ द्वारा अपने निकटतम प्राधिकारी से आदेश प्राप्त किया जाना,
- कार्यों का अन्तिम दायित्व सर्वोच्च अधिकारी का होना
- अधिकार सत्ता का सीधी रेखा के रूप में प्रवाहित होना
- नियोजन व क्रियान्वयन के कार्य पृथकतः न होना।
रेखीय संगठन संगठन संरचना का सर्वाधिक प्राचीन प्रारूप है। इसका प्रयोग सेना में किये जाने के कारण इसे सैनिक संगठन कहते हैं। इस संगठन संरचना में सख्त अनुशासन रहता है। इस संगठन संरचना की विशेषता सेना में अपनायी जाने वाली संगठन संरचना से मेल खाती है। अतः इसे सैनिक संगठन के रूप में भी जाना जाता है।
- रेखा संगठन में अधिकार केन्द्रीयकृत होते हैं।
- रेखा संगठन में व्ययों कमी आती है।
- रेखा संगठन में निर्णय शीघ्र लिये जाते हैं।
- रेखा संगठन में नियंत्रण एकात्मक होते हैं।
- प्रभावी नियंत्रण बनाये रखा जा सकता है।
- इस संगठन में कार्मिक वर्ग अनुशासित रहता है।
- रेखा संगठन संरचना का सरल प्रारूप है।
- इसमें प्रबन्धन क्षमता विकसित होती है।
- इस संगठन संरचना में लोच होने के कारण परिवर्तन आसानी से किया जा सकता है।
- इसमें लालफीताशाही नहीं होती है।
- कर्मचारियों में सीमा सम्बन्ध स्थापित होता है।
- इससे संगठन में स्थिरता आती है।
- संगठन की गतिविधियों में आसानी से सामंजस्य स्थापित किया जा सकता है।
रेखा संगठन के दोष
रेखा संगठन संरचना के निम्नलिखित दोष हैं।
- रेखा संगठन में अपर्याप्त विशिष्टीकरण होता है।
- इस प्रकार के संगठनों में कठोरता पायी जाती है।
- वर्ग के दावित्यों में अधिक वृद्धि होती है।
- यदि शीर्ष प्रबन्धक नहीं हो तो संगठन की व्यवस्था गड़बड़ा जाती है।
- अधिक योग्य प्रबन्धकों की आवश्यकता होने के कारण ऐसे प्रबन्धकों का मिलना कठिन होता है।
- यह संगठन संरचना बड़े व्यवसायों हेतु ठीक नहीं होती है।
- इस संगठन संरचना में अधीनस्थों में प्रबन्धकीय गुण बहुत कम विकसित हो पाते हैं।
- प्रबन्धक स्वेच्छाधारिता तथा मनमानी पूर्ण व्यवहार करते है।
- शोध एवं विकास व नियोजन की कमी रहती है।
- अधीनस्थ स्वतंत्रत रूप से कार्य नहीं कर पाते हैं।
- जल्दी तथा अकेले लिए गये निर्णय प्रायः हानिकारक होते हैं।
- इसमें सहयोग की कमी होती है।
रेखा संगठन की उपयुक्तता
रेखा संगठन को निम्नलिखित दशाओं में उपयुक्त माना जाता है।
- यदि उपक्रम अत्यधिक बड़ा न हो।
- जब संगठन में नैत्यिक प्रकृति के कार्य होते हों।
- संगठन में सीमित मात्रा के कर्मचारी कार्य करते हों।
- संगठन के कर्मचारी अनुशासन में कार्य करते हो।
- जब संगठन हेतु विशिष्टीकरण की आवश्यकता न हो।
- कार्यों का बंटवारा किया जा सकता हो।
- स्वचलित मशीनें उपयोग में लायी जाती हों।