राष्ट्रीय पाठ्यक्रम 2005 – वर्तमान में कोई भी घटना, समस्या, प्रदूषण, प्राकृतिक आपदा, क्षेत्रीय, राष्ट्रीय ना रहकर अंतरराष्ट्रीय रूप धारण कर लेती है। जैसे आतंकवाद आणविक शक्ति का दुरुपयोग प्राकृतिक संसाधनों का अधिक दोहन, भूकंप इत्यादि। इसलिए पाठ्यक्रम ने भी विश्व स्तरीय रूप ले लिया है। विश्व के विद्वानों अर्थशास्त्रियों, मनोवैज्ञानिकों, वैज्ञानिकों, राजनीतिज्ञों और महापुरुषों, शिक्षा शास्त्रियों द्वारा विश्व की सुख शांति समृद्धि और विकास विश्व शांति के लिए पाठ्यक्रम को विश्व स्तरीय रूप देने का प्रयास किया जा रहा है।
Jacques Delor की अध्यक्षता में जो शिक्षा नीति बनाई गई उसे भारतीय शिक्षा नीति नहीं कह सकते, क्योंकि इस शिक्षा आयोग में डॉक्टर कर्ण सिंह शिक्षाविद भारतीय थे। शेष अध्यक्ष डेलर सहित 14 सदस्य विदेशी विश्व स्तर के प्रतिनिधि थे। इसलिए डीलर की अध्यक्षता में जो शिक्षा नीति बनाई गई, वह अंतरराष्ट्रीय शिक्षा आयोग की नीति है। राष्ट्रीय पाठ्यक्रम निर्माण 2005

राष्ट्रीय पाठ्यक्रम 2005
अंतर्राष्ट्रीय शिक्षा आयोग ने विश्व स्तरीय पाठ्यवस्तु का अध्ययन करके पूरे तर्क वितर्क के उपरांत राष्ट्रीय पाठ्यक्रम 2005 प्रस्तुत किया है, जिसमें निम्नलिखित मुख्य विषयों पर प्रकाश डाला है-
- परमात्मा ने विश्व के सभी नागरिकों को शारीरिक अंग और बुद्धि समान दी है। किसी से भेदभाव नहीं रखा है। इसलिए विश्व के सभी नागरिकों को शिक्षा और सुख सुविधा भी मिलनी चाहिए। यूनेस्को ने विश्व के सभी नागरिकों को शिक्षा और मान सम्मान देने पर बल दिया है।
- हिंदी भाषी राज्यों में हिंदी तथा जिन राज्यों में मातृभाषा हिंदी नहीं है उन्हें शीघ्र हिंदी सीखने के लिए प्रेरित करना चाहिए।
- देश में नागरिकों से मेल मिलाप देश के कार्यों में सक्रियता आदान-प्रदान व्यवहार और व्यापार आदि के लिए पूरे देश में विद्यार्थियों को हिंदी भाषा देवनागरी लिपि का ज्ञान समझने जानने लिखने पढ़ने के लिए अनिवार्य है।
- अंग्रेजी अंतरराष्ट्रीय स्तर की भाषा है। विश्व में एक दूसरे देशों से वार्तालाप, ताल-मेल, आदान-प्रदान, व्यवहार तथा संबंध स्थापित करने के लिए अंग्रेजी भाषा जानना आवश्यक है। इसलिए आयोग ने अंग्रेजी भाषा सीखने का सुझाव दिया है जिससे विश्व में व्यापार व्यवहार और संबंधों में प्रगति हो।
- गणित व्यावहारिक एवं व्यापारिक विषय है प्रत्येक पारिवारिक व्यक्ति को लेनदेन करना पड़ता है। किसी भी उद्योग, व्यवसाय के लिए व्यक्तिगत, सामुदायिक देश विदेश से लेनदेन आदि के लिए गणित विषय का ज्ञान होना अनिवार्य है।




- बच्चा परिवार में जन्म लेता है, पारिवारिक सदस्यों से संबंध आस-पड़ोस, समुदाय, समाज देश विदेश में भ्रातत्व, प्रेम, भाव, मित्रता और सामाजिक संबंध बनाना आवश्यक है।
- वर्तमान युग विज्ञान का युग है। विश्व में नए आविष्कार वैज्ञानिक अनुभवों की होड़ लगी हुई है। इसलिए उत्पादकता, स्वास्थ्य और वैज्ञानिक उपलब्धियों का ज्ञान होना आवश्यक है, जिससे वैज्ञानिक विकास हुआ अनुभवों का उपयोग किया जा सके।
- नैतिक शिक्षा एवं संस्कृति का ज्ञान भी आवश्यक है। परंपरागत संस्कृति में अनेक अनुभव और विशेषताएं छिपी हैं। परंपरागत संस्कृति हमारी वर्तमान एवं भावी विरासत है। एक दूसरे से अच्छे व्यवहार के लिए नैतिक शिक्षा और संस्कृति अच्छे समाज एवं राष्ट्र का आधार है।
- दैनिक जीवन में हास्य कला और कार्यानुभव का भी बहुत महत्व है। दैनिक उपयोग की वस्तुओं का उचित उपयोग और उत्पादन की भी आवश्यकता है। कपड़ों घरों आंगन की सफाई घर आंगन में फूल और सब्जी उत्पादन आदि गृह कार्य और कार्य अनुभव की शिक्षा अनुभव भी आवश्यकता है।
- माध्यमिक शिक्षा में शिक्षक अभिभावकों और समुदाय का बहुत योगदान है। ग्रामीण, ब्लॉक, जिला शिक्षा समितियों का शिक्षा के विकास में सहयोग आवश्यक है।
- विद्यालयों में भवन पानी बिजली आधुनिक उपकरण टेलीविजन और कंप्यूटर आदि सभी आधुनिक सुविधाएं देकर शिक्षा के गुणवत्ता और विस्तार पर बल दिया गया है।