राजनीति विज्ञान भूगोल संबंध अंतर

राजनीति विज्ञान भूगोल संबंध – अन्य मानविकी विज्ञानों की भाँति राजनीति विज्ञान का संबंध भूगोल के साथ भी है। भौगोलिक अवस्थिति एवं परिस्थितियाँ दोनों ही राज्य के निर्माणकारी तत्वों में शामिल होती हैं बिल्कुल उसी प्रकार जिस प्रकार अन्य कारक शामिल होते हैं। अनेक विद्वानों ने यह विचार व्यक्त किया है कि भौगोलिक और भौतिक स्थितियाँ लोगों के जीवन, स्वरूप तथा उनकी राजनीतिक संस्थाओं पर व्यापक रूप से प्रभाव डालती हैं।

प्राचीन काल के यूनानी विचारक अरस्तू की मान्यता थी कि भूगोल के ज्ञान के अभाव में राजनीतिक ज्ञान कभी भी पूर्ण नहीं हो सकता। इस संदर्भ में यह उल्लेखनीय है कि बोदां विश्व का पहला ऐसा विचारक था जिसने पहली बार भौगोलिक परिस्थितियों तथा राजनीति के बीच आपसी सम्बन्धों की व्याख्या की और यह स्पष्ट किया कि भिन्न-भिन्न भौगोलिक परिस्थितियों में रहने वाले लोगों की स्वभावगत विशेषतायें अलग-अलग होती हैं।

राजनीति विज्ञान इतिहास संबंध
राजनीति विज्ञान भूगोल संबंध

राजनीति विज्ञान भूगोल संबंध

इसी प्रकार बकाल ने अपनी पुस्तक ‘सभ्यता का इतिहास में यह मत प्रतिपादित किया है कि – “व्यक्तियों और तद्नुकूल समाज के कार्य, बुद्धि तथा वाह्य वातावरण के मध्य परस्पर अन्तःक्रिया पर निर्भर करते हैं।” भूगोल के अंतर्गत हम सामान्यतः पृथ्वी की संरचना, जलवायु, पाये जाने वाले खनिजों, फसलों, समुद्रों के साथ-साथ जलमार्गों तथा यातायात के साधनों आदि का अध्ययन करते हैं। इन सभी का संबंध मानव से है।

इसी कारण भूगोल की एक प्रमुख शाखा ‘मानव भूगोल‘ के नाम से भी जानी जाती है। राजनीति विज्ञान भूगोल से इस रूप में संबंधित है कि भौगोलिक कारकों का राष्ट्र के हित में अधिकतम उपयोग करना राज्य का ही दायित्व है। विभिन्न भौगोलिक संसाधन राज्य की उन्नति और विकास को प्रभावित करते हैं तथा वहाँ के लोगों के जीवन स्तर के उन्नयन में सहायक होते हैं।

इस प्रकार भौगोलिक तत्वों का समुचित दोहन करके राष्ट्र अपने को समृद्धशाली बना सकता है तथा अपने लोगों के जीवन स्तर को उन्नत बना सकता है। भौगोलिक तत्वों तथा संसाधनों का किस प्रकार राज्य के हित में अधिकतम कल्याण हेतु प्रयोग किया जा सकता है। इसके लिए नीतियाँ तथा कार्ययोजना बनाने का दायित्व राज्य का ही है। विश्व के राजनीतिक तथा भौगोलिक ज्ञान के अभाव में विश्व राजनीति का यथेष्ट ज्ञान संभव नहीं है।

विश्व राजनीति में, पश्चिमी एशियाई देशों की महत्वपूर्ण अवस्थिति का पता तभी लगाया जा सकता है जब हमें यह जानकारी हो कि इन देशों में तेल के अकूत भंडार पाये जाते हैं जो सारे विश्व की ऊर्जा की आवश्यकताओं की पूर्ति करते हैं। अतः देशों के साथ मित्रवत् सम्बन्ध रखना विश्व के सभी देशों के लिए आवश्यक है। अतः दुनिया के सभी देश खाड़ी देशों के साथ मित्रवत संबंध बनाये रखना चाहते हैं ताकि उनकी ऊर्जा आवश्यकतायें निर्वाध रूप से बनी रहें।

निर्बाध ऊर्जा की आपूर्ति शांति तथा युद्धकाल दोनों के लिए आवश्यक है। बिना अबाध ऊर्जा की आपूर्ति के बड़े से बड़े और शक्तिशाली देश की स्थिति, युद्ध में एक प्यादे से ज्यादा कुछ नहीं होगी। अतः पश्चिम एशिया के देश आज सभी के लिए महत्वपूर्ण बने हुए हैं। उनकी यह स्थिति भौगोलिक विशिष्टता के कारण ही है। किसी राष्ट्र की शक्ति के विभिन्न कारकों में भौगोलिक कारक का भी महत्वपूर्ण स्थान है।

राज्यसभा रचना संगठन
राजनीति विज्ञान भूगोल संबंध

भौगोलिक कारकों में राष्ट्र का आकार, स्थिति तथा जलवायु का महत्वपूर्ण स्थान है। परमाणु हथियारों के विकास ने छोटे आकार वाले देशों को अत्यंत सीमित कर दिया है क्योंकि छोटे आकार वाले देशों में द्वितीयक प्रहार क्षमता का अभाव होता है। ऐसे राष्ट्र दो चार परमाणु बमों से ही पूरी तरह नष्ट किये जा सकते हैं जबकि बड़े आकार के देशों को इस प्रकार खत्म करना आसान नहीं है।

वर्तमान काल में किसी राज्य के स्वरूप और शक्ति के अवधारण में भी भौगोलिक कारकों का महत्वपूर्ण स्थान है और इसी के चलते ‘भू राजनीति’ नामक एक नये विषय का प्रादुर्भाव हो गया है। मैकिन्डर, स्पाइकमैन, एल्फ्रेड टेलर जैसे विचारकों ने राजनीति विज्ञान के अध्ययन में भौगोलिक कारकों को महत्वपूर्ण स्थान दिया है। इस प्रकार कहा जा सकता है कि भूगोल तथा राजनीति विज्ञान में परस्पर घनिष्ठ संबंध है और दोनों एक दूसरे को प्रभावित करते हैं। एक के समुचित ज्ञान के अभाव में दूसरे का पूर्ण अध्ययन नहीं किया जा सकता है। परन्तु दोनों में विभेद की मात्रा भी कम नहीं है।

राजनीति विज्ञान भूगोल अंतर

राजनीति विज्ञान भूगोल संबंध राजनीति विज्ञान भूगोल अंतर निम्न है-

क्र• सं•राजनीति विज्ञानभूगोल
1.राजनीति विज्ञान मानव जीवन के राजनीतिक पक्ष तथा उससे संबद्ध संस्थाओं का अध्ययन करता है।भूगोल मानव जीवन के भौतिक पक्ष का अध्ययन करता है।
2.राजनीति विज्ञान में राज्य तथा मनुष्य के राजनीतिक व्यवहार का अध्ययन किया जाता है। भूगोल में वस्तुगत तथा विद्यमान भौतिक स्थितियों का अध्ययन किया जाता है।
3.राजनीति विज्ञान तथ्यात्मक होने के साथ-साथ आदर्शपरक या मूल्यपरक विज्ञान भी है।भूगोल एक तथ्यात्मक विज्ञान है।
4.राजनीति विज्ञान एक अनिश्चित विज्ञान है।भूगोल एक पूर्णतया निश्चित विज्ञान है।
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